देश की आजादी के 70 साल बाद भी हमारे देश में गरीबी और भुखमरी जैसी समस्या आज भी है। हमारे देश के अधिकांश भाग में गरीब और मध्यम परिवार ही निवास करते हैं। यह परिवार अपने रोजमर्रा की जिंदगी और अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए कड़ी मेहनत करता है। इन परिवारों के बच्चे बहुत ही मुस्किल से स्कूल जा पाते है। कई परिवार के बच्चे तो अपने परिवार के खर्च के लिए काम भी करते हैं। परिवार जो अपने बच्चों को स्कूल भेजना चाहते है, उनके सामने अपने बच्चों के लिए अच्छा खाना, कपड़ा और उनकी पढ़ाई के लिए किताबों की समस्या सामने आती है। ऐसे परिवार के बच्चों को अच्छी शिक्षा और उन्हें एक बेहतर स्वास्थ्य प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान, मिड डे मिल जैसे कई योजनाएं लागू की है, जिससे की हमारा भविष्य शिक्षित और बेहतर स्वास्थ वाला हो।
मध्याह्न भोजन योजना पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Mid Day Meal Scheme in Hindi, Madhyan Bhojan Yojana par Nibandh Hindi mein)
Long Essay – 1300 Words
परिचय
बच्चे ही हमारे देश के भविष्य है, उनकी उच्च शिक्षा और अच्छे स्वास्थ्य उनका अधिकार है। उच्च शिक्षा और अच्छा स्वास्थ्य ही हमारे भविष्य को और बेहतर बनाकर देश को प्रगति की ओर ले जाने में मददगार सिद्ध हो सकता है। इसलिए भारत सरकार ने देश के बच्चों की अच्छी शिक्षा और उनके स्वास्थ्य पर ध्यान केन्द्रित किया और सर्व शिक्षा अभियान के साथ साथ मिड डे मिल जैसी योजनाओं को प्राथमिक और मध्यम स्कूलों में लागू करने का फैसला लिया।
मध्याह्न भोजन योजना क्या है?
मिड डे मिल या मध्याह्न भोजन योजना आज के दिनों में भारत सरकार द्वारा संचालित एक बहुत ही जानी पहचानी योजना है। इस योजना की शुरुआत भारतवर्ष में 15 अगस्त 1995 को की गई थी। शुरुआत में इस योजना को देश के 2408 विकास खंडो में लागू किया गया था, और बाद में सन 1997-98 यह कार्यक्रम देश के हर ब्लाकों में लागू कर दिया गया। इस योजना का मुख्य उद्देश्य सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की अच्छी शिक्षा के साथ पोषण युक्त भोजन मिले।
इसका एक प्रमुख कारण ये भी था की जो माता-पिता अपने बच्चों को गरीबी, खर्च और उनके भोजन के लिए उन्हें काम करने के लिए कहते थे। इस योजना के कारण माता-पिता को अपने बच्चों को स्कूल भेजने के लिए प्रेरित करना भी था। इस स्कीम के तहत 2003 में कक्षा 6 से 8 तक के बच्चों को भी शामिल किया गया।
इस योजना के तहत सभी सरकारी, सरकारी मान्यता प्राप्त स्कूल, मदरसों, शिक्षा केन्द्रों इत्यादि में लागू किया गया। इसमें हर दिन दोपहर को बच्चों को एक पौष्टिक आहार उपलब्ध कराया जाता है। इसके कारण बच्चों की स्कूल में उपस्थिति बढ़ गयी, और कुछ बच्चे जो दोपहर में भूख लगने के कारण स्कूल नहीं आते थे या स्कूल से भाग जाते थे, अब वो भी स्कूल आने लगे।
मध्याह्न भोजन योजना के उद्देश्य
- इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि बच्चों की बेहतर शिक्षा के साथ उनके स्वास्थ्य का भी बेहतर विकास हो।
- छोटे और गरीब परिवार के बच्चों को नियमित रूप से स्कूल आने और स्कूली गतिविधियों में शामिल करना।
- सूखा प्रभावित क्षेत्रों के बच्चों को इस योजना के तहत शिक्षा के साथ खाना मुहैया करवाना।
मिड डे मिल योजना के फायदें
इस योजना के तहत गरीब और छोटे तमके के परिवार को बहुत ही अधिक फायदा पहुंचा है। जैसे की –
- इस योजना के कारण बहुत से माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने लगे।
- योजना के तहत स्कूल में बच्चों की उपस्थिति अधिक बढ़ गयी।
- इस योजना के लाभ के लिए विद्यालयों में लड़कियों की उपस्थिति में काफी इजाफा देखा गया।
- इस योजना के कारण बच्चों में स्कूल जाने के लिए ज्यादा रूचि दिखने लगे।
- यह योजना बच्चों के बौद्धिक और विकास में काफी सहायक सिद्ध हुआ।
- सामाजिक एकता को प्रोत्साहन मिला और सामाजिक भिन्नताये कम होने लगी।
- इसके तहत बच्चों में अच्छी सोच और आदतों का विकास हुआ।
- मिड डे मिल योजना के तहत हमें देश के साक्षरता दर में बढ़ावा देखने को मिला।
मध्याह्न भोजन योजना मेन्यू – 2021
इस योजना के तहत बच्चों को पौष्टिक और पोषक आहार देने की है। इस योजना के अनुसार सरकार द्वारा स्कूलों को उनके खाने के सम्बंध में कुछ दिशा-निर्देश जारी किया गया है।
