काला धन मूल रूप से अवैध तरीके से प्राप्त आय का संग्रह है। इसे मुख्यतः टैक्स के उद्देश्य हेतु घोषित नहीं किया जाता। काले धन का मुद्दा भारत में प्रचलित है और सरकार ने हाल ही में इसके निपटान के लिए कठोर कदम उठाए हैं। अवैध तरीके से अर्जित धन काले धन के रूप में जाना जाता है। काले धन को पैदा करने के कई स्रोत हैं और लोग समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने के बावजूद दशकों से यह काम अभ्यास में ला रहे हैं।
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काला धन मूल रूप से काला बाजार में अर्जित धन है। यह वह राशि है जो सरकार से छिपाई गई है ताकि टैक्स अदायगी से बचा जा सके। काले धन के संचय से समाज पर कई नकारात्मक नतीजे देखने को मिलते हैं जिनमें आर्थिक और सामाजिक असमानता प्रमुख हैं। अब सवाल यह है कि जब काले धन के इतने नकारात्मक प्रभाव हैं तो सरकार इस समस्या का उन्मूलन करने के लिए कदम क्यों नहीं उठा रही है? दरअसल सरकार काले धन से देश को मुक्त करने के प्रयास कर रही है लेकिन इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए अपनाई गयी नीतियां कारगर नहीं साबित हो रही है।
काले धन के स्रोत
यह कहने की ज़रूरत नहीं कि आयकर, राज्य कर, निगम कर, उत्पाद शुल्क और सीमा शुल्क सहित विभिन्न प्रकार के करों की चोरी काले धन को पैदा करने की कुंजी है। यहां काले धन के विभिन्न स्रोतों पर एक नजर डाली गई है:
काले धन को नियंत्रित करने के कुछ उपाय
उच्च कर की दर को कम करना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना, विदेशो में जमा पैसो को देश वापस लाना, सरकार द्वारा कुछ ठोस योजना तैयार करना, जो टैक्स देते है उनको सरकार द्वारा बिमा प्रदान करना या सरकारी योजनाओ में लाभ पहुँचाना जैसी कई तरीके है जिससे लोग टैक्स देने के लिए प्रेरित हों और खुद व खुद काला धन संचय न करें।
निष्कर्ष
दशकों से काले धन की समस्या हमारे समाज में कायम रही है। वर्तमान सरकार ने अपने चुनावी वायदों में विदेशो में जमा काला धन वापस लाने का वादा किया था, लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया। सरकार ने नोटबंदी की लेकिन वो भी असरदार साबित नहीं हुआ। यह सही समय है कि सरकार को इस बुराई के चंगुल से देश को मुक्त करने के लिए एक सफल योजना तैयार कर उस पर काम करना चाहिए।
इसे यूट्यूब पर देखें : काला धन
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काले धन की समस्या इन दिनों हमारे देश की प्रमुख समस्याओं में से एक है। यह आर्थिक असमानता की सूची में प्रथम स्थान पर है जो सामाजिक असमानता को बढ़ावा देता है जिससे देश में कई समस्या पनपती है। इस समस्या को बढ़ावा देने में कई कारक हैं। इनमें से कुछ में कर की उच्च दर, जीवित रहने की लागत, मुद्रास्फीति, उत्पाद शुल्क की अलग दरें और अचल संपत्ति उद्योग शामिल हैं।
काले धन की समस्या को नियंत्रित करने के तरीके
काले धन की समस्या को नियंत्रित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह देश के विकास और प्रगति को काफी हद तक बाधित कर रहा है। यहां कुछ ऐसे तरीके बताए गए हैं जिनमें हम इस समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं:
निष्कर्ष
हालांकि मोदी सरकार ने इस अवैध धन संचय को तोड़ने के लिए राजनैतिकता का कदम उठाया है परन्तु इस समस्या को कम करने के लिए अभी भी बहुत कुछ किया जाना चाहिए। लोगों को कर का भुगतान करने के महत्व को समझना चाहिए और काले धन का ध्यान केंद्रित करने से बचना चाहिए। करों के रूप में प्रत्येक नागरिक का छोटा सा भी योगदान देश के विकास में मदद करता है।
