बचपन और वयस्क जीवन के दो महत्वपूर्ण चरण होते है। क्योंकि आपका सारा जीवन इन दोनों चरणों के आधार पर निर्भर करता है, और आपने जीवन में क्या किया और आगे क्या करेंगे ये सभी इन्ही दो चरणों पर निर्भर करता हैं। मैने अपने पाठकों के लिए अलग-अलग तीन शब्द लम्बाई के निबंध दिए है। आपको जो बेहतर लगे आप उसमें से एक का चुनाव कर लें।
बचपन बनाम वयस्कता पर छोटे-बड़े निबंध (Short and Long Essay on Childhood vs. Adulthood in Hindi, Bachpan banam Vayaskta par Nibandh Hindi mein)
बचपन बनाम वयस्कता पर निबंध – 1 (300 शब्द)
परिचय
जब एक बच्चा बढ़ता है तो वह जीवन के अलग-अलग चरणों से होकर गुजरता है, वह नयी चीजों का अनुभव करता है और प्रतेक अनुभव के साथ वह समझदार होता रहता है। बचपन और वयस्कता दो अलग चरण है जो आपके जीवन को आकार देते है। बचपन हमारे जीवन पर बहुत प्रभाव डालता है जिसको की हम इस निबंध में समझने की कोशिश करेंगे।
बचपन जीवन को कैसे प्रभावित करता है?
बचपन जीवन को सीखने का चरण है। बचपन में आप इस दुनिया के लिए नये होते है और जीवन में होने वाली चीजों, कार्यों, और उनके प्रभावों को महसूस करने के लिए हम अपनी नयी इन्द्रियों को उपयोग में लाते है। बचपन में सीखने के दौरान जब आप एक चाकू से खेलते है तो आप उस घटना से हजारों पाठ सीख सकते है। इस दौरान आप अपने भविष्य की आकांक्षाओं जैसे कि आपको भविष्य में एक डॉक्टर, वैज्ञानिक, अध्यापक इत्यादि बनना है आप इसकी कल्पना कर सकते है।
जैसे-जैसे आप बढते है, आपके बचपन की आकांक्षाएं एक वयस्क के रूप में परिवर्तित होती जाती है। जैसा कि आप बचपन में एक वैज्ञानिक बनना चाहते थे वही लगन आपके वयस्क बनने के दौरान आपको अपने वैज्ञानिक प्रयोगों में दिखाई देती है। तो आप वयस्क या उसके बाद क्या अध्ययन या कार्य करते है यह काफी हद तक बचपन में ही तय हो जाता है। आप आगे क्या करेंगे यह कोई अन्य तय नहीं करता बल्कि आप खुद ही इसका निर्णय करते है।
जिस तरह से बचपन में एक बच्चे के साथ व्यवहार किया जाता है वही उसके दृष्टिकोण और नैतिक मूल्यों को एक आकार देता है। जब एक बच्चे के साथ बुरा व्यवहार किया जाता है तो वयस्कता में उसका व्यवहार बुरा होता है। वही दूसरी ओर जब बच्चे को प्यार, देखभाल, और पोषण प्रदान किया जाता है तो वह बच्चे को उच्च नैतिक मूल्य, विचारशील, और एक समझदार वयस्क के रूप में विकसित करता है।
निष्कर्ष
उपरोक्त व्याख्यान से यह स्पष्ट होता है कि बचपन जीवन का एक महत्वपूर्ण चरण है जो आपके जीवन और आपके भविष्य को निर्धारित करता है। आपके जीवन के लक्ष्य और आपके द्वारा किया गया व्यवहार का निर्माण आपके बचपन के दौरान ही तय होती है।
निबंध 2 (400 शब्द) – बचपन और वयस्कता क्या है, बचपन वयस्कता को कैसे प्रभावित करता है
परिचय
बचपन और वयस्कता दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण चरण है। जो कोई भी पैदा होता है उसे इन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है, वह क्या है उससे कोई मतलब नहीं है। इस निबंध में हम चर्चा करेंगे की बचपन और वयस्कता का क्या मतलब है और यह भविष्य को कैसे प्रभावित करता है।
बचपन क्या है?
