विज्ञान जैसे जैसे तरक्की कर रहा है, दुनिया वैसे – वैसे ही डिजिटल होती जा रही है और इस डिजिटिकरण के कारण पूरे विश्व में, डिजिटल डेटा की संख्या में असीमित बढ़ोत्तरी हो रही है जिसके कारण इन डेटा के रखरखाव एवं प्रबंधन में समस्या भी उत्पन्न होती रही है लेकिन ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक ऐसी तकनीक है जो इन समस्याओं के मद्देनजर एक विकल्प के रूप में उभरकर सामने आयी है।
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साथियों आज मैं आप लोगों के लिए ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पर निबंध लेकर इस उद्देश्य से उपस्थित हुआ हूँ कि यह आपको पसंद आयेगा और साथ ही इस तकनीक की बारीकियों को समझने में आपकी मदद करेगा।
प्रस्तावना (ब्लॉकचेन का अर्थ)
ब्लॉकचेन शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों ब्लॉक (Block) एवं चेन (Chain) से मिलकर हुई है, यहाँ ब्लॉक का मतलब डेटा ब्लॉक से है तथा चेन का तात्पर्य डेटा ब्लॉक के मिलने से बनने वाले चेन से है। डेटा ब्लॉक में डेटा को क्रिप्टोग्राफी टेक्नोलॉजी द्वारा एन्कोड करके सुरक्षित रखा जाता है। इसमें प्रत्येक ब्लॉक एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं तथा प्रत्येक ब्लॉक में उसके पीछे वाले ब्लॉक का एक टाइमस्टैम्प, एक क्रिप्टोग्राफिक हैश तथा लेन – देन का डेटा उपलब्ध होता है। इस प्रकार से हर पिछले ब्लॉक का डेटा उसके आगे वाले ब्लॉक में भी सुरक्षित रहता है।
ब्लॉकचेन का आविष्कार/इतिहास
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को सर्वप्रथम स्टुअर्ट हैबर और डब्ल्यू स्कॉट स्टोर्नेटा द्वारा 1991 में समझाया गया था और उसके एक वर्ष बाद (1992 में) बायर भी इनके साथ इस शोध कार्य में शामिल हो गए। उस समय इसका उद्देश्य डिजिटल दस्तावेज़ कोटाइमस्टैम्प करके उसमें बदलाव या छेड़छाड़ को रोकना था।
उसके बाद वर्ष 2009 में सतोशी नाकामोतो (जापानी व्यक्ति) ने इस तकनीक को आधार बनाकर बिटकॉइन का आविष्कार किया। उस समय से लेकर आज तक ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी चर्चा में बनी हुई है और इसके बढ़ते हुए क्षेत्र को देखकर ऐसा लगता है कि आगे भी कई वर्षों तक ये चर्चा में बनी रहेगी।
ब्लॉकचेन तकनीक
आसान शब्दों में कहा जाए तो ब्लॉकचेन तकनीक एक डिजिटल सार्वजनिक खाता-बुक है, जो व्यक्ति के प्रत्येक लेन–देन का रिकॉर्ड रखता है और इसमें लेन–देन की विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए किसी अन्य पार्टी (जैसे- बैंक आदि) की जरुरत नहीं होती है इसमें सत्यापन कार्य इसके नेटवर्क से जुड़े उपकरणों (जैसे- कम्प्यूटर की श्रृंखलाओं आदि) द्वारा किया जाता है, सत्यापन के बाद व्यक्ति के प्रत्येक लेनदेन का विवरण ब्लॉकचेन में रिकॉर्ड हो जाता है। एक बार डेटा के रिकॉर्ड होने के बाद इसमें छेड़छाड़ या बदलाव नहीं किया जा सकता है।
निष्कर्ष
ब्लॉकचेन तकनीक के जहाँ अपने फायदे है, वही इसके कुछ नुकसान भी है जिनका आकलन करने के लिए विश्व के लगभग सभी केंद्रीय बैंक प्रयासरत है। अमेरिका के अखबार न्यूयॉर्क टाइम्स की माने तो,ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी पूरे विश्व के इकोसिस्टम को प्रभावित कर सकती है।
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प्रस्तावना
ब्लॉकचेन एक सार्वजनिक डेटाबेस है जिसमें हाई सिक्योरिटी के साथ डिजिटल इन्फॉर्मेशन को स्टोर करते हैं। सामान्यतः इसमें क्रिप्टोकरेंसी (जैसे- बिटकॉइन, आदि) के लेन – देन का रिकॉर्ड अनेक कम्प्यूटरों में रखा जाता है, जो एक ही नेटवर्क से जुड़ा होता है। क्रिप्टोकरेंसी के अलावा भी इसमें अन्य तमाम प्रकार के इन्फार्मेशन को डिजिटल फॉर्मेट में स्टोर किया जा सकता है। इसके हर अगले ब्लॉक में पिछले ब्लॉक के लेनदेन के रिकॉर्ड्स के साथ–साथ एक क्रिप्टोग्राफिक हैश तथा एक टाइमस्टैम्प जुड़ा रहता है, जो इसे हाई सिक्योरिटी प्रदान करता है, इसमें उपस्थित डेटा के साथ छेड़छाड़ करना या उसमें बदलाव करना लगभग असंभव है।
