लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को वाराणसी उत्तर प्रदेश में हुआ था। इनकी माता रामदुलारी तथा पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक कायस्थ परिवार से थें। अठारह महीने की अल्प आयु में पिता के निधन के बाद शास्त्री जी की परवरिश उनके मौसा रघुनाथ प्रसाद ने बड़े ही लालन पालन से की। शास्त्री जी ने अपनी शिक्षा हरिश्चंद्र हाई स्कूल और काशी विद्यापीठ से पूरी की।
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लाल बहादुर शास्त्री पर 10 वाक्य (Ten Lines on Lal Bahadur Shastri in Hindi)
यहाँ मैंने लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन पर कुछ महत्वपूर्ण लाइन्स दिए है, जो की आपके होम वर्क या स्कूल वर्क में काम आ सकते हैं।
Lal Bahadur Shastri par 10 Vakya – Set 1
1) लाल बहादुर शास्त्री को शास्त्री की उपाधि काशी विद्यापीठ से मिली थी।
2) उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा अपने ननिहाल मिर्जापुर से ही ग्रहण की।
3) लाल बहादुर को बचपन में सब प्यार से ‘नन्हें’ कहकर बुलाते थे।
4) उन्होंने खुद अपने नाम से जातिसूचक शब्द “श्रीवास्तव” हटा दिया था।
5) उनका विवाह गणेश प्रसाद की बेटी ललिता देवी से हुआ था।
6) उनकी दो बेटी तथा चार बेटे थे।
7) इन्होनें संस्कृत में स्नातक किया था।
8) भारतीय स्वाधीनता संग्राम में उन्होंने प्रमुख भूमिका निभाई थी।
9) आंदोलनों में उनकी सक्रिय भागीदारी के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।
10) उन्होंने ‘करो या मरो’ नारे को “मरो नहीं, मारो!” में बदलकर लोगों में क्रांति की ज्वाला फूँकी।
Lal Bahadur Shastri par 10 Vakya – Set 2
1) शास्त्री जी ने 1929 में इलाहाबाद में भारत सेवक संघ के सचिव के रूप में कार्य किया था।
2) लाल बहादुर शास्त्री 9 जून 1964 से 11 जनवरी 1966 तक भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने।
3) “जय जवान जय किसान” का नारा इन्होंने 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान दिया था।
4) इनके शासनकाल में भारत पाकिस्तान का 1965 का युद्ध हुआ था।
5) रूस और अमेरिका ने शास्त्री जी को ताशकंद में समझौते के लिए बुलाया था।
6) शास्त्री जी समझौते की सारी शर्त मानने को तैयार थे सिवाय जीती हुई जामिनों को वापस करने के।
7) 11 जनवरी 1966 को समझौते पत्र पर हस्ताक्षर करने के कुछ ही घंटे बाद उनकी मृत्यु हो गई।
8) 1966 में उनकी देश के प्रति निष्ठा के लिए मरणोपरांत भारत रत्न से सुशोभित किया गया।
9) 1978 में “ललिता के आँसू” नामक पुस्तक में शास्त्री जी के मृत्यु के बारे में बताया गया है।
10) राजनैतिक विद्वानों का मानना है कि शास्त्री जी का कार्यकाल बहुत मुश्किल था जिसे उन्होंने बखूबी निभाया था।
शास्त्री जी गाँधीवादी विचारधारा के समर्थक थे, उन्होंने हमेशा यही कोशिश की कि खाद्य सामग्री का मूल्य न बढ़ने पाए। उन्होंने अपना सारा जीवन लोगों की सेवा में लगा दिया, परंतु आज तक उनके मौत के रहस्य से कोई भी पर्दा नहीं उठा पाया।