अर्थ (Meaning)
‘ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है’ इस कहावत का अर्थ यह है कि जब मुसीबत के वक़्त आपका दोस्त आपके साथ है, तो समझ लीजिये सही मायने में वही आपका दोस्त है। दोस्ती मुश्किल वक्त में ही परखी जाती है और दोस्त जो अच्छे बुरे हर वक़्त में साथ हों वो ही आपके सच्चे दोस्त होते हैं। आपको मुसीबत में देख, सभी अपने-अपने तरीके से व्यवहार करते हैं। ऐसे लोग सिर्फ नाम के लिए आपके दोस्त होते हैं ना कि सच्चे दोस्त। दोस्त आपके लिए कितना सच्चा है ये मुश्किल घड़ी का आखिरी क्षण बता देता है।
उदाहरण (Examples)
सच्ची घटनाओं पर आधारित उदाहरण आपको इस कहावत का मतलब आसानी से समझा सकते हैं। आप इन उदाहरण को ना सिर्फ याद रखेंगे बल्कि इससे जीवन में सीख भी मिलेगी। आज मैं आपके लिए कुछ ताजा उदाहरण लेकर आया हूँ जो ‘ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है’ कहावत को चरितार्थ करता है।
“रमेश के कई दोस्त हैं, लेकिन जब वह बीमार पड़ा उस दौरान उसके साथ सिर्फ सुरेश ही था। उस दिन से ही रमेश समझ गया कि सुरेश उसका सच्चा दोस्त है क्योंकि ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।”
“एक बार दो दोस्त जंगल में जा रहे थे और तभी अचानक से वहां शेर के दहाड़ने की आवाज आई। एक दोस्त जिसके पास बन्दूक थी वो दुसरे दोस्त को छोड़कर भाग गया। वो सच्चा दोस्त नहीं था क्योंकि ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।”
“मेरा कुत्ता मेरा सबसे अच्छा दोस्त है क्योंकि वो मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ता है, चाहे कुछ भी हो जाये। मुझे पूरा यकीन है अगर सामने से शेर भी आ जाये तो वो मुझे अकेला नहीं छोड़ेगा। ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।”
“जब मैं घर की तलाश में था और अपने तमाम दोस्तों से उनके साथ अपार्टमेंट शेयर करने को कहा था, उन सभी ने मना कर दिया। केवल रमेश ने ख़ुशी ख़ुशी मुझे अपने फ़्लैट में अपने साथ रखा। उस दिन मैं जान गया कि रमेश ही मेरा सच्चा दोस्त है क्योंकि ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।”
“जब मैंने अपनी नौकरी खो दी थी तब सिर्फ मेरे भाई ने तत्परता से हर एक कदम पर मेरी मदद की थी। तब मेरे सभी दोस्त जाने कहाँ गायब हो गए थे। उस दिन मैं समझ गया कि मेरा भाई ही मेरा सच्चा दोस्त है क्योंकि ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।”
उत्पत्ति (Origin)
हुबहू यही पंक्तियाँ तो नहीं मगर इससे मिलता जुलता एक संस्करण क्विंटस एननियस के लेखन में दिखाई दिया, जो एक रोमन लेखक और कवि थे, जो 239-169 ईसा पूर्व के दौरान जीवित थे। मूल वाक्यांश लैटिन में था जो कुछ इस तरह से पढ़ा गया था – “एमिकस सर्टिफस इन रिर्टा सेर्निटुर।” इन पंक्तियों का अनुवाद है – “एक पक्का दोस्त कठिनाई में ही पहचाना जाता है।” आप देख रहे हैं कि शब्द अलग हैं मगर अर्थ फिर भी समान है।
