15 अगस्त 1947, भारतीय इतिहास का सर्वाधिक भाग्यशाली और महत्वपूर्ण दिन था, जब हमारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना सब कुछ न्योछावर कर भारत देश के लिये आजादी हासिल की। भारत की आजादी के साथ ही भारतीयों ने अपने पहले प्रधानमंत्री का चुनाव पंडित जवाहर लाल नेहरु के रुप में किया जिन्होंने राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली के लाल किले पर तिरंगे झंडे को पहली बार फहराया। आज हर भारतीय इस खास दिन को एक उत्सव की तरह मनाता है।
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भारतीय स्वतंत्रता दिवस 2023 पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Independence Day/15 August 2023 in Hindi, Swatantrata Diwas par Nibandh Hindi mein)
यहाँ बहुत ही आसान भाषा में स्वतंत्रता दिवस पर हिंदी में निबंध पायें:
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध – 1 (250 – 300 शब्द) – (Essay on 77th Independence Day)
प्रस्तावना
15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश साम्राज्य से भारत की स्वतंत्रता को याद करने के लिये राष्ट्रीय अवकाश के रुप में इस दिन हर साल भारत के लोगों द्वारा स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। इस दिन भारत के उन महान नेताओं को श्रदा्ंजलि दी जाती है जिनके नेतृत्व में भारत के लोग सदा के लिये आजाद हुए।
स्वतंत्रता दिवस का इतिहास
15 अगस्त 1947, स्वतंत्रता की प्राप्ति के बाद जवाहर लाल नेहरु भारत के प्रथम प्रधानमंत्री बने जिन्होंने दिल्ली के लाल किले पर भारतीय झंडा फहराने के बाद भारतीयों को संम्बोधित किया। इसी प्रथा को आने वाले दूसरे प्रधानमंत्रीयों ने भी आगे बढ़ाया जहां झंडारोहण, परेड, तथा सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि हर साल इसी दिन आयोजित होते हैं। कई लोग इस पर्व को अपने वस्त्रों पर, घर तथा वाहनों पर झंडा लगा कर मनाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस के मायने
स्वतंत्रता दिवस को मनाने का अर्थ केवल औपचारिक तौर पर ध्वजारोहण करना नहीं है अपितु स्वतंत्रता के महत्त्व को समझने और शहीदों के योगदान का स्मरण करना भी है।
निष्कर्ष
भारत एक ऐसा देश है जहां करोड़ों लोग विभिन्न धर्म, परंपरा, और संस्कृति के एक साथ रहते है और स्वतंत्रता दिवस के इस उत्सव को पूरी खुशी के साथ मनाते हैं। इस दिन, भारतीय होने के नाते, हमें गर्व करना चाहिये और ये वादा करना चाहिये कि हम किसी भी प्रकार के आक्रमण या अपमान से अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिये सदा देशभक्ति से पूर्णं और ईंमानदार रहेंगे।
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 2 (400 शब्द) – Essay on 15 August
ब्रिटिश शासन से आजादी मिलने की वजह से भारत में स्वतंत्रता दिवस सभी भारतीयों के लिये एक महत्वपूर्णं दिन है। हम इस दिन को हर साल 15 अगस्त 1947 से मना रहे है। गांधी, भगत सिंह, लाला लाजपत राय, तिलक और चन्द्रशेखर आजाद जैसे हजारों देशभक्तों की कुर्बानी से स्वतंत्र हुआ भारत दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रुप में गिना जाता है।
