मैखाने चले आये मिटाने के लिए गम
हम बे पिये न जायेंगे साकी तेरी कसम।
हम इसमें मुफ्तेला हैं मुझे माफ किजिये,
मै कैसे छोड़ दूं इसे, जब तक है मुझमें दम।
हम बे पिये न जायेंगे साकी तेरी कसम।
इसकी जरूरत है जिसे जरा उनसे पूछिये,
मिलते ही झूम जाते हैं, ज्यादा मिले या कम।
हम बे पिये न जायेंगे साकी तेरी कसम।
ये तेज बला कि है तो हलकी बना के दो,
पानी के एवज इसमें मिला, दो जरा शबनम।
हम बे पिये न जायेंगे साकी तेरी कसम।
यह तो गमे हयात है क्या बात है इसकी दुश्मन
आती है काम मिलते है, जब बेवफा सनम
हम बे पिये न जायेंगे साकी तेरी कसम।
नन्दू शराबे इश्क मे बेताब होके हम,
पीने से बाज आये क्यूँ, ठरी मिले रम
हम बे पिये न जायेंगे साकी तेरी कसम।
मैखाने चले आये मिटाने के लिए गम
हम बे पिये न जायेंगे साकी तेरी कसम।
– नन्दू