भावनात्मक व्यक्ति से प्रैक्टिकल व्यक्ति कैसे बने (How to Become a Practical Person from an Emotional Person)

How to become a Practical Person from Emotional Person

एक प्रैक्टिकल व्यक्ति तार्किक होता है; वे किसी के विचारों एवं भावनाओं से ज्यादा वास्तविकता पर अधिक विश्वास करते हैं। कई बार लोग ऐसे लोगों को गलत समझ लेते हैं और एक प्रैक्टिकल व्यक्ति को घमंडी और भावनाहीन समझ लेते हैं। एक प्रैक्टिकल व्यक्ति भी वे सभी भावनाओं को महसूस कर सकता है जो एक आम आदमी करता है। दोनों में फर्क बस इतना होता है की उनकी प्रतिक्रिया या व्यवहार, उनकी भावनाओं के आधार पर नहीं होते।

जब आपका व्यवहार दूसरों की सोच का परिणाम होने लगे तो आपको इस विषय में अवश्य सोचना चाहिए की, “क्या सही मायनों में भावनात्मक व्यक्ति होना सही है?” आप शायद सारी उम्र दूसरों को खुश करने में सफल न हो पायें। यह बिलकुल भी गलत नहीं होगा की आप खुद को वरीयता दें और अपनी खुशियों पर ध्यान दें। यह आपकी इच्छा होनी चाहिए की आपके लिये जीवन में क्या जरुरी है।

आप प्रैक्टिकल व्यक्ति कैसे बन सकते हैं (How you can become a Practical Person)

How to become a Practical Person from Emotional Person

अपनी भावनाओं पर तुरंत कोई प्रतिक्रिया न दें, कुछ भी करने और बोलने से पहले सोचें और उसके बाद उत्तर दें। अन्यतः बाद में पछताना पड़ सकता है। जैसे-जैसे आप अपने व्यवहार से तीव्रता कम कर लेंगे वैसे-वैसे आपकी अपने भावनाओं पर पकड़ बनेगी और आप में तार्किक शक्ति का विकास होगा। इस प्रकार आपको वास्तविकता का बोध होगा और आप परिस्थिति को आसानी से समझने लगेंगे। और यह आपको सही निर्णय लेने में भी मददगार साबित होगा।

  • भावनात्मक रूप से बेवकूफ न बने (Don’t be an Emotional Fool)

आपकी भवनाएँ, आपकी ताकत होनी चाहिए न की कमज़ोरी। यदि किसी बात पर आप किसी से सहानुभूति रखते हैं तो इस बात का ध्यान जरुर रखें की कोई इस बात का गलत फायदा न उठा ले।

  • खुद को साबित करना (Rationalize)

प्रैक्टिकल व्यक्ति होने का अर्थ यह नहीं की आप महंगे कपड़े नहीं पहन सकते, महंगे गाड़ियां नहीं खरीद सकते, या कोई भी ऐसी चीज जो आपको पसंद हो। जो भी वस्तु आपको खुशी देती हो उसे जरुर खरीदें। अगर आप महंगी चीजों के शौक़ीन हैं तो उन्हें भी जरुर खरीदें। परंतु किसी वस्तु को इस लिये न खारिदें ताकि आपको किसी के बराबर बनना हो, या किसी को देख के आपको कभी हीन भाव का शिकार होना पड़ा हो। कभी खुद की ताकत को किसी के सामने साबित न करें, जो भी करें अपने खुशी के लिये करें क्योंकि कई बार जो वस्तु दूसरों के लिये आवश्यक होती है वह जरुरी नहीं की आपके लिये भी उतनी ही आवश्यक हो।

  • स्पष्ट विचारधारा रखें (Have Clear Objectives)

