भारतीय समाज एक रूढ़िवादी समाज है हालांकि अनेक समाज सुधारकों के अथक प्रयास से इसमें काफी परिवर्तन आया है मगर अभी भी भारत के कई कोने ऐसे है जहां बालक और बालिका में भेदभाव किया जाता है, इन भावनाओं के नाश के लिए, बालिका शिशु को उसका अधिकार दिलाने के लिए तथा लोगों को इसके प्रति जागरूक करने के लिए प्रतिवर्ष 24 जनवरी को भारत सरकार राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाया जाता है।
साथियों आज मैं राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस पर 10 लाइन के द्वारा आप लोगों से राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस के बारे में चर्चा करूंगा, दोस्तों मुझे उम्मीद है कि ये लाइन आपको जरूर पसंद आएंगी तथा आप इसे अपने स्कूल तथा अन्य स्थानों पर इस्तेमाल भी कर सकेंगे।
1) राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष 24 जनवरी को मनाया जाता है।
2) इस दिन का उद्देश्य बालिका शिशु को नए अवसर दिलाना तथा इस विषय में लोगों की सोच बदलना है।
3) इस दिन समाज सुधारक, नेता, NGO तथा अन्य सज्जन लोग बालक तथा बालिका में व्याप्त भेद को मिटाने की शपथ लेते हैं।
4) इस दिन राज्यों को बेटी बचाओं बेटी पढ़ाओं अभियान में उत्कृष्ट कार्य के लिए पुरस्कार भी दिया जाता है।
5) इस दिन समाज के लोगों को बालिका शिशु के महत्व के बारे में जागरूक किया जाता है।
6) राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस के माध्यम में से भारत सरकार लिंगानुपात को सुधारने का भी प्रयास कर रही है।
7) इस दिन बालिका शिशु के स्वास्थ्य, शिक्षा, सम्मान, पोषण तथा अन्य कई मुद्दों पर चर्चा किया जाता है।
8) देश के विकास के लिए यह जरूरी है कि हर बालिका को उसका अधिकार मिले तथा लिंग समानता को भी प्रचारित किया जाए।
9) देश की तमाम महिलाएं इस दिन के कार्यक्रम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेती है ताकि लड़कियों को सशक्त, सुरक्षित तथा बेहतर माहौल प्रदान किया जा सके।
10) इस दिन लोग समाज में व्याप्त दहेज प्रथा, भ्रूण हत्या, बाल विवाह जैसे अनेक मुद्दों से लड़ने का प्रण करते हैं।
1) प्रतिवर्ष 24 जनवरी को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस पूर्ण रूप से बालिका शिशु के लिए समर्पित है।
2) इस दिन बालिकाओं की अच्छी शिक्षा, पोषण तथा उनके स्वास्थ्य के बारे में लोगों को अभियान चलाकर जागरूक किया जाता है।
3) बालिका शिशु की सुरक्षा के लिए सरकार ने भी बाल विवाह रोकथाम एक्ट 2009, घरेलू हिंसा अधिनियम 2009 तथा दहेज रोकथाम अधिनियम 2006 जैसे कई कठोर कदम उठाया है।
4)इसका एक प्रत्यक्ष उद्देश्य महिला साक्षरता दर में सुधार करना भी है क्योंकि भारत देश में महिला साक्षरता दर अभी भी मात्र 70.30% ही है।
5) इस महत्वपूर्ण पहल की शुरुआत साल 2008 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा किया गया था।
6) स्कूल तथा अन्य शैक्षणिक संस्थान ड्राइंग, पेंटिंग, नृत्य तथा गायन आदि कार्यक्रमों का आयोजन करके राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस मनाते हैं।
7) भारत सरकार तथा राज्यों की अलग-अलग सरकारे भी इस दिन अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती है।
8) इस दिन का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में भ्रूण हत्या को रोकने तथा बालिका शिशु को सुरक्षित रखने तथा उनके महत्वों के बारे में जागरूक करना है।
9) इस दिन को इस उद्देश्य से मनाया जाता है कि जल्द हर बालिका को उसका मान सम्मान एवं उचित स्थान मिल जाएगा।
10) समस्त स्थानीय समुदायों, सरकारी तथा गैर-सरकारी संगठनों, सभी राज्यों की सरकारे एवं केंद्र सरकार को इस मुद्दे पर एक साथ आना चाहिए और बालिकाओं के लिए समाज में व्याप्त रूढ़ियों एक साथ मिलकर मुकाबला करना चाहिए।
निष्कर्ष
लड़कियों को शिक्षित, समझदार तथा स्वावलम्बी बनाने के लिए तथा उनकी सामाजिक स्थिति में सुधार के लिए इस दिन को मनाना अति महत्वपूर्ण हो जाता है। आज के इस वर्तमान युग में भी हमारी ऐसी कुंठित सोच पर यह दिवस आघात करता है तथा हमें अपनी बहन तथा बेटियों को भी लड़कों की तरह ही सभी अधिकार एवं आजादी देने के जागरूक करता है।
दोस्तों मैं आशा करता हूँ कि राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस पर 10 लाइन (Ten Lines on National Girl Child Day) आपको पसंद आए होंगे तथा आप इसे भली-भांति समझ गए होंगे।
धन्यवाद
उत्तर- राष्ट्रीय बालिका दिवस की शुरुआत साल 2008 में ही थी।
उत्तर- राष्ट्रीय बालिका दिवस के दिन बालिकाओं को अपने अधिकार तथा अपनी सुरक्षा के लिए परिस्थितियों से डटकर मुकाबला करने के लिए जागरूक किया जाता है।