ईंधन मूल रूप से वो पदार्थ है जो रासायनिक या परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करता है। विभिन्न कार्यों में विभिन्न प्रकार के ईंधन का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ कार्य वार्मिंग, हीटिंग, खाना पकाना, औद्योगिक वस्तुओं का उत्पादन, चलने वाली मशीनरी आदि हैं। ईंधन गर्मी के रूप में रासायनिक और परमाणु ऊर्जा उत्पन्न करते हैं। ये आसानी से विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए उपयोग किए जाते हैं। पेट्रोल, डीजल, एलपीजी, लकड़ी, कोयला टार, गोबर, कोयला, मीथेन, कोयला गैस, जल गैस और केरोसिन ईंधन के कुछ उदाहरण हैं।
ईंधन पर छोटे और लंबे निबंध (Long and Short Essay on Fuel in Hindi, Indhan par Nibandh Hindi mein)
निबंध 1 (300 शब्द)
प्रस्तावना
ईंधन को शुरू में उन पदार्थों के रूप में पहचाना जाता था जो केवल रासायनिक ऊर्जा ही जारी करते थे। हालांकि जल्द ही उन पदार्थों को इस श्रेणी में शामिल कर लिया गया जो परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करते थे। ये विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए उपयोग में लिया जाता था। जिन चीजों पर हम भरोसा करते हैं और इन दिनों उनके बिना अपनी ज़िंदगी की कल्पना नहीं कर सकते वो ईंधन कहलाते हैं।
हमारे दिन-प्रतिदिन जीवन में उपयोग किए जाने वाले ईंधन
हमारे दैनिक जीवन में उपयोग किए जाने वाले विभिन्न ईंधन हैं। यहां सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधनों पर एक नजर डाली गई है:
- पेट्रोल/डीजल/सीएनजी
कार, बस, स्कूटर या बाइक जिसका हम विभिन्न स्थानों पर आने-जाने के लिए उपयोग करते हैं वो पेट्रोल, डीजल या सीएनजी पर चलते हैं। ये पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैसों से प्राप्त द्वितीयक ईंधन हैं। इन ईंधनों के निर्माण और उत्पादन करने की लागत बहुत अधिक है और इस प्रकार ये काफी महंगे हैं।
- रसोई गैस/ एलपीजी
लिक्वीफाईड/तरलीकृत पेट्रोलियम गैस या एलपीजी को लोकप्रिय रूप से खाना पकाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। प्राकृतिक गैसों का उपयोग विभिन्न रूटीन कार्यों जैसे कि कमरे को गर्म करने, जल तापक संचालित करने आदि के लिए किया जाता है। ये गैस साफ तरीके से जलती हैं और हवा प्रदूषित नहीं करते हैं।
भारत में ईंधन का उत्पादन
भारत विभिन्न ईंधनों के उत्पादन के लिए जाना जाता है। जहाँ भारत उन ईंधनों को निर्यात करता है जो यहां प्रचुर मात्रा में उपलब्ध हैं वहीँ यह उन ईंधनों को आयात करता है जो उपयोग के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
भारतीय राज्य असम का डिगबोई शहर और पश्चिमी अपतटीय अपने तेल के भंडार के लिए जाना जाता है। भारत में गैस क्षेत्र भी असम में स्थित हैं। गुजरात में भी गैस क्षेत्र देखने को मिलते हैं। भारत में कच्चे पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस के भंडार वाले कुछ अन्य स्थानों में अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, नागालैंड, राजस्थान, तमिलनाडु, त्रिपुरा और पूर्वी अपतटीय शामिल हैं।
