देश में स्वाधीनता का बिगुल जोरो-शोरो से बज चुका था और स्वतंत्रता आंदोलन चलाये जा रहे थे। ब्रिटिश सरकार सत्ता जाने के भय में थी। इसी समय कुछ क्रांतिकारियों द्वारा अंग्रजी नीति के खिलाफ जलियांवाला बाग में एक शांतिपूर्ण धरना आयोजन किया गया। 1857 की घटना फिर से न दोहराई जाए इसके भय में अंग्रेजी सेना ने सारी हदें पार करते हुये निर्दोष और निहत्थों पर गोलियां चलवा दी। यह भारतीय इतिहास की सबसे दुखद घटना है। इस घटना ने कई दृढनिश्चयी क्रांतिकारियों को जन्म दिया। यहीं से स्वतंत्रता की लड़ाई और तेज हो उठी।
जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड पर 10 लाइन (Ten Lines on Jallianwala Bagh Massacre in Hindi)
आइये आज भारत के सबसे भीषण “जलियांवाला बाग हत्याकांड” से रूबरू होते हैं।
Jallianwala Bagh Hatyakand par 10 Vakya – Set 1
1) 13 अप्रैल 1919 को पंजाब में अमृतसर के जलियांवाला बाग में यह नरसंहार हुआ था।
2) इतिहास के सबसे घातक नरसंहारों में से एक भारत का जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड था।
3) जलियांवाला बाग अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के निकट स्थित है।
4) रॉलेट एक्ट के विरोध में वैशाखी के दिन शान्तिपूर्ण सभा में हजारों की संख्या में लोग बाग़ में एकत्रित हुए थे।
5) अंग्रेज जनरल रेजिनाल्ड डायर ने बाग को घेरकर सभी पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी।
6) कई लोग कुएं में कुद गए तो कईयों को जान बचाकर भागते हुए मार दिया गया।
7) इस नरसंहार में सेना के गोली-बारूद खत्म होने तक कुल 10 मिनट गोलियां चलती रही।
8) अधिकारिक रिकार्ड में 379 मौतें हुयी, जबकि असल में 2000 लोग हताहत हुए थें।
9) इस घटना ने पुरे भारत में आज़ादी और स्वशासन की ज्वाला को भड़का दिया।
10) इस हत्याकाण्ड के साक्ष्य वर्तमान में भी जलियांवाला बाग में मौजूद हैं।
Jallianwala Bagh Hatyakand par 10 Vakya – Set 2
1) जलियांवाला बाग हत्याकाण्ड को 13 अप्रैल 1919 को सिक्खों के त्य़ौहार वैसाखी के दिन योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया।
2) वैसाखी के मेले में आये बुजुर्ग, महिला व बच्चे भी सभा होते देख जलियांवाला बाग़ में पहुँच गए थें।
3) यह भारतीयों के लिए समकालीन ब्रिटिश सरकार की क्रूरता को अच्छी तरह प्रदर्शित करता है।
4) ब्रिटिश सरकार ने इस नरसंहार और इसके सही आंकड़ों को छिपाने की कोशिश की, परन्तु यह खबर दुनिया भर में फैल गई।
5) हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने जनरल डायर को खुब सराहा लेकिन हाउस ऑफ कॉमन्स ने उसकी गंभीर आलोचना की।
6) इस घटना का भगत सिंह पर अत्यंत गहरा प्रभाव पड़ा। 12 किलोमीटर पैदल चलकर ये स्कुल से जलियांवाला बाग पहुँच गए थें।
7) बाग की दिवारों पर गोलियों के निशान आज भी साफ दिखते हैं, जो वहां शहीद हुए लोगों का दर्द बयां करते हैं।
8) वर्तमान में जलियांवाला बाग एक ट्रस्ट द्वारा खरीदकर शहीदों के स्मारक बनवाकर सार्वजनिक उद्यान के रूप में सजाया गया है।
9) जलियांवाला बाग में हुआ ये हत्याकाण्ड मानव जाति के इतिहास में सबसे भीषण नरसंहारों में से एक था।
10) हर साल 13 अप्रैल को लोग जलियांवाला बाग में इकट्ठा होते हैं और शहीदों को उनके बलिदान के लिए याद करते हैं।
इस भीषण नरसंहार के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार कारण भारत का ब्रिटिश साम्राज्य के अधीन रहना था। इस हत्याकांड ने हमें आजादी का महत्व सिखाया। इस घटना से भारतीयों के दिल और दिमाग में यह बात बैठा दिया कि अपने लोगों और देश के हितों की रक्षा करना स्वशासन से ही संभव है।