भारतीय संविधान पर भाषण

हम सभी को भारतीय होने पर गर्व है। हमारा देश सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है। हमने इन 70 सालों में बहुत प्रगति कर ली है। इस वर्ष हम सब अपना 71वाँ गणतंत्र दिवस मना रहे है। हमारे संविधान को लागू हुए 71 साल हो चुके है। संविधान अर्थात कानून की किताब, जिसमें देश को विधिवत चलाने की शासन-प्रणाली उद्धृत है। हमारा संविधान दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान है। संविधान को 26 जनवरी 1950 को पूरे भारत-वर्ष में लागू किया गया था। चूँकि गणतंत्र दिवस इसी उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस कारण संविधान पर जिक्र होना लाज़मी है। हम यहाँ बड़े ही सहज और सरल भाषा में संविधान पर कुछ भाषण दे रहे हैं जो आपकी इस संबंध में मदद करेगा।

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भारतीय संविधान पर छोटे-बड़े भाषण  (Short and Long Speech on Constitution of India in Hindi)

भाषण – 1

सर्वप्रथम मै यहाँ आए सभी विशिष्ट लोगों यथा प्रिंसिपल महोदय सभी टीचर्स, उपस्थित अभिभावकों और बच्चों का तहे दिल से स्वागत करती हूँ। हम सब आज यहाँ अपना 71वाँ गणतंत्र दिवस मनाने के लिए एकत्र हुएं है। आज हमारे संविधान को लागू हुए 71 साल हो गए।

आज, मैं उन सभी महान सेनानियों को श्रध्दांजलि देती हूँ। जिनकी वजह से हमें यह आजादी मिली।

मुझे बहुत खुशी हो रही है कि आज के इस शुभ दिन पर मुझे अपनी बात कहने का मौका मिला।

भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को पूरे देश में लागू किया गया था। इसीलिए इस दिन को राष्ट्रीय पर्व के रुप में मनाया जाता है। संविधान को सर्वोच्च दस्तावेज की उपाधि प्राप्त है। देश का शासन कैसे चलाना है, उस बारे में संविधान में पूरे विस्तार से लिखा है। देश के नागरिकों के अधिकार और कर्तव्य बताये गये है। संविधान से ही भारत के लोकतंत्र की बागडोर सम्भाली जाती है। इससे पता चलता है कि हमारा देश ‘राज्यों का एक संघ है’। हमारे यहाँ संसदीय कार्य-प्रणाली चलती है, अर्थात संसद की सर्वोच्चता है। संसद ही सबसे श्रेष्ठ और प्रमुख है।

हमारा देश स्वतंत्र प्रभुसत्ता सम्पन्न समाजवादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य है। इसे संविधान सभा द्वारा 26 नवंबर 1949 को अंगीकृत कर लिया गया था और 26 जनवरी 1950 को देश-भर में लागू किया गया। संविधान का अर्थ होता है, कानून द्वारा बनाये गये नियम और सिध्दांत। इनका नियमतः पालन करना होता है। हमारा संविधान विश्व का सबसे बड़ा और विस्तृत संविधान है। इसके निर्माण के लिए संविधान-सभा का गठन किया गया। इसका मसौदा तैयार करने के लिए प्रारूप समिति बनाई गई थी, जिसके चीफ डा. भीमराव अंबेडकर थे। इसी कारण अंबेडकर जी को संविधान का जनक कहा जाता है।

इन्ही पंक्तियों के साथ अपनी वाणी को विराम देती हूं।

सभी लोग साथ में बोलेंगे- भारत माता की जय, वंदे मातरम्।


भाषण – 2

मुझे बेहद गर्व है कि मैं भारत जैसे महान् देश में जन्मी। हम सभी को भारतीय होने पर अभिमान होना चाहिए। मुझे अपार हर्ष का अनुभव हो रहा है, मै अपने प्रिंसिपल सर का धन्यवाद देती हूँ जिन्होने मुझे इस लायक समझा और मौका दिया कि इस उपलक्ष्य पर मैं दो शब्द बोल सकूं। सर्वप्रथम तो मैं यहाँ आए सभी गणमान अतिथियों, प्रधानाध्यापक, उपस्थित शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों का अभिवादन करती हूँ।

हम सब आज यहाँ अपना 71वाँ गणतंत्र दिवस मनाने के लिए एकत्रित हुए हैं। हमारे देश ने इन 70 सालों में बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखे हैं, पर कभी डिगा नहीं। मजबूत चट्टान की तरह अडिग है। हमारा देश विकास के पथ पर चढ़ता ही जा रहा है। अभी हाल ही में ईसरो के वैज्ञानिकों ने अपना अविश्वनीय एवं महत्वकांक्षी प्रोजेक्ट चंद्रयान 2 लांच किया। माना यह सफल नहीं हुआ, परन्तु पूरे देश के लिए बड़े ही सम्मान और गौरव की बात है।

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हमारा देश का संविधान विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का ग्रंथ है। इसी से हमारे देश का रूख तय होता है। यह अब तक का सबसे लंबा संविधान है, जिसे कई देशों के संविधानों का गहन अध्ययन करने के बाद बनाया गया है। भारत का संविधान सबसे बड़ा लिखित संविधान है। साथ ही यह भारत को स्वतंत्र प्रभुसत्ता वाला समाजवादी लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाता है। संविधान  जब लागू हुआ, उस वक़्त इसमें 395 अनुच्छेद, 8 अनुसूचियां और 22 भाग थे, लेकिन अब बढ़कर 448 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां और 25 भाग हो गए हैं। कई परिशिष्ट भी जुड़े जो शुरूआत में नहीं थे।