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काला धन वह पैसा है जिस पर कर का भुगतान नहीं किया जाता। इसे सरकार से छिपा दिया जाता है ताकि कर से छूट मिल सके। टैक्स का भुगतान न करने और इससे बचने के लिए अपने पैसे को बचाए रखने के लोगों के पास कई साधन हैं। जिस तरह से सरकार ने हाल ही में इस समस्या को रोकने की कोशिश की है उनमें से कुछ बिन्दुओं पर यहाँ एक नज़र डाली गई है।
विदेशों में जमा हुआ काला धन
कई बड़े व्यापारिक पुरुष, मंत्री और मशहूर हस्तियां विदेशी बैंकों में अपने पैसे जमा करने के लिए जाने जाते हैं। हालांकि विदेशी बैंक में भारतीयों द्वारा जमा की गई कुल राशि का अनुमान किसी को नहीं है। ऐसा देखा गया है कि कई रिपोर्टें सामने आई हैं जो अनुमान लगाती हैं कि भारतीयों द्वारा अपने विदेशी खातों में जमा की गई धन राशि कितनी है। इनमें से एक रिपोर्ट के मुताबिक स्विट्जरलैंड में $1.06 ट्रिलियन जमा हुई है जबकि एक अन्य रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीयों के स्विस बैंक के खातों में करीब 2 अरब अमेरिकी डालर जमा हुए हैं। यह भी दावा किया गया है कि विदेशी खातों में भारतीयों का अवैध धन 500 अरब अमेरिकी डॉलर के आसपास है।
नोटबंदी – काले धन के उन्मूलन करने की ओर एक कदम
2016 में मोदी सरकार ने काले धन की समस्या को खत्म करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया था। 8 नवंबर 2016 को नरेंद्र मोदी ने घोषणा की कि आधी रात से 500 और 1000 रुपये के नोट कानूनी रूप से अवैध हो जायेंगे। 2000 रुपए और 500 रुपए के नोटों को चलन में लाया गया था। पुराने नोटों को परिसंचरण से पूरी तरह बंद कर दिया गया था। सरकार के अनुसार यह कार्रवाई काला धन संचय को कम कर देगी और अवैध व्यवसायों और गतिविधियों को खत्म कर देगी। हालाँकि फिर से 2023 में 2000 के नोटों को बंद कर दिया गया, और भारत में अभी सबसे बड़ा नोट 500 का है।
पुरानी मुद्रा के नोटों की वापसी और नए नोटों की कमी की घोषणा ने अचानक देश में कहर बरसाया था और कई हफ्तों तक विभिन्न क्षेत्रों में सामान्य कार्य को बाधित किया था। इस निर्णय को जनता से मिश्रित प्रतिक्रियाएं मिली था। कई लोगों ने इस फैसले की इसलिए निंदा की क्योंकि इसने केवल सामान्य जनता के लिए असुविधा उत्पन्न की था। इस खराब योजना की आलोचना देश भर में की गई था। सरकार के विरोध में देश के विभिन्न हिस्सों में जनता सड़कों पर उतर आई थी।
हालांकि सरकार ने दावा किया था कि यह कदम समाज की समग्र स्थिति में सुधार लाने के उद्देश्य से उठाया गया है और लोगों को लंबे समय तक इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई देंगे।
नोट बंदी का असर
इस कदम की कई लोगों ने निंदा और आलोचना की थी। इस योजना के सकारात्मक प्रभावों पर एक नजर इस प्रकार है:
निष्कर्ष
काले धन का मुद्दा देश को परजीवी की तरह खा रहा है। नोटबंदी ने कुछ समय के लिए अपना असर दिखाया लेकिन या ऊट के मुँह में जीरा साबित हुआ। इस मुद्दे से छुटकारा पाने के लिए सरकार को कुछ ठोस कदम उठाने पड़ेंगे।
लोग अलग-अलग स्रोतों से पैसा कमाते हैं और इसे उजागर नहीं करते ताकि वे टैक्स का भुगतान करने से बच सकें। जिस जमा हुए धन पर कर नहीं दिया जाता है उसे काले धन के रूप में जाना जाता है। लंबे समय से हमारे देश में काले धन की समस्या प्रचलित रही है। इस समस्या में योगदान करने वाले कई कारक हैं
काले धन के कारण
