भारत में चुनावों का आयोजन भारतीय संविधान के द्वारा गठित किये गये भारत निर्वाचन आयोग द्वारा किया जाता है। भारत निर्वाचन आयोग को भारत के एक काफी योग्य संस्था का दर्जा प्राप्त है, इसके साथ ही संविधान द्वारा इसे कई विशेष शक्तियां भी प्राप्त है। एक बार चुनाव प्रक्रिया के आरंभ हो जाने पर कोई भी न्यायपालिका चुनाव आयोग द्वारा परिणाम घोषित किये जाने तक किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नही कर सकती है।
भारत निर्वाचन आयोग पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on Election Commission of India in Hindi, Bharat Nirvachan Ayog par Nibandh Hindi mein)
निबंध – 1 (300 Words)
प्रस्तावना
भारत निर्वाचन आयोग एक संवैधानिक संस्था है, जिसके द्वारा देश भर में होने वाले प्रमुख चुनावों की निष्पक्ष देखरेख की जाती है। इसकी स्थापना 25 जनवरी 1950 को हुई थी और इसके द्वारा लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा तथा राष्ट्रपति पद जैसे प्रमुख चुनावों की देखरेख की जाती है।
भारत निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली
भारत के संविधान द्वारा भारत निर्वाचन आयोग को विभिन्न शक्तियां प्रदान की गई हैं। जो इसे चुनावों के दौरान स्वयत्ता से कार्य करने में सहायता प्रदान करती हैं। निर्वाचन आयोग की अध्यक्षता मुख्य चुनाव आयुक्त द्वारा की जाती है, इसके साथ ही उसके सहायता के लिए अन्य दो चुनाव आयुक्त भी होते हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। मुख्य चुनाव आयुक्त का पद भी सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के बराबर वेतनमान और सम्मान का ही होता है। मुख्य चुनाव आयुक्त को भी मात्र संसद के महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है।
निर्वाचन आयोग की कार्यप्रणाली एवं शक्तियां
निर्वाचन आयोग के पास निम्नलिखित शक्तियां होती है, जो चुनावों को सुचारु रुप से संपन्न कराने में उसकी सहायता करती है।
1.निर्वाचन आयोग के पास यह उत्तरदायित्व है कि संविधान द्वारा बताये समयांतराल पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, लोकसभा, विधानसभा के पदों पर निष्पक्ष रुप से चुनाव करवाये।
2.चुनाव के पूर्व निर्वाचक नामावली तैयार करना तथा उसमें संसोधन करना।
3.राजनैतिक दलों को को राष्ट्रीय या फिर राज्य स्तरीय स्तर पर मान्यता देना।
4.राजनैतिक दलों तथा निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह जारी करना।
5.सासंद या विधायक के अयोग्यता पर राष्ट्रपति/राज्यपाल को सुझाव देना।
6.गलत निर्वाचन उपायों या धांधली करने वालों को अयोग्य घोषित करना।
7.चुनावी व्यवस्था की देखरख एवं चुनाव परिणाम घोषित करवाना।
निष्कर्ष
अपने इन्हीं शक्तियों और कार्यप्रणाली के वजह से भारत निर्वाचन आयोग चुनावों के दौरान निष्पक्ष रुप से कार्य कर पाता है और देशभर में चुनावों को सरलता से संपन्न करवा पाता है। अपने इन्हीं कार्यों के वजह से इसे देश में लोकतंत्र को बनाये रखने वाले सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक माना जाता है।
निबंध – 2 (400 Words)
प्रस्तावना
भारत निर्वाचन आयोग संविधान अनुसार स्थापित एक संवैधानिक निकाय है। जिसका कार्य भारत में विभिन्न चुनावों को निष्पक्ष रुप से कराना है। इस कार्य के लिए इसे संविधान द्वारा कई विशेष शक्तियां भी प्रदान की गयी। देश के आजादी के बाद से अबतक कई बार चुनाव हो चुके हैं। जिसमें इस संस्था की अपनी एक अहम भूमिका रही है।