ब्लॉकचेन तकनीक के लाभ
ब्लॉकचेन वॉलेट
ब्लॉकचेन वॉलेट (क्रिप्टो वॉलेट) एक डिजिटल वॉलेट है, जिसमें व्यक्ति अपने ईथर (यह एक प्रकार का टोकन होता है), बिटकॉइन तथा अन्य क्रिप्टोकरेंसी को स्टोर एवं प्रबंधित करता है। ब्लॉकचेन वॉलेट के माध्यम से उपयोगकर्ता क्रिप्टोकरेंसी को अपने स्थानीय मुद्रा में बदलने में तथा स्थानान्तरण में सक्षम होता है। क्रिप्टो वॉलेट ऐप को आप अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सकते हैं। क्रिप्टो वॉलेट में दो प्रकार की कीज़ (Keys) होती है। पहले को पब्लिक कीज़ (Username- इससे टोकन रिसीव करते हैं) कहते हैं तथा दूसरे को प्राइवेट कीज़ (Password- इससे ट्रांजैक्शन या बैलेंस चेक करते हैं) कहते हैं।
ब्लॉकचेन के प्रकार
ब्लॉकचेन निम्नलिखित चार प्रकार के होते हैं-
1. सार्वजनिक ब्लॉकचेन
सार्वजनिक ब्लॉकचेन में सबको शामिल होने की अनुमति होती है और ये पूरी तरह से विकेंद्रीकृत तकनीक पर आधारित होता है। वर्तमान समय में इसका उपयोग मुख्यतः क्रिप्टोकरेंसी के आदान – प्रदान तथा खनन में किया जाता है।
2. निजी ब्लॉकचेन
निजी ब्लॉकचेन को प्रबंधित ब्लॉकचेन भी कहाँ जाता है, इसमें केंद्रीय प्राधिकरण (एक एकल संगठन) की भूमिका होती है। निजी ब्लॉकचेन केवल आंशिक रूप से विकेंद्रीकृत होता है, इस ब्लॉकचेन तक सामान्य लोगों की पहुंच प्रतिबंधित होती है।
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3. कंसोर्टियम ब्लॉकचेन
कंसोर्टियम ब्लॉकचैन एकल संगठन के बजाय संगठनों के एक समूह के द्वारा शासित ब्लॉकचेन है, यह ब्लॉकचेन निजी ब्लॉकचेन के अपेक्षाकृत अधिक विकेंद्रीकृत होता है।
इसमें कई संगठनों के बीच सहमति चाहिए होता है इसलिए इसे स्थापित करना एक कठिन प्रक्रिया हो सकती है
4. हाइब्रिड ब्लॉकचेन
हाइब्रिड ब्लॉकचेन, सार्वजनिक ब्लॉकचेन तथा निजी ब्लॉकचेन दोनों के गुणों को धारण करता है। निजी ब्लॉकचेन की तरह यह एक संगठन द्वारा नियंत्रित किया जाता है तथा सार्वजनिक ब्लॉकचेन की तरह यह सामान्य लोगों की पहुंच में भी आता है परन्तु हाइब्रिड ब्लॉकचेन के रिकार्ड्स को सार्वजनिक नहीं किया जाता लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसे सत्यापित किया जा सकता है।
ब्लॉकचेन एवं बिटकॉइन में संबंध
ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एवं बिटकॉइन में पूरब और पश्चिम का संबंध है अर्थात इन दोनों में कोई संबंध नहीं है, ये एक दूसरे से पूरी तरह भिन्न है। ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी एक प्लेटफार्म है, जहाँ क्रिप्टोकरेंसी के अलावा भी अन्य कई चीजों को डिजिटल रूप में बदलकर उसको सुरक्षित रखा जा सकता है। जबकि बिटकॉइन इससे अलग एक डिजिटल माध्यम है, जिसके माध्यम से कुछ चीजों की खरीद एवं बिक्री की जाती है।
ब्लॉकचेन तकनीक के उपयोग
ब्लॉकचेन की वैश्विक स्थिति
भारत में ब्लॉकचेन की स्थिति
भारत में मुख्य रूप से बैंकिंग एवं बीमा क्षेत्र के लोगों में इस तकनीक के प्रति बहुत आकर्षण देखा गया है, लोग जोर – शोर से लगे हुए है कि विश्व को ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लाभों से सबसे पहले अवगत करा सकें।
निष्कर्ष
ऐसा माना जा रहा है कि भविष्य में ब्लॉकचेन तकनीक व्यवसायों के लिए वरदान साबित होगा, क्योंकि बिचौलियों के हटने से लेनदेन की प्रक्रिया में दक्षता एवं सुधार आएगी और साथ ही साथ लागत में भी कमी आएगी। इससे फर्जीवाड़े से मुक्ति मिलेगी एवं व्यापार में पारदर्शिता आएगी। साथ ही बैंकिंग और बीमा के क्षेत्र तथा साइबर सुरक्षा को लेकर जो चिंता सामने आयी है, उनका निराकरण भी आसानी से किया जा सकता है।
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उत्तर- तेलंगाना राज्य (हैदराबाद जिले में)।
उत्तर-1992 में।
उत्तर– जेनेसिस ब्लॉक (Genesis Block) के नाम से जाना जाता है।
उत्तर– 1991 में।