जल समस्त सृष्टि तथा उसमें उपस्थित जीव-जंतु एवं वनस्पतियों के जीवन के मूल आधारों में से एक है, जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी असम्भव है, यह मानव को जन्म से लेकर मृत्यु तक पोषित करता रहता है, इसके बदले में इसने मानव से कभी कोई शुल्क नहीं लिया फिर भी सृष्टि के सबसे समझदार प्राणी के पास तो इसके बारे में सोचने का समय ही नहीं था। लोग ठीक ही कहते हैं कि किसी भी चीज की कीमत हमें तब समझ आती है जब वो हमसे दूर चली जाती है। ठीक ऐसा ही जल के साथ हुआ, इसकी कीमत लोगों को तब समझ आयी जब देश तथा विदेश के कई शहर ज़ीरो ग्राउंड वाटर लेवल पर आकर खड़े हो गए। आज पूरा विश्व पीने के पानी के संकट से जूझ रहा है, अनियंत्रित पानी की खपत से ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से नीचे जा रहा है।
वैश्विक जल संकट पर छोटे एवं बड़े निबंध (Short and Long Essays on Global Water Crisis in Hindi, Vaishwik Jal Sankat par Nibandh Hindi mein)
नमस्कार साथियों आज मैं वैश्विक जल संकट पर छोटे एवं बड़े निबंध प्रस्तुत कर रहा हूँ, मुझे आशा है की इसके माध्यम से दी गई जानकारी आपको पसंद आयेगी तथा आप इसको यथा संभव उपयोग भी कर सकेंगे।
वैश्विक जल संकट पर निबंध (250 – 300 शब्द)
प्रस्तावना
जब किसी क्षेत्र में जल उपयोग की माँग बढ़ जाये तथा आपूर्ति कम हो जाये एवं जल संसाधनों द्वारा भी इसकी पूर्ति न की जा सके, तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले लोग पानी की कमी से जूझने लगते हैं। पानी की इस कमी को जल संकट के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में भारत के 21 शहर लगभग ज़ीरोग्राउंड वाटर लेवल से जूझ रहे हैं।
वैश्विक जल संकट के कारण
वैश्विक जल संकट के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
- वर्षा की मात्रा में कमी।
- अनियंत्रित पानी की खपत।
- जनसंख्या में वृद्धि।
- उचित जल संरक्षण तकनीक का अभाव।
- जागरूकता का अभाव।
- उचित एवं दण्डात्मक कानून का अभाव। इत्यादि
वैश्विक जल संकट के प्रभाव
वैश्विक जल संकट के कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं-
- कृषि उत्पादन में जल की मुख्य भूमिका होती है जिसके फलस्वरूप कृषि उत्पादन प्रभावित होता है।
- जल संकट से आजीविका का खतरा उत्पन्न होता है, जो व्यक्ति के प्रवासन के लिए जिम्मेदार होता है।
- जल की कमी से देशों की GDP प्रभावित होती है।
- वैश्विक जल संकट का प्रत्यक्ष एवं नकारात्मक प्रभाव जैव विविधता पर पड़ता है।
- जल संकट वाले क्षेत्रों में सीमित जल स्रोतों पर अधिकार के लिए हिंसक झड़प एवं कानून व्यवस्था बिगड़ने की संभावना रहती है। इत्यादि।
जल संकट को दूर करने के उपाय
- खेती में उन फसलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया जाना चाहिए, जिनके उत्पादन में कम पानी की आवश्यकता होती है।
- वर्षा के जल को संग्रहीत करने हेतु टैंकों, चेक-डैम और तालाबों आदि की व्यवस्था की जानी चाहिए।
- नुक्कड़ नाटकों, अखबारों तथा टेलीविज़न आदि के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाकर।
- दैनिक जीवन में होने वाले खपत को नियंत्रित करके, इत्यादि।
निष्कर्ष
वर्तमान समय में जल संकट ने सम्पूर्ण विश्व में हाहाकार मचाया हुआ है। राष्ट्रीय ही नहीं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी यह एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। सरकारें इससे निपटने के लिए योजनाएं बना रही हैं, सामाजिक कार्यकर्ता लोगों को जागरूक कर रहे हैं तथा वैज्ञानिक इसके विकल्प तलाशने में लगे हैं। उम्मीदों पर कायम इस दुनिया के ज्यादातर लोग जल संकट से जंग लड़ रहे हैं, इस उम्मीद के साथ की जीत उनकी होगी।