योजना 2021 में दिए गए गाइडलाइन के अनुसार एक से पांच तक के बच्चों (प्राथमिक कक्षा) के लिए अलग और छह से आठ तक के बच्चों के लिए अलग-अलग निर्देश जारी की गयी है। जो की कुछ इस प्रकार से है –
मध्याह्न काल में बच्चों को दिया जानें वाला भोजन और उनकी मात्रा –
खाना | दिया गया भोजन (ग्राम में) | |
प्राथमिक कक्षा के छात्रों के लिए | कक्षा छह से आठ तक के छात्रों के लिए | |
गेहू/चावल | 100 ग्राम | 150 ग्राम |
दाल | 20 ग्राम | 30 ग्राम |
सब्जियां | 50 ग्राम | 75 ग्राम |
तेल और वसा | 5 ग्राम | 7.5 ग्राम |
उपरोक्त सारणी के अनुसार छात्रों को निम्न मात्रा में भोजन दी जाती है।
इस योजना को केंद्र सरकार और राज्य सरकार मिलकर चलाती है। इसके तहत राज्य सरकार इन खानों के सूचि में बदलाव भी कर सकते है, और कुछ अन्य खाद्य पदार्थों को भी शामिल कर सकते हैं।
सारणी के अन्दर बच्चों को खाने में फल, दूध, दलिया, अंडे, इत्यादि को शामिल नहीं किया गया है। राज्य सरकार चाहे तो बच्चों के मध्याह्न भोजन में ये सभी वस्तुए दिन के अनुसार तय कर सकती है। भारत के कई राज्यों में जैसे – उत्तर प्रदेश, गुजरात, केरल, पांडिचेरी इत्यादि जगहों पर मध्याह्न के भोजन में राज्य सरकारों ने दूध और फलों को भी शामिल किया है।
मध्याह्न भोजन योजना की चुनौतियां
मध्याह्न भोजन योजना में हमें कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा है। कुछ निम्न प्रकार से है –
- भोजन की गुणवत्ता
मध्याह्न भोजन योजना में हमें कई असुविधाओं का भी सामना करना पड़ा है। कई राज्यों से अनेकों शिकायतें निकल कर सामने आयी है। कुछ वास्तविक तथ्यों के अनुसार कई राज्यों के मध्याह्न भोजन में कीड़े, साप, बेस्वाद, अधपका खाना जैसी शिकायतें मिली है। कई राज्यों में तो जहरीला भोजन खाने से कई बच्चों की मौत की ख़बरें सुनने को मिली है। खाने की इस गुणवत्ता की शिकायतों के कारण अभिभावकों के मन में अपने बच्चों को स्कूल भेजने का डर लगा रहता है, जो की इस योजना के लिए एक चुनौतीपूर्ण कारण है। भोजन की गुणवत्ता को और अधिक बेहतर बना कर इस योजना को सफल बनाया जाना चाहिए।
- जाति का भेदभाव
मध्याह्न भोजन योजना के कुछ शिकायतों के अनुसार जो खाना पकाया जाता है वो कार्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोग करते है। जिसे उच्च जाति के कुछ शिक्षकों और छात्रों ने इसे खाने से इंकार कर दिया। जिसके उपरांत इस तरह के खाने को सुदूर से बना कर इसकी व्यवस्था की जाने लगी। जाति भेदभाव के कारण निम्न जातियों के माता-पिता अपने बच्चों को वहां पढ़ने के लिए नहीं भेजना चाहते है। ये भी इस योजना के लिए चुनौतीपूर्ण है।
- योजना में भ्रष्टाचार
केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के दिशा निर्देशों के अनुसार इस योजना को लागू तो कर दिया गया, पर कई जगहों पर इस योजना का लाभ बच्चों को पूरी तरह से नही मिल पाता है। उसका एक कारण है इस योजना में अन्न का भ्रष्टाचार। कई स्थानों पर अन्न नहीं तो कही खराब अन्न की शिकायतें भ्रष्टाचार के ही कारण है। ये इस योजना के लिए बहुत ही चुनौतीपूर्ण है।
मध्याह्न भोजन योजना सफल है या नहीं?
सर्व शिक्षा अभियान के अंतर्गत लगभग दो दशक पहले शुरु हुई यह योजना काफी हद तक सफल साबित हुई है। यह योजना एक नेक उद्देश्य के साथ बच्चों की शिक्षा, सेहत और उनके उज्जवल भविष्य को देखते हुए इसकी शुरुआत की गई थी। कई जगहों पर यह सफल साबित हुआ और कई जगहों पर मिले अनहोनी खबरों ने इस योजना की सफलता पर दाग लगा दिया। बहुत से राज्यों में जाति-भेद और भ्रस्टाचार की खबरों ने इस योजना को पूर्णतया सफल नहीं बनाया है।
कई स्कूलों में भोजन योजना में अपौष्टिक और ख़राब भोजन देने के कारण हम यह कह सकते है, की यह योजना पूर्णतया सफल साबित नहीं हुई है। इस योजना को पूर्णतया सफल बनाने के लिए बच्चों के शिक्षा की ओर आकर्षित करने, उन्हें पौष्टिक आहार देने और उनके भविष्य को उज्जवल बनाने के लिए सरकारों को ठोस कदम उठाने की आवश्यकता हैं।
निष्कर्ष
देश के कई राज्यों में यह काफी हद तक सफल साबित हुआ है, पर कुछ राज्यों से हमें बुरी खबरें सुनने को मिली है। केंद्र और राज्य सरकारों को इस योजना के बारे में आपस में बात कर इसे और आकर्षित बनाया जाना चाहिए। ताकी बच्चे स्कूलों की ओर आकर्षित हो और इस योजना के साथ ही सर्व शिक्षा अभियान की योजना को भी सफल बनाया जा सकें।