वनों की कटाई आज के समय की बहुत ही बुरी वास्तविकता है। इस तथ्य को जानने के बावजूद कि मानव जाति के लिए पेड़ और जंगल कितने महत्वपूर्ण हैं मनुष्य अभी भी लगातार वनों को काट रहा है और भवनों के निर्माण के लिए वनों की भूमि का सफाया कर रहा है। सार्वजनिक रूप से हम अक्सर इस ओर नेताओं द्वारा लोगों में जागरूकता को फैलाने और ईमानदारी से प्रयास करने के लिए वनों की कटाई पर दिए भाषण सुनते हैं। लेकिन हम कितनी बार सावधानी से उनकी बात सुनते हैं और उनके रास्तों पर चलते हैं? शायद ही कभी! लेकिन अब ठोस कदम उठाने का समय है और वास्तव में हमारी सरकार को पेड़ों को काटने और वन भूमि का दुरूपयोग करने के लिए सख्त दंड और जुर्माना लगाना चाहिए।
वनों की कटाई पर लंबे और छोटे भाषण (Long and Short Speech on Deforestation in Hindi)
भाषण – 1
सुप्रभात छात्रों – आशा है कि आप सभी अच्छे हैं!
आज मैं ग्लोबल वार्मिंग से जुड़े एक बहुत ही प्रासंगिक विषय को संबोधित करने जा रहा हूं यानी वनों की कटाई। वनों की कटाई वर्तमान समय की एक गंभीर वास्तविकता है। इसमें वनों को काटने और बिना वन की भूमि को कहीं दूसरी जगह स्थानांतरित किए उसका दुरूपयोग करना शामिल है। वनों की कटाई की प्रक्रिया आमतौर पर तब होती है जब किसी भूमि का इस्तेमाल फार्म हाउस या बड़े घर को बनाने में किया जाता है। इसके अलावा ईंधन या लकड़ी की आवश्यकता के कारण भी वनों की कटाई की जाती है। जब वनों की कटाई होती है तो न केवल पेड़ों को नष्ट किया जाता है बल्कि जानवर भी अपने प्राकृतिक आवास से बेघर हो जाता हैं यानी मनुष्य द्वारा वनों को खत्म किया जाता है। वनों को काटने से हमारी जलवायु भी प्रभावित होती है और यह ग्लोबल वार्मिंग का भी कारण बनती है।
वनों की कटाई के पीछे कई कारण हैं चलिए उनमें से कुछ जानते हैं:
उपरोक्त वर्णित वनों की कटाई अर्थात पेड़ों को काटने का कार्य है। जब जनसंख्या बढ़ती है तो लोग अपने घरों और कारखानों का निर्माण करने के लिए वन भूमि का इस्तेमाल करना शुरू कर देते हैं। इसके अलावा कृषि प्रयोजनों के लिए भी भूमि का उपयोग किया जाता है। लकड़ी का इस्तेमाल इमारतों और अपार्टमेंट के निर्माण में किया जाता है और वृक्षों को ईंधन के रूप में जला दिया जाता है। शहरों को बड़ा और प्रभावशाली बनाने यानी फुटपाथ और सड़कों का निर्माण करने के लिए वन काटे जाते हैं।
अन्य कारण कुछ इस प्रकार हैं:
- जंगल की आग
जंगलों में भारी आग लगना जिसका परिणाम उनका बड़ी मात्रा में विनाश होता है।
- झूमिंग
काटना और जलाने की कृषि आमतौर पर झूमिंग खेती के रूप में परिभाषित की जाती है। इस प्रक्रिया में किसान आग लगाने के लिए जंगल से पेड़ काटते हैं। आग लगाने से उत्पन्न हुई राख उर्वरक के रूप में प्रयोग में लाई जाती है और खेती के प्रयोजनों के लिए जमीन का उपयोग किया जाता है। खेती के बाद भूमि कई वर्षों तक खाली छोड़ दी जाती है ताकि यह दोबारा उपयोग में लाई जा सके। उस वक़्त तक किसान भूमि के दूसरे भाग का इस्तेमाल करते हैं और इसी प्रक्रिया को पुनः दोहराते हैं। तकनीकी भाषा में इसे खेती को स्थानांतरित करने के रूप में परिभाषित किया जाता है।
