हम सभी किसी न किसी तरीकों से प्रकृति को प्यार करते हैं, है ना? उदाहरण के लिए कुछ लोग इसे इसकी हरी भरी हरियाली के लिए प्यार करते हैं, कुछ लुभावनी सुंदरता के लिए और कुछ इसे उन उपहारों के लिए पसंद करते हैं जो प्रकृति ने मानव जाति को दिए हैं जैसे जड़ी-बूटियां आदि। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो प्रकृति हमें बहुत सी चीज़ें देती है ताकि हम एक पूर्ण जीवन जी सकें। इसलिए यह हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है। विशेष रूप से छात्रों को प्रकृति पर स्पीच, जागरूकता बढ़ाने के लिए, देने के लिए कहा जाता है। निम्नलिखित भाषणों को काफी सोच-विचार के साथ लिखा गया है ताकि छात्रों और अन्य लोगों को समझने में आसानी हो।
प्रकृति पर भाषण (Speech on Nature in Hindi)
प्रकृति पर स्पीच – 1
आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्रिय छात्रों – आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार!
सुबह की सभा खत्म होने को है। इस स्कूल के प्रिंसिपल के रूप में मेरी यह जिम्मेदारी बनती है कि मैं मेरे छात्रों के साथ इंटरैक्टिव सत्र आयोजित करूँ। इसका कारण यह है कि मुझे आपके साथ बातचीत करने और हमारे विचारों को आदान-प्रदान करने का मौका नहीं मिल रहा है। आज आप सभी को संबोधित करने का कारण प्रकृति पर स्पीच देने और हमारे जीवन में प्रकृति की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालना है। कुछ समय से मैं मनुष्य को अपने फायदे के लिए प्रकृति को नष्ट करने और इसे अपनी ज़रूरत के हिसाब से इस्तेमाल करने की बात सुनकर परेशान हूँ। प्रकृति को नष्ट न करने या इसे विभिन्न बाहरी खतरों से बचाने की बजाए – हम केवल संसाधनों और प्रकृति के उपहारों का शोषण कर रहे हैं। क्या हम हमारी जगह सही है? मैं इस प्रश्न को उन सभी बच्चों के लिए उठाऊंगा जो निकट भविष्य में हमारी धरती मां को बचाने की ज़िम्मेदारी उठाने जा रहे हैं।
हमारे मनुष्य जीवन की शुरुआत इस पृथ्वी ग्रह पर हुई और तब से हमारी “धरती माँ” को विनाश और दुर्व्यवहार जैसे खतरों का सामना करना पड़ा है। मनुष्यों की निहित स्वार्थी प्रकृति के कारण सुंदर जंगलों को नष्ट कर दिया गया है, नदियों को प्रदूषित किया गया और बड़े खुले मैदानों को कारखानों या अन्य स्थापत्य विकास के लिए उपयोग में लाया गया है। मनुष्य की अवैध गतिविधियों में कई गतिविधियाँ मुख्य है जैसे जानवरों का शिकार करने, पेड़ों को काटने, वातावरण में जहरीले गैसों को जारी करने, प्रदूषित नदियों आदि। हमें यह पता ही नहीं है कि हम धरती माँ के क्रोध का आह्वान कर रहे हैं जिससे हमारे अस्तित्व को गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। हमारी धरती सचमुच विनाशकारी गतिविधियों का सामना कर रही है जिसके कारण नदी सूखती जा रही हैं, पौधे मर रहे हैं और स्तनधारियों की प्रजाति विलुप्त हो गई है। एक और गंभीर समस्या है जिससे आज के समय में दुनिया जूझ रही है, ‘ग्लोबल वार्मिंग’, जिसका हमारे पर्यावरण पर गहरा प्रभाव पड़ता है जैसे ग्लेशियरों का पिघलना, समुद्री स्तर में बढ़ोतरी और तीव्र गति से जलवायु परिवर्तन। इसलिए हम सभी को हमारी गतिविधियों पर निगरानी रखनी चाहिए और ऐसी स्थितियों को नियंत्रण में लाने में मदद करनी चाहिए।
