भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस बड़े व अग्रणी नेता थे। एक संपन्न परिवार से होते हुए और भारत की प्रशासनिक सेवा का हिस्सा बनने के बावजूद नेताजी से देश की ऐसी स्थिति देखी नहीं गयी। आंदोलन का इतिहास बयां करने के लिए नेताजी द्वारा ‘द ग्रेट इंडियन स्ट्रगल’ लिखा गया। नेताजी दृढ इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति थे। उनके राष्ट्रवादी दृष्टिकोण ने उन्हें भारत का नायक बना दिया।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस पर 10 लाइन (Ten Lines on Netaji Subhash Chandra Bose in Hindi)
इस लेख से मैंने आपको नेता जी सुभाष चंद्र बोस के जीवन से अवगत कराने का प्रयास किया है।
Subhash Chandra Bose par 10 Vakya – Set 1
1) नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म उड़ीसा के कटक क्षेत्र में 23 जनवरी 1897 को हुआ।
2) अपनी माता प्रभावती के 14 बच्चों में नेता जी 9वीं संतान थे।
3) नेताजी के पिता जानकीनाथ बोस कटक के एक मशहूर सरकारी वकील थे।
4) नेताजी बी०ए० की परीक्षा कलकत्ता विश्वविद्यालय से प्रथम श्रेणी से पास किये।
5) सन् 1920 में नेताजी प्रशासनिक परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त करके उत्तीर्ण हुए।
6) स्वामी विवेकानंद व अन्य से प्रभावित नेताजी 1921 में नौकरी से इस्तीफ़ा दे दिये।
7) नेताजी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के वीर क्रांतिकारी नायकों में से एक थे।
8) भगत सिंह को फांसी होने के बाद इनका गांधीजी से राजनीतिक मतभेद शुरू हो गया।
9) लगभग 40000 भारतीयों के साथ नेताजी ने 1943 में ‘आजाद हिन्द फ़ौज’ बनाया।
10) एक विमान दुर्घटना में 18 अगस्त 1945 को ताइवान में उनकी मृत्यु हो गयी।
Subhash Chandra Bose par 10 Vakya – Set 2
1) नेताजी के महान राष्ट्रभक्ति और बलिदान के सम्मान में 2021 से उनके जन्मदिवस 23 जनवरी को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाते हैं
2) नेताजी 1920 में सिविल सेवक बने और 1921 में देश सेवा के लिए त्यागपत्र दे दिया।
3) इसके बाद नेता जी स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ गये, जिसके लिए सबसे पहले उन्होंने गांधीजी का अनुसरण किया।
4) 1938 में नेताजी को कांग्रेस का अध्यक्ष चुना गया परन्तु पार्टी के भीतर हालात ऐसे बिगड़े की इन्हें 1939 में पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा।
5) गांधी जी से मतभेद और अध्यक्ष पद से इस्तीफे के बाद नेताजी ने कांग्रेस के अंदर ही ‘ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक’ नामक नई पार्टी का गठन किया।
6) अपने जीवनकाल में नेताजी कुल 11 बार जेल गए. अंग्रेजों द्वारा उन्हें यूरोप भेज दिया जाता था पर वहां भी उन्होंने अपना कार्य जारी रखा।
7) ऑस्ट्रिया में रहने के दौरान ‘एमिली शेंकल’ नामक ऑस्ट्रियन महिला से 1942 में प्रेमविवाह किया, इनकी एक पुत्री ‘अनिता घोष फाफ’ है जो ऑस्ट्रिया में रहती है।
8) नेताजी ने लोगों से आह्वान किया “तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आज़ादी दूंगा”, वहीं इन्होंने “दिल्ली चलो” का नारा दिया था और ‘आज़ाद हिन्द फ़ौज’ का गठन किया।
9) जापानी सेना के साथ नेताजी ने अंग्रेजों से अंडमान और निकोबार द्वीप को जीता और उनका ‘शहीद द्वीप’ और ‘स्वराज द्वीप’ नाम रख दिया।
10) जापान की हार ने इस सेना को तोड़ दिया, नेताजी रूस से मदद के लिए निकले जिसके बाद वो कभी नहीं दिखें और ख़बर आई की उनकी विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गयी।
नेताजी की महानता का परिचय इसी से मिल जाता है जब स्वतंत्रता प्राप्ति के उपरान्त वीर सांवरकर द्वारा रखे गये क्रांतिकारियों के सम्मलेन में अध्यक्ष के आसन पर नेता जी का चित्र रख कर आयोजन संपन्न किया गया। पूरा देश नेता जी सुभाष चंद्र बोस के बलिदान का जीवनपर्यंत ऋणी रहेगा।