बचपन वह अवस्था है जब तक कि उसे बच्चा माना जाता है। कानूनी रूप से भारत में जिसने भी 14 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं की है उसे एक बच्चा माना जाता है। 14 से 18 वर्ष की आयु किशोर अवस्था और 18 वर्ष से उपर के व्यक्ति को वयस्क के रूप में विभाजित किया जाता है। यह स्पष्ट है की किसी व्यक्ति का बचपन उसके जीवन का बढ़ता हुआ क्रम है। आप बहुत सी चीजों के बारे में सीखते है जैसे कि संबंध, मित्रता, स्कूल, विषय इत्यादि जिसमें से आप किसी में भी मास्टर नहीं है। जब तक आप बचपन में होते है आप खोजबीन करते रहते है।
वयस्कता क्या है?
वयस्कता वह अवस्था है जब आप बचपन से निकलकर बड़े हो जाते है और आप अपने आने वाले जीवन में स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ने के लिए अपने आप पर भरोसा कर सकते है। जैसे बचपन आपके जीवन का प्रारम्भिक चरण है वही वयस्कता हमारे करियर का प्रारम्भिक चरण है। वयस्कता के दौरन आपके द्वारा लिया गया फैसला ही भविष्य में आपके करियर को संजोता है। यह ज्यादातर इस बात पर निर्भर करता है कि आप भविष्य में क्या करना चाहते है या आपने भविष्य में क्या बनने का फैसला किया है।
बचपन वयस्कता को कैसे प्रभावित करता है?
बचपन वयस्कता को कई तरीके से प्रभावित करता है। एक बच्चे के रूप में आपके द्वारा लिए जाने वाले अनुभव आपके व्यक्तित्व को ढालते हैं जो आपके एक वयस्क के रूप में ले जाने वाले दृष्टिकोण को आकार देते हैं। वयस्कता और कुछ नहीं बल्कि बचपन के अनुभवों का प्रतिबिंब है और आपने उससे क्या सिखा है। जैसे कि एक बच्चे को जिसने शोषण और आलोचना का सामना किया हो, वह समाज और संबंधों में उपेक्षा पैदा कर सकता है। वही दूसरी ओर वह प्यार, सम्मान अपने लिए तलाश कर सकता है और एक समझदार और सम्मानित वयस्क के रूप में आगे बढ़ना चाहता है।
बचपन ही एक ऐसा समय होता है जहां कि आप किसी विशेष विषय या किसी करियर जैसे विकल्पों का चयन करते है। आप अपने सपनों का पीछा करते है और वयस्कता कुछ और नहीं आपके सपनों को पाने के लिए किया गया संघर्ष है। आप बचपन में क्या बनना चाहते थे, और आप वयस्क होकर उसे पाने के लिए प्रयास करेंगे और अपनी आकांक्षाओं से अपना करियर बनाने की ओर हमेशा आशावादी रहेंगे।
निष्कर्ष
बचपन और वयस्कता दोनों ही आपस में एक दूसरे से भिड़े हुए और उलझे हुए है। आप अपने बचपन से मिले अनुभव से आपके वयस्कता में आपके करियर और विकास की दिशा को आगे बढ़ाते है। फिर भी इन दोनों चरणों का जीवन में एक महत्वपूर्ण स्थान है।
निबंध 3 (500 शब्द) – बचपन बनाम वयस्कता
परिचय
बचपन और वयस्कता दोनों ही मानव जीवन में अपरिहार्य चरण होते है। जीवन के पहले दिन से लेकर मृत्यु तक जीवन कुछ भी नहीं बल्कि यह घटनाओं की एक श्रृंखला, कार्यवाही और उसके परिणाम है। बचपन से वयस्कता बस एक कदम ही तो है। कई मायनों में यह जीवन को बदलने का एक तरीका है जिसके बारे में हम इस निबंध में जानेंगे।
बचपन – एक सिखने का चरण
बचपन जीवन का एक सिखने का चरण है जहां हम हमेशा कुछ न कुछ सीखते है और यह सीखने का चरण में हमारे परिवार और हमारे संबंधियों की बातों का बहुत महत्वपूर्ण योगदान होता है। यह एक ऐसा चरण है जब आप कोई भी निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र और पर्याप्त बुद्धिमान नहीं होते है और यह चरण हमारे बुजुर्गों पर निर्धारित होता है जिनके पास कई सामाजिक और कैरियर संबंधी बातों का एक अच्छा अनुभव होता है।