इस कहावत का एक अंग्रेजी संस्करण 15वीं शताब्दी में प्रकाश में आया जो कि ऑक्सफ़ोर्ड की डिक्शनरी में दर्शाया गया था। यह एक जर्मन लेखक, विलियम कैक्सटन द्वारा एक अंग्रेजी लेखक के अंग्रेजी अनुवाद में दिखाई दिया। वाक्यांश कुछ इस प्रकार था – “यह कहा गया है, कि जरूरत पर दोस्त की पहचान हो जाती है।”
तब से यह कहावत कई नाटकों में किताबों में अलग–अलग भाषाओं में इस्तेमाल की जाने लगी है। लोग अक्सर ही इसे रोजमर्रा की बातचीत में भी इस्तेमाल करते हैं और एक दुसरे को सच्चे दोस्त और दोस्ती के बारे में सिखाते रहते हैं।
कहावत का विस्तार (Expansion of idea)
‘ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है’ हमें बताता है कि केवल वो दोस्त जो हमारी हर जरूरत के वक़्त पर हमारे साथ खड़ा होता है वही सच्चा दोस्त कहलाता है। किसी भी व्यक्ति के आमतौर पर ढेरो दोस्त होते हैं, साथी, पड़ोसी, कुछ स्कूल के पुराने दोस्त, आदि होते हैं। मगर, उनमे से ज्यादातर सिर्फ नाम के दोस्त होते हैं। इसका मतलब है कि जरूरत के वक़्त वो बस गायब हो जाते हैं। इसके विपरीत, आपका वह मित्र जो मुश्किल समय में आपके साथ रहता है, वास्तव में एक सच्चा मित्र होता है।
एक सच्चा दोस्त आपकी मदद के लिए हमेशा मौजूद रहता है, जब भी आप उसकी सबसे ज्यादा जरूरत महसूस करते हैं। जब आपके साथ कोई नही होता तब वो आपके नजदीक होता है। जब आपके सभी दोस्त कहलाए जाने वाले लोग गायब हो जाते हैं तब केवल सच्चा दोस्त ही आपके साथ होता है।
महत्त्व (Importance)
‘ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है’ यह कहावत एक बहुत ही महत्वपूर्ण पंक्ति है जो हमें एक दोस्त की असली कीमत के बारे में सिखाती है। ये हमें दोस्त और सच्चे दोस्त में अंतर करना सिखाती है। यह जानना बहुत जरूरी है कि कौन हमारा दोस्त है और कौन नहीं। यह कहावत हमें इसी बारे में सिखाती है। यह किसी के भी निजी जीवन का बहुत ही महत्वपूर्ण फैसला होता है।
ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है पर लघु कथाएं (Short Stories on ‘A Friend in Need is a Friend Indeed’)
इस कहावत का मतलब कहानी के माध्यम से समझाना सबसे बेहतर तरीका हो सकता है, तब जब यह हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा भी हो। कहानी जितनी दिलचस्प होगी समझ उतना ही बेहतर आएगा। आज मैं आपके लिए यहाँ कुछ लघु कथाएं लेकर आया हूँ जो ‘ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है’ पर आधारित है।
लघु कथा 1 (Short Story 1)
एक बार की बात है जब तीन दोस्त राम, श्याम और घनश्याम एक दूर दराज के गाँव में रहा करते थे। राम और घनश्याम पढ़ाई में औसत थे जबकि श्याम बहुत तेज था, जो खुद पर हमेशा गर्व किया करता था कि उसकी लिखवट और कापियां काफी सुन्दर हैं। राम और श्याम एक-दूसरे को अपना सच्चा दोस्त बताया करते थे जिससे घनश्याम को कई बार असहज भी महसूस होता था। वे तीनों एक अच्छे दोस्त के रूप में जाने जाते थे और अक्सर ही साथ साथ देखे जाते थे। वे खेल और पढ़ाई साथ ही करते थे। बिना किसी किस्से-कहानी के तीनों का जीवन सामान्य तरह से चल रहा था।