अब सवाल यह उठता है कि हम अपनी गतिविधियों पर कैसे निगरानी रखें? इसके लिए आपको ज्यादा ज़ोर नहीं लगाना। उदाहरण के लिए पानी एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधन है। इसलिए हमें पानी की हर बूंद को बचाना चाहिए, उपयोग में न होने पर नल को बंद करना चाहिए या फिर फ्लश या बारिश के पानी का उपयोग करना चाहिए क्योंकि इन सभी को ना करने से पानी की अत्यधिक बर्बादी होती है। इसके अलावा नदियों में या नालियों कचरा नहीं फेंकना चाहिए क्योंकि इन गतिविधियों से हमारे जल निकाय प्रदूषित होते हैं। जहां तक हमारे पौधों की सुरक्षा का संबंध है रासायनिक कीटनाशकों का इस्तेमाल न करें और घरेलू उपचार या अन्य पर्यावरण के अनुकूल साधनों का प्रयोग करें। इसके अलावा कचरे के डिब्बे में अपने सड़े हुए फल, सब्जियां, बचा हुआ भोजन, अंडा के छिलके ना फेंके और उन्हें अपने घर के बगीचे के लिए जैविक खाद बनाने में इस्तेमाल करें। विभिन्न क्रियाएँ जैसे खाद बनाने के लिए उपयोगी चीजों के अपशिष्ट उत्पाद रीसाइक्लिंग में बहुत मदद करते हैं।
इसी तरह अपनी ऊर्जा की खपत को बचाईए। अगर कोई कमरे में नहीं है तो पावर बटन को बंद कर दें। जब सार्वजनिक परिवहन का उपयोग किया जा सकता है तो निजी वाहनों का उपयोग न करें। वास्तव में आप थोड़ी दूरी के लिए साइकिल का उपयोग भी कर सकते हैं और गैसों की हानिकारक रिहाई से अपने पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं। इस प्रकार इन सरल प्रभावी उपायों के माध्यम से आप अपनी धरती मां को प्रकृति से बचाने के लिए अपना बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं।
अंत में मैं सिर्फ यह कहना चाहूँगा कि इस जानकारी को अपने आप में न रखें और इस संदेश को चारों ओर फैलाएं ताकि हर व्यक्ति एक जिम्मेदार नागरिक बनकर अपने ग्रह को बचाने में मदद करें।
धन्यवाद।
प्रकृति पर स्पीच – 2
सभी को नमस्कार! मैं दिल से हमारे समाज के मीटिंग रूम में आपका स्वागत करता हूं।
जैसा कि आप सभी जानते हैं कि यह बैठक हमारे समाज से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर चर्चा करने और हमारे समाज के सभी सदस्यों के सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए उन मुद्दों को संशोधित करने के लिए साप्ताहिक रूप से आयोजित की जाती है। हमारे समाज के एक समूह के सचिव के रूप में हमारे समाज की भलाई के लिए यह मेरी ज़िम्मेदारी भी बन जाती है। हालांकि हाल के दिनों में मुझे कुछ ऐसी घटनाओं के बारे में पता चला जिसने मुझे अस्थिर कर दिया। मेरा इस तरह के लोगों के साथ संपर्क हुआ जिन्हें, इस तथ्य पर जोर देने के बावजूद कि स्वस्थ पर्यावरण के निर्माण में और संतुलित तथा निरंतर जीवन प्रदान करने में प्रकृति महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, दुर्भाग्य से प्रकृति की रक्षा के कारणों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है।
