प्रौढ़ शिक्षा पर भाषण

प्रौढ़ शिक्षा

यहाँ हम भारत में प्रौढ़ या वयस्क शिक्षा पर विद्यार्थियों के लिए विभिन्न शब्द सीमाओं के अन्तर्गत उनकी आवश्यकता और जरुरत के अनुसार किसी कार्यक्रम या प्रतियोगिता के दौरान तैयारी करने के लिए भाषणों की एक श्रृंखला उपलब्ध करा रहे हैं। नीचे दिये गए सभी प्रौढ़ या वयस्क शिक्षा भाषण विद्यार्थियों के लिए सरल और साधारण वाक्यों में लिखे गए हैं। छात्र इनमें से कोई भी भाषण अपनी आवश्यकता को देखते हुए चुन सकते हैं। विद्यार्थी अपने विद्यालय में किसी कार्यक्रम के दौरान हिन्दी भाषण प्रतियोगिता में बिना किसी संकोच के भाग ले सकते हैं।

प्रौढ़ शिक्षा पर छोटे तथा बड़े भाषण (Short and Long Speech on Adult Education in Hindi)

भाषण 1

आदरणीय प्रधानाचार्य, अध्यापक, अध्यापिकाएं और मेरे प्यारे मित्रों को सुबह की नमस्ते। मेरा नाम…….है। मैं कक्षा …………..में पढ़ता/पढ़ती हूँ। मैं प्रौढ़ या वयस्क शिक्षा पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शिक्षा सभी आयु वर्ग के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है और ये जीवन भर चलने वाली प्रक्रिया है। शिक्षा की प्रक्रिया किसी भी आयु वर्ग, व्यक्ति, स्थान या जीवन की अन्य परिस्थितियों तक सीमित नहीं है।

इसे जीवन भर जारी रखा जा सकता है क्योंकि यह स्कूली शिक्षा के साथ ही खत्म नहीं हो जाती। वैयक्तिक शिक्षा जीवन, व्यक्ति, समाज और देश के विकास और वृद्धि के लिए बहुत ही आवश्यक है। एक लोकतांत्रिक देश होने के नाते बिना शिक्षित लोगों के भारत बिल्कुल बेकार है। भारत एक संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य देश है जो दुनिया के अन्य देशों की तरह एक विकसित देश बनने के लिए कठिन संघर्ष कर रहा है।

प्रौढ़ शिक्षा

शिक्षा एक व्यक्ति को अपनी पूरी हद तक विकसित करने और एक व्यक्ति को अपनी रुचि, दक्षता और क्षमता के अनुसार अपने कर्तव्यों और जिम्मेदारियों पूरा करने के योग्य बनाती है। पिछले समय में भारत में शिक्षा का स्तर चिन्ता का विषय था हालांकि, यह दिन प्रति दिन बेहतर हो गया है। भारत में वयस्क शिक्षा की स्थिति बहुत ही बुरी है हालांकि, योजना के अनुसार प्रगति के रास्ते पर धीरे-धीरे अग्रसर हो रही है। भारतीय समाज में भी कुछ क्रान्तिकारी परिवर्तन हुए हैं। आधुनिक वयस्क को तेजी से बदलती दुनिया की आवश्यकता को समझने के द्वारा समाज की जटिलताओं से निपटने की जरूरत है।

सभी नागरिकों के लिए समाज में गरीबी, बेरोजगारी, अज्ञानता, रोगित स्वास्थ्य, बाल शोषण, छेड़छाड़ आदि सामाजिक बुराईयों से लड़ने के लिए अच्छी शिक्षा व्यवस्था होनी चाहिए। सभी सामाजिक बुराईयों का केवल शिक्षा के यंत्र के द्वारा ही उन्मूलन किया जा सकता है। भारतीय समाज में निरक्षरता उचित वयस्क शिक्षा के अभाव का कारण है। वयस्क या प्रौढ़ शिक्षा ही समाज से निरक्षरता को हटाने का एक मात्र यंत्र है। प्रौढ़ शिक्षा को विभिन्न स्तर पर लोगों को शिक्षित करने के लिए मौलिक शिक्षा, लोगों की बड़े पैमाने पर शिक्षा, श्रमिकों की शिक्षा, आगे की शिक्षा, बुनियादी शिक्षा, सामुदायिक शिक्षा और सामाजिक शिक्षा, आदि के तहत वर्गीकृत किया जा सकता है। महात्मा गाँधी के अनुसार, प्रौढ़ शिक्षा को, जीवन के लिए शिक्षा, जीवन के माध्यम से शिक्षा और जीवनभर के लिए शिक्षा के रुप में कहा जा सकता है।

