भारत एक लोकतांत्रिक राष्ट्र है और यहां सभी को व्यक्तिगत स्वतंत्रता प्राप्त है। ऐसे राष्ट्र में आतंरिक विद्रोह होना या किसी राज्य या राज्य के भाग में संवैधानिक और राजनीतिक तंत्र फेल होने की आशंका को नकारा नहीं जा सकता है। कभी राष्ट्र में ऐसी स्थिति बन गयी तो उसके नियंत्रण के लिए भारत के संविधान निर्माताओं ने संविधान में कुछ आपातकाल नियंत्रण के प्रावधानों को जोड़ा है। इन्हीं प्रावधानों को हम आपातकाल प्रावधान या आपातकाल उपबंध के नाम से जानते हैं।
भारत में आपातकाल पर 10 लाइन (Ten Lines on Emergency in India in Hindi)
आईए हम सब आज संविधान में उल्लेखित आपातकाल की जानकारी से अवगत होते हैं और जानते हैं कि भारतीय लोकतंत्र में इसका क्या इतिहास रहा है।
Bharat me Apatkal par 10 Vakya – Set 1
1) देश पर बाह्य आक्रमण, आंतरिक विद्रोह, सैनिक विद्रोह, कानूनी तंत्र विफल और आर्थिक मंदी की स्थिति आपातकाल कहलाती है।
2) भारतीय संविधान में आपातकाल प्रावधान (Emergency Provision) बनाये गये हैं, जो इन स्थितियों के नियंत्रण के लिए लागू किये जाते हैं।
3) भारतीय संविधान में राष्ट्रीय आपातकाल, संवैधानिक आपातकाल और वित्तीय आपातकाल के प्रावधान शामिल है।
4) भारतीय संविधान के भाग 18 में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकाल प्रावधान लिखे गये हैं।
5) भारतीय संविधान में आपातकाल प्रावधान जर्मनी के वाइमर संविधान (Weimar Constitution of Germany) से लिया गया है।
6) भारत शासन अधिनियम 1935 के प्रमुख प्रावधान भी आपातकालीन प्रावधान में शामिल है।
7) केवल देश के राष्ट्रपति को देश में आपातकाल लागू करने व हटाने का अधिकार होता है।
8) आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 20 व 21 को छोड़कर बाकि मौलिक अधिकार निलंबित हो जाते हैं।
9) भारत में अबतक (2020) कुल 3 बार आपातकाल घोषित किया जा चुका है।
10) पहला 1962 में भारत-चीन युद्ध, दूसरा 1971 में भारत-पाक़ युद्ध और तीसरा 1975 में आतंरिक अशांति के आधार पर लगाया गया था।
Bharat me Apatkal par 10 Vakya – Set 2
1) भारत एक लोकतान्त्रिक देश है जहां कभी भी युद्ध, विद्रोह या आर्थिक मंदी की गंभीर स्थिति हो सकती है।
2) आपातकाल की ऐसी स्थिति के लिए भारतीय संविधान में तीन आपातकाल प्रावधान लिखे गए हैं।
3) युद्ध व राष्ट्रीय सुरक्षा की स्थिति में अनुच्छेद 352 के तहत राष्ट्रीय आपातकाल लगाया जाता है।
4) किसी राज्य का संवैधानिक तंत्र फेल होने की स्थिति में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शाषन लागू किया जाता है।
5) जब देश की अर्थव्यवस्था ध्वस्थ होने के कगार पर हो तब अनुच्छेद 360 के तहत वित्तीय आपातकाल लागू किया जाता है।
6) भारत में अभी तक केवल राष्ट्रीय आपातकाल और राष्ट्रपति शाषन लागू किया गया है।
7) भारत में अबतक (2020) कभी भी वित्तीय आपातकाल की घोषणा नहीं की गई है।
8) भारत में आपातकाल की सबसे लम्बी अवधि लगभग 7 वर्ष तक भारत-चीन युद्ध के समय 1962-68 तक थी।
9) 25 जून 1975 को लगाया गया तीसरा आपातकाल सबसे विवादास्पद आपातकाल माना जाता है।
10) 25 जून 1975 को ‘लोकतंत्र का काला दिवस’ (Black Day of Indian Democracy) और इस आपातकाल की अवधि को ‘भारतीय इतिहास की काली अवधी’ (Black Period of Indian History) कहते हैं।
किसी संकट की स्थिति से निपटने के लिए बनाए गए ये तीनों आपातकाल प्रावधान केंद्र सरकार को यह शक्ति देते है कि केंद्र राज्यों से राजनीतिक शक्तियां अपने हाथों में ले सकता है और ऐसे वक़्त पर नागरिकों को प्राप्त मौलिक अधिकार भी पूर्ण रूप से प्रभाव में नहीं रह जाते है। देश के नागरिकों व राज्य की सम्पति पर केंद्र नियंत्रण कर सकती है और उसका इस्तेमाल कर सकती है।