गणेश चतुर्थी महाराष्ट्र का बहुत ही महत्वपूर्ण पर्व है। यह हिन्दू धर्म का एक बहुत प्रिय पर्व है। ये उत्सव पूरे भारत में बेहद भक्ति भाव और खुशी से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी का त्योहार आने के कई दिन पहले से ही बाजारों में इसकी रौनक दिखने लगती है। यह पर्व हिन्दू धर्म का अत्यधिक मुख्य तथा बहुत प्रसिद्ध पर्व है। इसे हर साल अगस्त या सितंबर के महीने में बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह भगवान गणेश के जन्म दिवस के रुप में मनाया जाता है जो माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र है। ये बुद्धि और समृद्धि के भगवान है इसलिये इन दोनों को पाने के लिये लोग इनकी पूजा करते है।
गणेश चतुर्थी उत्सव पर निबंध (Long and Short Essay on Ganesh Chaturthi in Hindi, Ganesh Chaturthi par Nibandh Hindi mein)
गणेश चतुर्थी महत्वपूर्ण त्योहार है – निबंध 1 (300 शब्द)
प्रस्तावना
भारत में गणेश चतुर्थी बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। यह त्यौहार कार्यालय हो या स्कूल-कालेज हर जगह इसको मनाया जाता है। इस दिन सभी कार्यालयों और शिक्षा संस्थानों को बंद करके भगवान गणेशा की पूजा की जाती है। लोग इस पर्व का उत्साहपूर्वक इंतजार करते है। यह देश के विभिन्न राज्यों में मनाया जाता है हालाँकि महाराष्ट्र में यह खासतौर से मनाया जाता है।
गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे भक्तों द्वारा हर वर्ष बड़े ही तैयारी और उत्साह से मनाते है। हिन्दू मान्यता के अनुसार गणेश चतुर्थी हर साल भगवान गणेश के जन्मदिवस पर मनाया जाता है। गणेश उत्सव भगवान गणेश को विघ्नहर्ता के नाम से भी बुलाया जाता है अर्थात भक्तों के सभी बाधाओं को मिटाने वाला तथा विघ्नहर्ता का अर्थ है राक्षसों के लिये मुश्किल पैदा करने वाला।
मूर्ति की स्थापना
गणेश चतुर्थी एक 11 दिनों का लंबा हिन्दू उत्सव है जो चतुर्थी के दिन घर या मंदिर में मूर्ति स्थापना से शुरु होता है तथा गणेश विसर्जन के साथ अनन्त चतुर्दशी पर खत्म होता है। भक्त भगवान गणेश से प्रार्थना करते है, खासतौर से मोदक चढ़ाते है, भक्ति गीत गाते है, मंत्रोंच्चारण करते है, आरती करने के साथ ही उनसे बुद्धि और समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त करते है। इसे समुदाय या मंदिर या पंडालों में लोगों के समूह द्वारा, परिवार या अकेले मनाया जाता है।
निष्कर्ष
गणेश चतुर्थी के दौरान सुबह और शाम गणेश जी की आरती की जाती है और लड्डू और मोदक का प्रसाद चढ़ाया जाता है। सबसे ज्यादा यह उत्सव महाराष्ट्र में मनाया जाता है और वहाँ की गणेश चतुर्थी देखने दूर-दूर से लोग आते हैं।
गणेश चतुर्थी एक हिन्दू उत्सव है – निबंध 2 (400 शब्द)
प्रस्तावना
हमारे देश में सारे त्योहार बहुत धूम-धाम से मनाये जाते है, जिसमें एक गणेश चतुर्थी भी है। गणेश चतुर्थी एक हिन्दू उत्सव है जो हर साल अगस्त और सितंबर के महीने में आता है। इस दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। तब से हिन्दू धर्म के लोग गणेश के जन्मदिन को हर साल गणेश चतुर्थी पर्व के रुप में मनाते है। भगवान गणेश सभी को प्रिय है खासतौर से बच्चों को। ये ज्ञान और संपत्ति के भगवान है और बच्चों में ये दोस्त गणेशा के नाम से प्रसिद्ध है। ये भगवान शिव और माता पार्वती के प्यारे पुत्र है।
भगवान गणेश और शिव की कहानी
एक बार भगवान गणेश का सर भगवान शिव के द्वारा काट दिया गया था लेकिन फिर एक हाथी का सर उनके धड़ से जोड़ दिया गया। इस तरह इन्होंने अपना जीवन दुबारा पाया और जिसे गणेश चतुर्थी के उत्सव के रुप में मनाया जाता है।
भगवान गणेश और चन्द्रमा की कहानी