आपको हमेशा यह याद होना चहिये की आपका लक्ष्य क्या है, आप जो भी कर रहे हैं वो आपके लिये कितना सार्थक है। आप अपने व्यहार के चलते क्या प्राप्त कर रहे हैं, हो सकता है की ऐसे कई कार्य हों जिनके चलते आप अपना समय नष्ट कर रहे हों और जिनका आपके लक्ष्य से कोई लेना देना न हो। ऐसी स्थिति में फालतू कामों को छोड़ कर अपने हित संबंधी काम करें।

  • सदैव निष्पक्ष रहें (Be Impartial)

किसी एक विचारधारा को पकड़ के न चलें, कई बार हमारी सोच या विचारधारा गलत हो सकती है या फिर हमारे लक्ष्य को प्राप्त करने के लिये पर्याप्त नहीं होती, इस लिये सदैव निष्पक्ष रहें ताकि जब कभी आवश्यक हो आप अपने पुराने विचारों को छोड़ कर नए को आसानी से मान लें। ऐसा करना एक भावनात्मक व्यक्ति के लिये कठिन हो सकता है इसलिये सदैव निष्पक्ष रहें।

  • आकलित जोखिम उठायें (Take Educated Risks)

आप शक्तिमान नहीं हैं इसलिए यह संभव है की, जो भी निर्णय आप ले वो करीब 50% सही हो और 50% गलत। इस लिये कभी भी 100 प्रतिशत सफलता पाने के पीछे न भागें। और जो भी निर्णय लें उसे या तो इस दृढ़ता से ले की इसके परिणाम का, आपके उपर ज्यादा प्रभाव न पड़े या फिर ऐसे लोगों से सलाह ले कर कोई बड़ा काम करें। जब हम एक आकलित जोखिम उठाते हैं तो हमें उस कार्य के असफलता पर उतना दुःख नहीं होता।

  • दूसरों की स्वीकृति न लें (Don’t Seek Approval)

कभी भी अपने व्यवहार या विचारों को दूसरों के हिसाब से न बदलें क्यों की जरुरी नहीं की आप सबके नज़र में सही हों। जो व्यक्ति सदैव दूसरों के हिसाब से चलता है वो कभी खुश नहीं रहता क्यों की कोई न कोई ऐसा जरुर होता है जो आपके विचारों को स्वीकार न करे। जो भी करें खुद के हिसाब से करें और यकीन मानिये फर्क आपको स्वतः नजर आयेगा। जब हम खुद से कुछ करते हैं तो हमारे अन्दर स्वतः एक आत्मविश्वास जागृत होता है और यह हमे प्रैक्टिकल व्यक्ति बनाने में बहुत ही मददगार साबित होता है।

  • प्राथमिकता दें (Prioritize)

जब भी कोई काम करें अपने मन में एक प्राथमिकता बनाये की इस कार्य के लिये सबसे पहली प्राथमिकता किसकी होनी चाहिए। जैसे की अगर आप अपने पति का जन्मदिन पार्टी मनाना चाहती हैं और आपने उनके ऑफिस वालों को, रिश्तेदारों को सबको बुलाया है, तो यह मुमकिन है की आपके मन में ये सवाल आये की केक किसके पसंद का मंगाऊ, क्यों की सबकी पसंद अलग-अलग होती है। तो आपके मन में ये साफ़ होना चाहिए की इस पार्टी से आपकी पहली प्राथमिकता किसकी है? आपको उत्तर स्वतः मिल जायेगा। आपकी पहली प्राथमिकता आपके पति ही होंगे और दूसरी हो सकती है की उनके ऑफिस के दोस्त हों। इस प्रकार आप उनके दोस्तों के लिये कोई खास व्यंजन बना सकती हैं।

जब आप अपनी प्राथमिकताओं को समझने लगेंगी तो आपको दूसरों की बातों का बुरा नहीं लगेगा। और आप अपनी भावनाओं पर काबू करना सीख जायंगे।

कुछ प्रमुख लक्षण जो बताते हैं की आप एक भावना प्रधान व्यक्ति हैं (Some of the Key Traits that Indicate you are an Emotional Person)

