वर्तमान समय में विश्व का प्रत्येक व्यक्ति छोटी-बड़ी बीमारियों तथा किसी ना किसी रोग से हमेशा पीड़ित रहता है, और उसके उपचार के लिए निरंतर प्रयास करता रहता है। इन्ही में से कुछ रोग ऐसे है इसके उपचार हेतु सरकार द्वारा उचित चिकित्सा प्रबंधन के साथ-साथ लोगो को जागरूक करने की आवश्यकता भी पड़ जाती है। ऐसा ही एक रोग है जिसे हम कुष्ठ रोग के नाम से जानते है। लोगों के अन्दर इस रोग के प्रति भ्रांतियों को दूर करने के लिए प्रत्येक वर्ष विश्व कुष्ठ दिवस मनाया जाता है।
साथियों आज मैं विश्व कुष्ठ दिवस पर 10 लाइन के द्वारा आप लोगों से विश्व कुष्ठ दिवस के बारे में चर्चा करूंगा, दोस्तों मुझे उम्मीद है कि ये लाइन आपको जरूर पसंद आएंगी तथा आप इसे अपने स्कूल तथा अन्य स्थानों पर इस्तेमाल भी कर सकेंगे।
1) विश्व कुष्ठ दिवस (World Leprosy Day) प्रत्येक वर्ष 31 जनवरी को मनाया जाता है।
2) कुष्ठ रोग एक संक्रामक रोग है जो माइकोबैक्टीरियम लेप्री नामक विषाणु के कारण होता है।
3) भारत में कुष्ठ रोग को कोढ़ रोग के नाम से भी जानते है।
4) कुष्ठ रोग में मानव शरीर की त्वचा पर गंभीर घाव तथा हाथों एवं पैरो की तंत्रिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती है।
5) कुष्ठ रोग की खोज डॉ.आर्मोर हैन्सेन ने की थी इसलिए इस रोग को हम हैन्सेन रोग भी कहते है।
6) विश्व कुष्ठ दिवस मनाने की शुरुआत सन् 1954 से महात्मा गांधी के पुण्यतिथि वाले दिन से हुई थी।
7) आज से लगभग 600 ईसा पूर्व भारतीय वेद एवं ग्रंथो में भी इस रोग का जिक्र किया गया है।
8) विश्व कुष्ठ दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य पीड़ित व्यक्ति के उचित उपचार के साथ-साथ लोगों के अंदर जागरूकता पैदा करना है।
9) डब्ल्यूएचओ के अनुसार कुष्ठ रोग को मल्टी ड्रग थेरेपी (MDT) द्वारा ठीक किया जा सकता है।
10) कुष्ठ रोग छुआछूत से नहीं फैलता और ना ही वंशानुगत है यह केवल एक संक्रामक रोग है जो किसी को भी हो सकता है।
1) कुष्ठ रोग के प्रति लोगों में तमाम तरह की भ्रांतिया है जिसे दूर करना ही विश्व कुष्ठ दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है।
2) इस रोग से ग्रसित व्यक्ति शारीरिक रूप से विकलांग भी हो सकता है।
3) कुष्ठ रोग के कारण मानव शरीर में कुरुपता आ जाती है फलस्वरूप लोग पीड़ित व्यक्ति से घृणा करने लगते है, जो कि नहीं करना चाहिए।
4) भारत में कुछ लोगों का मानना होता है कि यह रोग व्यक्ति द्वारा पिछले जन्म में किए गए पापों का प्रतिफल है, जबकि ऐसा नहीं होता है।
5) उचित देखभाल तथा बेहतर चिकित्सा के कारण पश्चिमी देशों में कुष्ठ रोग आज के समय में ना के बराबर रह गया है।
6) भारत ने भी अपने जागरुकता अभियान तथा चिकित्सा सेवा के बल पर कुष्ठ रोग को काफी हद तक नियंत्रित कर चुका है।
7) पहले कुष्ठ रोगी को शारीरिक कष्ट के साथ-साथ घृणा का भी शिकार होना पड़ता था पर महात्मा गांधी जी के प्रयासों से समाज उन्हें स्वीकार करने लगा।
8) कुछ लोगों का मानना है कि कुष्ठ रोग एक लाइलाज बीमारी है पर ऐसा बिल्कुल भी नहीं है इस रोग का इलाज संभव है।
9) भारत के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर कुष्ठ रोग का उपचार बिल्कुल मुफ्त में किया जाता है।
10) वर्तमान में लगभग सभी देशों ने कुष्ठ रोग के संक्रमण को कम करने वाले टीके का निर्माण भी कर लिया है और बचपन में ही बच्चों को दिया जाने लगा है।
निष्कर्ष
विश्व कुष्ठ दिवस को मनाने का तात्पर्य विश्व के प्रत्येक लोगों को इस रोग के प्रति जागरूक करना तथा भारत के लोगों को महात्मा गांधी जी द्वारा कुष्ठ रोगियों के प्रति सेवा भावना से अवगत कराना है। दोस्तों मैं आशा करता हूँ कि विश्व कुष्ठ दिवस पर 10 लाइन (Ten Lines on World Leprosy Day) आपको पसंद आए होंगे तथा आप इसे भली-भांति समझ गए होंगे।
धन्यवाद !
उत्तर– भारत में कुष्ठ रोग निवारण दिवस 30 जनवरी को मनाया जाता है।
उत्तर– कुष्ठ रोग के शुरुआती दौर में शरीर पर विचित्र दाग हो जाते है जिस पर हाथ या किसी नुकीले धातु से छूने पर हमें पता नहीं चलता अर्थात वह जगह सुन्न समझ में आता है।