दशहरा जिसे विजय दशमी के नाम से भी जाना जाता है, यह हिन्दू धर्म के प्रमुख त्योहारों मे से एक है। दशहरा को बुराई पर अच्छाई के जीत के पर्व के रुप में मनाया जाता है, क्योंकि इस दिन ही नौ दिनो के युद्ध के पश्चात दुर्गा माता को महिषासुर पर विजय प्राप्त हुई थी तथा इसी दिन भगवान श्री राम ने भी रावण का वद्ध किया था। इसलिए इस दिन को विजय का दिन माना जाता है। हिन्दी माह के अंतर्गत यह त्योहार प्रत्येक वर्ष की अश्विन माह के शुक्ल पक्ष के दसवें दिन आता है। इस त्योहार को पूरे भारतवर्ष में अलग-अलग तरीके द्वारा बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है।
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दशहरा पर कवितायें (Poems on Dussehra in Hindi)
कविता 1
‘दशहरा का उमंग’
देखो दशहरे का त्योहार आया है,
लोगो के चेहरे पर मुस्कान लाया है।
आओ सब मिलकर मिटाए अँधियारा,
चारो ओर फैलाए अच्छाई का उजियारा।
साथ मिलकर खुशियों का यह त्योहार मनाए,
सब मिलकर खुशियों के दीप जलाए।
देखो चारो ओर फैला हुआ यह अनोखा उमंग,
कैसे फिजा में बिखरे हुए है यह मनमोहक रंग।
दशहरा है बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक,
इस दिन लोग गाते है खुशियों के नये गीत।
आज के दिन हुआ था श्री राम-रावण युद्ध का अंत,
जीत हुई सच्चाई की लोगो को मिली खुशिया अनंत।
सबको रावण जलता देख मिलती खुशियां आपार,
इसीलिए तो दशहरा का दिन लाता है नया बहार।
हमें भी करना है इस वर्ष कुछ नया कार्य,
शपथ लो अच्छी बातों का छोड़ो सब दुर्विचार।
तो आओ हम सब मिलकर झूमें गाये,
साथ मिलकर दशहरा का यह त्योहार मनाये।
————Yogesh Kumar SIngh
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कविता 2
‘दशहरा का त्योहार’
आज आ गया दशहरा का त्योहार,
जो लाता है सबके लिए खुशिया आपार।
इस दिन हुई थी बुराई पर अच्छाई की जीत,
तभी तो दशहरा है सच्चाई और भक्ति का प्रतीक।
इस दिन दिखती है सच्चाई की अभिव्यक्ति,
कयोंकि इस दिन दिखी थी सच्चाई की प्रचंड शक्ति।
लेकिन लोगो का हो गया है रुपांतरित विचार,
हर तरफ दिख रही बुराई तथा भ्रष्टाचार।
इस कलियुग में भी कम नही है राम का नाम,
ना जाने कैसे लोग करते है गलत काम।
इस दिन हुआ था राम राज्य का आरंभ,
पतन हुआ रावण का टूटा था उसका दंभ।
दशहरा पर अपने अंदर के रावण का करेंगे विनाश,
देश दुनियां में अच्छाई को फैलाने का करेंगे प्रयास।
तो आओ इस दशहरा पर मिलके ले यह प्रण,
बुराई का अंत करके अपनायेंगे हम अच्छा आचरण।