शुक्ल पक्ष चतुर्थी में भाद्रपद के हिन्दी महीने में इस उत्सव को देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि, पहली बार चन्द्रमा के द्वारा गणेश का व्रत रखा गया था क्योंकि अपने दुर्व्यवहार के लिये गणेश द्वारा वो शापित थे।
गणेश की पूजा के बाद, चंद्रमा को ज्ञान तथा सुंदरता का आशीर्वाद मिला। भगवान गणेश हिन्दुओं के सबसे बड़े भगवान है जो अपने भक्तों को बुद्धि, समृद्धि तथा संपत्ति का आशीर्वाद देते है। मूर्ति विसर्जन के बाद अनन्त चतुर्दशी पर गणेश चतुर्थी उत्सव समाप्त होता है। भगवान विनायक सभी अच्छी चीजों के रक्षक और सभी बाधाओं को हटाने वाले है।
निष्कर्ष
गणेश जी की चतुर्थी से पहले बाजारों में चारों ओर हमें गणेश जी की मूर्ति के दर्शन होते हैं, बाजार में मेला सा लग जाता है लोग गांव से सामान खरीदने के लिए शहर आते हैं। इन दिनों सब कुछ वाकई में देखने लायक होता है गणेश चतुर्थी का यह त्यौहार 11 दिन का होता है।
गणेश चतुर्थी: सुख, समृद्धि, और बुद्धि का त्योहार – निबंध 3 (500 शब्द)
प्रस्तावना
भारत में गणेश चतुर्थी सबसे प्रसिद्ध त्योहार है। इसे हिन्दू धर्म के लोगों के द्वारा हर साल बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। खासतौर से बच्चे भगवान गणेश को बहुत पसंद करते है और उनकी पूजा कर बुद्धि तथा सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त करते है। लोग इस पर्व की तैयारी एक महीने पहले, हफ्ते या उसी दिन से शुरु कर देते है। इस उत्सवी माहौल में बाजार अपनी पूरी लय में रहता है। हर जगह दुकानें गणेश की मूर्तियों से भरी रहती है और लोगों के लिये प्रतिमा की बिक्री को बढ़ाने के लिये बिजली की रोशनी की जाती है।
सुख, समृद्धि, और बुद्धि का त्योहार (गणेश चतुर्थी)
भक्त गण भगवान गणेश को अपने घर ले आते है तथा पूरी आस्था से मूर्ति की स्थापना करते है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि जब गणेश जी घर पर आते है तो ढेर सारी सुख, समृद्धि, बुद्धि और खुशी ले आते है हालाँकि जब वो हमारे घर से प्रस्थान करते है तो हमारी सारी बाधाएँ तथा परेशानियों को साथ ले जाते है। भगवान गणेश को बच्चे बहुत प्रिय है और उनके द्वारा उन्हें मित्र गणेश बुलाते है। लोगों का समूह गणेश जी की पूजा करने के पंडाल तैयार करता है। वो लोग पंडाल को फूलों और प्रकाश के द्वारा आकर्षक रुप से सजाते है। आसपास के बहुत सारे लोग प्रतिदिन उस पंडाल में प्रार्थना और अपनी इच्छाओं के लिये आते है। भक्त गण भगवान गणेश को बहुत सारी चीजें चढ़ाते है जिसमें मोदक उनका सबसे पसंदीदा है।
ये उत्सव 10 दिनों के लिये अगस्त और सितंबर में मनाया जाता है गणेश चतुर्थी पूजा दो प्रक्रियाओं को शामिल करती है; पहला मूर्ति स्थापना और दूसरा मूर्ति विसर्जन (इसे गणेश विसर्जन भी कहा जाता है)। हिन्दू धर्म में एक रीति प्राण प्रतिष्ठा पूजा की जाती है (मूर्ति में उनके पवित्र आगमन के लिये) तथा शोधसोपचरा (भगवान को 16 तरीकों से सम्मान देना) की जाती है। 10 दिनों की पूजा के दौरान कपूर, लाल चन्दन, लाल फूल, नारियल, गुड़, मोदक और दुराव घास चढ़ाने की प्रथा है। पूजा की समाप्ति के समय गणेश विसर्जन में लोगों की भारी भीड़ विघ्नहर्ता को खुशी-खुशी विदा करती है।
निष्कर्ष
इस उत्सव में लोग गणेश की मूर्ति को घर ले आते है अगले 10 दिनों तक पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ पूजा करते है। अनन्त चतुर्दशी अर्थात् 11वें दिन गणेश विसर्जन करते है और अगले वर्ष दुबारा आने की कामना करते है। लोग उनकी पूजा बुद्धि तथा समृद्धि की प्राप्ति के लिये करते है। इस उत्सव को विनायक चतुर्थी या विनायक छवि (संस्कृत में) भी कहते है।
गणेश चतुर्थी मनाने का कारण – निबंध 4 (600 शब्द)
प्रस्तावना