प्रौढ़ शिक्षा, लोगों का व्यक्तिगत संवर्धन, विभिन्न क्षेत्रों में जैसे, सामाजिक, राजनीतिक, अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मुद्दे और विषयों, पेशेवर उपलब्धियों आदि में प्रभावशाली भागीदारी के लिए आवश्यक है। प्रौढ़ शिक्षा ने वैयक्तिक शान्तिप्रियता में सुधार किया है, कार्य क्षमता को बढ़ाया है, जीवन को प्रगति की ओर ले जाने में नेतृत्व किया है, समाज में सीखने का प्रयासों को बढ़ाया है। प्रौढ़ शिक्षा अंशकालिक शिक्षा होती है जो 15-35 आयु वर्ग वाले लोगों को दी जाती है, उन लोगों को जिन्होंने पहले कभी स्कूली शिक्षा नहीं प्राप्त की। प्रौढ़ शिक्षा का लक्ष्य वयस्कों को सामाजिक, आर्थिक, नागरिक और राजनीतिक भूमिका के लिए तैयार करना है।

सर्वे के अनुसार, यह पाया गया है कि, कम साक्षरता दर रखने वाले देश आर्थिक रुप से पिछड़े हुए हैं जो देश की प्रगति के लिए प्रौढ़ शिक्षा के महत्व का अनुभव कराती है। वयस्क साक्षरता ने जीवन जीने के स्तर को ऊपर उठाया है और आर्थिक विकास को लाने के साथ ही देश में सामाजिक परिवर्तन किए हैं। भारत की सरकार ने प्रौढ़ शिक्षा के विषय को अपने प्रोजेक्ट “सभी के लिए शिक्षा” के अन्तर्गत लाखों वयस्कों को शिक्षा के लिए प्रोत्साहित करने के लिए महान प्रसन्नता का विषय बनाया है।

धन्यवाद।

 

भाषण 2

आदरणीय महानुभावों, प्रधानाध्यापक, शिक्षक एंव शिक्षिकाएं और मेरे प्यारे साथियों को सुबह की नमस्ते। मेरा नाम……… है। मैं कक्षा……….पढ़ता/पढ़ती हूँ। हम सभी यहाँ इस अवसर को मनाने के लिए एकत्र हुए हैं, मैं इस अवसर पर प्रौढ़ शिक्षा के विषय पर भाषण देना चाहता/चाहती हूँ। हमारा देश, भारत आर्थिक विकास और प्रौढ़ साक्षरता की कमी के कारण अभी भी विकासशील देशों की श्रेणी में आता है। प्रौढ़ शिक्षा देश के विकास के रास्ते में प्रमुख सामाजिक मुद्दों में से एक है। समाज में प्रौढ़ शिक्षा के बारे में जागरुकता फैलाना बहुत आवश्यक है क्योंकि शिक्षा ही वो अकेला यंत्र है, जो देश के प्रत्येक कोने को जगमगाता है।

वयस्क समाज का एक बहुत बड़ा भाग है और हम यह कह सकते हैं कि इस वर्ग का बहुत बड़ा प्रतिशत अशिक्षित है जिसके कारण भारत की आर्थिक स्थिति कमजोर है। हमारे देश में यही उच्च अनपढ़ वर्ग विकास पर गंभीर असर का कारण बनता है। देश का विकास देश में रह रहे प्रत्येक व्यक्ति के वैयक्तिक विकास पर निर्भर करता है। समाज के कमजोर वर्ग को अच्छी शिक्षा देने के द्वारा उन्हें सूचनाएं प्रदान करने के साथ ही जागरुक बनाकर ऊपर उठाने की आवश्यकता है। उन्हें जीवन में स्वंय के शिक्षित होने के महत्व के बारे में ज्ञान दिया जाए और अपने बच्चों के लिए कठोर मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए।

भारत की सरकार के द्वारा प्रौढ़ शिक्षा को प्रोत्साहित करने और इसके बारे में लोगों को सूचना देने के साथ ही जागरुकता फैलाने के लिए विभिन्न स्थानों पर कैंम्पों के प्रबंधन, विशेष कक्षाएं आदि के द्वारा बहुत से कदम उठाये गए हैं। कुछ लोग इसलिए पढ़ाई नहीं करते क्योंकि उनकी प्रतिदिन की आय बहुत कम होती है जो कि दो वक्त के भोजन के लिए भी पर्याप्त नहीं होती, इस प्रकार की स्थिति में उन्हें प्रौढ़ शिक्षा को प्राथमिकता बनाने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। उन्हें जीवन भर सीखने और कुछ नयी-नयी खोज करने के साथ ही वैयक्तिक और देश की आर्थिक स्थिति में सुधार लाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