निष्कर्ष
आज हम अपनी ज़िंदगी की उन चीजों के बिना कल्पना भी नहीं कर सकते हैं जो ईंधन की सहायता से चलते हैं या उनकी मदद से उत्पन्न होते हैं। ईंधन का उत्पादन एक आकर्षक व्यवसाय है हालांकि इस व्यवसाय को शुरू करने के लिए अच्छी मात्रा के निवेश की आवश्यकता होती है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस जैसे ईंधन का निर्यात करने वाले अधिकांश देशों में तेजी से अर्थव्यवस्था बढ़ रही है।
निबंध 2 (400 शब्द)
प्रस्तावना
ईंधन विभिन्न प्रकार के होते हैं और विभिन्न प्रयोजनों के लिए इनका उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ का उपयोग उत्पादन की प्रक्रिया में किया जाता है जबकि अन्य का उपयोग लोगों को परिवहन की सुविधा उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। मनुष्य लगभग अपने सभी कार्यों के लिए ईंधन पर निर्भर करता है। पृथ्वी पर मौजूद हर चीज की तरह ईंधन भी फायदे और नुकसान दोनों प्रदान करते हैं।
ईंधन के प्रकार
ईंधन को मुख्यतः तीन प्रकार की श्रेणियों में विभाजित किया गया है। यहाँ इन श्रेणियों पर एक नज़र डाली गई है:
- ठोस ईंधन
ये ठोस पदार्थ वे हैं जो गर्मी और प्रकाश ऊर्जा को दहन की प्रक्रिया से उत्पन्न करते हैं। विभिन्न ठोस ईंधन हैं जो अलग-अलग उपयोग करने के लिए इस्तेमाल में लिए जाते हैं। इनमें लकड़ी, छर्रों, लकड़ी का कोयला, पीट, कोयला, बायोमास, नगरपालिका कचरा और कोक शामिल हैं। तरल और गैसीय ईंधन की तुलना में अधिकतर ठोस ईंधन आसानी से उपलब्ध होते हैं। ठोस ईंधन अन्य दो रूपों से सस्ता हैं।
नकारात्मक पक्ष देखा जाए तो ठोस ईंधन भारी होता है और परिवहन के लिए मुश्किल होता है। उचित दहन के लिए उन्हें हवा की अच्छी मात्रा की आवश्यकता होती है। ठोस ईंधन की थर्मल ऊर्जा कम है।
- तरल ईंधन
ये दहनशील अणु हैं जो यांत्रिक ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए एक साथ लाए जाते हैं। तरल ईंधन के कुछ उदाहरणों में गैसोलीन, डीजल, लिक्वीफाईड/तरलीकृत पेट्रोलियम गैस और कंप्रेस्ड नेचुरल गैस शामिल हैं। चूंकि तरल को जिस वस्तु में डाला जाए वह उसी वस्तु का रूप ले लेता है इसलिए तरल ईंधन को लाना ले जाना अपेक्षाकृत आसान है। इन ईंधनों को जलाने पर धूल या राख का निर्माण नहीं होता है। इन्हें आंतरिक दहन ईंधन के रूप में उपयोग किया जाता है।
नकारात्मक पक्ष देखा जाए तो तरल ईंधन काफी महंगा है। इनमें से अधिकतर अत्यधिक ज्वलनशील होते हैं और इस प्रकार इनका भंडारण काफी जोखिम भरा है। वे बुरी गंध के लिए भी जाने जाते हैं।
- गैसीय ईंधन
ये गैसीय रूपों में उपलब्ध ईंधन हैं। जहाँ इनमें से कुछ ईंधन प्रकृति में स्वतंत्र रूप से उपलब्ध हैं वहीं कुछ, जैसे प्राकृतिक गैस, अन्य पदार्थों से प्राप्त होते हैं। कोयला और बायोमास जैसे ठोस ईंधन से उत्पन्न गैसीय ईंधन को कोयला गैस और बायोमास गैस कहा जाता है। पेट्रोलियम जैसे तरल ईंधन से उत्पन्न गैसों में रिफाइनरी गैस और लिक्वीफाईड/तरलीकृत पेट्रोलियम गैस शामिल है।
