प्राचीन काल से ही भारत कृषि पर ही निर्भर रहा है। भारत एक कृषि प्रधान देश है, यहां की लगभग 65% आबादी कृषि से जुड़ी हुई है। भारत की अर्थव्यवस्था का लगभग 17% हिस्सा कृषि से ही जुड़ा है। हमारे पूर्व प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने किसानों के महत्त्व को समझा था। 1965 में पाकिस्तान से युद्ध के दौरान उन्होंने किसानों और जवानों द्वारा देश सेवा के लिए “जय जवान जय किसान” का नारा दिया था। किसानों को हमारे देश का अन्नदाता कहा जाता है, लेकिन वे खुद बहुत ही कठिन और दयनीय जीवन जीते है। हमारी सरकार द्वारा “किसान विधेयक बिल 2020” कृषि क्षेत्रों और उनकी दैनिक जीवन में सुधार लाने के लिए की गयी एक पहल है।
भारत सरकार द्वारा किसानों के हित के लिए लाये गए विधेयक बिल 2020 में ऐसी क्या बातें है, जिसका विरोध खुद किसान कर रहें है। नीचे दिए गये इस निबंध में हम इसके बारे में विस्तार पूर्वक चर्चा करेंगे।
परिचय
किसान हमारे देश और देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। इसके बावजूद भी किसानों की स्थिति बहुत ही खराब और दयनीय है। इस डिजिटल ज़माने में भी आज बहुत से किसान अशिक्षित है। कुछ किसान अपनी गरीबी के कारण अपने बच्चों को पढ़ाने में असमर्थ हैं। किसानों की पारिवारिक स्थिति को मजबूत और कृषि को आधुनिकता देने के लिए सरकार ने किसानों के लिए “किसान विधेयक बिल 2020” लाने का निर्णय किया है, पर किसानों द्वारा ही इस बिल का विरोध चिंतनीय विषय है।
किसान बिल 2020 क्या है?
भारतीय किसान की परिस्थिति को देखते हुए हमारी सरकार ने किसानों के जीवन औए खेती में नए तरीके अपनाकर, कैसे उन्हें बेहतर स्थिति में लाया जाए इसके तहत सरकार ने कानून बनाने का फैसला किया है। सरकार द्वारा इस किसान बिल में 3 विधेयक को एक साथ जोड़ा गया हैं। जिसमें कृषि उत्पादन व्यापर और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक 2020, मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) पर कृषक अनुबंध अधिनियम 2020, और आवश्यक वस्तु संशोधन अधिनियम 2020 को शामिल किया गया है।
मानसून सत्र के दौरान तीनों अधिनियम को एक साथ एक अध्यादेश के तहत लाया गया था। इनको 17 सितम्बर 2020 को लोक सभा और इसके बाद 20 सितम्बर 2020 को राज्य सभा में पारित किया गया। इसके बाद 27 सितम्बर 2020 को राष्ट्रपति के द्वारा इस बिल को मंजूरी दे दी गई और इस बिल को एक विधेयक के रूप में पारित कर दिया गया।
किसान बिल 2020 पारित करने का मुख्य उद्देश्य
भारत की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में हमेशा से ही कृषि का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। हमारा देश हमेशा से ही कृषि प्रधान देश रहा है और हमारे किसान गांव में ही रहते है। किसान खेतों में खेती कर अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण करते है।
आजादी के बाद भारत में जमींदारी की प्रथा थी। किसान और जमींदारों के बीच सौदा हुआ करता था कि वो खेत और उन खेतों पर मजदूरी किसान करेगा, और फसल की लागत और उसे बाजारों में बेचने का काम जमींदार का होगा। इन सब के कारण किसानों को नाम मात्र का ही मुनाफा हुआ करता था, और कई बार निजी जरूरतों के कारण किसान जमींदारों से कर्ज लेता और कर्ज न लौटने की स्थिति में नही होता तो उसे अपने ज़मीं से हाथ धोना पड़ता था।
बाद में सरकार ने जमींदारी की प्रथा को समाप्त कर किसानों के लिए नई व्यवस्था प्रणाली की शुरुआत की और किसानों के हित में उनसे पैदावार फसलों को सीधे तौर पर सरकार को बेचा जा सकता था। जिसके कारण किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिल जाता था।
सरकारी नीतियों के अनुसार किसान अपनी उपज को सरकार द्वारा निर्धारित APMC (कृषि उपज भंडार या मंडी) में खुद जाकर बेच सकते थे। पर इसमें खुदरा विक्रेता और बिचौलिए आकर अपना पैसा बनाने लगें। ऐसे बिचौलिए किसानों से सस्ते दामों पर उनका माल खरीदकर व्यापारियों को ज्यादा दाम पर बेचने का काम करते थे और खुद के पैसे बनाया करते थे।
इस तरह से सरकारी मंडियों में भी किसानों को उनकी उपज का सही मेहनताना या मूल्य नहीं मिल पाता था। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो इस नियम को सही से लागू और पालन नहीं किया गया। सरकार ने इस तरह की धोखाधड़ी को समाप्त करने के लिए नए कृषि विधेयक पेश किया है जिससे की सीधे तौर पर हमारे किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सकें।
किसान बिल की कुछ महत्वपूर्ण बातें
केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन विधेयकों में निम्न प्रकार की बातें निहित है। कुछ इस प्रकार से है –
2. मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवाओं पर कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) विधेयक
3. आवश्यक वस्तु संशोधन बिल
किसान बिल के लाभ
भारत में कृषि क्षेत्र के उत्थान के लिए किसान बिल 2020 को पारित किया गया है। इस विधेयक के अनुसार किसानों को लाभ पहुचाने के साथ ही कृषि क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार लाना है। इस बिल के कुछ लाभ इस प्रकार है-
किसान बिल का विरोध क्यों?
कुछ कारणों से सरकार द्वारा लाये गए किसान बिल का विरोध किया जा रहा है। जैसे कि –
किसान बिल 2020 किसानों के हित में है या नही?
हमारे देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी ने इस बिल के बारे में कहा है कि यह किसान बिल किसानों के जीवन के लिए एक वाटरशेड की तरह काम करेगा। उनके हितों की रक्षा करेगा, और उनके उपज का समर्थन मूल्य में वृद्धि लायेगा। बिल के अनुसार ये किसानों को उनका उचित मेहनताना दिलाने में और कृषि क्षेत्रों में उपयोगी सुधार लायेगा। बिल की ओर देखा जाये तो ये किसानों और कृषि क्षेत्रों के हित में है। वही दूसरी ओर देखा जाए तो यह बिल किसानों के हित में होने के बावजूद देशभर के किसानों द्वारा विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, मध्यप्रदेश इत्यादि जैसे राज्यों में इसका विरोध किया जा रहा है। इससे बिल के बारे में कुछ नकारात्मकता देखने को मिलती है।
निष्कर्ष
आज के नवीनतम डिजिटल समय में भी किसानों की हालत कुछ अच्छी नहीं देखी जा रही है। किसानों और कृषि क्षेत्र के हितों में लिए गये पिछले कई फैसलों के बावजूद भी किसानों का उत्थान देखने को नहीं मिल रहा है। सरकार ने उनके हितों और कृषि क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित करने के लिए एक कानून पेश किया है। जिसके विरोध में कई राज्य और किसान लगातार कर रहे है। इस तरह के विरोध से यह मुद्दा काफी संजीदा बना हुआ है।