- जलविद्युत परियोजनाएं
जलविद्युत परियोजनाओं, जलाशयों और मानव निर्मित बांधों के लिए वनों को काटा जाता है, और सभी पौधे और जानवर मारे जाते हैं जो कि अमानवीय कार्य है।
- अधिक चराई
पशुओं की आबादी हमारे देश में लगभग 500 मिलियन है हालांकि चराई के लिए क्षेत्र लगभग 13 मिलियन हेक्टेयर है। एक हेक्टेयर भूमि छह पशुओं के भोजन की मांग को पूरी करने में सक्षम है। चरागाह के लिए उपयोग किए जाने वाली शेष भूमि रोपण और मिट्टी की संरचना के विनाश का कारण बनती है। रोपण और मिट्टी की संरचना के विनाश के कारण पानी की क्षमता प्रभावित होती है और ये बढ़ता चला जाता है। आखिरकार इन सब वजहों से जंगल की विशाल भूमि नष्ट हो जाती है।
जो भी कारण हो पर वनों की कटाई हमारे पर्यावरण पर भारी प्रभाव डालती है तथा पारिस्थितिक संतुलन को बिगाड़ती है। ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हुई है और प्रदूषण का स्तर भी हमारे स्वास्थ्य पर बड़ी मात्रा में प्रभाव डालता है क्योंकि जब हानिकारक गैसों और किरणों को रोकने के लिए कोई पेड़ नहीं होगा तो जाहिर है ये सब कारक पृथ्वी पर जीवित प्राणियों को प्रभावित करेंगे। तो लोगों को पेड़ों को काटने से रोकिए और पर्यावरण को बचाने के लिए उन्हें अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करें।
धन्यवाद!
भाषण – 2
सम्मानित प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य, शिक्षकगण और मेरे प्रिय छात्रों – आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार!
मैं स्मृति कौशिक कक्षा 12वीं-ब से हर सभी का “अधिक पेड़ लगाएं” अभियान में दिल से स्वागत करती हूँ। वनों की कटाई नामक विषय पर मेरे भाषण को शुरू करने से पहले मैं हमारे सम्मानित प्रधानाचार्य, उप-प्रधानाचार्य और शिक्षकों का शुक्रिया अदा करना चाहती हूं जिन्होंने इस अभियान को शुरू करने और इसके सफल निष्पादन के लिए अपना समर्थन दिया। मैं अपने साथी छात्रों का भी हर समय इसके लिए इतना सक्रिय और सहयोगी बने रहने के लिए धन्यवाद देना चाहता हूं।
चूंकि हमारा अभियान अधिक से अधिक पेड़ों को लगाने और हमारे पर्यावरण को संरक्षित करने के बारे में है तो इस अभियान के आयोजक के रूप में मैंने वनों की कटाई नामक विषय को संबोधित करना बेहद महत्वपूर्ण माना। आप सभी जानते हैं कि वनों की कटाई पेड़ और वन भूमि का सफाया करने के बारे में है जो हमारे पर्यावरण के लिए बेहद विनाशकारी है। यदि हम एक तरफ पेड़ों को लगाते हैं और दूसरी ओर उन्हें काटते हैं तो यह अभ्यास पूरी तरह से व्यर्थ है। इस अभियान को सफल बनाने के लिए हमें पहले इस तरह की जघन्य गतिविधियों पर रोक लगानी होगी और मनुष्य को हमारी प्रकृति को नष्ट करने से रोकना होगा।
अक्सर कई पेड़ काटे जा रहे हैं और मनुष्यों के स्वार्थी हितों के लिए जंगलों को नष्ट किया जा रहा है। लेकिन क्या हमें यह पता है कि हम सभी के लिए वन कितने महत्वपूर्ण हैं? आइए समझें कि किस तरह वन हमारे लिए फायदेमंद हैं:
- मिट्टी की खेती
- जल चक्र का विनियमन
- मिट्टी के कटाव की रोकथाम
- वातावरण में संतुलन बनाना
