पारसी मुख्य रूप से फारस (ईरान) के रहने वाले थें। इस धर्म को जोरोएस्ट्रिनिइजम भी कहते है जिसकी स्थापना ज़रथुष्ट्र ने किया था। इसलिए इस धर्म के लोगों को ज़रथुष्ट्री भी कहते हैं। पारसी ग्रंथों के अनुसार ज़रथुष्ट्र के वंसज शाह जमशेद ने अपने पंथ के लिए एक नए कैलेण्डर का निर्माण किया था। इसमें दिनों की संख्या 360 रखा गया है और अन्य 5 दिन वह गाथा करते हैं अर्थात अपने पूर्वजों को याद करते है और उनकी पूजा करते हैं। यह गाथा पारसी नव वर्ष के 5 दिन पूर्व से किया जाने लगता है। पारसी समुदाय में केवल मुख्य 3 पर्व ही मनाते है जिसमें से एक पारसी नव वर्ष है।
पारसी नववर्ष पर 10 लाइन (Ten Lines on Parsi New Year in Hindi)
आज हम पारसी नव वर्ष के महत्वपूर्ण तथ्यों को जानेंगे। हम सभी ने पारसी धर्म के लोगों के बारे में बहुत कम ही सुना है पर इस लेख से आपको उनके बारे में कई जानकारियां प्राप्त होंगी।
Parsi Nav Varsh par 10 Vakya – Set 1
1) फ़ारसी कैलेंडर (ईरानी कैलेंडर) के पहले दिन को पारसी नव वर्ष के रूप में मनाते हैं।
2) इस दिन को ‘नवरोज़’ तथा ‘पतेती’ के नाम से भी जाना जाता है।
3) यह दिन पारसी धर्म के लोगों के लिए बहुत ही ख़ास होता है।
4) फ़ारसी कैलेण्डर को ‘शहंशाही’ भी कहते है, जिसका निर्माण शाह जमशेद ने किया था।
5) शाह जमशेद इरान के जरथुस्त्र वंश का महान व धार्मिक शाषक था।
6) भारत में इस वर्ष 16 अगस्त को पारसी नववर्ष मनाया जायेगा।
7) पारसी नववर्ष का यह दिन पारसियों द्वारा 3000 वर्षों से मनाया जा रहा है।
8) इस दिन पारसी लोग घरों को सजाते हैं, पकवान बनाते है एवं एक-दूसरे को बधाई देते हैं।
9) पारसी समुदाय के लोग पारंपरिक वस्त्र पहनकर ‘अगियारी’ (अग्नि मंदिर) में जाते हैं।
10) इस दिन पारसी जरथुस्त्र की तस्वीर पर फल, फूल, धुप व दीप आदि समर्पित करते हैं।
Parsi Nav Varsh par 10 Vakya – Set 2
1) एशिया में रहने वाले पारसी अगस्त के महीनें में पारसी नव वर्ष मनाते हैं।
2) ईरान व अन्य क्षेत्रों में निवास करने वाले पारसी मार्च के महीने में इस पर्व को मनाते हैं।
3) पारसी नव वर्ष ईराक, भारत, जोर्जिया और रूस आदि कई स्थानों पर निवास करने वाले पारसी मनाते है।
4) भारत में पारसी लोग इस त्योहार पर अपने पड़ोसियों को बुलाते हैं और पकवान खिलाकर यह दिन मनाते हैं।
5) इस दिन पारसी मेज पर अपने ईश्वर की तस्वीर के साथ शीशा, अगरबत्ती, अंडे, चीनी आदि पवित्र वस्तुए रखते है।
6) पारसी परंपरा में यह सब करने से घर में सुख-समृद्धि होती है और घर के सदस्यों की उम्र बढ़ती है।
7) पारसी धर्म में अग्नि देवता का बहुत महत्व है, इस दिन वे अपने अग्नि देव ‘अहुरा मज़्दा’ की उपासना करते हैं।
8) पारसी मूलतः ईरान के निवासी थे परन्तु इस्लामिक आक्रमण के कारण बहुत से लोगों को पलायन करना पड़ा।
9) एक रिपोर्ट के अनुसार दुनिया में लगभग 1 लाख पारसी ही बचे हैं।
10) पारसी समुदाय के बहुत कम लोग ही दुनिया में बचे है, यह एक अल्पसंख्यक समुदाय है।
पारसी समुदाय ने भारत के विकास में भरपूर सहयोग किया है। मुस्लिम आक्रमण से बचकर भारत में शरण लेने के बाद भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन हो या महाराष्ट्र में मुंबई का विकास पारसी समुदाय ने हर संभव प्रयास किये हैं।
पारसी समुदाय के इस नव वर्ष पर्व में भारत के अन्य लोग भी शामिल होते हैं और उनकी खुशियों को बाटते हैं। लोग अपने पारसी मित्रों के घर जाते है और उनके द्वारा बनाये स्वादिष्ट पकवान का आनंद लेते हैं। पारसी अपने अग्नि मंदिरों में पूजा करते है और अग्नि में चन्दन की लकड़ी जला कर ‘अहुरा मज़्दा’ देव से अपने व अपने परिवार के लिए सुख, शांति और समृद्धि की कामना करते हैं।