आजादी के इस पर्व को सभी भारतीय अपने-अपने तरीके से मनाते है, जैसे उत्सव की जगह को सजा कर, फिल्में देखकर, अपने घरों पर राष्ट्रीय झंडे को लगा कर, राष्ट्रगान और देशभक्ति गीत गाकर तथा कई सारे सामाजिक क्रियाकलापों में भाग लेकर। राष्ट्रीय गौरव के इस पर्व को भारत सरकार द्वारा बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन भारत के वर्तमान प्रधानमंत्री द्वारा दिल्ली के लाल किले पर झंडा फहराया जाता है और उसके बाद इस उत्सव को और खास बनाने के लिये भारतीय सेनाओं द्वारा परेड, विभिन्न राज्यों की झांकियों की प्रस्तुति, और राष्ट्रगान की धुन के साथ पूरा वातावरण देशभक्ति से सराबोर हो उठता है।
राज्यों में भी स्वतंत्रता दिवस को इसी उत्साह के साथ मनाया जाता है जिसमें राज्यों के राज्यपाल और मुख्यमंत्री मुख्य अतिथी के तौर पर होते हैं। कुछ लोग सुबह जल्दी ही तैयार होकर प्रधानमंत्री के भाषण का इंतजार करते हैं। भारतीय स्वतंत्रता इतिहास से प्रभावित होकर कुछ लोग 15 अगस्त के दिन देशभक्ति से संबंधित फिल्में देखते हैं साथ ही सामाजिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं।
महात्मा गांधी के अहिंसा आंदोलन की वजह से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को खूब मदद मिली और 200 साल के लंबे संघर्ष के बाद ब्रिटिश शासन से आजादी मिली। स्वतंत्रता के लिये किये गये कड़े संघर्ष ने उत्प्रेरक का काम किया जिसने ब्रिटिश शासन के खिलाफ अपने अधिकारों के लिये हर भारतीय को एक साथ किया, चाहे वो किसी भी धर्म, वर्ग, जाति, संस्कृति या परंपरा को मानने वाले हो। यहां तक कि अरुणा आसिफ अली, एनी बेसेंट, कमला नेहरु, सरोजिनी नायडु और विजय लक्ष्मी पंडित जैसी महिलाओं ने भी चुल्हा-चौका छोड़कर आजादी की लड़ाई में अपनी महत्वपूर्णं भूमिका अदा की।
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 3 (500 शब्द) – स्वतंत्रता दिवस का स्वर्णिम इतिहास (History of Independence day)
प्रस्तावना
15 अगस्त 1947 एक ऐसी तिथी है जिसे हमारे इतिहास में सुनहरे अक्षरों से लिखा गया है। एक ऐसा दिन जब भारत आज़ाद हुआ, अंग्रेज़ भारत छोड़ने पर मज़बूर हो गये थे। हमें दो सौ साल कि गुलामी से आज़ादी मिली थी, तो जश्न भी उतना ही बड़ा होना था और शायद यही वजह है कि आज भी हम इसे उतने ही धूम-धाम से मनाते हैं।
स्वतंत्रता दिवस का स्वर्णिम इतिहास (History of Indian Independence Day)
अंग्रेजों के भारत पर कब्जे के बाद हम अपने ही देश में गुलाम थे। पहले सब कुछ हमारा था जैसे कि धन, अनाज, ज़मीन परंतु अंग्रेजों के आने के बाद किसी चीज़ पर हमारा अधिकार नहीं था। वे मनमाना लगान वसूलते और जो मन उसकी खेती करवाते जैसे नील और नकदी फसलों की खेती आदि। ऐसा खास तौर पर बिहार के चंपारण में देखा गया। हम जब भी उनका विरोध करते हमें उससे भी बड़ा जवाब मिलता, जैसे कि जलियांवाला बाग हत्याकांड।