पहले, भारत में शिक्षा व्यवस्था बहुत ही बेकार थी जिसमें कुछ भाग्यशाली लोगों को ही स्कूल में अच्छी शिक्षा मिल पाती थी, जबकि निचली जाति के लोगों को स्कूल में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी, इस व्यवस्था ने निरक्षर और साक्षर लोगों की भीड़ बहुत बड़ा अन्तर पैदा कर दिया। कमजोर वर्ग के व्यक्तियों के लिए पढ़े-लिखे व्यक्तियों द्वारा बहुत कम वेतन पर नौकरी दी जाती थी। इस प्रक्रिया के लम्बे प्रचलन के बाद, कमजोर वर्ग के लोग समय के साथ और भी कमजोर हो गए। भारत बहुत अधिक जनसंख्या वाला देश है, इसलिए भारत के सभी निरक्षर व्यक्तियों को शिक्षित करना बहुत ही कठिन कार्य है। 2008 के सर्वे के अनुसार, यह पाया गया कि पूरे विश्व के लगभग 28% अनपढ़ लोग अकेले भारत में है। भारत में आज भी लगभग 45,000 गाँव बिना किसी प्राथमिक विद्यालय के हैं।

भारत की गरीबी की हालत को देखते हुए, प्रौढ़ शिक्षा एक बहुत बड़ी आवश्यकता है। यह भी बहुत स्पष्ट है कि, प्रौढ़ लोग भी अपनी निम्न आर्थिक स्थिति और समय की कमी के कारण पढ़ाई में रुचि लेने को तैयार नहीं है। इस तरह की स्थिति में, विशेष जागरुकता कार्यक्रमों को आयोजित करने की आवश्यकता है, जिसमें अशिक्षित लोगों को शिक्षा के महत्व के बारे में अधिक से अधिक बताया जाए। सरकार ने सबसे पहले प्रौढ़ शिक्षा कार्यक्रम को 1978 में शुरु किया था जिसमें लगभग 94,000 केन्द्रों को शामिल किया गया था, जिसके बाद आज भी देश में बहुत से लोग अशिक्षित है। अधिक से अधिक प्रौढ़ों को शिक्षा की ओर प्रभावित और प्रोत्साहित करने के लिए रुचिकर वस्तुएं जैसे टीवी, ऑडियो, वीडियो आदि का अधिक प्रयोग किया जाना चाहिए।

धन्यवाद।

 

भाषण 3

आदरणीय अध्यापक और मेरे प्यारे दोस्तों को मेरी सुबह की नमस्ते। मेरा नाम……… है। मैं कक्षा……….पढ़ता/पढ़ती हूँ। जैसा कि आज इस अवसर को मनाने के लिए हम सभी यहाँ इकट्ठे हुए हैं। मैं भारत में प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता, इसके महत्व आदि विषयों पर अपने विचार आप सभी के सामने रखना चाहता/चाहती हूँ। सबसे पहले मैं अपने कक्षा अध्यापक/अध्यापिका का आभार प्रकट करता/करती हूँ, जिन्होंने मुझे भाषण देने की अनुमति प्रदान की।

भारत एक लोकतांत्रिक देश है हालांकि, अशिक्षा ने इसके लोकतंत्र को लगभग अर्थहीन बना दिया है। सभी आयु वर्गों के लिए शिक्षा राष्ट्र के आर्थिक विकास को प्रगति की ऊँचाईयों पर पहुँचाने में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती है। भारत में कुल जनसंख्या में अशिक्षित जनसंख्या का एक बड़ा प्रतिशत है। भारत में प्रौढ़ शिक्षा बहुत ही आवश्यक है क्योंकि यह देश में विकास के लिए शक्तिशाली यंत्र है। एक अशिक्षित वयस्क जीवन में शिक्षा के मूल्य को नहीं समझता इसलिए उसकी नयी पीढ़ी भी अशिक्षित हो सकती है क्योंकि वो जीवन जीने के लिए केवल दो वक्त की रोटी को कमाना ही समझ पाते हैं। वो देश, समाज और परिवार के लिए अपनी कोई जिम्मेदारी नहीं समझते।

अशिक्षित लोगों के एक बड़े वर्ग को शिक्षित करने के लिए अनिवार्य और प्रभावशाली शिक्षा योजना के साथ ही सरकार और समाज के अन्य शिक्षित लोगों के सक्रिय समर्थन की आवश्यकता है। उन्हें दैनिक स्वास्थ्यवर्धक गतिविधियों और वित्तीय स्थितियों में बेहतर आय प्राप्त करने के लिए शक्ति और दिशा निर्देशन के लिए सामाजिक शिक्षा की आवश्यकता है। शिक्षा को नजरअंदाज करना एक पाप से बढ़कर है, तब एक अशिक्षित होकर वो समाज में एक बोझ की तरह जीते हैं। प्रौढ़ शिक्षा के बारे में जागरुकता फैलाने के माध्यम से देश में विकास और प्रगति की एक आशा है। शिक्षा का उद्देश्य मानव व्यवहार में अच्छे व्यवहारिक परिवर्तन लाने के साथ ही उनके जीवन और लाभ से संबंधित सभी चीजों को समझने योग्य बनाना है। एक बेहतर शिक्षा सभी नकारात्मक विचारों और गतिविधियों को हटाकर प्रत्येक को सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है।

