माँ जीवन का वह रुप है, जिससे ईश्वर भी अभिभूत है। निचे दिए गए कविताओं में माँ के द्वारा किया हुआ त्याग बताया गया है। माँ का मतलब ही होता है ममता। सारी कविताओं के अपने अलग-अलग शीर्षक हैं। जिनमे से एक कविता का शीर्षक है “माँ अगर तुम न होती तो”, लेखक ने इस शीर्षक का वर्णन खूब अच्छे से किया है जिसे पता चलता है की, काँटो भरी इस मुश्किल राह पर चलना कौन सिखाता है? इस कविता में माँ की ममता और स्नेह पर प्रकाश डाला गया है।
माँ पर कवितायें (Poems on Mother in Hindi)
कविता 1
‘माँ तेरी याद आती है’
मेरी माँ है ममता की मूरत,
मेरी माँ है ममता की मूरत,
इस भीड़ भरी दुनिया में एक अलग सी सूरत,
एक अलग सी सूरत।
माँ तुम हो मेरी हर जरुरत की जरुरत,
जिसे मैं आज भी नहीं भूल पाती हूँ,
नहीं भूल पाती हूँ।
मैं तो थी अकेली, असहाय और नन्ही सी बच्ची,
जिसे मिली इस दुनिया में एक माँ तुम जैसी सच्ची,
एक माँ तुम जैसी सच्ची।
माँ आज भी तेरी याद आती है, बहुत याद आती है।
माँ वो तुम्ही थी जिसने मुझे ऊँगली पकड़ कर चलना सिखाया,
माँ वो तुम्ही थी जिसने मुझे हर मुसीबत से बचाया।
आज मै खुद एक माँ हूँ, और मेरे दो बच्चे है,
फिर भी मुझे माँ सिर्फ तेरी ममता याद आती है,
सिर्फ तेरी ममता याद आती है।
माँ तू मुझे बहुत याद आती है,
बहुत याद आती है।
मैं तो थी बिलकुल नादान, और जब सबकुछ नहीं था इतना आसान,
माँ तब भी तुमने दिखाई इतनी हिम्मत,
माँ तब भी तुमने दिखाई इतनी हिम्मत,
की आज भी पूरी होती है मेरी हर मेहनत,
मेरी हर मेहनत।
माँ तू ही मेरे लिए दुर्गा है, तू ही मेरे लिए गोविंदा,
माँ तू कभी नहीं मरेगी, क्योंकि तू आज भी मेरे में जिन्दा है,
तू आज भी मेरे में जिन्दा है।
———अर्चना त्यागी
कविता 2
‘माँ अगर तुम न होती तो’
माँ अगर तुम न होती तो मुझे समझाता कौन…
काँटो भरी इस मुश्किल राह पर चलना सिखाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे लोरी सुनाता कौन…
खुद जागकर सारी रात चैन की नींद सुलाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे चलना सिखलाता कौन…
ठोकर लगने पर रस्ते पर हाथ पकड़ कर संभालता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे बोलना सिखाता कौन…
बचपन के अ, आ, ई, पढ़ना-लिखना सिखाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे हँसना सिखाता कौन…
गलती करने पर पापा की डाँट से बचाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे परिवार का प्यार दिलाता कौन…
सब रिश्ते और नातों से मेरी मुलाकात कराता कौन….
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे गलती करने से रोकता कौन…
सही क्या हैं, गलत क्या हैं इसका फर्क बताता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे ‘प्यारी लाड़ो’ कहता कौन…
‘मेरी राज-दुलारी प्यारी बिटिया’ कहकर गले लगाता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मुझे समाज मैं रहना सीखाता कौन…
तुम्हारे बिना ओ मेरी माँ मेरा अस्तित्व स्वीकारता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
माँ अगर तुम न होती तो मेरा हौसला बढ़ाता कौन…
नारी की तीनों शक्ति से मुझे परिचित कराता कौन…
माँ अगर तुम न होती तो…
——- वन्दना शर्मा
कविता 3
‘मेरी माँ’
मेरी माँ है वो जो मुझे हसाती-दुलारती,
त्याग और मेहनत से मेरे जीवन को सवारती।
चाहे वह खुद सो जाये भूखे पेट,
लेकिन मुझे खिलाती है भरपेट।
उसकी ममता की नही है कोई सीमा,
उससे सीखा है मैने यह जीवन जीना।
मेरा सुख ही उसका सुख है,
मेरा दुख ही उसका दुख है।
रहती है उसे सदा मेरे तरक्की की अभिलाषा,
अब मैं भला क्या बताउ माँ की परिभाषा।
मेरे जीवन के संकट रुपी धूप से वह टकराती है,
मेरे संकट परेशानियों में वह मातृ छाया बन जाती है।
वह है मेरे हर चिंता को दूर करने वाली,
वाकई में मेरे लिये मेरी माँ है सबसे निराली।
—— Yogesh Kumar Singh
कविता 4
‘माँ की ममता’
माँ की ममता है अनमोल,
जीवन में उसका नही कोई मोल।
उसके नजरो से हमने दुनिया को देखा और जाना,
जीवन जीना सीखा और अपने-परायों को पहचाना।
मेरी गलतियों के बावजूद प्रेम माँ का हुआ ना कम,
मेरे तरक्की के लिए उसने प्रयास किया हरदम।
मेरे सुख मेरे दुख को उसने अपना माना,
मेरी हुनर और कार्यकुशलता को उसने ही पहचाना।
जब मेरे विफलताओं पर सभी ने किया उपहास,
मेरी माँ ने दी मुझे सांत्वना नही किया कभी निराश।
माँ की ममता ही है हमारे जीवन का आधार,
जोकि हजारों कष्ट सहकर भी करती हमारे सपनों को साकार।
उसकी ममता का ना कोई आरंभ है ना अंत,
वास्तव में हमारे प्रति माँ की ममता है अनंत।
इसलिए तो माँ की ममता का नही है कोई मोल,
यही कारण है कि सब कहते है माँ का प्रेम है अनमोल।
तो आओ इस मातृ दिवस शपथ ले सदा करेंगे माँ का सम्मान।
और गलत कार्यों द्वारा कभी नही करेंगे माँ की ममता का अपमान।
——— Yogesh Kumar Singh
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