गैसीय ईंधन को आसानी से पाइपलाइनों के माध्यम से स्थानांतरित किया जा सकता है। तरल और ठोस ईंधन के विपरीत गैसीय ईंधन किसी भी प्रकार के धुंए का उत्पादन नहीं करते हैं। जब इन्हें संभालने की बात आती है तो ये तुलनात्मक रूप से साफ़-सुथरे होते हैं। उन्हें थोड़ी हवा की आपूर्ति के साथ भी जलाया जा सकता है
नकारात्मक पक्ष देखा जाए तो ये अत्यधिक ज्वलनशील होते हैं और इसलिए इनके भंडारण में जोखिम शामिल है। ये काफी महंगे होते हैं और भंडारण के लिए भारी टैंकों की भी आवश्यकता होती है।
निष्कर्ष
जहाँ कुछ ईंधन नवीकरणीय हैं वहीं अन्य गैर-नवीकरणीय हैं फिर भी दूसरे ईंधनों को नवीनीकरण के लिए सैकड़ों वर्षों का समय लगता है। इस प्रकार हमें इन संसाधनों का सावधानीपूर्वक उपयोग करना चाहिए। हमें हर तरह की बर्बादी से बचना चाहिए।
निबंध 3 (500 शब्द)
प्रस्तावना
ईंधन हमारे जीवन को काफी हद तक नियंत्रित करते हैं। हम खाना खाने, खाने को ताजा रखने, ठंडा करने, आने-जाने, गर्म करने, विभिन्न वस्तुओं के निर्माण और पता नहीं क्या-क्या करने सहित विभिन्न कार्यों को पूरा करने हेतु अपने दिन-प्रतिदिन जीवन में ईंधनों का उपयोग करते हैं। ईंधन विभिन्न प्रकार के होते हैं। इन्हें मुख्य तौर पर दो श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है – जैव ईंधन और जीवाश्म ईंधन। वर्गीकरण अलग-अलग तरीके से इन्हें उत्पन्न किए जाने के तरीके के आधार पर किया गया है।
जीवाश्म ईंधन क्या हैं?
जीवाश्म ईंधन को बनाने में लाखों साल लगते हैं। इस प्रकार इन्हें अक्सर गैर-अक्षय ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। ये ईंधन सदियों से पशुओं और पौधों के मृत अवशेषों में स्वाभाविक रूप से होने वाले परिवर्तनों से उत्पन्न होते हैं।
मुख्य रूप से तीन प्रकार के जीवाश्म ईंधन हैं। कोयला जो एक ठोस जीवाश्म ईंधन है, तेल जो तरल जीवाश्म ईंधन है और प्राकृतिक गैस जो गैसीय जीवाश्म ईंधन है। इनका प्रयोग रोजाना के कार्यों जैसे कि बिजली उत्पन्न करना, घर या ऑफिस के कमरों को गर्म करना, अपना वाहन चलाने आदि के लिए किया जाता है। हम इन सभी कार्यों के लिए इन ईंधनों पर निर्भर हैं। इन ईंधनों के इस्तेमाल से हमारा जीवन सरल और आरामदायक बन गया है।
हालांकि इन ईंधनों में भी उनके अपने नकारात्मक पहलू है। इन ईंधनों की आपूर्ति सीमित है और मांग अधिक है। यही कारण है कि उनकी कीमत उच्च है। इसके अलावा उन्हें उत्पन्न होने में शताब्दियों का समय लगता है और ये लगभग गैर-नवीकरणीय होते हैं। वे तेजी से घट रहे हैं। जीवाश्म ईंधनों के साथ एक अन्य मुख्य समस्या यह भी है कि वे जलने पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस को छोड़ते हैं और यह वातावरण में प्रदूषण का स्तर बढ़ाती है। जीवाश्म ईंधन का बढ़ता उपयोग ग्लोबल वार्मिंग का एक प्रमुख कारण है।
दुनिया भर के जीवाश्म ईंधन के प्रमुख उत्पादकों में चीन, सऊदी अरब, अमेरिका, रूस, कनाडा और इंडोनेशिया शामिल हैं।
जैव ईंधन क्या हैं?
