ग्लोबल वार्मिंग पर 10 वाक्य (10 Lines on Global Warming in Hindi)

वर्तमान में यदि पूछा जाये की दुनिया की सबसे बड़ी जरूरत क्या है तो ये कहना गलत नहीं होगा कि “प्रकृति की सुरक्षा” ही जीवन के लिए सबसे आवश्यक है। प्रकृति ने धरती पर रहने वाले जीवों को प्रचुर मात्रा में संसाधन दिए थे परन्तु मनुष्य ने विकास और प्रगति के लालच में इसका असीमित दोहन किया है। मनुष्य वह प्राणी है जिसने पृथ्वी पर पायी जाने वाली बाकी प्रजातियों को खतरे में डाल दिया है। उद्योग और धंधों को बढ़ाने के चक्कर में मनुष्य द्वारा वायु, जल व मृदा सभी तरफ प्रदूषण के विस्तार ने ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाया है।

ग्लोबल वार्मिंग पर 10 लाइन (Ten Lines on Global Warming in Hindi)

ग्लोबल वार्मिंग भविष्य का सबसे बड़ा खतरा बन चुका है यदि इसे आज संभाला नहीं गया तो यह बहुत बड़ी तबाही लेकर आएगा। आज 10 लाइनों के सेट से हम ग्लोबल वार्मिंग के बारे में जानेंगे।

Global Warming par 10 Vakya – Set 1

1) ग्लोबल वार्मिंग को सामान्य हिंदी भाषा में ‘भूमंडलीय ऊष्मीकरण’ कहते हैं।

2) ग्लोबल वार्मिंग का सामान्य अर्थ पृथ्वी के तापमान में होने वाली असामान्य वृद्धि है।

3) धरती के वायुमंडल और महासागर के तापमान में वृद्धि ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव है।

4) भूमंडलीय ऊष्मीकरण के कारणों में मानव द्वारा किए गए कार्य सबसे ऊपर हैं।

5) पृथ्वी पर ग्लोबल वार्मिंग के खतरे को ग्रीन हाउस के प्रभाव ने और बढ़ाया है।

6) बढ़ते औद्योगीकरण और उससे फैले प्रदूषण ने ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा दिया है।

7) बड़े-बड़े वन क्षेत्रों का सफाया व पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने भी ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा दिया है।

8) सूखा, बाढ़, आंधी-तूफ़ान व अधिक वर्षा आदि ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव के कारण होते है।

9) जंगलों में अचानक से लगने वाली आग ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि के कारण होती है।

10) ग्लोबल वार्मिंग किसी एक देश का नहीं बल्कि वर्तमान में वैश्विक खतरा बन चुका है।

Global Warming par 10 Vakya – Set 2

1) ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा देने में ग्रीन हाउस गैसों तथा मानवीय गतिविधियों का सबसे अधिक श्रेय है।

2) कार्बन-डाई-ऑक्साइड, मीथेन, क्लोरो फ्लोरो कार्बन आदि ग्रीन हाउस गैसे हैं।

3) ग्रीनहाउस गैस वायुमंडल में एक सतह बना देती है जो ऊष्मा परावर्तन को रोकती है।

4) सूर्य की ऊष्मा पूर्ण रूप से परावर्तित न होने पर धरती के तापमान में वृद्धि होती है।

5) ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव हमारी प्रकृति पर प्रत्यक्ष देखा जा सकता है।

6) पृथ्वी के पारिस्थितिकी तंत्र व जलवायु में असामान्य परिवर्तन ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव हैं।

7) जीवाश्म इंधन का अत्यधिक प्रयोग व न्यूक्लीयर टेस्ट अप्रत्यक्ष रूप से ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ावा दे रहे हैं।

8) ग्लेशियर का तेजी से पिघलना और समुद्र का जलस्तर बढ़ना ग्लोबल वार्मिंग के दुष्प्रभाव हैं।

9) एक रिपोर्ट के अनुसार अगले दशक में पृथ्वी का औसत तापमान 1 से 5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।

10) अपनी धरती को ग्लोबल वार्मिंग से बचाने के लिए ज्यादा से ज्यादा वृक्ष लगाने चाहिए। तभी हम पृथ्वी पर जीवन को बचा पाएंगे।


पृथ्वी पर जीवन को निरंतर बनाए रखने के लिए पृथ्वी का तापमान संतुलित रहना आवश्यक है। मानव गतिविधियों से जिस प्रकार से तापमान में वृद्धि होती जा रही है ये अत्यंत चिंता का विषय बनता जा रहा है। हम अपने प्रगति और विकास को रोक तो नहीं सकते पर आवश्यकता है कि संसाधनों के दोहन, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन, उद्योगों से होने वाले प्रदूषण आदि पर कड़े नियम व कानून बनाकर नियंत्रण करें। क्योंकि हमारे पर्यावरण को संरक्षित रखना हमारा कर्तव्य है और हम सभी के लिए ये आवश्यक भी है।

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