छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) या नरक चतुर्दशी दिवाली से एक दिन पहले मनाए जाने वाला पर्व है जो दीपावली त्यौहार का एक भाग है। स्कूल और कॉलेजों में भी इस दिन पर अवकाश घोषित रहता है। नरक चतुर्दशी का यह पर्व भारत के साथ विदेशों में भी हिन्दुओं के द्वारा मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण ने इसी दिन अपनी पत्नी ‘सत्यभामा’ के साथ मिलकर नरकासुर का संहार किया था।
नरक चतुर्दशी (छोटी दीवाली) || दिवाली पर 10 वाक्य
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नरक चतुर्दशी/छोटी दिवाली पर 10 लाइन (Ten Lines on Naraka Chaturdashi/Chhoti Diwali in Hindi)
आइये हम इन 10 वाक्यों के सेट से छोटी दिवाली के दिन मनाए जाने वाले नरक चतुर्दशी के पर्व के बारे में जानते हैं।
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Chhoti Diwali par 10 Vakya – Set 1
1) छोटी दिवाली का पर्व मुख्य दिवाली के एक दिन पूर्व और धनतेरस के एक दिन बाद मनाया जाता है।
2) छोटी दिवाली के दिन को रूप चतुर्दशी और नरक चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है।
3) नरक चतुर्दशी का पर्व हिन्दी कैलेंडर के कार्तिक माह की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी के दिन मनाया जाता है।
4) नरक चतुर्दशी के दिन मुख्य रूप से मृत्यु के देवता यमराज की उपासना की जाती है।
5) इस दिन की पूजा स्वास्थ्य सुरक्षा और अकाल मृत्यु से बचाव के लिए किया जाता है।
6) इस दिन भी लोग घर के मुख्य द्वार पर और पूजा के स्थानों पर तेल का दिया जलाते हैं।
7) हिन्दू संस्कृति में प्राचीन समय से ही नरक चतुर्दशी के दिन दीपदान किया जाता है।
8) दीपदान करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट और पाप समाप्त हो जाते हैं।
9) गुजरात में इस दिन माँ काली की उपासना की जाती है और वहाँ इस पर्व को काली चतुर्दशी के नाम से जानते हैं।
10) वर्ष 2021 में नरक चतुर्दशी का पर्व नवंबर महीने की 4 तारीख को मनाया जाएगा।
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Chhoti Diwali par 10 Vakya – Set 2
1) नरक चतुर्दशी की तिथि को भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर राक्षस का वध किया था, जिसके उपलक्ष्य में यह पर्व मनाते हैं।
2) नरकासुर ने कई ऋषियों और 16000 देव कन्याओं को बंदी बनाया था, जिन्हें श्रीकृष्ण ने आजाद कराया था।
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3) कुछ लोग इस दिन हनुमान जी का जन्मदिवस मानते हैं और उनकी भी पूजा करते हैं।
4) काफी स्थानों पर लोग छोटी दिवाली के दिन भी पूरे विधि विधान से पूजा-पाठ करते हैं।
5) छोटी दिवाली को बुराई पर अच्छाई व ईश्वर की जीत का रूप में भी मनाया जाता है।
6) लोग इस दिन सूर्योदय के पहले शरीर पर तेल लगाकर स्नान करते हैं और उसके बाद भगवान विष्णु या कृष्ण का दर्शन करते हैं।
7) ऐसा माना जाता है कि पितृपक्ष के समय आये हुए पितर लोग इसी दिन वापस चंद्रलोक जाते हैं।
8) ऐसी मान्यता है कि पितरों को उनके लोक का रास्ता दिखाने के लिए लोग दीपक जलाते हैं।
9) इस दिन को बलिप्रतिपदा भी कहा जाता है जिसकी कथा राजा बलि से संबंधित है।
10) कहते हैं कि दैत्यराज बलि से श्री विष्णु ने वामन अवतार में तीनों लोकों को वापस लेकर उसके लालच का अंत किया तभी से यह पर्व मनाया जा रहा है।
दिवाली का ही एक हिस्सा होने के नाते नरक चतुर्दशी के दिन भी हम दीप जलाते हैं और बच्चे आतिशबाजी करते हैं। इस एक दिन हम भगवान यमराज की पूजा करते हैं और उनसे लम्बी आयु तथा नर्क से मुक्त होने का आशीर्वाद मांगते हैं। छोटी दिवाली (Chhoti Diwali) के दिन गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व है और नदी के किनारे प्रात: स्नान करने वालों की भीड़ लगती है।
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