भावनात्मक लोगों का नेतृत्व हमेशा भावना प्रधान होता है; वे भावनाओं के तले वास्तविकता को नहीं देख पाते और इस कारणवश उनके कार्य कई बार सिद्ध नहीं हो पाते। एक भावनात्मक व्यक्ति की पहचान सदैव एक रोंदू व्यक्ति के रूप में होती है। वास्तविकता इसके बिलकुल विपरीत है, उन्हें भी क्रोध आता है, वे भी घृणा, उदासी, इर्ष्या, प्रेम जैसे भावनाओं के सागर में बहते है।

एक भावनात्मक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता और उसकी इर्ष्या कई बार उन्हें ऐसी चीजें खरीदने में मजबूर कर देते हैं, जो शायद उनके बजट में न हो। उनकी नफरत उन्हें उग्र बना सकता है, तो वहीं प्रेम में वे आवश्यता से अधिक अधिकार जमाने लगते हैं। आवश्यकता से अधिक भावनात्मक होना कोई अच्छी बात नहीं है यह न तो उसके परिवार और न ही उनके दोस्तों के लिये अच्छा है।

प्रैक्टिकल व्यक्ति बनाम भावनात्मक व्यक्ति (Practical Person vs Emotional Person)

चलिए मान लेते है की एक परिवार है जिसमे पति-पत्नी और उनके दो बच्चे हैं, जिनमें एक लड़का और एक लड़की है। परिवार में पिता ही उनके कमाई का एक मात्र साधन हैं, बच्चे स्कूल में पढ़ते हैं और पत्नी एक हाउस वाइफ है। सुनने में एक सामान्य परिवार के जैसा लगता है। एक बार अचानक घर में आग लग जाती है पर सभी सदस्य सुरक्षित निकल आते हैं सिवाए छोटी बच्ची के खिलौनों के। लड़की खिलौनों के लिये चिल्लाती है और इस कारण पिता खिलौने लेने के लिये आग में कूद जाता है।

मैं इस कहानी को पूरा नहीं करुँगी, और ये भी नहीं बताउंगी की खिलौनों को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया की नहीं। सुनने में कोई धारावाहिक जैसा लगता है न? आइये थोड़ा तर्कसंगत भाव से सोचते हैं:

  • क्या होता यदि वो खिलौनों को घर में जलने देता, लड़की कुछ देर रोती फिर स्वतः चुप हो जाती।
  • क्या होता यदि पिता को खिलौना बचाते समय कई चोटें आती, उसे अस्पताल भी जाना पड़ सकता था, जो भी पैसा आज तक बचाया क्या पता वो सारे उसके इलाज में लग जाते, उसे ठीक होने में भी कई माह लग जाते और साथ ही साथ नौकरी से भी हाथ धोना पड़ जाता।
  • क्या होता यदि वह मर ही जाता, बच्चा पिता खो देते, उसकी पत्नी को घर भी संभालना होता और बाहर का भी काम, उसका जीवन और कठिन हो जाता।

अब यह आप पर है की आप ही निश्चित करें की उसने कोई बहुत महान कार्य किया या बेतुका। हाँ ये सत्य है की हमे कई वस्तुओं से लगाव हो जाता है, हम भावनात्मक तौर पर उससे जुड़ जाते हैं। पर कई बार हमे अपने अन्दर आये विचार और अपने चहेते लोगों के भावनाओं के बीच किसी एक को चुनना पड़ जाता है।

कई बार लोग क्या चाहते हैं, से ज्यादा ज़रूरी आवश्यकता की होती है। इसी लिये कई बार जो लोग प्रैक्टिकल होते हैं उन्हें असभ्य समझा जाने लगता है। परंतु एक प्रैक्टिकल व्यक्ति को दूसरों के विचार कभी विचलित नहीं करते और उन्हें कभी फर्क नहीं पड़ता।

