“सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ, ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ।” ‘राहुल सांकृत्यायन’ का ये प्रसिद्द उदाहरण उन लोगों के लिए है जिन्हें घूमना बहुत ही पसंद और अच्छा लगता है। आनंद या खुशी प्राप्त करने का एक जरिया घूमना या यात्रा करना भी है। जिन लोगों को घूमने में मजा आता है, ऐसे लोग विभिन्न जगह घुमने जाना पसंद करते है। वो कुछ ऐसी जगह जाना पसंद करते है, जहां के बारे में वो जानकारी और प्राकृतिक या प्राचीन कलाकृतियों और उनकी सुंदरता का आनद ले सकें। घूमने का शौख मुझे भी बहुत है। नयी जगहों पर जाना, वहां के बारे में जानना, वहां की सुंदरता को निहारना, इत्यादि चीजें मुझे अपनी ओर आकर्षित करती है। मुझे रोमांचित और प्राकृतिक जगहों पर जाना बहुत अच्छा लगता है।
मैं इस निबंध में अपने हिल स्टेशन/पर्वतीय स्थल दौरे के अनुभव को बताने जा रहा हूँ। मुझे उम्मीद है ये आपकी पढ़ाई में सहायक होगी।
परिचय
भारत विभिन्न ऋतुओं का एक देश है। गर्मी के दिनों में दक्षिणी और मध्य भारत बहुत ही गर्म हो जाता है और यहां गर्मियों का मौसम एक लम्बी अवधी तक बना रहता है। ऐसे में इस मौसम और गर्मी से राहत पाने के लिए हम गर्मियों के दिनों में विभिन्न हिल स्टेशनों/पर्वतीय स्थलों पर जाने का मन बनाते है। इस तरह के स्थल पर जाना हमारे लिए रोमांच, आनंददायी, गर्मियों से राहत और प्रकृति से निकटता को दर्शाता है।
हिल स्टेशन/पर्वतीय स्थल किसे कहते है?
हिल स्टेशन मनमोहक पहाड़ियों के एक झुण्ड को कहते है। यहां पहाड़ों की खूबसूरती के अलावा प्राकृतिक सुंदरता भी होती है। एक ऐसा दृश्य जो आखों को चकाचौंध के साथ मन को ठंडक और शांति प्रदान करती है। ऐसी जगह की जलवायु में मन के साथ-साथ शरीर को ठंडक पहुंचाने वाला वातावरण होता है। उचाईयों पर होने के कारण ऐसे स्थान हमेशा ठंडे होते है, इसलिए गर्मियों के दिनों में ऐसे स्थानों पर बहुत सुकून मिलता है।
हिल स्टशनों की उचाई भारत में लगभग 1000 मीटर से लेकर 2500 मीटर तक होती है। ऐसे स्थान लोगों के लिए बहुत मनमोहक और रोचक होते है, क्योंकि ऐसे स्थानों में भगवान की प्राकृतिक सुंदरता निहित या शामिल होते है। भारत में ऐसे कई हिल स्टेशन है जहाँ गर्मियों के दिनों में लोग गर्मी से छुटकारा पाने के लिए और प्राकृतिक सुंदरता को देखने के लिए जाना पसंद करते है।
हिल स्टेशन पर जाने का मेरा अनुभव
मेरे आपके और हम सभी की इच्छा होती है की कभी घूमने का मौका मिले तो किसी खूबसूरत से हिल स्टेशन पर जाये, या ऐसे स्थान पर जो आपके मन को मोहता हो, जिसके बारे में आपने किसी से सुना हो, तस्वीरों या फिल्मों में देखा हो ऐसी जगहों पर जाना ज्यादा पसंद करते है। मुझे भी एक ऐसा मौका मिला, और मैं उन खूबसूरत वादियों के ख्यालों में खो गया। मैं हमेशा सोचता हूँ की वो लोग कितने भाग्यशाली है जो पहले से ही ऐसी खूबसूरत जगहों पर रहते है। उन्हें रोज चारों तरफ फैली प्राकृतिक मनमोहक दृश्य देखने को मिलता होगा और वो इसे देख आनंदित होते होंगे।
इसी दौरान मुझे अपने परिवार के साथ हिल स्टेशन पर जाने का मौका मिला। उस समय मेरे मन में बहुत रोमांच और खुशी से भरा था। मुझे उत्तराखंड के एक प्रसिद्द हिल स्टेशन मसूरी जाने का मौका मिला। यह जगह काफी मनोरम और सुंदर है जो पहाड़ियों और प्राकृतिक सुंदरता से घिरा हुआ है।