बचपन के दौरान एक बच्चा बहुत खोजपूर्ण प्रवृत्ति का होता है। वह अपने आसपास की सभी चिजों की गहराई से खोज करना चाहता है। एक बच्चे की जिज्ञासा ऐसी ही होती है जैसे की जब आप किसी नई वस्तु या नई जगह जाते है और उसके बारे में अधिक जानने की कोशिश करते है। लेकिन एक बुद्धिमान व्यक्ति जैसे जिज्ञासा की बिल्ली को मार देता है यही बात एक बच्चे पर भी लागु होती है। बच्चों के पास कई ऐसी जिज्ञासाएं होती है जो कभी-कभी खतरनाक हो सकती है, इसलिए उनके साथ एक केयरटेकर का होना आवश्यक है जो कि उनके माता-पिता या कोई रिश्तेदार, कोई भी उनके साथ अवश्य होना चाहिए।
वयस्कता – वास्तविक दुनिया में कदम रखने का समय
वयस्कता जीवन का एक ऐसा चरण है जब आप बच्चे से बड़े होने लगते है और स्वतंत्र रूप से अपने निर्णय लेने के आगे की ओर कदम बढ़ाते है, इस चरण में आप एक स्वतंत्र और आत्मनिर्भरता से निर्णय लेने के लिए स्वतंत्र हो जाते है। यह बात ध्यान रहे की वयस्कता और कुछ नहीं बल्कि बचपन में सिखी गयी बातें और किस तरह से हमने सिखा है, वयस्कता उसी का परिणाम है। यह बचपन में चंचल और खोजी होने का एक गणनात्मक और समझदार मानव के रूप में होता है।
यह वह चरण है जो कि बचपन में लोगों द्वारा मार्गदर्शन किया गया है, जो कि अब कही दूर से बैठ आपके हर कदम पर लिए गये फैसले को देखते है। वे सभी अब बस अपना सुझाव दे सकते है लेकिन अब आपका जीवन और आपके सारे फैसले पूरी तरह से आपके अपने होंगे। आप अपने जीवन के सामाजिक, कैरियर इत्यादि के सारे फैसले आपके जीवन को आगे की ओर ले जाते है। आप अपने दम पर प्रतिस्पर्धा और इस कठोर दुनियां का सामना करते है। आपकी मदद के लिए आपके पास और कोई नहीं है, बल्कि आपका हुनर और आपका व्यवहार ही आपके साथ होता है।
बेहतर क्या है आपका बचपन या आपकी वयस्कता?
इस सवाल का कोई निश्चित जवाब नहीं है लेकिन यह दोनों चरणों के व्यक्तिगत अनुभवों पर निर्भर करता है। एक बच्चा जिसने अपने बचपन में गरीबी और मुश्किलों का सामना किया हो, उसका अनुभव खराब हो सकता है जो भूलने योग्य नहीं है। जबकि एक वयस्क जिसका अनुभव अच्छा न हो वह यह सोच सकता है कि बचपन ही अच्छा था। इसलिए आप देख सकते है कि यह उनके व्यक्तिगत अनुभवों पर निर्भर करता है चाहे वो बचपन हो या वयस्कता।
लेकिन हमे एक बात अवश्य समझना जरूरी है कि बचपन कितना भी कठोर या कठिन होता है, यह आपको अपने भविष्य संवारने का भरपूर अवसर भी प्रदान करता है। इन सबके बावजूद आपके पास सुधार का एक मौका अवश्य होता है। आशा करते है कि ऐसे व्यक्ति एक दिन प्यार और खुशी प्रदान करने वाले वयस्क साबित होंगे, जबकि आप अपने माता-पिता और अपने अध्यापकों के दिशा निर्देशों का अवश्य पालन करें जो आपको सही लगे।
दूसरी ओर वयस्कता वह समय है जो आप अपने बचपन से सीखी गयी बातों को दृढ़ता के साथ उसे लागू करते है। आप अपने बचपन की आकांक्षाओं को भविष्य सुधारने के लिए पूरी तरह से उन्हें लागू करने की कोशिश करते है। इसलिए बचपन और वयस्क दोनों के अपने फायदे और दोनों अपनी जगह एक दूसरे से बेहतर है।
निष्कर्ष
बचपन और वयस्कता दोनों ही जीवन के महत्वपूर्ण चरण हैं। बचपन वयस्कता का एक प्रारम्भिक चरण है। दोनों ही अपनी जगह अपने तरीके से महत्वपूर्ण है जिनकी एक दूसरे से तुलना नहीं की जा सकती है।