भारत निर्वाचन आयोग का ढांचा
भारत निर्वाचन आयोग का मुख्यालय नई दिल्ली में स्थित है, जिसमें कुल 300 कर्मचारी है। इस सचिवालय में मुख्य चुनाव आयुक्त और महानिदेशक वरिष्ठ अधिकारी होते हैं। मुख्य निर्वाचन आयुक्त को भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। इस पद का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो मानी जाती है और मुख्य निर्वाचन आयुक्त वेतन तथा पद सम्मान सर्वोच्च न्यायलय के न्यायधीश के ही बराबर होता है। इसके साथ ही मुख्य निर्वाचन आयुक्त को समय से पहले उसके पद से मात्र महाभियोग द्वारा ही हटाया जा सकता है।
भारतीय चुनावों में चुनाव आयोग की भूमिका
भारत निर्वाचन आयोग के बिना भारतीय चुनावों की कल्पना भी नही की जा सकती है। भारत निर्वाचन आयोग द्वारा इस बात का ध्यान रखा जाता है कि नियमानुसार एक निश्चित अंतराल पर देश में निष्पक्ष रुप से लोकसभा, विधानसभा, राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण चुनाव अवश्य हो। इन चुनावों का सफलतापूर्वक संचालन व कार्यन्वन दोनों ही चुनाव आयोग के ही उपर होता है।
यही कारण है कि इसका स्वायत्त होना भी बहुत ही आवश्यक है क्योंकि हमारे देश में लोकतांत्रिक चुनाव हिंसा से मुक्त नही रहे है, यही कारण है कि इसे चुनावों के दौरान लोगों की देखरेख करने और उल्लंघन करने वालों को सजा देने की शक्ति भी प्राप्त है। भारत निर्वाचन आयोग एक सामान्य उम्मीदवार से लेकर प्रधानमंत्री तक के ऊपर कारवाई कर सकता है। इसके साथ ही चुनाव आयोग सरकार को समय-समय पर चुनाव प्रक्रिया में महत्वपूर्ण संसोधनों की सलाह भी देता है।
भारतीय चुनाव प्रणाली में अबतक कई संसोधन हो चुके है और इनका मुख्य श्रेय यदि किसी को जाता है तो वह भारत निर्वाचन आयोग ही है। जैसे कि चुनावी प्रक्रिया को तेज, पारदर्शी तथा और भी विश्वसनीय बनाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को लागू करवाना। 2004 चुनावों से मतदान में घोटालेबाजी को रोकने के लिए मतदान पहचान पत्र को अनिवार्य करवाना। ईवीएम मशीन पर सवाल उठाये जाने पर 2019 के चुनावों से अधिक पारदर्शी वीवीपैट मशीनों के उपयोग को शुरु करवाना आदि।
निष्कर्ष
भारतीय लोकतंत्र की सफलता में में भारत निर्वाचन आयोग की एक महत्वपूर्ण भूमिका है क्योंकि तमाम बाधाओं के बावजूद भी इस संस्था द्वारा भारत के चुनावों को सफलतापूर्वक संपन्न कराया जाता है। अपने इसी प्रमुख कार्य के कारण इसे दूसरे किसी अन्य सरकारी तंत्रों तथा संस्थाओं से अधिक स्वतंत्रता प्राप्त है। इसकी इन्हीं विशेषताओं के कारण भारतीय चुनावों में इसके महत्वपूर्ण भूमिका को नकारा नही जा सकता है।
निबंध – 3 (500 Words)
प्रस्तावना
भारत निर्वाचन आयोग एक स्वतंत्र संस्था है, जिसका मुख्य कार्य इस बात को पूरा करना है कि भारत में होने वाले चुनाव निष्पक्ष तथा बिना किसी समस्या के संपन्न हों। इसके साथ ही इसके द्वारा चुनाव तिथी की घोषणा करना, उम्मीदवारों तथा पार्टियों को चुनाव चिन्ह प्रदान करना, चुनावों का संचालन करना, चुनाव परिणाम की घोषणा करने जैसे महत्वपूर्ण कार्य किये जाते हैं।
भारत निर्वाचन आयोग के प्रमुख कार्य
भारत निर्वाचन आयोग द्वारा कई सारे महत्वपूर्ण कार्य किये जाते हैं। जिनके बिना सही और निष्पक्ष रुप से चुनाव कराना बिल्कुल ही असंभव हो जायेगा। इन्हीं में से कुछ महत्वपूर्ण कार्यों के विषय में नीचे चर्चा की गयी है।
चुनाव तिथी की घोषणा करना