जिस दिन से मैंने मसूरी जाने के बारे में सुना था उस दिन से मैं काफी रोमांचित था। मैंने अपने सामान की पैकिंग पहले से ही कर ली थी। सभी अपनी यात्रा को यादगार बनाना चाहते थे इसलिए पहुंचने में थोड़ी देर ही सही, हमने अपना टिकट ट्रेन से कराया था। अंततः यात्रा का दिन आ गया और मैं अपने परिवार के साथ स्टेशन पहुंच गया। लखनऊ से अपनी ट्रेन पकड़ने के बाद हम लगभग 12 घंटे बाद अपने गंतव्य स्थान पर पहुंच गए। पिताजी ने पहले से ही वहां होटल बुक करा रखा था इसलिए स्टेशन पर हमें होटल की गाड़ी लेने आई थी। सभी ट्रेन के सफर से थक चुके थे, इसलिए होटल पहुंचने के बाद सबने पहले थोड़ा आराम करने का फैसला किया, और बाद में एक-एक कर हर जगह घूमने का मन बनाया।
मैदानी इलाकों की अपेक्षा मसूरी में मौसम बहुत ही अलग और सुहाना था। यहां की वादियों में एक नमी थी जो हमारे दिल और मन को बहुत ही सुखद एहसास दे रही थी। हमने मसूरी घूमने के लिए होटल में पहले ही जगहों की सूचि बना ली थी। हमारे कैब के ड्राइवर ने भी कुछ जगहों पर घूमने का अपना सुझाव दिया, क्योंकि वह वही का निवासी था और उसे सभी जगहों के बारे में अच्छे से पता था।
सबसे पहले हमने ‘सर जॉर्ज एवरेस्ट’ जगह पर जाने का फैसला किया। यह जगह हमारे होटल से थोड़ी दूर थी पर रास्ते में हरियाली और मौसम का आनंद लेते हुए मन प्रसन्न हो गया, और हम सब वहां पहुंच गए। वहां पहुंचकर सबसे पहले हमने सर जॉर्ज का घर देखा। यह स्थान हिमालय और दून की पहाड़ियों में स्थित था। यहां से हमें पहाड़ियों का एक अद्भुत नज़ारा देखने को मिला। हम सभी ने यहां के पहाड़ियों और अपनी कुछ फोटो भी खिचवाई जो हमारे लिए सबसे अच्छे यादगार लम्हों में से एक है।
इसके बाद हमने मसूरी के सबसे ऊँचे स्थान लाल टिब्बा का दौरा किया। यहाँ से हम दूरबीन के सहारे केदारनाथ और वहां की अन्य पहाड़ियों को देखने का सुखद अनुभव प्राप्त किया। कैमल रोड प्राकृतिक द्वारा बनाई गई एक सुंदर आकृति है, यह बिल्कुल ऊंट की कूबड़ की तरह दीखता है और इस पर काफी आसानी से चला जा सकता था। हमने यहां कुछ समय बिताये और कुछ तस्वीरें भी ली। यहां हमने नाग देवता के मंदिर के दर्शन किये, यह भगवान शिव का एक प्रसिद्द मंदिर है। केम्पटी फाल्स एक ऐसी मनोरम जगह है जहां पहाड़ों से गिरते झरनों का एक सुन्दर और मनोरम दृश्य देखने को मिला। यह देखना सबसे सुखद एहसास था।
ऐसे मोहक और मन को लुभाने वाले नज़ारे को देखकर मेरा मन वही का हो गया। मेरी इच्छा वहां से लौटने की बिल्कुल भी नहीं थी, पर सभी ने कहां हमें और भी जगहों पर जाना है। फिर वहां से हम मसूरी की खूबसूरत झील को देखने के लिए आ गए, झील भी काफी मनोरम था। साफ पानी और एक तरफ पहाड़ों के बीच हरियाली और दूसरी तरफ ठहरने के लिए कुछ होटल इत्यादि ने मेरे मन को मोह लिया। मैंने झील में नाव की सवारी की और वहां से सुन्दर घाटियों का नज़ारा लिया। ये सब मुझे सपने सा लग रहा था। अंत हम ‘धनोल्टी’ घूमने गए और हमने वहां से बर्फ से ढ़की पहाड़ियों का नज़ारा देखा और कुछ तस्वीरें भी ली, इसके बाद हम लोग अपने होटल के लिए रवाना हो गए और रास्ते में प्राकृति के नज़ारे का आनंद लिया।
हम अपने होटल पहुंचकर रात्रि का एक शानदार भोजन किया और सभी अपने-अपने कमरे में चले गए। मैं मसूरी की खूबसूरत वादियों को याद करते हुए होटल की बालकनी में टहल रहा था और वहां से होटल के आस-पास के रात्रि नज़ारे का आनंद ले रहा था। मसूरी की सुन्दर वादियों में एक सप्ताह का दिन कैसे बीत गया मुझे पता भी नहीं चला। ये हमारे सफर का आखिरी दिन था, पर अभी भी मेरा मन यहां से जाने को तैयार नहीं था। खैर अगले दिन सुबह की हमारी टिकट थी तो मैं भी जा कर सो गया और मसूरी की हसीन वादियों के सपनों के साथ कब नींद आ गई मुझे पता भी नहीं चला।
क्या हिल स्टेशन हमें प्रकृति से निकटता प्रदान करती है?