ऐसा नहीं है की एक प्रैक्टिकल व्यक्ति किसी के हित के बारे में नहीं सोचता, वे दूर दृष्टि होते हैं और आपके हित की करते हैं जिसका फल आपको बाद में प्राप्त होता है। वही एक भावना प्रधान व्यक्ति का सारा जीवन दूसरों को खुश करने में निकल जाता है और इसका परिणाम भी कुछ नहीं निकलता।

भावना प्रधान व्यक्ति होने के नुकसान (Disadvantages of being an Emotional Person)

ऐसे कई नुकसान है जो किसी व्यक्ति विशेष को उठाने पड़ सकते हैं, यदि वह अपनी भावनाओं पर काबू नहीं कर पता, जैसे:

  • अनिश्चितता (Indecisiveness)

एक भावनात्मक व्यक्ति को अक्सर किसी परिस्थिति में निर्णय लेने में कठिनाइयों का अनुभव होता है। और यदि कोई निर्णय ले भी लेते हैं तो आपका मन बार-बार आगे-पीछे होता रहता है। किसी गलती को अपनाने में आपको कठिनाई होते है। गलती हो जाने के बाद उसे अपनाने के बजाय आप ये सोचने में अपना समय गवा देते हैं की काश यदि दूसरा राह चुने होते तो शायद ऐसा नहीं होता। सच्चाई को अपनाने के बजाय वे अपनी बनायी हुई एक अलग दुनिया में ही रहते हैं।

  • बहुत ज्यादा सोचना (Dwell on things too much)

आपका किंकर्तव्यविमूढ़ता आपके काम को प्रभावित कर सकती है। भूत में घटित किसी घटना को लेकर व्यर्थ में चिंतित रहने से न तो मौजूदा परिस्थिति ठीक हो सकती है और न ही आप कुछ कर सकते हैं। आप जितना ज्यादा अपने भूत को लेकर परेशान रहेंगे आप उतने ही ज्यादा अपने भविष्य को समय नहीं दे पाएंगे।

  • भावनात्मक लोगों के लिये रिश्तों को निभाना कठिन होता है (Relationship is Harder for Emotional People)

कई बार दूसरों को अपने भावनाओं के अनुसार चलाने पर रिश्तों में दरार आजाती है। उनके पास सदैव उनके साथी कई बार उनके आदतों की वजह से उनको खुश करने में असमर्थ हो जाते हैं।

किसी रिश्ते को जिससे वे खुश नहीं हैं, वे आगे भी नहीं बढ़ते। भले खुश न हों लेकिन उसी रिश्ते को चलाते रहते हैं। उन्हें ऊचित सम्मान या प्रेम न मिलने पर आगे बढ़ने के बजाय वे जबरन अपने साथी से प्यार मांगे हैं और कई बार इस कोशिश में अपने आत्म-सम्मान को भी खो देते है।

  • अप्रसन्नता (Unhappiness)

सबको खुश करना मुश्किल ही नहीं अपितु थकान भी होती है। सबको खुश करने की राह में अक्सर हम खुद को भूल जाते हैं। दुनिया में कई हजार लोग हैं और सबको खुश करना संभव ही नहीं है लेकिन भावनात्मक लोग इस कोशिश में लगे रहते हैं। जैसे आपको पता है की कोई काम असंभव है तो आप उसे छोड़ देते हैं लेकिन भावनात्मक लोग उस काम में लगे रहते हैं। और अंततः उनके हाथ निराशा ही लगती है।

प्रैक्टिकल विचारधारा के लाभ (Benefits of being Practical)

प्रैक्टिकल विचारधरा का होना एक प्रकार से सबसे आनंदित अनुभव है। जिसमें लोगों को कोई फर्र नहीं पड़ता की लोग आपके बारे में क्या सोचते हैं। और यह सोचना की जो आप कर रहे हैं वे सर्वोत्तम है और इसे कर के आप काफी आनंदित अनुभव करते हैं।