यह चुनाव प्रक्रिया का सबसे आरंभिक और महत्वपूर्ण कार्य होता है। जिसमें निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव से कुछ दिनों पहले चुनाव की तारीखों की घोषणा की जाती है। जिसके अनुसार ही यह तय होता है किन जगहों पर किस चरण तथा तारीख में चुनाव होगें।
नमांकन
यह भी चुनाव प्रक्रिया का एक अहम हिस्सा है, जिसकी देखरेख चुनाव आयोग द्वारा की जाती है। इसके अंतर्गत जो भी व्यक्ति चुनाव के अहर्ताओं को पूरा करता है, वह प्रत्याशी के रुप में अपना नामाकंन करा सकता है। इसके लिए सर्वप्रथम निश्चित संख्या में मतदाताओं द्वारा प्रत्याशी का नाम जिला निर्वाचन अधिकारी के सामने प्रस्तुत किया जाना चाहिए। इसके बाद प्रत्याशी को अपना नामांकन पत्र भरकर तय जमानत राशि जमा करते हुए अपना नामांकन कराना होता है।
नामांकन वापस लेना
यदि कोई प्रत्याशी नामांकन कराने के पश्चात किसी कारण से चुनाव नही लड़ना चाहता है तो इसके लिए नामांकन वापस लेने का भी प्रावाधान है। जिसके अंतर्गत उसे भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्धारित अवधि के अंदर अपना नामांकन वापस लेना होता है।
चुनाव चिन्ह
यदि प्रत्याशी चुनाव लड़ने योग्य पाया जाता है और वह चुनाव प्रक्रिया की सारी अहर्ताओं को पूरा करता है तो भारत निर्वाचन आयोग द्वारा प्रत्याशी का नामांकन स्वीकार करते हुए, उसे चुनाव चिन्ह आवंटित किया जाता है। हालांकि यदि कोई प्रत्याशी किसी पार्टी से चुनाव लड़ता है, तो चुनाव आयोग द्वारा इसकी पुष्टि करके उस व्यक्ति को संबंधित पार्टी का चुनाव चिन्ह प्रदान किया जाता है।
आचार संहिता की देखरेख करना
यह कार्य भारत निर्वाचन आयोग के सबसे प्रमुख कार्यों में से एक है क्योंकि चुनावी प्रक्रिया पर अमल करते हुए, चुनाव आयोग द्वारा इस बात का भी ध्यान दिया जाता है कि कोई भी प्रत्याशी या पार्टी चुनावी नियमों के अनुसार ही प्रचार-प्रसार तथा व्यवहार करें। यदि चुनाव आयोग किसी व्यक्ति को इन नियमों का उल्लंघन करते हुए पाता है तो वह आवश्यकता अनुसार उसपर कारवाई भी कर सकता है।
परिणाम की घोषणा
यह चुनावी प्रक्रिया का सबसे आखरी दौर होता है, जो चुनावों के संपन्न होने के कुछ दिन बाद होता है। इसके अंतर्गत भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मतों की गिनती करते हुए विजयी प्रत्याशियों की घोषणा की जाती है। यह चुनावी प्रक्रिया का सबसे अहम दौर होता है क्योंकि इसी के आधार पर तय होता है कि देश या प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी।
निष्कर्ष
भारतीय चुनावी प्रक्रिया में भारत निर्वाचन आयोग के योगदान को नकारा नही जा सकता है क्योंकि इसके द्वारा पूरे घटनाक्रम की देखरेख की जाती है और इस बात का ध्यान रखा जाता है कि हमारे देश में चुनाव आसान तथा निष्पक्ष रुप से संपन्न हों। यही कारण है कि भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने में भारत निर्वाचन आयोग का योगदान इतना महत्वपूर्ण माना जाता है।
निबंध – 4 (600 Words)
प्रस्तावना
भारत निर्वाचन आयोग भारत की एक स्वतंत्र सरकारी संस्था है, जिसका गठन 25 जनवरी 1950 को हुआ था। इसका कार्य भारत में होने वाले कई प्रमुख चुनावों की देखरेख करना और उन्हें सफलतापूर्वक संपन्न कराना है। संविधान द्वारा भारत निर्वाचन आयोग को कई विशेष शक्तियां प्रदान की गई हैं। जिनके विषय में संविधान के अनुच्छेद 324 में विस्तार से बताया गया है। इसके ऊपर चुनाव का काफी बड़ा दायित्व होता है, जो इसे भारत की सबसे महत्वपूर्ण तथा आवश्यक संस्थाओं में से एक बनाता है।