तो यहाँ मैं आज आप सबके सामने प्रकृति पर एक स्पीच देने जा रहा हूं ताकि हम अपने आप को सभी महत्वपूर्ण चीजों के बारे में अवगत करा सकें और न सिर्फ हमारे आस-पास के स्थान बल्कि हमारी पूरी धरती माँ को रहने की अनुकूल जगह बना सकें। हम सभी को यह समझना चाहिए कि पर्यावरण हमारे जीवन का झरना है। यह न केवल मानव जीवन को निर्देशित करता है बल्कि जीवित प्रजातियों और उनकी सभी गतिविधियों के जीवन-स्तर, विकास और प्रगति को भी निर्धारित करता है। हमारे सामाजिक जीवन की गुणवत्ता का हमारे वातावरण की गुणवत्ता के साथ सीधे संबंध है।
यहां तक कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने भी हमारी ज़िंदगी पर बहुत अधिक प्रभाव डाला है, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जीवित प्रजातियों के रूप में हमें अपने जीवन के लिए हमारे प्राकृतिक परिवेश के अनुकूल होने की जरूरत है। मानव सभ्यता पारिस्थितिकी तंत्र में निहित होती है और हमारे कार्य सीधे इस प्रणाली को प्रभावित करते हैं। तकनीकी उन्नति की सहायता से इंसान कुछ हद तक अपने पर्यावरण को नियंत्रित करने की क्षमता से निपुण हो गया है लेकिन इसका अनुचित उपयोग पारिस्थितिक संकट को जन्म देता है। प्रकृति की शक्तियों को नियंत्रित करने के लिए अनौपचारिक तकनीकी हस्तक्षेप ने विभिन्न तरीकों से अपना क्रोध दर्शाया है जैसे सुनामी, बाढ़, सूखा, गर्म हवाएं, जंगलों में आग आदि।
प्राकृतिक आपदाओं के अलावा पर्यावरण को पहुंचाई क्षति अपरिवर्तनीय है जैसे भूमिगत जल में कमी, ताज़ा पीने के पानी की भारी कमी, और जंगलों का कम होना, मिट्टी और प्रवाल भित्तियों का बहना, पौधों का गायब होना और जीवों का नुकसान, तेजी से जानवरों की विभिन्न प्रजातियों के विलुप्त होने के साथ-साथ मत्स्य पालन में असफलता, जल और वायु का बढ़ता प्रदूषण, ग्लोबल वार्मिंग के कारण तापमान में वृद्धि, ओजोन परत में छेद का बढ़ना और समुद्र, नदियों और भूमिगत संसाधनों में गन्दगी के माध्यम से जहर मिलना।
प्राकृतिक संसाधनों के इस निरंतर कमी से हम अपने खुद के जीवन को बड़े संकट में डाल रहे हैं और वह दिन दूर नहीं होगा जब पीने का पानी, ताजी हवा, पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और पृथ्वी पर मौजूद उपरी सतह की मिट्टी हमारी भविष्य की पीढ़ी के इस्तेमाल के लिए नहीं बचेगी। इसलिए यह सही समय है कि हम अपने पर्यावरण पर घनिष्ठ नजर रखें और इसे संभावित खतरों, विशेष रूप से शोषक मानव गतिविधियों से बचाएं।
अंत में मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि प्रकृति से प्यार करिए। इसकी मौजूदगी और चीजें जो हमें बहुतायत में प्रदान करती है उसके महत्व को पहचानिए।
धन्यवाद।
प्रकृति पर स्पीच – 3
आदरणीय प्रिंसिपल, सम्मानित शिक्षकगण और मेरे प्रिय मित्रों,
