शायद ही कोई ऐसा भारतीय होगा जो शहीद-ए-आज़म भगत सिंह को न जानता हो। ब्रिटिशों से भारत की आज़ादी के लिए उनके द्वारा किये गये बलिदान को दुनिया जानती है। देश की स्थिति ने एक होनहार बालक की मनोदशा को इस प्रकार बदल दिया की अपने कार्यों से इनका नाम भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों से लिखा गया। 23 वर्ष की आयु में देश के लिए फांसी पर झूल कर भगत सिंह पूरे देश में “इंकलाब” की ज्वाला भड़का दिए। भगत सिंह जानते थे कि भारत में और भगत सिंह की आवश्यकता है जो उनके फांसी के बाद ही पूरी हो पायेगी।
शहीद भगत सिंह पर 10 लाइन (Ten Lines on Shaheed Bhagat Singh in Hindi)
जब कभी हम अपने देश के शहीदों के बारे में पढ़तें है तो हमारे अंदर भी उनके जैसे बनने की इच्छा उत्पन्न होती है। आज हम भारत के सबसे महान वीर शहीद भगत सिंह के जीवन से परिचित होंगे।
Shaheed Bhagat Singh par 10 Vakya – Set 1
1) शहीद भगत सिंह का जन्म पंजाब के बंगा गाँव में 28 सितम्बर 1907 को हुआ।
2) इनके पिता सरदार किशन सिंह एक क्रन्तिकारी सेनानी तथा किसान थे।
3) इनकी माता विद्यावती कौर एक गृहणी महिला थी।
4) कम उम्र में ही भगत सिंह हिंदी, अंग्रेजी और पंजाबी बोलना और पढ़ना सीख गये थे।
5) किशोरावस्था में ही पढ़े यूरोपीय आंदोलन व माक्र्सवादी विचारों ने इन्हें प्रभावित किया।
6) आज़ादी का जुनून होना स्वाभाविक ही था, ये स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से जो थे।
7) भगत सिंह के 12 वर्ष की आयु में हुए जलियांवाला हत्याकांड ने इन्हें झकझोर दिया।
8) अपनी पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने 1926 में “नौजवान भारत सभा” का गठन किया।
9) 17 दिसंबर 1928 को भगत अपने साथियों के साथ मिलकर ‘सॉण्डर्स’ की हत्या किये।
10) 8 अप्रैल 1929 को दिल्ली असेम्बली में बम फोड़ने की सज़ा में इन्हें फांसी हो गया।
Shaheed Bhagat Singh par 10 Vakya – Set 2
1) बचपन से ही क्रांति के किस्से सुनकर बड़े हुए भगत सिंह पर स्वतंत्रता आंदोलन का गहरा प्रभाव पड़ा था।
2) प्रारंभ में ये गांधी जी के अहिंसक नीति से बहुत प्रभावित थे, ये कई क्रांतिकारी संगठन के सदस्य बनें और जुलूसों में भाग लिया।
3) जलियांवाला बाग के भीषण नरसंहार और काकोरी काण्ड के क्रांतिकारियों को फांसी की सज़ा ने इनकी आतंरिक शांति को ख़त्म कर दिया।
4) ये चंद्रशेखर आजाद से जुड़े और अपनी पार्टी को उनके संगठन में विलय कर “हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन” नामक नया नाम दिया।
5) साइमन कमीशन के विरोध करने वालों पर अंग्रेजों ने लाठियां चलवाई, जिससे 1928 में लाला लाजपत राय की घायल होकर मृत्यु हो गयी।
6) लाला जी की मौत के बदले में भगत सिंह पुलिस सुपरिण्टेण्डेण्ट स्काट ‘जेम्स सॉण्डर्स’ की बीच सड़क पर गोली मारकर हत्या कर दिए।
7) भगत सिंह युवाओं के लिए मिशाल बन गए और कई युवा क्रांतिकारी उनसे जुड़ने लगे।
8) भगत सिंह ने यह कहकर शादी करने से भी मना कर दिया की ये बंधन उन्हें मातृभूमि की सेवा करने में बाधा बन जायेगा।
9) अंग्रेजी सरकार तक क्रांति की आवाज पहुंचाने के लिए इन्होंने बटुकेश्वर दत्त के साथ दिल्ली असेम्बली में धमाका किया और ‘इन्कलाब जिंदाबाद’ का नारा लगाया।
10) धमाके के बाद भागने से इंकार कर दिए अतः ये गिरफ्तार हुए और फांसी की सज़ा हुयी, 23 मार्च 1931 को राजगुरु व सुखदेव के साथ इन्हें फांसी हो गयी।
भगत सिंह देशभक्ति के प्रतीक हैं। उनके विचार और विचारधारा आज़ादी के इतने सालों बाद भी युवाओं को उसी रूप में प्रभावित करती है। देश की स्थिति को देखकर वो जान गये थे कि अहिंसा से कभी आज़ादी नहीं मिलेगा। आज़ादी के लिए लड़ना पड़ता है आवाज उठाना पड़ता है। भगत सिंह के देश के लिए किये गये त्याग और बलिदान को हमें कभी नहीं भूलना चाहिए और उनका सम्मान करना चाहिए।