भारत निर्वाचन आयोग को प्राप्त विशेष शक्तियां
भारत की एक महत्वपूर्ण सरकारी संस्था होने के कारण भारत निर्वाचन आयोग कई सारी विशेष शक्तियां प्राप्त हैं। सुप्रीम कोर्ट के निर्णय अनुसार संविधान के अनुच्छेद 324 में निर्वाचन आयोग को कई विशेष शक्तियां प्राप्त हैं। जिसके अनुसार निर्वाचन आयोग की शक्तियां कार्यपालिका द्वारा नही नियंत्रित हो सकती हैं। हालांकि निर्वाचन आयोग विधायिका निर्मित विधि का उल्लँघन नहीं कर सकता है क्योंकि इसके निर्णय न्यायिक पुनरीक्षण के पात्र होते है।
इसके साथ ही चुनाव आयोग चुनाव का कार्यक्रम निर्धारित करता है और दलों तथा निर्दलीय उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह भी आवंटित करता है। भारत में चुनाव और उससे जुड़े सभी कार्यों की शक्तियां निर्वाचन आयोग को ही प्राप्त है और यही उसका एकमात्र कार्य है। किसी भी स्थान पर निष्पक्ष तथा ईमानदारी से चुनाव करवाने के लिए भारत निर्वाचन आयोग को असीमित शक्तियां प्राप्त है।
भारत निर्वाचन आयोग की आवश्यकता
भारत में निष्पक्षा से चुनाव करवाने में भारत निर्वाचन आयोग की एक बड़ी भूमिका है यही कारण है की इसके आवश्यकता पर सवाल नही उठाया जा सकता है। यदि यह संस्था ना हो तो चुनाव करवाने में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो जायेंगी। यदि यह कार्य किसी अन्य सरकारी या गैरसरकारी संस्था को दिया जाये तो उसके स्वयत्ता पर भी सवाल उठ सकता है क्योंकि भारत निर्वाचन आयोग की विशेष शक्तियां ही इसे दूसरे अन्य संस्थाओं से भिन्न बनाती है।
चुनाव से जुड़े विषयों में भारत निर्वाचन आयोग को पूर्ण रुप से स्वतंत्रता प्राप्त है। यही कारण है कि यह निश्चित समयातंराल पर होने वाले चुनावों की तारीख जारी करने से लेकर चुनावों के नतीजे जारी करने जैसे सारे कार्य करता है। इस संस्था के सतर्कता और सुझावों के कारण ही चुनावों में होने वाले धांधलियों में कमी आई है और कई विशेष सुधार हुए है। यह बाते इस बात को साबित करती हैं कि हमारे देश में निष्पक्ष तथा पारदर्शी चुनावों के लिए भारत निर्वाचन आयोग जैसी संस्था का होना बहुत ही आवश्यक है।
भारत निर्वाचन आयोग का महत्व
भारत निर्वाचन आयोग हमारे देश की एक बहुत ही महत्वपूर्ण संस्था है। आजादी के बाद से अबतक हमारे देश में कई सारे चुनाव हुए हैं। जिनका नेतृत्व चुनाव आयोग द्वारा किया गया है। जैसा कि हम सब जानते है कि किसी भी लोकतंत्र में एक निश्चित अंतराल पर चुनावों का होना बहुत ही आवश्यक है। इसलिए चुनावों को निष्पक्ष रुप से कराने के लिए एक संस्था की भी आवश्यकता होती है, यही कारण है कि भारत निर्वाचन आयोग का अस्तित्व हमारे देश में निष्पक्ष तथा पारदर्शी चुनावों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
निष्कर्ष
भारत निर्वाचन आयोग का निर्माण भारत में चुनावों का निष्पक्ष संचालन करने के लिए हुआ था। आजादी के बाद से हमारे देश में कई सारे चुनाव हो चुके हैं, जिनका चुनाव आयोग द्वारा काफी अच्छे तरीके से संचालन किया गया है। इसके साथ आयोग के सुझावों पर सरकार द्वारा चुनाव प्रक्रिया में ईवीएम मशीन, वीवीपैट, मतदान आयु में कमी जैसे महत्वपूर्ण परिवर्तन भी हुए है। भारत निर्वाचन आयोग ने देश अपने योगदान के जरिये देश के लोकतंत्र को और भी मजबूत किया है। यही कारण है कि इसे भारत के सबसे महत्वपूर्ण संस्थाओं में से एक माना जाता है।
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