आज इस विशेष सभा को, प्रकृति दिवस कहा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण दिन मनाने के लिए, बुलाया गया है। आज हम सब हमारे आसपास पेड़ों को लगाने जा रहे हैं लेकिन इससे पहले मैं प्रकृति के संबंध में एक स्पीच देना चाहूंगा। हम सभी जानते हैं कि हमारी उचित जलवायु और अन्य शारीरिक विशेषताओं के कारण जीवित प्राणियों के लिए जीवन यापन हेतु पृथ्वी सबसे अच्छी जगह है। हमारी धरती का जन्म लगभग 4.54 बिलियन साल पहले हुआ था और उस समय इसे कई विध्वंसकारी टकराव और विनाशकारी धमाकों का सामना करना पड़ा। उस समय से लेकर अब तक प्रकृति हर जीवित प्राणी को रहने के लिए कई चीजें प्रदान कर रही है। यह हमारे अस्तित्व के लिए भोजन, आश्रय, वायु, पानी और कई अन्य चीजें उपलब्ध कराती है।
जीवित प्राणियों के अस्तित्व के लिए पृथ्वी की प्रकृति और जलवायु भगवान की तरफ से एक उपहार है। धरती पर प्रकृति में विभिन्न जलवायु परिस्थितियों, पहाड़ों, पठारों, नदियों, महासागरों, पेड़ों, पौधों आदि जैसी कई विशेषताएं हैं। हम सभी हमारे जन्म के बाद से आज तक उनका उपयोग कर रहे हैं। प्रकृति सिकुड़ रही है और हमारी ज़रूरतें दिन-ब-दिन बढ़ रही हैं।
धरती पर रहने वाले सभी प्राणियों के अस्तित्व के लिए प्रकृति ही एकमात्र कारण है। हम सभी जानते हैं कि आज पृथ्वी की स्थिति अच्छी नहीं है। हम सब प्रकृति के घटकों का उपयोग कर रहे हैं लेकिन प्रकृति की जरूरतों में हमें कोई दिलचस्पी नहीं है। हमारी जरूरतों को पूरा करने के लिए हम प्रकृति को दिन-प्रतिदिन बर्बाद कर रहे हैं। आज प्रकृति की खराब स्थिति के लिए कई कारण हैं – जैसे ईंधन, सीएफएल, जनसंख्या बढ़ना, वनों की कटाई आदि इसके अलावा और भी कई गलत चीजें हैं जिनका ज्यादातर लोग अपने रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल करते हैं जैसे उपयोग में ना होने के बावजूद बल्ब को बंद ना करना, पानी को इस्तेमाल ना करने की स्थिति में नल को बंद ना करना। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि हम में से काफी लोगों ने इन समस्याओं की ओर लापरवाही भरा रूख दिखाया है। प्रकृति के प्रति हमारी जीवन शैली और स्वार्थ की वजह से पूरी पृथ्वी प्रदूषित हो रही है। हमने बहुत अधिक प्रकृति के घटकों का उपयोग किया है जिनमें से कई घटक आज विलुप्त हो चुके हैं।
आज हमारी लापरवाही और स्वार्थ की वजह से धरती पर कई जगहों पर प्रकृति के घटकों की कमी आ गई है। पीने के और अन्य उद्देश्यों के लिए पानी की कमी, ताजी हवा की कमी आदि के पीछे एकमात्र कारण हमारी स्वार्थी व्यवहार है। अगर हम प्रकृति के प्रति हमारे स्वार्थी व्यवहार को नहीं बदलेंगे तो यह हमारी पृथ्वी के अंत का कारण बन सकती है। हमें और हमारी पृथ्वी को विनाश से बचाने का एकमात्र तरीका है प्रौद्योगिकी का अत्यधिक उपयोग करने की ज़रूरत को बदलना और प्रकृति के संरक्षण के प्रति हमारे कर्तव्य को समझना।
आइए हम प्रतिज्ञा लें कि आज से हम अपनी प्रकृति मां की मदद करने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देंगे और यह वैकल्पिक नहीं है। यह हमारा कर्तव्य है क्योंकि अगर हम प्रकृति में रहना चाहते हैं तो हमें कल पर कुछ ना टालने की बजाए आज ही सब कुछ करना पड़ेगा।
इसी के साथ मैं अपनी स्पीच खत्म करता हूं और वृक्षारोपण के कार्यक्रम को संबोधित करने के लिए हमारी सम्माननीय प्रिंसिपल मैम से आग्रह करता हूं।
आपका दिन शुभ हो!
धन्यवाद।
प्रकृति पर स्पीच – 4
सुप्रभात देवियों और सज्जनों!