ये ईंधन बायोमास से उत्पन्न होते हैं जिसमें पौधों और पशु अपशिष्ट, नगरपालिका अपशिष्ट और साथ ही खाद्य, कृषि और अन्य उद्योगों के अपशिष्ट भी शामिल हैं। जैव ईंधन के उत्पादन के लिए इस्तेमाल होने वाले अपशिष्ट उत्पादों को बहुत पुराना नहीं होना चाहिए। उदाहरण के लिए जैव ईंधन ताज़ा कटे हुए पौधों से बने होते हैं बजाए जीवाश्म ईंधनों के जो कि लाखों साल उत्पन्न होने के लिए लेते हैं। इन ईंधनों को जलाने से जीवाश्म ईंधन की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैसों का उत्पादन होता है। हालांकि ये जीवाश्म ईंधन की तुलना में अधिक महंगे हैं।
जैव ईंधन दो श्रेणियों में विभाजित हैं – प्राथमिक जैव ईंधन और माध्यमिक जैव ईंधन। जहाँ प्राथमिक जैव ईंधन का उपयोग अप्रसारित रूप में किया जाता है तो वहीं द्वितीयक जैव ईंधन का उपयोग संसाधित होने के बाद किया जाता है। जैव ईंधन के कुछ उदाहरण में हरा डीजल शामिल हैं जो शैवाल से उत्पन्न होता है और कुछ अन्य संयंत्र अपशिष्ट, जैव ईंधन जो वनस्पति तेलों और तरल पशु वसा और बायोगैस की सहायता से निर्मित होता है जो पशु कचरे और अन्य जैविक सामग्री से उत्पन्न होते हैं।
जैव ईंधन का मुख्य रूप से डीजल, कोयला और गैसोलीन जैसे जीवाश्म ईंधन को बदलने के लिए उत्पादन किया जाता है। अमेरिका, ब्राजील, फ्रांस, चीन, अर्जेंटीना और जर्मनी शीर्ष जैव ईंधन उत्पादकों में शामिल हैं।
निष्कर्ष
जैव ईंधन और जीवाश्म ईंधन दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। इन ईंधनों के उत्पादन के लिए बहुत अधिक समय, ऊर्जा और निवेश की ज़रूरत होती है। इस प्रकार हमें उपलब्ध ईंधन संसाधनों को बर्बाद करना बंद कर देना चाहिए।
निबंध 4 (600 शब्द)
प्रस्तावना
ईंधन को उनके गुणों और उनके उत्पादन के तरीके के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में विभाजित किया जाता है। उदाहरण के लिए कुछ ईंधन रासायनिक ईंधन के तहत आते हैं कुछ को परमाणु ईंधन के रूप में वर्गीकृत किया गया है। इनमें से कुछ ठोस हैं, कुछ तरल हैं और कुछ गैसीय हैं। इन्हें जीवाश्म ईंधन या जैव ईंधन के आधार पर भी अलग-अलग माना जाता है। इन सबके अलावा भी एक और आधार है जिस पर इन्हें विभाजित किया गया है और वह यह कि ये नवीकरणीय या गैर-नवीकरणीय ईंधन हैं।
नवीकरणीय ईंधन
नवीकरणीय ऊर्जा ऐसी ऊर्जा है जो एक बार इस्तेमाल होने के बाद अपने आप का पुनर्जन्म कर सकती है। दोबारा इस्तेमाल में ली जाने वाली प्रकृति की वजह से पर्यावरण में यह प्रचुरता में उपलब्ध है। जैसा कि नाम से पता चलता है नवीकरणीय संसाधनों से नवीकरणीय ईंधन बने हैं। जैव ईंधन और हाइड्रोजन ईंधन को नवीकरणीय ईंधन माना जाता है। नवीकरणीय ईंधन का एक सामान्य उदाहरण हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर हो सकता है। इसका कारण है कि यह पानी से उत्पन्न होता है जो एक नवीकरणीय संसाधन है। हालांकि पानी से बिजली उत्पादन में निवेश काफी अधिक है।
नवीकरणीय ईंधन का उपयोग सुरक्षित होता है क्योंकि उनके द्वारा उत्पन्न गैसें इतनी हानिकारक नहीं होती हैं जितनी गैर- नवीकरणीय ईंधन द्वारा उत्सर्जित होती हैं।
गैर-नवीकरणीय ईंधन