यह बहुत ही चिंता का कारण है कि आज के युवाओं में देश को लेकर वो भावना नहीं है जो होनी चाहिए। यही कारण है कि हमारे खुबसूरत देश में आए दिन कुछ न कुछ क्राइम होता है।

मै अपने देश के भविष्य से निवेदन करूंगी कि वो देश के विकास में हाथ बटाँये। रोजगार के नये-नये अवसर तलाशें और इंवेंट करें। यही सच्ची देशभक्ति होगी। और गणतंत्र पर्व को मनाने का सही तरीका भी।

इन्हीं शब्दों के साथ विदा चाहती हूँ। धन्यवाद


भाषण – 3

सुप्रभात, माननीय प्रधानाध्यापक जी, शिक्षक गण व मेरे सभी सहपाठी-गण। यहाँ उपस्थित महानुभावों, प्रधानाध्यापक, उपस्थित शिक्षकों, अभिभावकों एवं अपने सभी छात्र-छात्रायों का अभिवादन करती हूँ। मैं खुद को बड़ा गौरवान्वित अनुभव कर रही हूँ जो आप अग्रजों के समक्ष कुछ बोलने का अवसर मिला है।

हमारे प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने कहा था, अगर हमारे संविधान के बारे में जानना हो, तो केवल संविधान की उद्देशिका अर्थात प्रीएम्बल को पढ़ लें। यह पूरे संविधान का निचोड़ है। इसे संविधान का सार कहा जाता है। इसीलिए संविधान के बारे में आरंभ करने से पहले उसकी उद्देशिका अर्थात प्रीएम्बल के बारे में जानना बेहद जरूरी है। यह कुछ इस प्रकार से है –

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“हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को:

सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए,

तथा उन सब में,

व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए,

दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं “

इसे पढ़ने से यह पता चलता है कि –

  • संविधान जनता के लिए हैं तथा जनता ही अंतिम सम्प्रभु है।
  • लोगो के लक्ष्यों-आकान्क्षाओं का सूचक है।
  • इसका प्रयोग किसी अनुच्छेद में आए अस्पष्टता को दूर करने में किया जा सकता है।
  • संविधान किस तारीख को बना तथा पारित हुआ था।

विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा धर्मग्रंथ है, हमारा संविधान। संविधान का निर्माण कार्य 1946 में ही शुरू हो गया था। इसका जिम्मा संविधान-सभा की प्रारूप समिति को सौंपा गया। प्रारुप समिति के अध्यक्ष बाबासाहेब डॉ. भीम राव अंबेडकर को बनाया गया था। डॉ. भीम राव अंबेडकर को इसीलिए संविधान निर्माता कहा जाता है। इसका फाइनल ड्राफ्ट तैयार होने में 2 साल 11 महीनें और 18 दिन का समय लगा। और 26 नवंबर 1949 को देश को समर्पित कर दिया गया। तभी से पूरे देश में 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाते है।

संविधान को बनाने में लगभग एक करोड़ रूपये खर्च हुए थे। और प्रारूप समिति ने संविधान को हाथ से लिखा था, और फिर कैलीग्राफी की गयी थी। उस समय कोई प्रिटिंग, टाईपिंग वगैरह नही किया गया था। संविधान सभा के सदस्यों में मुख्यतः जवाहरलाल नेहरू, डॉ भीमराव अम्बेडकर, डॉ राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि  सदस्य थे। इसके अस्थाई अध्यक्ष के तौर पर सच्चिदानंद सिन्हा को चुना गया था।

11 दिसंबर 1946 को संविधान सभा की बैठक में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया।

संविधान में सरकार के संसदीय स्वकरूप की बात कही गयी है। जिसके अनुसार भारत राज्यों का एक संघ है। केन्द्रीय कार्यपालिका का सांविधानिक प्रमुख राष्ट्रपति है, किन्तु वास्तविक शक्ति प्रधानमंत्री में निहित होती है।

भारत की संविधान सभा का चुनाव भारतीय संविधान को बनाने के लिए किया गया था। स्वतंत्र होने के बाद संविधान सभा के सदस्य ही संसद के प्रथम सदस्य बने.

कैबिनेट मिशन की संस्तुतियों पर भारतीय संविधान सभा का गठन जुलाई, 1946 ई० में किया गया था।

संविधान सभा के सदस्यों की कुल संख्या 299 थी, ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि, 4 चीफ कमिश्नर, क्षेत्रों के प्रतिनिधि एवं 93 देशी रियासतों के प्रतिनिधि भी शामिल थे। इस पर कुल 114 दिन बहस हुई। तत्पश्चात् ये अपने मूल स्वरूप में आया था। ‘समाजवादी’ शब्द 1976 में हुए 42वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा प्रस्तावना में  जोड़ा गया।

ये संविधान के बारे में कुछ बेसिक बातें थी, जो आज मैंने आपके सामने रखी। उम्मीद करती हूँ इससे आपको संविधान को समझने में आसानी होगी।

इन्ही पंक्तियों के साथ आपसे अनुमति लेना चाहूँगी।

जय हिन्द जय भारत।

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