आज “प्रकृति दिवस” के इस विशेष अवसर पर हमारे संगठन “मेक इट ग्रीन आर्गेनाइजेशन” ने इस क्षेत्र में इस अद्भुत समारोह का आयोजन किया है जो बेहद सराहनीय है और मैं यहां सभी लोगों को एकत्रित होने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं। आज का दिन बहुत ही खूबसूरत है जहाँ हमें आज हमारे द्वारा प्रयोग की जा रही सभी चीजें प्रदान करने के लिए हमारी प्रकृति रुपी माँ का शुक्रिया अदा करना चाहिए और हमारे भविष्य में अधिक से अधिक पेड़ लगाकर और उनकी देखभाल करने का संकल्प लेना चाहिए। हम सभी प्रकृति में रहने और उन चीजों का उपयोग करके आनंद ले रहे हैं जो हमें प्रकृति से मिली है। सुबह हम सूर्योदय के सुंदर दृश्यों को देखते हैं और रात को हम खूबसूरत चाँद देखते हैं। अगर हम प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं और आने वाले पीढ़ी को भी इसे लंबी अवधि तक उपलब्ध करवाना चाहते हैं तो हमें इसके संरक्षण के लिए कुछ करना होगा। प्रकृति को हरा-भरा रखना और उसे नुकसान पहुंचाने से रोकना हमारा कर्तव्य है। अगर हम प्रकृति के उत्पादों जैसे फलों, सब्जियों आदि का उपयोग कर रहे हैं तो हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इन चीजों की हमारी जरूरतें प्रकृति के विलुप्त होने के बाद नहीं बचेगी।
पृथ्वी को कई जगहों पर पर्यावरण का असंतुलन जैसे सूखा, बाढ़, भूस्खलन, ग्लेशियरों का पिघलना आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है जिसका मुख्य कारण है हमारे द्वारा प्रकृति का अत्यधिक उपयोग। इन समस्याओं का निर्माता मनुष्य और उसकी अनावश्यक आवश्यकताएं हैं। हम सब हमारे व्यस्त जीवन में व्यस्त हैं और भूल जाते हैं कि हम इस दुनिया में प्रकृति के कारण ही जीवित हैं। हम प्रकृति के उत्पादों का उपयोग करना नहीं भूलते हैं लेकिन हम प्रकृति के संरक्षण के लिए कुछ करना भूल जाते हैं। इस दुनिया में प्रकृति के बिना कुछ भी संभव नहीं है और हमें उसके संरक्षण के लिए कुछ करना होगा।
प्रकृति के संरक्षण के लिए कई चीजें हैं। कम बारिश के कारण कई जगहों को सूखे का सामना करना पड़ रहा है और इस समस्या से निपटने के लिए हम वर्षा जल संचयन और पानी का सीमित उपयोग कर सकते हैं। ईंधन, एचसीएल, सीएफएल, औद्योगिकीकरण, बांधों के निर्माण आदि के कारण ग्लेशियरों के पिघलने, ऑक्सीजन (O2) की कमी और हवा में कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) की बढ़ती मात्रा जैसी कई समस्याएं उत्पन्न हो गई हैं। इन समस्याओं के लिए कई समाधान हैं जैसे पुनर्नवीनीकरण, ईंधन के सीमित उपयोग के माध्यम से कार पूलिंग, बिजली का सीमित उपयोग, पर्यावरण के अनुकूल गैजेट आदि का उपयोग करना। इन सभी समाधानों के बल पर ही हम अपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए उचित कदम उठा सकते हैं। दुनिया भर के कई स्थानों में इन समाधानों को पारिस्थितिक समस्याओं का उपाय करने के लिए उपयोग किया जाता है। हमें अपने लिए यह करना है क्योंकि हमारी प्रकृति हमारे अस्तित्व का कारण है और हमें प्रकृति के विलुप्त होने का कारण नहीं बनना चाहिए और यदि ऐसा होता है तो यह हमें हमारे सर्वनाश की ओर ले जाएगा।
इन पारिस्थितिक समस्याओं के अनन्त समाधान हैं और अब यह हमारे हाथ में है कि क्या हम जीवित रहकर प्रकृति का आनंद लेना चाहते हैं या हम इस दुनिया से विलुप्त हो जाना चाहते हैं।
इस समय मैं अपनी स्पीच के निष्कर्ष पर पहुंचना चाहूंगा तथा हमारे समारोह के आयोजकों और आप सभी को इस दिन को सफल बनाने के लिए विशेष धन्यवाद देना चाहूंगा। अब मैं अपने सम्माननीय मैनेजर से आग्रह करता हूँ कि वे आप सभी को संबोधित करे।
आप सभी का दिन शुभ हो।
धन्यवाद।