गैर-नवीकरणीय ईंधन जैसा कि नाम से स्पष्ट है वे ईंधन हैं जिन्हें नवीनीकृत नहीं किया जा सकता है। इन ईंधन को उत्पन्न करने में कई सालों लगते हैं और एक बार इसका इस्तेमाल कर लिया तो यह समाप्त हो जाते हैं। इनकी भरपाई फिर से नहीं की जा सकती है और इसी वजह से ये तेज़ी से खत्म हो रहे हैं। वह समय दूर नहीं होगा जब ये पूरी तरह खत्म हो जायेंगे। इसके अतिरिक्त इनके द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण की मात्रा बहुत अधिक है। अधिकांश गैर-नवीकरणीय ईंधन जीवाश्म ईंधन का मुख्य तत्व है जिसमें कार्बन है। जलते समय वे कार्बन डाइऑक्साइड और अन्य हानिकारक गैसों का उत्सर्जन करते हैं जो ग्लोबल वार्मिंग की समस्या को बढ़ा रहे हैं।
हालांकि ये ईंधन कई नवीकरणीय ईंधन की तुलना में उच्च ऊर्जा प्रदान करते हैं। ये जलाने में भी आसान हैं।
भविष्य की पीढ़ियों के लिए ईंधन बचाएं
बढ़ती प्रौद्योगिकी और बदलती जीवन शैली के साथ पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैसों और कोयले जैसे ईंधनों की खपत में कई गुना बढ़ोतरी हुई है। हालांकि इनमें से अधिकतर वर्तमान में बहुतायत में उपलब्ध हैं और इन में से कई नवीकरणीय ईंधन हैं। हालांकि अगर हम इन्हें इसी गति पर उपयोग करना जारी रखेंगे तो ये बहुत जल्द समाप्त हो सकते हैं। यहां आगे बताया गया है कि हम भविष्य की पीढ़ियों के लिए ईंधन की बचत करने के लिए कैसे अपना योगदान दे सकते हैं:
- सावधानी से उपयोग करें
आपको यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आप विभिन्न ईंधन पर चलने वाले सभी उपकरणों को सावधानी से उपयोग करें। कमरे को ताला लगाते समय लाइट को बंद करें, कम लौ पर खाना बनाए, कार पूलिंग आदि जैसी साधारण चीजों से एक अंतर उत्पन्न कर सकते हैं।
- होशियार बने
कई ऊर्जा कुशल उपकरण हैं। ईंधन को बचाने के लिए आपको ऐसे उपकरणों को इस्तेमाल करना होगा। इसका एक सामान्य उदाहरण सीएफएल है। बिजली बचाने के लिए आप ऊर्जा कुशल सीएफएल या एलईडी रोशनी के साथ अपने घर में नियमित रोशनी के साधनों को बदल सकते हैं।
- उपयोग को सीमित करें
आपको एयर कंडीशनर और कमरे के हीटर के उपयोग को सीमित करना होगा। ये यंत्र न केवल ईंधन ऊर्जा की पर्याप्त मात्रा का उपयोग करते हैं बल्कि आपके स्वास्थ्य और साथ ही पूरे वातावरण पर भी खराब प्रभाव डालते हैं। आप अपने घर का तापमान कम कर सकते हैं या पर्यावरण अनुकूल तरीके से गर्म कर सकते हैं।
निष्कर्ष
चाहे आप नवीकरणीय ईंधन या गैर-नवीकरणीय ईंधन का उपयोग कर रहे हों आपको उपयोग की जाने वाली मात्रा के बारे में सावधान रहना चाहिए। इन बहुमूल्य संसाधनों का दुरुपयोग न करें। इतना ही नहीं हमें इन्हें अपनी भावी पीढ़ियों के लिए बचाने की आवश्यकता है लेकिन एक तथ्य यह भी कि इनमें से अधिक संसाधनों का ज्यादा उपयोग पर्यावरण के लिए अच्छा नहीं है जो अंततः हमारे स्वास्थ्य पर प्रभाव डालता है। इनमें से अधिकांश ईंधन विशेष रूप से गैर- नवीकरणीय पृथ्वी पर प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं। इसलिए हमारे ग्रह को जीवनयापन के लिए बेहतर जगह बनाने के लिए हमें ईंधन के प्रयोग को प्रतिबंधित करना होगा।
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