एक रोज जब वो स्कूल से घर की तरफ आ रहे थे तब राम का पैर फिसल गया और उसका पंजा टूट गया। पिछले रात काफी बारिश हुई थी जिससे सड़क पर कुछ जगह फिसलन हो गयी थी। राम पुरे सप्ताह तक स्कूल नहीं जा पाया। उसे वाकई में अपने गैरहाजिरी की चिंता थी मगर उसे यह भी यकीन था कि उसका दोस्त श्याम उसे नोट्स दे देगा। इतने दिनों तक श्याम और घनश्याम साथ साथ स्कूल जाया करते थे।
आखिरकार जब 10 दिनों बाद वे मिले, राम फिर से अगले महीने होने वाली परीक्षाओं की चिंता करना लगा। जब उसने श्याम से नोट्स मांगे तो उसे यह जानकर आश्चर्य हुआ की श्याम ने साफ़ मना कर दिया, यह कहने लगा कि उसे अगले महीने होने वाली परीक्षाओं की तैयारी करनी है। राम का दिल टूट गया क्योंकि उसे लगता था श्याम उसका सच्चा दोस्त है।
जब टिफ़िन की छुट्टी में राम अकेले बैठा था, तब घनश्याम उसके पास आया और उसे अपने नोट्स देने की बात कही। उसने यह भी कहा कि परीक्षाओं के लिए वो दोनों साथ मिलकर पढ़ाई कर सकते हैं। उस दिन राम को समझ आ गया कि घनश्याम ही उसका सच्चा दोस्त है जबकि श्याम तो नाम का दोस्त है।
उसे अपनी नैतिक पुस्तक से एक अध्याय याद आया जिसका शीर्षक था ‘ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।’
लघु कथा 2 (Short Story 2)
पहाड़ों के ऊपर एक छोटे से मंदिर में एक बुजुर्ग पुजारी रहता था। उनके साथ एक देखभाल करने वाला भी रहता था जिसका नाम भोला था। यहाँ पर एक टॉमी नाम का कुत्ता भी उनके साथ रहता था। समय बीतने के साथ साथ तीनों एक दुसरे के काफी नजदीक हो गए थे और एक दुसरे को अच्छे से जानने लगे थे। खासतौर पर पुजारी और भोला दोनों अच्छे दोस्त बन चुके थे।
एक दिन पुजारी को कुछ सब्जी और सामान आदि खरीदने गाँव जाना था। वो भोला को अपने साथ ले लिया और कुत्ता भी उनके पीछे पीछे चल पड़ा। जब वो नीचे की तरह जंगलों से गुजर रहे थे तब उन्हें हाथी की चिंघाड़ने की आवाज आई। खतरे को भांपकर, भोला अपनी जान बचाते हुए मंदिर की तरफ भाग पड़ा, पुजारी और कुत्ते को अकेले छोड़ कर, जिन्हें जंगली हाथी का सामना करना था।
पुजारी एकदम से घबरा गया था क्योंकि जंगली हाथी उनपर हमला करने के लिए पूरी तरह से तैयार था। लेकिन टॉमी ने पुजारी की ढाल बनने की कोशिश करते हुए हाथी पर लगातार भौंकता रहा। कुते का साहस काम कर गया और हाथी जंगल की तरफ वापिस मुड़ गया। राहत की सांस लेते हुए, पुजारी ने कुत्ते को अपनी गोद में लिया और जरूरत के वक़्त साहस दिखाने के लिए धन्यवाद दिया।
वे दोनों गाँव गए और वापसी के वक़्त रस्ते में भोला से भी मिले जो उनका हालचाल लेने आ रहा था। वह पुजारी को इस तरह अकेले छोड़ने पर शर्मिंदा महसूस कर रहा था। पुजारी बोला – आज मुझे पता चल गया कि भोला तुम नहीं बल्कि टॉमी मेरा सच्चा दोस्त है क्योंकि ‘ज़रूरत में काम आने वाला दोस्त ही सच्चा दोस्त होता है।’