गणेश चतुर्थी मनाने के दौरान लोग भगवान गणेश (विघ्नेश्वर) की पूजा करते है। गणेश हिन्दू धर्म में सबसे प्रसिद्ध देवता है जो परिवार के सभी सदस्यों द्वारा पूजे जाते है। किसी भी क्षेत्र में कोई भी नया कार्य की शुरुआत से पहले गणेश जी लोगों द्वारा हमेशा पूजे जाते है। ये उत्सव खासतौर से महाराष्ट्र में मनाया जाता है हालाँकि अब ये भारत के लगभग सभी राज्यों में मनाया जाता है। ये हिन्दुओं का महत्वपूर्ण पर्व है। लोग गणेश चतुर्थी पर पूरी भक्ति और श्रद्धा से ज्ञान और समृद्धि के भगवान की पूजा करते है।
गणेश चतुर्थी मनाने का कारण
लोग ऐसा भरोसा करते है कि गणेश जी हर साल ढेर सारी खुशी और समृद्धि के साथ आते है और जाते वक्त सभी दुखों को हर जाते हैं। इस उत्सव पर गणेश जी को खुश करने लिये भक्त विभिन्न प्रकार की तैयारियाँ करते है। उनके सम्मान और स्वागत के लिये गणेश जी के जन्मदिवस के रुप में इसे मनाया जाता है। ये उत्सव भाद्रपद (अगस्त और सितंबर) के महीने में शुक्ल पक्ष में चतुर्थी पर शुरु होता है और 11वें दिन अनन्त चतुर्दशी पर खत्म होता है। हिन्दू धर्म में गणेश की पूजा बहुत मायने रखती है। ऐसा माना जाता है कि जो कोई पूरी भक्ति और विश्वास के साथ उनकी पूजा करेगा उसे वो खुशी, ज्ञान तथा लंबी आयु प्रदान करेंगे।
गणेश चतुर्थी के दिन लोग सुबह जल्दी ही स्नान कर लेते है, साफ कपड़े पहन कर भगवान की पूजा करते है। वो मंत्रोच्चारण, आरती गाकर, हिन्दू धर्म के दूसरे रिती-रिवाज निभाकर, भक्ति गीत गाकर भगवान को बहुत कुछ चढ़ाते है और प्रार्थना करते है। इसके पहले ये उत्सव केवल कुछ परिवारों में ही मनाया जाता था। बाद में ये बड़े उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा हालाँकि बाद में इसको बड़ा बनाने के लिये इसमें मूर्ति स्थापना और विसर्जन शामिल किया गया साथ ही इससे दुखों से मुक्ति मिलने लगी। 1983 में लोकमान्य तिलक (सामाजिक कार्यकर्ता, भारतीय राष्ट्र वादी तथा स्वतंत्रता सेनानी) के द्वारा इस उत्सव की शुरुआत हुई। उस समय अंग्रेजी शासन से भारतीयों को बचाने के लिये एक गणेश पूजा की प्रथा बनायी।
अब के दिनों में गैर ब्राह्मण और ब्राह्मण के बीच की असमानता को हटाने के लिये एक राष्ट्रीय उत्सव के रुप में गणेश चतुर्थी मनाया जाता है। भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है इसमें से कुछ है- एकदन्ता, असीम, शक्तियों के भगवान, हेरांबा (विघ्नहर्ता), लंबोदर, विनायक, भगवानों के भगवान, बुद्धि, समृद्धि तथा संपत्ति के भगवान आदि। गणेश विसर्जन की पूर्ण हिन्दू प्रथा के साथ 11वें दिन (अनन्त चतुर्दशी) पर लोग गणेश को विदा करते है। वो भगवान से प्रार्थना करते है कि वो अगले वर्ष फिर से पधारें और अपना आशीर्वाद दें।
भगवान गणेश के 12 नाम और उनके अर्थ
भगवान गणेश को अलग-अलग राज्यों में 12 अलग-अलग नामों से जाना जाता है । नारद पुराण में भगवान गणेश जी के 12 नामों का उल्लेख किया गया है जो कि इस प्रकार है।
सुमुख – सुंदर मुख वाले
एकदंत – एक दंत वाले
कपिल – कपिल वर्ण वाले
गज कर्ण – हाथी के कान वाले
लंबोदर- लंबे पेट वाले
विकट – विपत्ति का नाश करने वाले
विनायक – न्याय करने वाले
धूम्रकेतू- धुंए के रंग वाले पताका वाले
गणाध्यक्ष- गुणों और देवताओं के अध्यक्ष
भाल चंद्र – सर पर चंद्रमा धारण करने वाले
गजानन – हाथी के मुख वाले
विघ्ननाशक- विघ्न को खत्म करने वाले
निष्कर्ष
इस दिन सभी भक्त अपने घरों, दफ्तरों या शैक्षिक संस्थानों में गणेश जी की मूर्ति को सजाते हैं। उस दिन वहां गणेश आरती और मन्त्रों के उच्चारण के साथ उनकी पूजा की जाती है। लोग भगवान गणेश से सुख-शांति और समृद्धि की कामना करते हैं और साथ ही ज्ञान माँगते हैं। पूजा के बाद सभी लोगों को प्रसाद दिया जाता है।
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