वैश्विक जल संकट पर बड़ा निबंध – 1100 शब्द
प्रस्तावना (जल संकट का अर्थ)
सामान्य शब्दों में कहे तो जल संकट का सीधा सा अर्थ होगा पीने योग्य पानी की कमी अर्थात जब किसी क्षेत्र में पानी की मांग बढ़ जाए और जल संसाधनों द्वारा उसकी आपूर्ति न हो पाये तो हम कहेंगे की वह क्षेत्र जल संकट से जूझ रहा है। ऐसे क्षेत्रों में पानी की कमी से कृषि एवं व्यापार दोनों प्रभावित होता है और लोगों का जीवन बेहाल हो जाता है, मजबूरन उन्हें पलायन करना पड़ता है।
वैश्विक जल संकट के आंकड़े
कितने आश्चर्य की बात है कि धरातल का एक बड़ा भाग (लगभग 70 प्रतिशत) जल से घिरा हुआ है फिर भी यहाँ पीने के पानी की कमी है। वास्तव में बात यह है कि धरातल का भले ही 70 प्रतिशत भाग जल से घिरा है परन्तु पीने योग्य पानी कुल जल का मात्र 3 प्रतिशत ही है, उसमें भी मानव सिर्फ 1 प्रतिशत मीठे जल का उपयोग पीने के रूप में कर पाता है। जल संकट से संबंधित कुछ आंकड़े निम्नलिखित है-
- संयुक्त राष्ट्र ने अपने एक रिपोर्ट में बताया है कि पिछले 100 वर्षों में पानी का खपत छः गुणा बढ़ गया है।
- नीति आयोग द्वारा 2018 में एक अध्ययन किया गया जिसमें 122 देशों के जल संकट की सूची में भारत का 120वाँ स्थान था।
- वैश्विक जल संकट का सामना कर रहे दुनिया के 400 शहरों में से, शीर्ष 20 में भारत के 4 शहर (मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, तथा चेन्नई ) उपस्थित है।
- संयुक्त जल प्रबंधन सूचकांक हमें बताता है कि जल्द ही भारत के लगभग 21 शहर शुन्य भू-जल स्तर पर पहुचँने वाले है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार एक व्यक्ति को अपने दैनिक कार्यों के लिए लगभग 25 लीटर पानी की जरूरत होती है परन्तु दिल्ली, मुम्बई जैसे बड़े शहरों में प्रति व्यक्ति खपत 150 लीटर से भी ज्यादा है, इत्यादि।
भारत में जल संकट के कारण
भारत में जल संकट केकुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित है-
- भौगोलिक स्थिति
जल संकट की समस्या भारत के दक्षिणी एवं उत्तर-पश्चिमी भागों में मुख्य रूप से विद्यमान है क्योंकि इन क्षेत्रों की विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ वर्षा काफी कम मात्रा में होती है जिसके फलस्वरूप यहाँ का भू-जल स्तर गिरता जाता है और एक समय के बाद यहाँलोग जल संकट से जूझने लगते हैं।
- मानसून की अस्थिरता
मानसून की अस्थिरता भारत में जल संकट का एक बड़ा कारण है। हाल ही में एल निनो- El Niño (गर्म जलधारा) के प्रभाव से वर्षा की मात्रा में कमी हुई है।
- कृषि पारिस्थितिकी
भारतीय कृषि क्षेत्र का भी जल संकट को बढ़ावा देने में योगदान रहा है क्योंकि यहाँ की कृषि परिस्थितिकी उन फसलों के अनुकूल है जिनके पैदावार में अत्यधिक जल की जरूरत होती है।
- पुर्नउपयोग के प्रयास का अभाव
वर्तमान में भारत के शहरों में जल संकट ने विकट रूप धारण कर लिया है इसके बावजूद भी शहरी क्षेत्रों में जल संसाधन के पुर्नउपयोग का प्रयास नहीं किया गया है, यहाँ आज भी उपयोग के बाद जल को नदियों में बहा दिया जाता है।
- जागरूकता का अभाव
लोगों में जल के संरक्षण एवं उसके सीमित संसाधनों आदि के प्रति जागरूकता का आभाव दिखता है, जिसके कारण जल संकट की समस्या गहराती जा रही है।
गांव में पानी की समस्या
ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण का उचित प्रबंध न होने के कारण कुछ गाँवों का जल स्तर लगभग 300 फीट से भी नीचे चला गया है तथा कुछ गाँवों में भू-जल के रूप में खारा जल उपस्थित है। बादली प्रोजेक्ट और रेनीवेल परियोजनाओं (Badli Project And Rainiwell Projects) के बावजूद भी यहाँ के लोगों के जीवन में कुछ खास परिवर्तन नहीं आया है। आज भी जल संकट से जूझते इन गाँवों की महिलाएं कोसों दूर से जल लाने को मजबूर हैं।