हिल स्टेशन प्रकृति की सुन्दर वादियों से घिरा होता है। यह एक ऐसा स्थान है जो प्रकृति के बहुत ही करीब माने जाते है। यहां से प्रकृति के हर सुन्दर वादियों को देखा और एहसास किया जा सकता है। ये प्रकृति के इतने करीब होते है की यहां की वादियों में शहरों जैसा कोलाहल और प्रदूषण नहीं होता। यहां बस चारों तरफ शांति और यहां पर लोगों और वायु का प्रदूषण भी बहुत कम होता है, जो हमारे मन को मोह लेता है।
मैंने मसूरी के ऐसे ही एक हिल स्टेशन को देखा जो देहरादून से लगभग 25 किमी दूर है। यहां पहाड़ों पर फैली चारों तरफ हरियाली, एक सुखद मौसम, शांत वातावरण, गगनचुम्बी ऊँचे-ऊँचे पेड़, बहुत कम उचाईयों पर बादल इत्यादि थे। मसूरी के मार्केटों में शॉपिंग मॉल, रेस्टोरेंट इत्यादि सब मौजूद थे। दूर बर्फ से ढके पर्वत, पहाड़ों से गिरते झरने, और ऊँची-ऊँची पर्वतों की चोटियां हमें एक सुखद अनुभव दे रही थी और हमें प्रकृति के काफी नजदीक ले जा रही थी।
मैं उस सुन्दर जगह से इतना प्रभावित हुआ जैसे सारा मसूरी मेरे साथ है और मैं बस वही का हो कर रह गया। वहां का मौसम इतना मनोरम था की मैं तस्वीरें लेते समय यह महसूस किया की किस जगह की तस्वीर लू और किस जगह की छोड़ दू। मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं प्रकृति के इस सुंदरता को अपने अंदर बसा लू और यही का होकर रह जाऊ। पहाड़ों पर फैली हरियाली और उनसे गिरते पानी के झरने मुझे बहुत ही अच्छा लगा। ये सारी चीजें मुझे प्रकृति के इतने करीब ले गई जैसे मानों मैं स्वर्ग में हूँ। किसी ने क्या खूब कहा है की “धरती पर कही जन्नत है तो ऐसी ही हसीन वादियों में है”। यहां की वादियों को देखकर मुझे यह कथन सत्य लगा।
अतः मैं इन सब चीजों को देखकर यह कह सकता हूँ कि हिल स्टेशन एक ऐसा स्थान है जो हमें प्रकृति के नजदीक होने का एहसास कराता है।
निष्कर्ष
मसूरी की वह सुंदरता आज भी मेरे दिमाग में बसी है। मैं जब भी उस पल को महसूस करता हूँ तो मुझे लगता है आज भी मैं वही हूँ। वह सफर मेरे जीवन का सबसे खूबसूरत और हसीन लम्हों में से एक है और मैं आज भी ऐसे स्थानों पर जाना पसंद करता हूँ। मैं ऐसे ही हिल स्टशनों की यात्रा जीवन में बार-बार करने की इच्छा मन में रखता हूँ।