द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखने वाली झारखंड की पूर्व राज्यपाल हैं। अब 2022 में, द्रौपदी मुर्मू भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति और दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं। 25 जुलाई को ही वे शपथ लेंगी और कार्यभार संभालेंगी।
भारत में लोकतांत्रिक सरकार है। यहां, अच्छे नेताओं को देश के लोगों द्वारा चुना जाता है। हर पांच साल पर नए नेताओं के चयन के लिए चुनाव होता है। हालांकि, लोग अपने कीमती वोटों के जरिए मौजूदा अच्छे नेता को फिर से चुन सकते हैं। इसी तरह के मामलों में, भारत के राष्ट्रपति का भी पांच साल का सेवा कार्यकाल होता है। भारत में पिछला राष्ट्रपति चुनाव 2017 में हुआ था। पांच साल बाद फिर से जुलाई 2022 में राष्ट्रपति चुनाव हुआ, जिसमें से एक उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू थीं। यहां आपको द्रौपदी मुर्मू के बारे में पूरी जानकारी मिलेगी।
यहाँ, मैं द्रौपदी मुर्मू (भारत की 15वीं राष्ट्रपति) पर विभिन्न शब्द सीमाओं के तहत लंबे और छोटे निबंध प्रस्तुत कर रही हूँ। यह लेख उन सभी लोगों के लिए उपयोगी है जो द्रौपदी मुर्मू के बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं। हालांकि यह लेख विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्रों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
द्रौपदी मुर्मू एक भारतीय राजनीतिज्ञ और एक सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वह उड़ीसा के मयूरभंज के बैदापोसी गांव में संथाल समुदाय से हैं। शुक्रवार 20 जून 1958 को उनका जन्म बिरंची नारायण टुडू के घर हुआ था। वह 1997 में भाजपा में शामिल हुईं और उड़ीसा के रायरंगपुर में एक पार्षद के रूप में राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में कई प्रतिष्ठित पदों पर रहकर जनता की सेवा की।
2015 से 2021 तक, उन्होंने झारखंड के 9वें राज्यपाल के रूप में कार्य किया। द्रौपदी मुर्मू की अच्छी राजनीतिक छवि और अनुभव ही उनका आगे का मार्ग प्रशस्त कर रही है। जुलाई 2022 में वह भारत देश की 15वीं राष्ट्रपति चुनी गयी हैं। द्रौपदी मुर्मू इस तरह का शीर्ष स्थान पाने वाली पहली आदिवासी महिला हैं। द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक होने के लिए उड़ीसा विधान सभा द्वारा नीलकंठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था।
देश की 15वीं राष्ट्रपति, द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा की रहने वाली एक सक्रिय आदिवासी राजनीतिज्ञ हैं। 20 जून 1958 को उनका जन्म मयूरभंज (उड़ीसा) के बैदापोसी गांव में हुआ था। उनके पिता बिरंची नारायण टुडू ग्राम प्रधान थे। एक आदिवासी परिवार के संथाल समुदाय में पैदा होने के कारण, द्रौपदी मुर्मू को कई कठिनाइयों और संघर्षों का सामना करना पड़ा। 1997 में राजनीति में आने से पहले वह एक सहायक शिक्षिका थीं। उन्होंने भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी काम किया।
रायरंगपुर के विधायक के रूप में दो बार सेवा करते हुए, वह 2015 से 2021 तक झारखंड की 9वीं राज्यपाल के रूप में चुनी गईं। द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा विधान सभा द्वारा सर्वश्रेष्ठ विधायक होने के लिए प्रतिष्ठित नीलकंठ पुरस्कार द्वारा पुरस्कृत होने के लिए भी प्रसिद्ध हैं। अपने पति और फिर दो बड़े बेटों की मृत्यु जैसी कई व्यक्तिगत त्रासदियों के बावजूद, वह हमेशा समाज की सेवा के लिए समर्पित रहीं।
कुछ साल पहले, जब प्रणब मुखर्जी राष्ट्रपति भवन छोड़ने के लिए तैयार थे, द्रौपदी मुर्मू को संभावित राष्ट्रपति उम्मीदवार के रूप में चुना गया था। द्रौपदी मुर्मू ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण राजनीतिक पदों पर काम किया, और 2022 में वह देश की पहली आदिवासी राष्ट्रपति बनीं।
उनका नाम एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) द्वारा 2022 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवार के रूप में यशवंत सिन्हा (अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस) के खिलाफ नामित किया गया था। उनसे पूर्व किसी भी आदिवासी का नाम राष्ट्रपति पद के लिए नामांकित नहीं किया गया था।
परिचय
द्रौपदी मुर्मू झारखंड की राज्यपाल व भारत की राष्ट्रपति के रूप में चुनी जाने वाली पहली आदिवासी महिला हैं। मुर्मू झारखंड राज्य की पहली राज्यपाल रह चुकी हैं, जिन्होंने पूरे पांच साल की सेवा अवधि पूरी की है। वह अधिकारी पद पर नियुक्त होने वाली पहली नेता भी हैं। 2022 में भारत के नए राष्ट्रपति के रूप में उनके नाम के साथ एक और ‘प्रथम’ जुड़ गया है। वह भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं लेकिन भारत की पहली महिला आदिवासी राष्ट्रपति भी हैं।