शहरों में पानी की समस्या
देश के लगभग सभी युवाओं का सपना होता है कि उनका शहर में अपना एक घर हो क्योंकि वहाँ का जीवन काफी आसान एवं आराम दायक होता है। वहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी तथा व्यापार आदि के लिए उत्तम साधन उपलब्ध होते हैं, यही कारण है कि वहाँ पर लोग गाँवों से जाकर बसते जा रहे हैं परन्तु जनसंख्या ज्यादा तथा जल संसाधनों के सीमित होने के कारण वहाँ भी जल संकट गहराता जा रहा है। 2001 में शहरों में निवास करने वाले लोगों की संख्या 28 करोड़ थी, 2011 में बढ़ कर यह 37.7 करोड़ हो गई थी, ऐसा अनुमान है कि 2030 में यह आंकड़ा 60 करोड़ को पार कर लेगा।
वैश्विक जल संकट का दुष्प्रभाव
- जल की कमी (जल संकट) के कारण अनेक पावर प्लांट बंद हो गए तथा कई बंदी की कगार पर हैं, जिससे बिजली की उत्पादन एवं आपूर्ति दोनों प्रभावित हुई है।
- जल संकट ने कृषि को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित किया है, क्योंकि भारतीय जलवायु के अनुसार यहाँ अत्यधिक पानी में पैदा होने वाली फसलें उगाई जाती हैं।
- ग्रामीण लोग जल संकट से परेशान होकर शहरों की ओर प्रस्थान करने को मजबूर हो जाते हैं।
- जल की कमी अधिकांश जीवों के मृत्यु का कारण भी बनती है, जो जैव विविधता के लिए हानिकारक सिद्ध होता है।
- जल संकट देश की GDP को बुरी तरह से प्रभावित करता है क्योंकि अधिकतर उत्पादन कार्यों में जल की आवश्यकता होता है, इत्यादि।
वैश्विक जल संकट से बचने के उपाय
जल संकट से निपटने के लिए हमें निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए-
- वर्षा जल संचयन
जल वर्षा संचयन एक ऐसी तकनीक है जिसमें वर्षा के जल द्वारा ग्राउण्ड वाटर को रिचार्ज किया जाता है, वर्षा जल का संचयन निम्न विधियों द्वारा किया जा सकता है-
- सतही जल संग्रह प्रणाली
- बांध बनाकर
- छतप्रणाली
- भूमिगत टैंक, इत्यादि
- पुनर्चक्रण
- रीसाइक्लिंग एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से उपयोग किये गए जल को शोधित करके पुनः उसे उपयोग में लाया जाता है।
- कम पानी वाले फसलों का उपयोग करके।
- लोगों में जागरूकता लाकर। इत्यादि
जल संरक्षण के फायदे
- मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से।
- कृषि में पैदावार की दृष्टि से।
- पानी की बचत से उर्जा की बचत होती है।
- जल संरक्षण के माध्यम से हम पर्यावरण को भी संरक्षित कर सकते हैं।
- जल का संरक्षण जैव विविधता के दृष्टि से अत्यधिक है।
- वर्षा के मौसम में जगह-जगह जल के जमाव से मुक्ति।
- ग्राउण्ड वाटर रिचार्ज होता रहता है। इत्यादि
निष्कर्ष
उपरोक्त बातें जल की कीमत और मानव जीवन में उसकी उपयोगिता को सिद्ध करती हैं तथा साथ ही ये भी बताती हैं की वर्तमान में उसका क्या हाल है, लोगों ने कैसे मनमानी ढंग से उसका उपयोग किया है और आज खुद जलसंकट से जूझ रहे हैं। हालांकि सरकार तथा लोगों ने समय रहते इसकी सुध ले ली तथा रेनीवेल एवं बादली प्रोजेक्ट जैसे अनेक योजनोओं की भी शुरूआत की परन्तु अभी तक जल संकट से निपटने की कोई सटीक तकनीक विकसित नहीं हुई है जो मानव को पूर्ण रूप में इससे छुटकारा दिला सके।
मैं आशा करता हूँ कि वैश्विक जल संकट पर प्रस्तुत यह निबंध आपको पसंद आया होगा तथा साथ ही साथ मुझे उम्मीद है कि ये आपके स्कूल आदि जगहों पर आपके लिए उपयोगी भी सिद्ध होगा।
धन्यवाद!
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वैश्विक जल संकट पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (Frequently Asked Questions on Global Water Crisis in Hindi)
उत्तर- 1993
उत्तर- 22 मार्च (22nd March)
उत्तर- 21 शहर
उत्तर- इसका मुख्यालय फरीदाबाद में स्थित है।