भारत में अशिक्षा के केवल कुछ कारण नहीं है, बल्कि समाज के कमजोर वर्ग की शिक्षा को प्रभावित करने वाले बहुत से कारण है। कुछ लोग बाद के जीवन में शिक्षा प्राप्त करने में शर्म महसूस करते हैं इसलिए उन्हें यह समझना चाहिए कि शिक्षा किसी भी आयु वर्ग तक सीमित नहीं है हालांकि, यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसे जीवन के किसी भी आयु वर्ग में प्राप्त किया जा सकता है। जीवन भर ज्ञान और सीखने के करीब रहना सभी के लिए खुद को बदलते हुए परिवेश के अनुसार ढालने के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

कुछ लोग पढ़ने के स्थान पर अपने दोस्तों के साथ बैठकर बात करना पसंद करते हैं इसलिए उन्हें उस खाली समय का प्रयोग शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए। कुछ लोग नौकरी लगने के बाद अपनी किताबों को खुद से दूर रख देते हैं और आराम महसूस करते हैं जैसे कि उन्हें किसी भारी बोझ से मुक्ति मिल गयी हो। इस प्रकार, समाज में विभिन्न प्रकार की अशिक्षा फैली हुई है। इसके लिए समाज में लोगों को पढ़ने और सीखने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए नियमित योजना बनाकर उसे प्रभावशाली ढंग से लागू करने की आवश्यकता है।

धन्यवाद।


 

भाषण 4

आदरणीय महानुभाव, प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और यहाँ उपस्थित मेरे प्यारे सहपाठियों को मेरी सुबह की नम्र नमस्ते। मेरा शुभ नाम……… है और मै कक्षा …………में पढ़ता/पढ़ती हूँ। हम सभी यहाँ इस उत्सव को मनाने के लिए एकत्र हुए हैं। मैं आप सभी के सामने विशेष रुप से भारत में प्रौढ़ शिक्षा के विषय को अपने प्रौढ़ या वयस्क शिक्षा के भाषण के द्वारा उठाना चाहता/चाहती हूँ। भारतीय समाज में उचित शिक्षा (विशेषरुप से प्रौढ़ शिक्षा) की कमी हमारे समाज में लगभग बढ़ती हुई सभी बुराईयों का कारण है।

लोग अनपढ़ रहने के लिए अभ्यस्त हो गए हैं और अपना पूरा दिन केवल दो वक्त के भोजन को प्राप्त करने के लिए बिता देते हैं। वो केवल यही मानते हैं कि जीवन केवल कमाने और खाने में ही निहित है। हालांकि, वो यह नहीं जानते कि अनपढ़ रहना एक पाप की तरह है और विशेष रुप से तब तो और भी अधिक जब उन्हें शिक्षा प्राप्त करने का अवसर मिल रहा हो और वो मना कर दें। अशिक्षा देश की प्रगति के मार्ग में आने वाली सभी बाधाओं की जड़ है।

ज्ञान सभी को प्रकाश में लाता है वहीं अशिक्षा लोगों को अंधकार की ओर ले जाती है। शिक्षा के प्रति लोगों की अज्ञानता और उनकी अशिक्षा का स्तर उनकी परेशानियों का कारण बनता है। देश के सभी वयस्कों के लिए यह बहुत ही जरुरी है कि उन्हें और साथ ही उनकी आने वाली पीढ़ियों को देश का भविष्य बनाने के लिए शिक्षित किया जाए।

पहले वो साधनो की कमी के कारण शिक्षित नहीं हो पाते थे हालांकि, अब उनके पास शिक्षित होने का सुनहरा मौका है, इसलिए उन्हें पढ़ना चाहिए। समाज में वयस्क अशिक्षा गंभीर खतरा बन गयी है क्योंकि अशिक्षा के कारण अपने जीवन यापन के लिए, धन कमाने के लिए वो बहुत जल्दी बुरे कामों में लग जाते हैं। इस समस्या की मजबूती को समझने की आवश्यकता के साथ ही लोगों को शिक्षा की ओर आकर्षित करके उन्हें रोजगार और भोजन प्रदान किया जाए।

सीखने की दिशा में उन्हें आकर्षित करने और बेहतर कैरियर बनाने के लिए उन्हें सक्षम करने के कई तरीके हैं। उन्हें अंशकालिक शिक्षा, व्यावसायिक शिक्षा, गाँवों में शिक्षा और सूचना आधारित किताबों के संग्रह वाले आधुनिक पुस्तकालयों आदि की सुविधा दी जानी चाहिए।

धन्यवाद।