- हमें ऑक्सीजन देना
- जानवरों को प्राकृतिक आश्रय देना
- कार्बन डाइऑक्साइड और ऑक्सीजन के स्तर पर जांच रखना
- तापमान का विनियमन
- पेड़ की बीमारी को रोकना
वनों को अक्सर इसलिए संरक्षित किया जाता है क्योंकि वे प्राकृतिक आपदाओं के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करते हैं। जब वन क्षेत्रों को नष्ट किया जाता है तो मिट्टी भी खराब हो जाती है और इस प्रक्रिया को मिट्टी का कटाव कहा जाता है। पेड़ कार्बन अनुक्रमण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। जब पेड़ सड़ जाता है या इसे जलाया जाता है तो उसमें मौजूद कार्बन वायुमंडल में गैसीय रूप, यानी कार्बन डाइऑक्साइड, के रूप में वापस चले जाते हैं। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कार्बन डाइऑक्साइड एक ग्रीनहाउस गैस है तो वनों की कटाई की प्रक्रिया ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती है। अफसोस की बात है कि उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई विश्व ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन की दिशा में लगभग 20% योगदान देती है।
अगर हम अपने पर्यावरण की ओर योगदान देना चाहते हैं और इसे हमारी अगली पीढ़ी के लिए संरक्षित करना चाहते हैं तो इसके लिए हमारे सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता है। बेशक कोई भी गैरकानूनी या अनैतिक गतिविधि यानी पेड़ों को काटना और वन भूमि का सफाया होने से रोका जाना चाहिए। पेड़ इस धरती पर जीवित प्राणियों को बनाए रखने में मदद करते हैं। उनसे न केवल हमें सब्जियां, फल, जड़ी बूटियां और पौधों तथा पेड़ों से बनी औषिधी मिलती है बल्कि मनुष्य को जीवित रहने के लिए सांस लेने हेतु शुद्ध हवा और ऑक्सीजन भी मिलती है।
तो आइए इस अभियान में प्रतिज्ञा लें कि हम अपने जीवन में अधिक से अधिक पेड़ लगाएंगे और साथ ही साथ हमारी प्राकृतिक संपत्ति के संरक्षण में भी मदद करेंगे। मैं यहां मौजूद सभी लोगों के सुझाव भी आमंत्रित करता हूं ताकि वे अपने विचारों को साझा करें और इस अभियान को सफल बना सकें।
धन्यवाद!
भाषण – 3
सम्मानित कक्षाध्यापक और प्रिय मित्रों – आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार !!
मुझे बेहद खुशी है कि मुझे वनों की कटाई नामक विषय के बारे में बात करने के लिए कहा गया है। मैं प्रकृति प्रेमी हूं और नदियों और पेड़ों से के बीच रह कर खुद को भाग्यवान मानता हूं। इसलिए जब मैं प्रकृति पर हमला होता देखता हूं, पेड़ों को नष्ट होते देखता हूं और नदियों को प्रदूषित होते देखता हूं तो मुझे बहुत ख़राब लगता है और मैं सरकार से उन लोगों के खिलाफ सख्त उपाय करने के लिए आग्रह करना चाहता हूँ जो अपने स्वार्थी हितों के लिए प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं।
इस प्रकार क्षेत्र के संदर्भ में वनों की कटाई का मतलब वन भूमि का कम होना है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 7,000 मिलियन हेक्टेयर की वन भूमि वैश्विक स्तर पर भारी गिरावट का सामना कर रही है और वर्ष 2000 में इस भूमि का क्षेत्र 2,400 मिलियन हेक्टेयर तक पहुंच गया था। एक अनुमान के मुताबिक उष्णकटिबंधीय क्षेत्र की भूमि के 1% नुकसान की तुलना में समशीतोष्ण क्षेत्रों में हर वर्ष लगभग 40% वन भूमि क्षेत्र कम हो जाता है।
