मकर संक्रांति मेरा पसंदीदा त्योहार क्यों है पर निबंध (Why Makar Sankranti is My Favourite Festival Essay in Hindi)

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में मकर संक्रांति का त्योहार जनवरी महीने में मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से जनवरी महीने की 14-15 तारीख को मनाई जाती है। जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण की ओर मकर रेखा में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का त्योहार मनाया जाता है। माना जाता है कि साल के त्योहारों की शुरुआत इसी दिन से होती हैं। देश के विभिन्न राज्यों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जहां पंजाब और हरियाणा में इसे लोहड़ी, पश्चिम बंगाल में उत्तर संक्रांति, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में उत्तरायण या खिचड़ी, आंध्र प्रदेश, केरल व कर्णाटक में संक्रांति, तमिलनाडु में पोंगल तो असम में बिहू के नाम से जाना जाता है।

मकर संक्रांति मेरा पसंदीदा त्योहार क्यों है पर दीर्घ निबंध (Long Essay on Why Makar Sankranti is My Favourite Festival in Hindi, Makar Sankranti mera Pasandida Tyohar kyon hai par Nibandh Hindi mein)

Long Essay – 1300 Words

परिचय

भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है, और देश में विभिन्न धर्मों के लोगों द्वारा देश के अलग-अलग हिस्सों में कई त्योहार मनाये जाते हैं। हर त्योहार मनाये जाने के पीछे कोई धार्मिक तो कोई पौराणिक कारण या कोई मान्यता/कहानी अवश्य होती है, पर मकर संक्रांति इनमें से अलग त्योहार है।

मकर संक्रांति का त्योहार फसलों की अच्छी पैदावार के लिए भगवान को धन्यवाद और उनका आशीर्वाद हमेशा किसानों पर बना रहें, उसके लिए मनाया जाता है। खेती में उपयोग की जाने वाली हल, कुदाल, बैल इत्यादि की पूजा की जाती है और भगवान किसानों पर अपना आशीर्वाद हमेशा बनाये रखें इसके लिए सूर्य देव की पूजा की जाती है।

मकर संक्रांति (उत्तरायण) क्या है?

हिन्दुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक मकर संक्रांति का यह त्योहार जनवरी महीने में 14-15 तारीख को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। हिन्दू कैलेण्डर के अनुसार पौष महीने में जब सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण यानि की मकर रेखा में प्रवेश करता है तो मकर संक्रांति का यह त्योहार मनाया जाता है। देश के विभिन्न हिस्सों में इसे अन्य नामों के साथ मनाया जाता है, परन्तु सभी जगहों पर सूर्य की ही पूजा की जाती है। देश के अलग-अलग राज्यों में विभिन्न नामों वाले इस त्योहार में फसलों की अच्छी पैदावार के लिए भगवान सूर्य की पूजा कर उन्हें धन्यवाद दिया जाता है। मकर संक्रांति के पर्व में भगवान को तिल, गुड़, ज्वार, बाजरे से बने पकवान सूर्य को अर्पित किये जाते है, और फिर लोग इनका सेवन भी करते है।

विभिन्न मान्यताओं के अनुसार कई स्थानों पर पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पाप धोने और भगवान सूर्य की पूजा कर दान देने की प्रथा है।

मकर संक्रांति मनाने के तरीके

मकर संक्रांति के दिन सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में प्रवेश करता है जो मकर रेखा में प्रवेश के रुप में भी जाना जाता है। मकर रेखा में सूर्य के प्रवेश का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक दृस्टि से बहुत महत्व होता है। सूर्य दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है, इसे ही हम ‘उत्तरायन’ कहते है। आध्यात्मिक दृस्टि से देखा जाये तो ऐसा होना बहुत ही शुभ मन जाता है। इस शुभ दिन लोग पवित्र नदियों में स्नान करके अपने पापों को धोते है और सूर्य देव की पूजा करते है और उनका आशीर्वाद लेते है। इस दिन लोग दान भी करते है, ऐसा माना गया है, कि दान करने से सूर्य देव खुश होते है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

दक्षिणी गोलार्ध से उत्तरी गोलार्ध में सूर्य के प्रवेश करना बहुत ही शुभ माना जाता है। स्वास्थ्य के नजरिये से देखा जाये तो यह बहुत शुभ माना गया है। इसके साथ ही दिनों के समय में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। मकर संक्रांति का त्योहार हर्ष और उल्लास भी अपने साथ लेकर आता है। कई जगहों पर इस दिन पतंग उड़ाने की भी प्रथा है और पतंगबाजी का आयोजन भी किया जाता है। बड़े और बच्चें बड़े ही आनंद और जोश के साथ मनाते हैं।

मकर संक्रांति का पर्व मुझे क्यों अच्छा लगता है?

