10 वाक्य

प्रदूषण पर 10 वाक्य (10 Lines on Pollution in Hindi)

मानव जितनी तेजी से इस धरती पर अपना वर्चस्व जमाते हुए विकास की ऊंचाइयों को छू रहा है उतनी ही तेजी से इस धरती को प्रदूषण के बोझ तले दबा रहा है। प्रदूषण से प्रकृति के साथ साथ सभी जीव जन्तु भी प्रभावित हो रहे हैं। प्रदूषण नियंत्रण आज विश्व भर के सभी देशों के लिए एक चुनौती के रूप मे उभर रहा है। हमारी दिन प्रति दिन बढ़ती आवश्यकताएं ही प्रदूषण के बढ़ने का कारण हैं। जिस प्रकार से आए दिन नए नए कारखानों, मिलों की स्थापना हो रही है उसी प्रकार से प्रदूषण भी अपने आप को कई तरह के बीमारियों के रूप में स्थापित कर रहा है।

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प्रदूषण पर 10 वाक्य (Ten Lines on Pollution in Hindi)

चलिए आज इन 10 लाइन्स के माध्यम से हम प्रदूषण को समझतेहैं।

Pradushan par 10 Vakya – Set 1

1) 2 दिसंबर को प्रदूषण नियंत्रण दिवस के रूप में उद्घोषित किया गया है।

2) प्रदूषण हमारे स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक साबित होता है।

3) ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण आदि प्रदूषण के प्रकार हैं।

4) कारखानों से निकलने वाले रासायनिक पदार्थों को नदियों तालाबों में छोड़ने से जल प्रदूषण होता है।

5) मंदिरों, मस्जिदों के लाउडस्पीकर ध्वनि प्रदूषण का कारण बनते हैं।

6) हमारे द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली प्लास्टिक की थैली भी प्रदूषण का कारण बनती है।

7) वाहनों और कारखानों की चिमनियों से निकलने वाले धुएं से वायु प्रदूषण होता है।

8) वायु प्रदूषण से अनेक प्रकार के सांस की बीमारियां होती हैं।

9) ध्वनि प्रदूषण कानों के अनेक रोगों का कारण बनती है।

10) प्रदूषण की समस्या विश्व भर के सभी देशों में विद्यमान है।

Pradushan par 10 Vakya – Set 2

1) विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों की तुलना में भारत का प्रदूषण स्तर 5.5 गुना अधिक है।

2) भारत में प्रतिवर्ष 62 मिलियन टन कूड़ा उत्पन्न होता है।

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3) महासागरों में 5.25 ट्रिलियन प्लास्टिक कचरे होने का अनुमान है।

4) लैंडफिल के कारण भारत में लगभग 20% मीथेन गैस उत्सर्जन होता है।

5) भारत में हर दिन 1.50 लाख मीट्रिक टन से अधिक ठोस कचरा पैदा होता है।

6) दीपावली जैसे त्योहारों पर पटाखों के धुएं भी वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण साबित होते हैं।

7) वर्तमान समय से बहुत सी बीमारियां विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से ही होती हैं।

8) मृदा प्रदूषण से किसानों के लिए उपजाऊ मिट्टी की कमी हो रही है।

9) एयर कंडीशनर से निकलने वाले कार्बन मोनोऑक्साइड जैसे गैसों से ओजोन परत की क्षति होती है।

10) जल प्रदूषण के कारण आज कल किसी भी नदी तलब का पानी पीने योग्य नहीं रह गया है।


बढ़ती जनसंख्या की बढ़ती निरर्थक आवश्यकताओं और लापरवाहियों के कारण प्रदूषण का स्तर अपने चरण सीमा पर पहुंच चुका है। आज हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली किसी भी वस्तु में से कुछ न कुछ अपशिष्ट पदार्थ अवश्य निकलता है और अंततः यही अपशिष्ट पदार्थ किसी न किसी रूप में प्रदूषण का कारण बनाता है। आज सभी मानव जाति को प्रदूषण से इस प्रकृति को बचाने के लिए अपनी उचित मात्रा में ही किसी भी चीज का इस्तेमाल करना चाहिए। सभी को इस प्रकृति के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को समझना होगा तब जाकर प्रदूषण की इस विशाल संकट से खुद को बचा पाएंगे।

Shubham Singh

राजनितिशास्त्र से स्नातक एवं इतिहास से परास्नातक करने के पश्चात् शुभम सिंह लेखन कार्य से जुड़ गये। लेखन से पूर्व किये गये गहन अन्वेषण इनके लेखों में साफ़ दिखाई देते है। उत्कृष्ठ लेखन के साथ-साथ ये युवाओं को उनके शिक्षा एवं भविष्य से सम्बंधित मार्गदर्शन भी करते है। इनका मानना है की सही दिशा में किया गया परिश्रम व्यक्ति को हमेशा सफल बनाता है।

द्वारा प्रकाशित
Shubham Singh

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