20वीं शताब्दी की शुरुआत में हमारे देश में वन भूमि का क्षेत्र पूरी भूमि का लगभग 30% था। हालांकि जब शताब्दी के अंत होने का समय आया तो यह 19.4% तक कम हो गया जबकि भारत की राष्ट्रीय वन नीति (1968) ने पहाड़ी क्षेत्रों के लिए 67% वन भूमि और मैदानी क्षेत्रों के लिए 33% वन भूमि सुझाई है। आइए समझें कि वनों की कटाई हमारे पर्यावरण को कैसे नुकसान पहुंचाता है।
वनों की कटाई पर्यावरण को कैसे प्रभावित करती है:
- इससे हमारे वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा में वृद्धि होती है।
- मिट्टी की गुणवत्ता बिगड़ जाती है क्योंकि यह पहले सूखती है और फिर पानी और हवा से नष्ट हो जाती है।
- वनों की कटाई वर्षा को भी कम करती है और सूखे का खतरा बढ़ाती है।
- यह गर्मियों को ठंडा और सर्दियों को गर्म बनाकर वातावरण में असंतुलन पैदा करता है।
- ईंधन के लिए लकड़ी की उपलब्धता बहुत कम हो गई है। इसके अलावा गम्स, लेटेक्स, रेसिन टैनिन और लाख जैसे उत्पाद कम उपलब्ध होते हैं।
- जंगलों की कमी के परिणामस्वरूप मिट्टी के कटाव और अंततः बंजर हो जाएगा जो पूर्ण रूप से कोई काम का नहीं है। बारिश की मात्रा में गिरावट के चलते उपजाऊ और नम वन भूमि रेगिस्तान में परिवर्तित हो जाती है और इस प्रकार बाढ़ की कोई खबर सुनने को नहीं मिलती।
रेगिस्तान और वनों की कटाई एक जैसे शब्द नहीं हैं तो चलिए दोनों के बीच अंतर को समझें:
- बंजर/रेगिस्तान
- यह एक उपजाऊ और नम भूमि का शुष्क रेगिस्तानी जगह में परिवर्तन से संबंधित है।
- तापमान या तो कम या उच्च हो जाता है।
- वाष्पीकरण से वर्षा बहुत कम हो जाती है।
- बाढ़ नहीं आता है।
- मृदा क्षरण के कारण भूमि बंजर होती है।
- निर्जलित भूमि पूर्ण तरीके से बंजर हो जाती है जिसे किसी भी रचनात्मक उपयोग के लिए प्रयोग में नहीं लाया जा सकता है।
- वनों की कटाई
- यह वन भूमि के क्षेत्र में कमी के बारे में है।
- यह मिट्टी के क्षरण का कारण बनता है।
- बारिश कम होने लगती हैं
- यह बाढ़ के संभावना को बढ़ाता है।
- संभावित से मध्यम तापमान प्रभावित हो जाता है।
इस प्रकार जब वनों की कटाई के कारण हमारे पर्यावरण पर इतना बुरा असर पड़ता है तो हमारी सरकार को इस अभ्यास पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देना चाहिए और लोगों के बीच अधिक से अधिक पेड़ लगाने के लिए जागरूकता फैलानी चाहिए। हालांकि अतीत में बहुत प्रचार और प्रसार किया गया है जैसे प्रसिद्ध चिप्को आंदोलन, साइलेंट वैली आंदोलन और टिहरी बांध विकास जैसे आंदोलनों ने लोगों के बीच जागरूकता फैलाई है और वनों और हमारी प्रकृति के संरक्षण के नेतृत्व के लिए प्रेरित किया है।
लेकिन यह अंत नहीं है क्योंकि आज की हमारी युवा पीढ़ी को स्थिति का महत्व समझना है तथा पेड़ और जंगलों की कटाई के खिलाफ लोगों के विवेक को जगाना है।
धन्यवाद!
भाषण – 4
प्रिय दोस्तों – आप सभी को मेरी ओर से नमस्कार!
