भारत भूमि पर अनेक संत महात्माओं ने जन्म लिया था अपने-अपने कर्मो एवं वचनो से मानव जाति को तृप्त करने का कार्य किया। ऐसे एक संत जिन्हें संपूर्ण विश्व जगतगुरु संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के नाम से जानता है। उस समय भारतीय समाज में व्याप्त अनेको कुरीतियों, ऊंच-नीच तथा जात-पात को खत्म करने का अथक प्रयास किया फलस्वरूप लोग उनका सत्कार जगतगुरु के नाम से करते है।
साथियों आज मैं संत शिरोमणि गुरु रविदास पर 10 लाइन के द्वारा आप लोगों से संत शिरोमणि गुरु रविदास के बारे में चर्चा करूंगा, दोस्तों मुझे उम्मीद है कि ये लाइन आपको जरूर पसंद आएंगी तथा आप इसे अपने स्कूल तथा अन्य स्थानों पर इस्तेमाल भी कर सकेंगे।
1) गुरु रविदास जी का जन्म संवत 1433 माघ पूर्णिमा के दिन वाराणसी (काशी) में हुआ था।
2) उनकी माता का नाम घुरविनिया तथा पिता जी का नाम रग्घु था।
3) वे पेशे से चमड़े के जूते एवं चप्पल बनाने का कार्य करते थे, पर रुचि आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्ति में अधिक थी।
4) रविदास जी संत कबीर तथा गुरु रामानंद को अपना गुरु बनाकर आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किए।
5) रविदास जी बहुत ही दयालु एवं सरल स्वभाव के थे उन्हे लोगों की सहायता करने में अत्यधिक प्रसन्नता मिलती थी।
6) उनके जीवन की एक छोटी घटना जिसमें संतो द्वारा गंगा स्नान के आग्रह करने पर उन्होंने कहा था कि “मन चंगा तो कठौती में गंगा”।
7) रविदास जी ने ईश्वर भक्ति में ऊंच नीच की भावना से विरक्त होकर लोगों के साथ एक समान व्यवहार करने का आग्रह किया।
8) रैदास जी स्वयं भक्तिमय दोहे एवं गीतो का रचना करते तथा स्वयं गाते और काफी प्रसन्न होकर सुनते थे।
9) मीराबाई उनकी वाणी एवं भक्तिमय गीत से प्रभावित होकर गुरु रविदास जी की शिष्या बनना स्वीकार कर लिया।
10) उन्होंने व्यक्ति को अभिमान तथा बड़प्पन को त्यागकर मधुर एवं सरल आचरण करने का संदेश दिया।
1) रविदास जी के जन्मोत्सव को संपूर्ण भारत में बड़े ही धुम-धाम से मनाया जाता है तथा तरह-तरह की झांकियां निकाली जाती है।
2) इस दिन काशी में बहुत ही उत्सव का माहौल रहता है तथा भारत के कोने-कोने से लोग उनकी अरदास करने आते है।
3) भारतीय संत परंपरा में गुरु रविदास जी का एक अलग ही स्थान रहा है जो उनके गौरव को दर्शाता है।
4) रविदास जी के ज्ञान एवं विचारों की चर्चा भारत के साथ-साथ विश्व के अनेक संत महापुरुष आज भी करते रहते है।
5) उनके द्वारा लिखे गए गीत एवं दोहे का अनुवाद हिन्दी के अलावा विश्व की अन्य भाषाओं में भी किया गया है।
6) उनके द्वारा दी गई शिक्षा समाज में व्याप्त छुआ-छुत जैसी कुरीतियों को दूर करने में सहायता प्रदान करती है।
7) गुरु रविदास जी का कार्य न्यायपूर्ण और समतावादी समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उनका प्रेम, सच्चाई और धार्मिक संदेश हर दौर में प्रासंगिक है।
8) उन्होने दलित समाज के लोगों को एक नया अध्यात्मिक संदेश दिया जिससे वे जाति पाती के भेदभाव से जुड़ी मुश्किलों का सामना कर सके।
9) गुरु रविदास जी ने सिख धर्म के लिए भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया फलस्वरूप सिख समुदाय के लोग उन्हे अपना गुरु मानते है।
10) वे बहुत ही बुद्धिमान व्यक्ति थे और अपने शिष्यों को हमेशा सिखाते रहते थे कि किसी भी धर्म के प्रति लालच नहीं करना है।
निष्कर्ष
गुरु रविदास जी का जीवन संघर्ष विश्व की संपूर्ण मानव जाति को समता, प्रेम एवं आध्यात्मिक ज्ञान की तरफ अग्रसर करता है। ऊंच-नीच, जाति भेद की भावना से विरक्त होकर सभी से प्रेम करने की शिक्षा हमें उनसे प्राप्त हुई।
दोस्तों मैं आशा करता हूँ कि संत शिरोमणि गुरु रविदास पर 10 लाइन (10 Lines on Guru Ravidas Jayanti ) आपको पसंद आए होंगे तथा आप इसे भली-भांति समझ गए होंगे।
धन्यवाद !
उत्तर – गुरु रविदास जी की पत्नी का नाम ‘लोना’ था।
उत्तर – उनकी मृत्यु संवत 1528 में काशी में ही हुई थी।
उत्तर- सन् 2022 में रविदास जयंती 16 फरवरी को मनाई जाएगी।