यहां विभिन्न कारणों पर एक नजर डाली गई है जो भारत में काले धन की समस्या का कारण है:
भारत में कर की दर काफी अधिक है। टैक्स और कर्तव्यों में वृद्धि ने लोगों को अवैध धन संचय का मार्ग लेने के लिए मजबूर किया है। देश में कर मुक्त आय सीमा केवल रु 25,000/- है। इन दिनों जब महंगाई इतनी अधिक है तो यह राशि घर चलाने के लिए पर्याप्त नहीं है। यही कारण है कि जिन पेशेवरों की कमाई अधिक होती है वे अपनी आय को छिपाने का काम करते हैं ताकि उन्हें कर का भुगतान न करना पड़े।
कुछ मूल्य वस्तुएं जैसे कि उर्वरक, चीनी, सीमेंट आदि की कीमत सरकार द्वारा मूल्य नियंत्रण नीति के माध्यम से विनियमित होती है। यह नीति कठोर है और इस पर बाजार में उतार-चढ़ाव से कोई फ़र्क नहीं पड़ता। निजी निर्माताओं और खुदरा विक्रेताओं ने इस नीति का लाभ उठाया है जिसके परिणामस्वरूप काला धन एकत्रित होता है।
उत्पाद की गुणवत्ता के आधार पर सरकार ने उत्पाद शुल्क के लिए अलग दरें निर्धारित की हैं। उत्पाद शुल्क की उच्च दर का भुगतान करने से बचने के लिए उत्पादक कई बार उत्पाद की दर को कम कर देते हैं। इससे काला धन उत्पन्न होता है।
रियल एस्टेट लेनदेन में भारी मात्रा में पैसों का लेनदेन शामिल होता हैं। लोग अचल संपत्ति लेनदेन के माध्यम से काला धन जमा करते हैं I सस्ती दर पर संपत्ति खरीदकर और कीमतों में बढ़ोतरी होने के बाद बेचना एक आकर्षक व्यवसाय बन गया है जिसके फ़लस्वरूप बहुत सा काला धन उत्पन्न होता है।
सरकार ने निर्यात, आयात और विदेशी मुद्रा के लिए एक निश्चित कोटा तय किया है। हालांकि यह लोगों के लाभ के लिए निर्धारित किया जाता है लेकिन इसका इस्तेमाल अक्सर काले धन को जमा करने के लिए किया जाता है।
उच्च मुद्रास्फीति की दर को काले धन के कारणों में से एक माना जाता है।
काले धन का प्रभाव
काले धन से न केवल देश की आर्थिक स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है बल्कि इसके प्रतिकूल सामाजिक परिणाम भी होते हैं। इससे देश में आर्थिक असमानता उत्पन्न होती है जो निस्संदेह सामाजिक असमानता का आधार है। इस तरह की प्रथाएं ही कारण हैं कि यहां पर धनी लोग और अमीर हो रहे हैं और गरीब की हालत बदतर हो रही है। सामाजिक असमानता लोगों के बीच हताशा को बढ़ा देती है जिससे डकैती, रिश्वतखोरी आदि अपराध जन्म लेते हैं।
टैक्स चोरी का यह भी मतलब है कि देश की विकास के लिए इस्तेमाल की जाने वाली राशि सरकार तक नहीं पहुंच पाई। अगर सरकार को पर्याप्त राजस्व नहीं मिलता है तो वह देश के विकास और गरीब वर्गों के उत्थान के लिए नई परियोजनाएं नहीं बना पाएगी।
जिन देशों में लोग धार्मिक रूप से करों का भुगतान करते हैं वह देश उन देशों की तुलना में कहीं ज्यादा बेहतर होते हैं जहां काला धन भारी मात्रा में जमा होता है।
निष्कर्ष
काले धन के मुद्दे को खत्म करने के लिए सरकार ने कुछ कउठाए हैं। हाल ही में इस दिशा में उठाए गए प्रमुख कदमों में से एक नोट बंदी का फ़ैसला था। हालांकि इस कदम से काले धन को दूर करने में कुछ हद तक सफलता मिली है वहीँ कई लोगों ने इसकी निंदा भी की है। नोट बंदी से मदद मिली पर यह मदद निश्चित रूप से पर्याप्त नहीं थी। इस बुरी प्रथा को रोकने के लिए और भी बहुत कुछ करने की ज़रूरत है। सरकार को इस समस्या को रोकने के लिए अधिक प्रभावी उपाय बनाने चाहिए और याद रखिए सरकार अकेले इस मुद्दे को समाप्त नहीं कर सकती। अगर देश का प्रत्येक नागरिक इस ओर योगदान दे तो उसे रोका जा सकता है।
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