प्रतारण की कहानियों की कमी नहीं है और न ही कमी है हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के साहस पूर्ण आंदोलनों की, उनके अथक प्रयासों का ही नतीजा है कि आज़ हमारे लिए यह इतिहास है। अंग्रेजों ने हमें बुरी तरह लूटा, जिसका एक उदाहरण कोहिनूर भी है, जो आज उनकी रानी की ताज कि शोभा बढ़ा रहा है। लेकिन हमारे सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर आज भी सबसे कुलीन है और शायद यही वजह है कि आज भी हमारे देश में अतिथियों को देवताओं की तरह पूजा जाता है और जब-जब अंग्रेज भारत आएंगे हम उनका स्वागत करते रहेंगे लेकिन इतिहास का स्मरण करते हुए।
स्वतंत्रता सेनानीयों का योगदन (Contribution of Freedom Fighters)
हमारे स्वतंत्रता सेनानी जैसे गांधी जी, जिनका आज़ादी के लिए संघर्ष में अतुल्य योगदान रहा है और वे सबसे लोकप्रिय भी थे। उन्होने सबको सत्य, अहिंसा का पाठ पढ़ाया और वह अहिंसा ही था, जो सबसे बड़े हथियार के रूप में उभरा और कमज़ोर से कमज़ोर व्यक्ति के जीवन में भी उम्मीद के दीपक जलाए। गांधी जी ने देश से कई कुप्रथाओं को हटाने के कुलजोर प्रयास किये और सभी तबकों को साथ लाया, जिसकी वजह से यह लड़ाई और आसान हो गई। उनके लिये लोगों का प्यार ही था जो लोग उन्हें लोग बापू बुलाते थे।
साइमन कमीशन के विरोध में सब शांतिप्रिय तरीके से विरोध कर रहे थे, लेकिन इसी बीच अंग्रेजों ने लाठी चार्ज शुरू कर दिया और इसमें लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई। इससे आहत होकर भगत सिंह, सुख देव, राजगुरू ने सांडर्स की हत्या कर दी और बदले में इन्हें फ़ासी की सजा हुई और वे हंसते-हंसते फ़ासी की तख्त पर चढ़ गए।
आजादी की इस लड़ाई में सैकड़ों ऐसे नाम हैं जैसे सुभाष जन्द्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, मंगल पांडे, रानी लक्ष्मीबाई, गणेश शंकर विद्यार्थी, राजेंद्र प्रसाद, मौलाना अबुल कलाम आजाद आदि जिनके योगदान अतुलनीय हैं।
आजादी का रंगीन पर्व (Independence Day Festival)
स्वतंत्र भारत में इस पर्व को मनाने के तरीके अलग-अलग हैं। हफ्ते भर पहले से बाजारों में रौनक आ जाती है, कहीं तीन रंगों की रंगोली बिकती है, तो कहीं तीन रंगों की लाइटें। पूरा समां ही मानो इन रंगों में समा जाता है। कहीं पर खुशी का माहौल होता है, तो कहीं देशभक्ती गीतों की झनकार। पूरा देश नाचते-गाते इस उत्सव को मनाता है। लोग खुद भी झूमते हैं और दूसरों को भी थिरकने पर मजबूर कर देते हैं। पूरा देश एक जुट हो जाता है वो भी ऐसे, कि क्या हिंदू क्या मुसलमान, कोइ भेद ही नज़र नहीं आता।
निष्कर्ष
जैसा की स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है, इस दिन के लिए राष्ट्रीय अवकाश घोषित किया गया है और स्कूल, कॉलेज, सरकारी कार्यालय सब बंद रहते हैं। लेकिन यह लोगों का उत्साह ही है जो इस दिन को मनाने के लिए सब एक जुट होते हैं और बड़े हर्षोल्लास के साथ हर वर्ष स्वतंत्रता दिवस समारोह का आयोजन किया जाता है, तिरंगा फहराया जाता है और मिठाइयां बांटी जाती हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 4 (600 शब्द) – स्वतंत्रता दिवस: महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पल (Important Timelines of Indian Independence Day)
प्रस्तावना