यह एक ऐसा दिन होता है जिस दिन आकाश में रंगबिरंगी पतंगों से भरा होता है। बच्चों में पतंग उड़ाने का बहुत उत्साह होता है, जो बच्चों में 10-15 दिन पहले ही देखी जा सकती हैं। सभी बच्चे इस दिन के लिए तैयारी पहले से ही कर पतंगे, मांझे इत्यादि खरीदकर घरों में रख देते है। इस दिन बहुत लोग स्नान के लिए कुछ धार्मिक स्थलों जैसे वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार आदि गंगा के पवित्र घाटों पर स्नान करते है।

इस दिन मेरे घर के सभी सदस्य जल्दी उठकर गंगा नदी में स्नान करने के लिए जाते है। स्नान के बाद नए कपड़े पहनते है। स्नान करने के बाद मैं सूर्य देव को जल चढ़ता हूँ, उनकी पूजा और उन्हें गुड़, चावल और तिल से बनी चीजों का भोग लगाता हूँ और अच्छी फसल पैदा करने के लिए सूर्य देव का धन्यवाद और उनकी पूजा करता हूँ। फिर उसके बाद मैं गुड़ और तिल से बनी चीजों को खता हूँ और पैदा हुयी नई चावल से बनी चीजों का भी सेवन करता हूँ।

दोपहर तक नई फसल के चावल से खिचड़ी बनाई जाती है जिसमें तरह-तरह की सब्जियां मिलाकर तैयार की जाती है। हम सब मिलकर खिचड़ी को देशी घी या दही के साथ मिलाकर खाते है। मुझे पतंग उड़ाना बहुत ही पसंद है तो मैं अपनी पतंगों के साथ छत पर चला जाता हूँ और देर शाम तक पतंगबाजी करता हूँ।

महाकुंभ मेले का आयोजन

मकर संक्रांति के इस पवित्र दिन नदियों में स्नान करने की मान्यता है। इसलिए लोग स्नान के लिए गंगा के घाटों पर जाते है। इसे एक मेले के रूप में भी आयोजित किया जाता है जिसे अर्ध कुम्भ और महाकुंभ मेले का नाम दिया जाता है। वाराणसी में हर वर्ष अर्ध कुम्भ का मेला लगता है और प्रयाग के संगम पर महाकुंभ का आयोजन किया जाता है। यह महाकुंभ क्रमशः प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक के घाटों पर महाकुंभ पर्व के रूप में मनाया जाता है।

ऐसी मान्यता है की इस महाकुंभ में स्नान से आपके वर्षों के पाप धूल जायेंगे और आपको मोक्ष की प्राप्ति होगी। यह मेला मकर संक्रांति के दिन ही शुरू होता है और एक माह तक रहता है।

दान करने की प्रथा

विभिन्न प्रथाओं और संस्कृतियों के अनुसार देश के लगभग हर हिस्से में यह पर्व अलग-अलग नाम से मनाया जाता है। कई जगहों पर दान देने की प्रथा भी है। देश के अलग-अलग हिस्सों में दान अलग प्रकार से दिया जाता है। उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड व उत्तरांचल प्रांतो में गरीबों को अन्न में दाल-चावल और पैसों का दान दिया जाता है। बाहर से आये संतो को भी लोग दान में अन्न और पैसे देते है। अन्य राज्यों में इस दिन गरीबों को खाना खिलाते हैं। अन्नदान महादान माना गया है, इसलिए उपज में पैदा हुई फसलों का दान गरीबों और संतो में करके चारों तरफ खुशियां बाटना इस पर्व का उद्देश्य है।

पतंगबाजी का आयोजन

बहुत सी जगहों पर इस दिन पतंगबाजी की प्रतियोगिता का भी आयोजन किया जाता है। इस दिन मेरे यहां भी पतंगबाजी की एक प्रतियोगिता की जाती है जिसमें मैं भी हिस्सा लेता हूँ। अलग-अलग आयु वर्गों के लिए यह प्रतियोगिता कई भागों में बटी होती है, जिसमें मेरे माता-पिता और भैया-भाभी भी इस प्रतियोगिता में हिस्सा लेते है, और इस त्योहार का भरपूर आनंद लेते है। बच्चों के साथ ही इस प्रतियोगिता की शुरुआत होती है जिसे गाने और संगीत के साथ आयोजन शुरू किया जाता है। मैंने इस प्रतियोगिता में अभी तक कभी जीत नहीं पाया हूँ, पर मुझे भरोसा है की एक दिन मैं अवश्य जीतूंगा। मैं पतंग बाजी में काफी अच्छा हूँ इसलिए मुझे खुद पर विश्वास है।

इस अवसर पर पूरे दिन पतंगों से आसमान भरा रहता है। रंगबिरंगी पतंगों साथ आसमान भी रंगीन लगने लगता है। प्रतियोगिता में जलपान और खाने की व्यवस्था भी की जाती है। प्रतियोगिता समाप्त होने के बाद सभी प्रतिभागियों को जलपान और भोजन कराया जाता है, जिसमें गुड़, तिल, इत्यादि से बनी चीजें और मिठाइयां होती है। जलपान और खाने के बाद विजेताओं को सम्मानित किया जाता है। इस आयोजन में सभी प्रतिभागी और हमारे कॉलोनी के सभी लोगों का बराबर का योगदान होता है। प्रतियोगिता के आयोजन को यादगार बनाने के लिए एक साथ सबकी फोटो खिची जाती है और बाद में सबको भेंट के रूप में दी जाती है।

निष्कर्ष

मकर संक्रांति का एक अपना आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। देश भर में लोग पूरे उत्साह और जोश के साथ इस त्योहार को मनाते है। यह हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है जिसका उद्देश्य आपसी भाईचारा, एकता, और खुशियों को बटना हैं। इस दिन अन्य धर्मों के लोग भी पतंगबाजी में अपना हाथ आजमाते है और आनंद लेते है। गरीबों, जरूरतमंदों और संतो को दान के रूप में अन्न और पैसे देकर उनके साथ अपनी खुशियां बाटते है, ताकी चारों और बस खुशियाँ ही रहें।

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