द्रौपदी मुर्मू का प्रारंभिक जीवन
उड़ीसा के मयूरभंज के एक छोटे से गाँव बैदापोसी से ताल्लुक रखने वाली द्रौपदी मुर्मू का जन्म 20 जून 1958 को हुआ था। उनके पिता, बिरंची नारायण टुडू और उनके दादा ने पंचायती राज के तहत ग्राम प्रधान के रूप में काम किया था। उनकी स्कूली शिक्षा केबी एचएस उपरबेड़ा स्कूल, मयूरभंज से हुई और बाद में उन्होंने बी.ए. रमा देवी महिला विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से की। द्रौपदी मुर्मू श्री अरबिंदो इंटीग्रल एजुकेशन एंड रिसर्च, रायरंगपुर में सहायक शिक्षक थीं। उनकी शादी श्याम चरण मुर्मू से हुई थी जिनसे उनके तीन बच्चे (दो बेटे और एक बेटी) थे। पति और दो बेटों को खोने के बाद वह डिप्रेशन में चली गई।
द्रौपदी मुर्मू का राजनीतिक सफर
द्रौपदी मुर्मू ने 1997 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा राजनीति में प्रवेश किया। उसी वर्ष, उन्हें रायरंगपुर, उड़ीसा के पार्षद के रूप में चुना गया। उन्हें भाजपा के अनुसूचित जनजाति मोर्चा के उपाध्यक्ष के रूप में भी चुना गया था। 6 मार्च 2000 से 6 अगस्त 2002 तक, उन्होंने वाणिज्य और परिवहन मंत्री के रूप में कार्य किया, और फिर 6 अगस्त 2002 से 16 मई 2004 तक उन्होंने मत्स्य पालन और पशु संसाधन विभाग का कार्यभार संभाला।
बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) और बीजेडी (बीजू जनता दल) के गठबंधन के दौरान द्रौपदी मुर्मू चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। वह दो बार राजरंगपुर से विधायक चुनी गईं। द्रौपदी मुर्मू को सर्वश्रेष्ठ विधायक होने के लिए उड़ीसा की विधान सभा द्वारा नीलकंठ पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया था। उसके बाद मुर्मू झारखंड की 9वीं राज्यपाल चुनी गयी। उन्होंने 2015 से 2021 तक झारखंड की सेवा की।
2022 में, राष्ट्रपति चुनाव के समय, जेपी नड्डा ने द्रौपदी मुर्मू को यशवंत सिन्हा (अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस) के खिलाफ राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) से आधिकारिक उम्मीदवार घोषित किया था। द्रौपदी मुर्मू राष्ट्रपति चुनाव जीतकर भारत की 15वीं राष्ट्रपति बनीं।
द्रौपदी मुर्मू के बारे में अज्ञात तथ्य
द्रौपदी मुर्मू के निजी जीवन के बारे में कुछ छिपे हुए तथ्य हैं। इससे आपको उन्हें बेहतर तरीके से जानने में मदद मिलेगी।
• मुर्मू ने अपने पहले बेटे को 2009 में, दूसरे को 2013 में और अपने पति को 2014 में खो दिया।
• वर्तमान में, वह अपनी इकलौती बेटी इतिश्री मुर्मू के साथ रहती है।
• उन्होंने अपने ससुराल का घर एक स्कूल को दान कर दिया।
• स्कूल में उनके पति और दो बेटों के स्मारक भी हैं।
• 2016 में मुर्मू ने कश्यप मेमोरियल आई हॉस्पिटल, रांची को मृत्यु के बाद अपनी आंखें दान करने की घोषणा की है।
• राजनीति में आने से पहले, उन्होंने सिंचाई विभाग (उड़ीसा) में सहायक अधिकारी के रूप में काम किया।
• 1983 में बच्चों की देखभाल के लिए उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी थी।
• 2017 में, उन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था लेकिन वह चुनाव हार गईं।
• 2022 में पुनः उन्हें राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के रूप में चुना गया था और वे आजादी के बाद पैदा होने वाली पहली राष्ट्रपति चुनी गयीं।
• 2009 तक द्रौपदी मुर्मू के पास अपना घर नहीं था।
निष्कर्ष
द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समुदाय से हैं और लोगों के लिए उनका काम वाकई काबिले तारीफ है। उनकी विनम्र राजनीतिक छवि उन्हें सम्मान और प्रसिद्धि अर्जित करने में मदद करती है। अपने साधारण स्वभाव और अच्छे काम के कारण, उन्हें विभिन्न प्रतिष्ठित पदों पर भारत की सेवा के लिए चुना गया था। राष्ट्रपति चुने जाने के संबंध में, उन्होंने कहा कि वह इतनी बड़ी भूमिका के लिए खुश होने के साथ-साथ आश्चर्यचकित भी महसूस करती हैं।
मुझे आशा है कि द्रौपदी मुर्मू – देश की 15वीं राष्ट्रपति पर ऊपर दिया गया निबंध उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में आपके लिए सहायक रहा होगा।
उत्तर: 2022 का राष्ट्रपति चुनाव 18 जुलाई 2022 को हुआ जिसकी घोषणा 21 जुलाई 2022 को की गयी।
उत्तर: द्रौपदी मुर्मू एक सक्रिय राजनेता हैं जिनकी कुल संपत्ति 2021 में लगभग 9.5 लाख है।
उत्तर: हेमंत सोरेन झारखंड के वर्तमान (2022) सीएम हैं।
उत्तर: श्री प्रतिभा पाटिल 2007 से 2012 तक भारत की पहली महिला राष्ट्रपति थीं।
उत्तर: भारत की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू चुनी गयी हैं।