यहां इकट्ठा होने और “पेड़ बचाने” के लिए चलाए हमारे अभियान के प्रति अपने सर्वोत्तम प्रयास देने के लिए आप सभी का धन्यवाद। यह कहना जरुरी नहीं कि पेड़ सभी जीवित प्राणियों के लिए जीवन का स्रोत है फिर भी मनुष्य उस स्रोत को नष्ट करने को उतारू है जो पृथ्वी पर हमारे अस्तित्व का कारण है। वनों की कटाई को हमारी सरकार द्वारा किसी भी स्तर पर प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि पेड़ों को काटने या जंगल और लकड़ी को जलाने की प्रक्रिया एक अच्छा काम नहीं है।
यह गतिविधि मनुष्य के उन स्वार्थी हितों को दिखाती है जिसमें वह अपने जीवन को आरामदायक और आसान बनाने के लिए कुछ भी कर सकता है। यह सच है कि बढ़ती आबादी के साथ वर्तमान आवासीय स्थान पर्याप्त नहीं हैं और इसलिए वन भूमि का उपयोग होता है। इसके अलावा धीमी गति से बढ़ने वाले पेड़ों को तेजी से बढ़ते पौधों और लकड़ी के साथ बदल दिया गया है जिसका अर्थ है कि जंगलों की मूल्यवान पारिस्थितिकी तंत्र के रूपांतरण अपेक्षाकृत कम मूल्यवान जैव-विविध पारिस्थितिक तंत्र जैसे वृक्षारोपण, फसल भूमि और चरागाह के साथ-साथ समाशोधन वर्षावन पेड़ों का सफाया।
वनों की कटाई से संबंधित दो मुद्दे मुख्य हैं। सबसे पहले हम सभी जानते हैं कि पेड़ CO2 अवशोषित करते हैं जिससे हमारे वायुमंडल से कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा कम हो जाती है। कार्बन ग्लोबल वार्मिंग की ओर एक प्रमुख योगदान कारक है और ऐसी गैसों के उत्सर्जन पर जांच करके ग्रीनहाउस प्रभाव को होने से भी रोका जा सकता है।
दूसरी चिंता का विषय यह है कि पेड़ों को अक्सर काट दिया जाता है और उनमें आग लगा दी जाती है। पेड़ से काटी लकड़ी को भी फेंक दिया जाता है और इसका उपयोग किसी रचनात्मक उद्देश्य के लिए भी नहीं किया जाता है। इसके अलावा लकड़ी जलने से वातावरण में कार्बन और अन्य खतरनाक ग्रीनहाउस गैसें उत्सर्जित होती हैं तथा पेड़ जिन्हें काट दिया जाता है वे भी वायुमंडल में इन हानिकारक गैसों को हटाने में मदद कर सकते हैं। उष्णकटिबंधीय वनों की कटाई भी ग्लोबल वार्मिंग को बढ़ाती हैं और सभी ग्रीनहाउस गैसों में लगभग अपना 20% योगदान देती है और वैश्विक बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालती हैं।
sवनों की कटाई क्यों होती है इसके निम्नलिखित कारण हैं: अतिसंवेदनशीलता, शहरीकरण, वैश्वीकरण और जलवायु। भवन निर्माण और खेती के उद्देश्यों के लिए जमीन प्राप्त करने हेतु पेड़ नियमित रूप से काट दिए जाते हैं। पेड़ों को तब लकड़ी के रूप में उपयोग किया जाता है।
वास्तव में कई अन्य देशों में वैश्वीकरण ने कारखानों और उद्योगों की बढ़ती जरूरतों के कारण वनों की कटाई की वजह से कार्बन डाइऑक्साइड के उत्सर्जन को जन्म दिया है। इस प्रकार हमारे पर्यावरण और निश्चित रूप से जीवित प्रजातियां प्रभावित होती हैं। चीन और भारत इस घटना के बड़े उदाहरण हैं। चीन एक बड़ा बाजार है जो दुनिया भर में कई उत्पादों का निर्माण और आपूर्ति करता है।
हालांकि मैं तथ्य यह जोड़ना चाहता हूं कि पेड़ों को हमेशा संरक्षित किया जाना चाहिए और उन्हें कभी भी काटा नहीं जाना चाहिए क्योंकि वे न केवल हमें विभिन्न खाद्य उत्पादों के साथ औषधीय पदार्थ प्रदान करते हैं बल्कि कार्बन डाइऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों को अवशोषित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारे वातावरण में पेड़ों की संख्या कम हो रही है और ग्रीन हाउस गैसों की उपस्थिति बढ़ रही है जिससे हमारी धरती का तापमान बढ़ रहा है। वनों की कटाई के हमारे पर्यावरण पर एक और सबसे बुरा प्रभाव सूखा और बाढ़ है। जब जंगलों को कटा जाता है तो पानी का सामान्य प्रवाह भी बाधित होता है जिससे असामान्य सूखे और बाढ़ की स्थिति बढ़ जाती है।
इसलिए हमें प्रकृति पर होते इन हमलों को रोकना चाहिए और दूसरों पर भी ऐसा ना करने के लिए नज़र रखनी चाहिए और अगर ऐसा कुछ हो तो उस लापरवाही की सजा सख्त होनी चाहिए। मुझे बस इतना ही कहना है!
धन्यवाद!