भारत के राष्ट्रीय त्योहारों में से एक है हमारा स्वतंत्रता दिवस, एक ऐसा दिन जब भारत आज़ाद हुआ था। कहने को अंग्रेज़ भारत छोड़ कर चले गए थे, लेकिन यह आजादी और भी कई मायनों में ज़रुरी और अलग थी। हम अब न तो शारीरिक रूप से गुलाम थे और न ही मानसिक तौर पर। हमें खुल के बोलने, पढ़ने, लिखने, घूमने हर क्षेत्र में आजादी मिल गयी थी।
महत्वपूर्ण ऐतिहासिक पल
- अंग्रेजों का भारत आगमन (British arrival in India)
बात उन दिनों की है जब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। 17वीं शताब्दी में अंग्रेज़ व्यापार करने भारत आए, उस समय यहां मुगलों का शासन था। धीरे-धीरे अंग्रेजों ने व्यापार के बहाने अपनी सैन्य ताकत को बढ़ाया और कई राजाओं को धोखे से युद्ध में हरा के उनके क्षेत्रों को अपने अधीन कर लिया। 18वीं सदी तक ईस्ट इंडिया कंपनी के नाम से अपना वर्चस्व स्थापित कर, अपने आस-पास के क्षेत्रों को वशीभूत कर लिया।
- भारत एक गुलाम के तौर पर (India as a Slave)
हमें एहसास हो चुका था कि हम गुलाम बन चुके हैं। हम अब सीधे ब्रितानी ताज़ के अधीन थे। शुरू-शुरू में अंग्रेजों ने हमें शिक्षित करने या हमारे विकास का हवाला देकर हम पर अपनी चीज़े थोपना शुरू कि फिर धीरे-धीरे वह, उनके व्यवहार में शमिल हो गया और वे हम पर शासन करने लगे।
अंग्रेजों ने हमें शारीरिक, मानसिक हर तौर से प्रताड़ित किया। इस दौरान कई युद्ध भी हुए, जिसमें सबसे प्रमुख था द्वितीय विश्व युद्ध, जिसके लिए थोक के भाव में भारतियों की सेना में जबरन भर्ती की गयी। भारतीयों का अपने ही देश में कोई अस्तित्व नहीं रह गया था, अंग्रेजों ने जलियांवाला बाग जैसे नरसंहार को भी अंजाम दिया और भारतीय केवल उनके दास मात्र बन के रह गए थे।
- राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना (National Congress Party Founded)
इस संघर्षपूर्ण वातावरण के बीच 28 दिसम्बर 1885 को 64 व्यक्तियों द्वारा राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी की स्थापना की गयी। जिसमें दादा भाई नौरोजी और ए ओ ह्यूम की महत्वपूर्ण भूमिका रही और धीरे-धीरे क्रान्तिकारी गतिविधियों को अंजाम दिया जाने लगा, लोग बढ़ चढ़कर पार्टी में भाग लेने लगे।
इसी क्रम में भारतीय मुस्लिम लीग की भी स्थापना हुई। ऐसे ही कई दल सामने आये और उनके अतुल्य योगदान का ही नतीज़ा है कि हमें स्वतंत्रता प्राप्त हुई। जिसके लिए कई वीरों ने गोली खाई और कईयों को तो फांसी हुई, कई मांओं की कोखें रोईं, तो कुछ भरी जवानी अभागन हुई।
- सांप्रदायिक दंगे और भारत का बंटवारा (Communal Riots and Partition Of India)
इस प्रकार देश को अंग्रेज़ छोड़ के तो चले गये और हम आज़ाद भी हो गये परंतु एक और जंग अभी देखना बाकी था, जो की थे सांप्रदायिक हमले। स्वतंत्रता प्राप्त करते ही सांप्रदायिक हिंसे भड़क उठे, नेहरू और जिन्ना दोनों को प्रधानमंत्री बनना था, नतीज़न देश का बटवारा हुआ।
भारत और पाकिस्तान नाम से एक हिंदू और एक मुस्लिम राष्ट्र की स्थापना हुई। गांधी जी की मौजूदगी से इन हमलों कमी तो आई, फिर भी मरने वालों कि तादात लाखों की थी। एक तरफ आजादी का माहौल था तो वहीं दूसरी ओर नरसंहार का मंज़र। देश का बटवारा हुआ और क्रमशः 14 अगस्त को पाकिस्तान का और 15 अगस्त को भारत का स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया।