एक ऐसा जीवन जहाँ आप खुद को वरीयता देते हैं और जो भी करते हैं उससे आपको प्रसन्नता होती है। ऐसा नहीं है की प्रैक्टिकल व्यक्ति दूसरों के बारे में नहीं सोचता, बस अंतर यह होता है की वे परिणाम की चिंता नहीं करते। जैसे की हम कह सकते है की “अच्छा कर्म करते चलो और फल की चिंता न करो”, यह कहावत बिलकुल सटीक बैठता है। मैंने कुछ लाभों को नीचे विस्तार में बताया है:

  • पक्के विचारों वाले (Determined)

एक प्रैक्टिकल व्यक्ति स्पष्ट विचारधारा वाला होता है, वो अपने अनुसार नियम बनाता भी है और जरुरत पड़ने पर उन्हें तोड़ता भी है। वे अपने भविष्य और लक्ष्य के प्रति पक्के होते हैं और लोगों की बातों पर ध्यान देने के बजाय वे अपने भविष्य पर ज्यादा ध्यान देते हैं।

  • संकट के समय सबसे अधिक काम आते हैं (The best type of person in time of crisis)

जब किसी व्यक्ति की भावनाएं उसके काबू में होती हैं तो उसका दिमाग भी तेज चलता है क्यों की वो भावनाओं को खुद पर हावी नहीं होने देता। वे जल्दी और तर्कों के साथ किसी निष्कर्ष पर तुरंत पहुंच जाते हैं। वे किसी भी संकट के समय सबसे बेहतरीन तरीके से आपकी मदद कर सकते हैं और आप उनपर आँख बंद कर के भरोसा भी कर सकते हैं।

  • खुद के लिये पर्याप्त (Enough for yourself)

पैक्टिकल व्यक्ति को हर बात पर दूसरों से सहमती नहीं लेनी पड़ती, वे आत्म विश्वास के धनि होते हैं। वे सुनी हुई बातों पर यकीन नहीं करते और खुद से बात की तह तक जाते हैं उसके बाद ही किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। उनकी अपनी एक अदा होती है जो उनको भीड़ में भी एक अलग पहचान दिला जाती है।

वे हकीकत में जीते हैं और पहले की गयी गलतियों से सबक लेते हैं और भविष्य में कभी उसे नहीं दोहराते। और खुद् को कोसने के बजाय भविष्य को सुधरने में लगे रहते हैं।

  • बेहतरीन साथी (Better companion)

रिश्तों को निभाने में ये बेहतरीन होते हैं, बड़ी-बड़ी बातें करने से ज्यादा ये रिश्तों को मजबूत करते हैं और लड़ाई-झगड़ा करने से ज्यादा ये अपने साथी के बातों और विचारधारा को सुनते और समझते हैं।

वे अपने रिश्तों की खुशियों का ध्यान रखते हैं और शायद यही वजह है की वे इस मामले में अक्सर सफल भी सिद्ध होते हैं। वे रिश्तों में भावनाओं को महत्व देते हैं और जहाँ उनकी भावनाओं की कद्र नहीं होती, उस रिश्ते को बड़े आदर के साथ छोड़ भी देते हैं। वे दुखी होकर समय नहीं गवाते और किसी बात का गम मनाने से अच्छा, वे भविष्य को बेहतर बनाना समझते हैं।

निष्कर्ष

हम सब जैसे भी जन्मे हैं खूबसूरत ही जन्मे हैं, कभी किसी को खुद को नहीं बदलना चाहिए। हाँ हम यह कह सकते हैं की आप खुद को बेहतर बना सकते हैं। खुद को कभी भी न खोएं, जीवन में थोड़ी से फेर-बदल कर के हम उसे और खूबसूरत बना सकते हैं। और मैं आशा करती हूं की ऐसा करने में मैंने आपकी थोड़ी मदद इस लेख के जरिये अवश्य की होगी। लेख अच्छा लगे तो दूसरों को भी शेयर करें और ऐसे ही बेहतरीन लेख पढ़ने के लिये हमारे वेबसाइट से जुड़े रहें।

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