हिंद की चादर (भारत का ढाल) के नाम से प्रसिद्ध गुरु तेग़ बहादुर जी सिख समुदाय के नौवें गुरु थे। उन्होंने कश्मीरी पंडितों एवं अन्य हिंदुओं को औरंगजेब द्वारा जबरन मुसलमान बनाये जाने की नीति का बलपूर्वक विरोध किया। गुरु तेग़ बहादुर का कहना था कि सिर कटा सकते हैं लेकिन केश नहीं, उनके इस रवैये से क्रुद्ध होकर मुगल शासक औरंगज़ेब ने सबके सामने उनका सिर कटवा दिया। गुरु तेग़ बहादुर को नि:स्वार्थ शहीद कहा जाता है तथा हर साल 24 नवंबर को उनकी शहादत को, शहीदी दिवस के रुप में मनाया जाता है।
गुरु तेग़ बहादुर (शहीदी दिवस) पर 10 लाइन (Ten Lines on Guru Tegh Bahadur Shaheedi Divas in Hindi)
साथियों आज इस लेख ‘गुरु तेग़ बहादुर (शहीदी दिवस) पर 10 लाइन’ के माध्यम से हम गुरु तेग़ बहादुर तथा उनसे संबंधित शहीदी दिवस के बारे में जानेंगे।
Guru Tegh Bahadur Shaheedi Divas par 10 Vakya – Set 1
1) गुरु तेग़ बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे, इनका जन्म अप्रैल, 1621 में अमृतसर में हुआ था।
2) उनके पिता का नाम गुरु हर गोविन्द तथा माता का नाम नानकी था।
3) उनका बचपन का नाम त्यागमल था।
4) सिखों के आठवें गुरु (हरकिशन सिंह) तथा उनके पिता ने उनकी योग्यताओं एवं बहादुरी को देखते हुए उन्हें ‘गुरु तेग़बहादुर’ नाम दिया था।
5) 20 मार्च, 1664 को गुरु तेग़ बहादुर ने सिखों के गुरु का पदभार संभाला।
6) ‘गुरु तेग़बहादुर’ ने जब मुगल बादशाह औरंगज़ेब द्वारा जबरन धर्म परिवर्तन का विरोध किया तो औरंगज़ेब के सिपाहियों ने उन्हें बंदी बना लिया।
7) ‘गुरु तेग़ बहादुर ’को बंदी बनाकर आठ दिनों तक चांदनी चौक की कोतवाली में रख कर प्रताड़ित किया गया फिर भी वो अपने फैसले पर अडिग रहे।
8) चांदनी चौक में सरेआम मुगल बादशाह औरंगज़ेब के जल्लादों ने 24 नवंबर सन् 1675 को उनका सिर उनके धड़ से अलग कर दिया।
9) उनके कटे शीश को एक सिख भाई ‘जैता जी’ ने आनंदपुर साहिब लाकर अंतिम संस्कार के लिए उनके पुत्र गुरु गोविंद सिंह को सौंप दिया।
10) उन्हें श्रद्धांजली देने के लिए सिख समुदाय के साथ अन्य समुदाय तथा धर्मों के लोग भी 24 नवम्बर को शहीदी दिवस के रूप में मनाते हैं।
Guru Tegh Bahadur Shaheedi Divas par 10 Vakya – Set 2
1) ‘गुरु तेग़बहादुर’ ने सिर्फ 14 वर्ष की अल्पायु में ही मुगलों के खिलाफ अपने युद्ध कौशल का परिचय दे दिया था।
2) इस घटना से प्रभावित होकर उनके पिता तथा सिखों के आठवें गुरु ने उनका नाम त्यागमल की जगह गुरु तेग़ बहादुर अर्थात तलवार का धनी रख दिया।
3) ‘हरिकृष्ण राय जी’ (सिखों के आठवें गुरु) की अकाल मृत्यु के पश्चात जनमत द्वारा उनको सिखों का नौवा गुरु बनाया गया।
4) औरंगजेब के आदेशानुसार उसी समय कश्मीरी पंडितों पर अत्याचार कर वहाँ का गवर्नर (इफ्तार खां) उन्हें मुसलमान बनने को बाध्य कर रहा था।
5) गुर जी ने औरंगजेब को जवाब देते हुए कहा कि मैं धर्म परिवर्तन के खिलाफ हूँ।
6) इस बात से रुष्ट होकर औरंगजेब ने गुरु तेग़ बहादुर तथा उनके तीन सहयोगियों (भाई मती दास, भाई दयाला और भाई सती दास) को निर्ममता पूर्वक शहीद कर दिया।
7) लोक कल्याणकारी कार्य तथा धर्म एवं ज्ञान के प्रचार – प्रसार के लिए गुरु तेग़ बहादुर ने अनेक स्थानों का भ्रमण किया।
8) इन यात्राओं के दौरान ही पटना साहब में सन 1666 को गुरु तेग़ बहादुर जी को पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई, जो आगे चलकर सिखों के 10वें गुरु (गुरु गोबिन्द सिंह जी) के नाम से विख्यात हुए।
9) गुरु तेग़ बहादुर जी एक कवि भी थे उनके द्वारा रचित 115 पद्य रचनाएं गुरु ग्रंथ साहिब के महला 9 में संग्रहित है।
10) गुरु तेग़ बहादुर जी के जन्मदिन को सिख समुदाय के लोग प्रकाश पर्व के नाम से मनाते हैं।
निष्कर्ष
14 वर्ष की अल्पायु में मुगलों के दांत खट्टे कर देने वाले महान धुरंधर एवं अद्वितीय प्रतिभा के धनी गुरु तेग़ बहादुर साहब का नाम धर्म एवं मानवीय मूल्यों के खातिर अपने प्राणों की आहुति देने वाले विभूतियों कि अग्रिम श्रेणी में आता है। जिन्होंने धर्म की महत्ता को स्थापित करने के लिए औरंगजेब द्वारा क्रूरता से प्रताड़ित होने के बाद भी इस्लाम कबुल नहीं किया। उन्होंने अपना सिर कटा दिया पर अपना केश (बाल) नहीं कटने दिया।
मुझे पूर्ण आशा है कि ‘गुरु तेग़ बहादुर (शहीदी दिवस) पर 10 लाइन’ आपको बेहद पसंद आयी होगी और इसे पढ़कर आपने गुरु तेग़ बहादुर के बारे में समझा होगा।
धन्यवाद !
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गुरु तेग़ बहादुर शहीदी दिवस पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions on Guru Tegh Bahadur Shaheedi Diwas in Hindi)
उत्तर- चाँदनी चौक (दिल्ली) के पास गुरुद्वारा शीशगंज साहिब स्थित है, ऐसा माना जाता है कि यही पे गुरु तेग़ बहादुर का सिर कटकर गिरा था।
उत्तर- नई दिल्ली में संसद भवन के पास गुरुद्वारा रकाब गंज साहिब का निर्माण किया गया है, इस स्थान के बारे में ऐसी मान्यता है कि यहां पर गुरु तेग़ बहादुर जी के सिर को लाकर उनका अंतिम संस्कार किया गया था।