- स्वतंत्र भारत व आजादी का पर्व (Free India and Independence Day)
आजादी एवं बटवारे के बाद हम हर वर्ष, स्वतंत्रता दिवस को अपने अमर वीर ज़वानों एवं दंगे में मारे गए निर्दोष लोगों को याद कर के मनाते हैं। अमर ज़वानों की कोई निश्चित गणना नहीं है, क्योंकि इसमें बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सब शामिल थें।
पूरा देश एक जुट था तब जाकर ये सपना साकार हुआ। हां कुछ प्रमुख देश भक्त ऐसे थे जिन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता जैसे की भगत सिंह, सुखदेव, राज गुरू जिन्हें फांसी हुई, लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस इत्यादि। महिलाएं भी इस काम में पीछे न थीं, जैसे कि एनी बेसेंट, सरोजिनी नायडू व कई अन्य।
नए दौर में स्वतंत्रता दिवस के मायने (Meaning of Independence Day in the New Era)
स्वतंत्रता दिवस समारोह की तैयारी बड़े ज़ोरो-शोरों से की जाती है, लाल किले के प्राचीर से हर वर्ष हमारे माननीय प्रधान मंत्री जी तिरंगा फहराते हैं। उसके बाद राष्ट्र गान एवं उनके भाषण के साथ कुछ देशभक्ति कार्यक्रम प्रस्तुत किए जाते हैं, जिनका आनंद हम वहां प्रस्तुत हो कर या घर बैठे वहां के सीधे प्रसारण से ले सकते हैं।
हर वर्ष इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि किसी अन्य देश से बुलाए जाते हैं। स्वतंत्रता दिवस हमारा राष्ट्रीय पर्व है और इस मौके पर सारे स्कूल, कॉलेज, कार्यालय सब बंद रहते हैं। यह एक ऐसा पर्व है जिसे पूरा देश एक जुट हो के मनाता है, बस सबके ढ़ग अलग-अलग होते हैं। कोई नई पोशाक पहन के तो कोई देशभक्ति गीतों को सुन के इस दिन को मनाता है।
निष्कर्ष
यह पर्व हमें अमर वीरों के बलिदान के साथ-साथ इतिहास को न भूलने का स्मरण कराता है, ताकी दोबारा किसी को व्यापार के बहाने शासन का मौका न दिया जाए और आज के युवा पीढ़ी का परिचय उनके गौरवपूर्ण इतिहास से कराया जाए। भले ही स्वतंत्रता दिवस मनाने के सबके तरीके अलग हों, मकसद एक ही होता है। सब मिल-जुल कर एक दिन देश के लिए जीते हैं, स्वादिष्ट पकवान खाते हैं और मित्रों को मुबारक बाद देते हैं।
स्वतंत्रता दिवस पर निबंध 5 (1000 शब्द) – गुलामी से स्वतंत्रता तक (Essay on 15th August/Independence Day: From Slavery to Freedom)
प्रस्तावना
15 अगस्त का दिन हमारे भारतीय लोकतंत्र और भारतीयों के लिए बहुत खास दिन है। इसी दिन हमें अंग्रेजी हुकूमत से आजादी मिली थी, लगभग 200 वर्षों बाद हमारा देश अंग्रेजों के अत्याचार और गुलामी से 15 अगस्त सन् 1947 को पूर्ण रुप से आजाद हुआ था। यह भारतीयों के लिए बहुत खास और सुनहरा दिन होता है, और हम सभी मिलकर आजादी के इस दिन को बड़े जोश और धुमाधाम से मनाते हैं। आज हमारे देश की आजादी को 76 वर्ष हो गये हैं, पर आज भी आजादी के उन पलों को याद कर हमारी आंखें नम हो जाती हैं।
भारतीय स्वतंत्रता दिवस का इतिहास (Indian History of Freedom)
- अंग्रेजों का भारत आगमन (Arrival of British India)
आज से तकरीबन 400 वर्षों पहले अंग्रेजों की ईस्ट इंडिया कंपनी भारत में व्यापार करने के उद्देश्य से भारत में आयी थी। उन दिनों पाकिस्तान और बांग्लादेश भारत के ही हिस्से हुआ करते थे। अंग्रेज यहां अपने व्यापार के साथ-साथ लोगों की गरीबी, मजबूरी और उनकी कमजोरीयों को परखने लगे, और उनकी मजबूरियों का फायदा उठाने लगे।
अंग्रेजों ने धीरें-धीरें भारतीयों के मजबूरियों का लाभ उठाकर उनको गुलाम बनाकर उन पर अत्याचार करना शुरु कर दिया, और मुख्य रुप से ये गरीब और मजबूर लोगो को अपने कर्ज तले दबा देते थे। कर्ज न चुकाने पर वो उन्हें अपना गुलाम बनाकर उनपर मनमाना काम और अत्याचार करने लगे। एक-एक करके राज्यों और उनके राजाओं को अपने अधिन करते चले गए, और लगभग पुरे भारत पर अपना नियंत्रण कर लिए।
- भारतीयों पर अत्याचार (Atrocities on Indians)
अंग्रेजों का भारत पर कब्जा करने के दौरान वे लोगों पर अत्याचार करने लगे, जैसे मनमाना लगान वसुलना, उनके खेतों और आनाजों पर कब्जा कर लेना, इत्यादि। इसके कारण यहां के लोगों को उनका बहुत अत्याचार सहना पड़ता था। जब वे इस अत्याचार का विरोध करते थे तो उन्हे गोलियों से भुन दिया जाता था जैसे कि जलियावाला कांड हुआ।
- अंग्रेजी हुकुमत के खिलाफ भारतीयों का गुस्सा (Anger of Indian People against British rule)
अंग्रेजों का भारतीयों के प्रति रवैया और उनका अत्याचार दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा था और भारतीयों में उनके प्रति गुस्सा और बदले की आग भी बढ़ती जा रही थी। अंग्रेजों के इस बर्बरता पूर्ण रवैये की आग पहली बार सन् 1857 मे मंगल पांड़े के विद्रोह के रुप में देखी गयी। मंगल पांडे के इस विद्रोह के कारण उन्हें मार दिया गया, इससे लोगों में अंग्रेजों के प्रति गुस्सा और बढ़ता गया और नए नए आंदोलनों के रुप सामने आने लगा।
- आजादी की मांग (Demand of Freedom)
अंग्रेजों के बढ़ते अत्याचार को लेकर लोगों में गुस्सा और अपने आजादी की मांग सामने आने लगी। जिसके कारण कई आंदोलन और अंग्रेजी सरकार के खिलाफ झड़प की घटनाएं बढ़ती रही। आजादी की मांग सबसे पहले मंगल पांडे ने 1857 में विरोध करके किया, और इस वजह से उन्हें अपनी जान गवानी पड़ी। धीरे-धीरे अंग्रेजों के अत्याचार से आजादी के मांग की आवाजें भारत के अन्य जगहों से भी आने लगी।
- स्वतंत्रता के लिए स्वतंत्रता सेनानियों का महत्वपुर्ण योगदान (Important Contribution of Freedom Fighters for Freedom)
भारत को अंग्रेजों के अत्याचार से आजादी दिलाने के लिए कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपना बलिदान दिया है, उनमें से सबसे अतुल्य योगदान महात्मा गांधी का रहा है। भारत पर लगभग 200 वर्षो से शासन कर रहे ब्रिटिश हुकमत को गांधी जी ने सत्य और अहिंसा जैसे दो हथियारों से हारने पर मजबूर कर दिया। महात्मा गांधी ने सत्य और अहिंसा को ही अपना हथियार बनाया और लोगो को भी प्रेरित किया और लोगों को इसे अपनाकर अंग्रेजो के अत्याचार के खिलाफ लड़ने के लिए कहा। देश के लोगों ने उनका भरपूर साथ दिया और आजादी मे बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। लोग उन्हे प्यार और सम्मान से बापू पुकारते थे।
- कुछ अन्य स्वतंत्रता सेनानियों का आजादी में योगदान (Contribution of Some Other Freedom Fighters for Freedom)
हालाकि स्वतंत्रता के संग्राम में पूरे हिन्दुस्तान ने ही अपने तरीके से कुछ न कुछ अवश्य योगदान दिया, किन्तु कुछ ऐसे लोग थे जिन्होंने अपने नेतृत्व, रणनीती और अपने कौशल का परिचय देते हुए आजादी में आपना योगदान किया।
महात्मा गांधी, जवाहर लाल नेहरु, सरदार बल्लभ भाई पटेल, बाल गंगाधर तिलक जैसे कई अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने लोगों से साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी। कुछ ने मुख्य रुप से सत्य और अहिंसा को अपनाकर अपनी लड़ाई को जारी रखा। वहीं दुसरी ओर कुछ ऐसे भी स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हिंसा का रास्ता अपनाया, जिन्हें एक क्रांतिकारी का नाम दिया गया। ये क्रांतिकारी मुख्य रुप से किसी संस्था से जुड़कर अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई को लड़ते रहे। मुख्य रुप से मंगल पांड़े, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिहं, राजगुरु इत्यादि कई ऐसे क्रांतिकारी हुए जिन्होंने अपने तरीके से स्वतंत्रता में अपना योगदान दिया।
सभी के अडिग दृढ़ शक्ति और आजादी के प्रयासो ने अंग्रेजों की हुकुमत को हिला दिया, और 15 अगस्त सन् 1947 को अंग्रेजों को भारत छोड़ने पर मजबुर कर दिया। इस ऐतिहासिक दिन को ही हम संवतंत्रता दिवस के रुप मे मनाते है।
आजादी का जश्न (Celebration Freedom)
हमारे स्वतंत्रता सेनानियों और लोगों के अथक प्रयासों और बलिदान के उपरान्त, 15 अगस्त 1947 को अंगेजों के अत्याचार और गुलामी से हमें मुक्ति मिली, तब से लेकर आज तक इस ऐतिहासिक दिन को हम आजादी के पर्व के रुप मे मनाते हैं। आजादी के इस राष्ट्रीय पर्व को देश के कोने-कोने में मनाया जाता है। सभी सरकारी, निजी संस्थानों, स्कुलों, आफिसों और बाजारों मे भी इसके जश्न की रौनक देखी जा सकती है।
स्वतंत्रता समारोह का यह जश्न दिल्ली के लाल किले पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को फहराया जाता है और कई अन्य सांसकृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किये जाते हैं। इस दिन हर तरफ सभी लोग देश भक्ति के माहौल में डूबकर जश्न मनाते हैं।
निष्कर्ष
15 अगस्त, एक ऐतिहासिक राष्ट्रीय दिवस के रुप में जाना जाता है, और हम इस दिन को आजादी के दिन के रुप में हर वर्ष मनाते हैं। सभी सरकारी संस्थानों, स्कूलों और बाजारों में इसकी रौनक देखी जा सकती है और हमारे देश के स्वतंत्रता सेनानियों को याद किया जाता है। हर जगह चारों तरफ बस देशभक्ति की आवाजें ही सुनाई देती हैं, हम आपस में एक दुसरे से मिलकर आजादी की मुबारकबाद देते हैं और उनका मुंह मीठा कराते हैं।
FAQs: Frequently Asked Questions
उत्तर – स्वतंत्रता दिवस प्रत्येक वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है।
उत्तर – स्वतंत्रता दिवस को झण्डा लाल किले पर फहराया जाता है।
उत्तर – स्वतंत्रता दिवस पर झण्डा देश का प्रधानमंत्री फहराता है।
उत्तर – स्वतंत्रता दिवस के लिए 15 अगस्त की तारीख लॉर्ड माउंटबेटन ने चुनी थी।