जल समस्त सृष्टि तथा उसमें उपस्थित जीव-जंतु एवं वनस्पतियों के जीवन के मूल आधारों में से एक है, जल के बिना जीवन की कल्पना करना भी असम्भव है, यह मानव को जन्म से लेकर मृत्यु तक पोषित करता रहता है, इसके बदले में इसने मानव से कभी कोई शुल्क नहीं लिया फिर भी सृष्टि के सबसे समझदार प्राणी के पास तो इसके बारे में सोचने का समय ही नहीं था। लोग ठीक ही कहते हैं कि किसी भी चीज की कीमत हमें तब समझ आती है जब वो हमसे दूर चली जाती है। ठीक ऐसा ही जल के साथ हुआ, इसकी कीमत लोगों को तब समझ आयी जब देश तथा विदेश के कई शहर ज़ीरो ग्राउंड वाटर लेवल पर आकर खड़े हो गए। आज पूरा विश्व पीने के पानी के संकट से जूझ रहा है, अनियंत्रित पानी की खपत से ग्राउंड वाटर लेवल तेजी से नीचे जा रहा है।
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नमस्कार साथियों आज मैं वैश्विक जल संकट पर छोटे एवं बड़े निबंध प्रस्तुत कर रहा हूँ, मुझे आशा है की इसके माध्यम से दी गई जानकारी आपको पसंद आयेगी तथा आप इसको यथा संभव उपयोग भी कर सकेंगे।
प्रस्तावना
जब किसी क्षेत्र में जल उपयोग की माँग बढ़ जाये तथा आपूर्ति कम हो जाये एवं जल संसाधनों द्वारा भी इसकी पूर्ति न की जा सके, तो उस क्षेत्र में निवास करने वाले लोग पानी की कमी से जूझने लगते हैं। पानी की इस कमी को जल संकट के नाम से जाना जाता है। वर्तमान समय में भारत के 21 शहर लगभग ज़ीरोग्राउंड वाटर लेवल से जूझ रहे हैं।
वैश्विक जल संकट के कारण
वैश्विक जल संकट के मुख्य कारण निम्नलिखित हैं-
वैश्विक जल संकट के प्रभाव
वैश्विक जल संकट के कुछ प्रमुख प्रभाव निम्नलिखित हैं-
जल संकट को दूर करने के उपाय
निष्कर्ष
वर्तमान समय में जल संकट ने सम्पूर्ण विश्व में हाहाकार मचाया हुआ है। राष्ट्रीय ही नहीं अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी यह एक ज्वलंत मुद्दा बना हुआ है। सरकारें इससे निपटने के लिए योजनाएं बना रही हैं, सामाजिक कार्यकर्ता लोगों को जागरूक कर रहे हैं तथा वैज्ञानिक इसके विकल्प तलाशने में लगे हैं। उम्मीदों पर कायम इस दुनिया के ज्यादातर लोग जल संकट से जंग लड़ रहे हैं, इस उम्मीद के साथ की जीत उनकी होगी।
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प्रस्तावना (जल संकट का अर्थ)
सामान्य शब्दों में कहे तो जल संकट का सीधा सा अर्थ होगा पीने योग्य पानी की कमी अर्थात जब किसी क्षेत्र में पानी की मांग बढ़ जाए और जल संसाधनों द्वारा उसकी आपूर्ति न हो पाये तो हम कहेंगे की वह क्षेत्र जल संकट से जूझ रहा है। ऐसे क्षेत्रों में पानी की कमी से कृषि एवं व्यापार दोनों प्रभावित होता है और लोगों का जीवन बेहाल हो जाता है, मजबूरन उन्हें पलायन करना पड़ता है।
वैश्विक जल संकट के आंकड़े
कितने आश्चर्य की बात है कि धरातल का एक बड़ा भाग (लगभग 70 प्रतिशत) जल से घिरा हुआ है फिर भी यहाँ पीने के पानी की कमी है। वास्तव में बात यह है कि धरातल का भले ही 70 प्रतिशत भाग जल से घिरा है परन्तु पीने योग्य पानी कुल जल का मात्र 3 प्रतिशत ही है, उसमें भी मानव सिर्फ 1 प्रतिशत मीठे जल का उपयोग पीने के रूप में कर पाता है। जल संकट से संबंधित कुछ आंकड़े निम्नलिखित है-
भारत में जल संकट के कारण
भारत में जल संकट केकुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित है-
जल संकट की समस्या भारत के दक्षिणी एवं उत्तर-पश्चिमी भागों में मुख्य रूप से विद्यमान है क्योंकि इन क्षेत्रों की विशेष भौगोलिक स्थिति के कारण यहाँ वर्षा काफी कम मात्रा में होती है जिसके फलस्वरूप यहाँ का भू-जल स्तर गिरता जाता है और एक समय के बाद यहाँलोग जल संकट से जूझने लगते हैं।
मानसून की अस्थिरता भारत में जल संकट का एक बड़ा कारण है। हाल ही में एल निनो- El Niño (गर्म जलधारा) के प्रभाव से वर्षा की मात्रा में कमी हुई है।
भारतीय कृषि क्षेत्र का भी जल संकट को बढ़ावा देने में योगदान रहा है क्योंकि यहाँ की कृषि परिस्थितिकी उन फसलों के अनुकूल है जिनके पैदावार में अत्यधिक जल की जरूरत होती है।
वर्तमान में भारत के शहरों में जल संकट ने विकट रूप धारण कर लिया है इसके बावजूद भी शहरी क्षेत्रों में जल संसाधन के पुर्नउपयोग का प्रयास नहीं किया गया है, यहाँ आज भी उपयोग के बाद जल को नदियों में बहा दिया जाता है।
लोगों में जल के संरक्षण एवं उसके सीमित संसाधनों आदि के प्रति जागरूकता का आभाव दिखता है, जिसके कारण जल संकट की समस्या गहराती जा रही है।
गांव में पानी की समस्या
ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण का उचित प्रबंध न होने के कारण कुछ गाँवों का जल स्तर लगभग 300 फीट से भी नीचे चला गया है तथा कुछ गाँवों में भू-जल के रूप में खारा जल उपस्थित है। बादली प्रोजेक्ट और रेनीवेल परियोजनाओं (Badli Project And Rainiwell Projects) के बावजूद भी यहाँ के लोगों के जीवन में कुछ खास परिवर्तन नहीं आया है। आज भी जल संकट से जूझते इन गाँवों की महिलाएं कोसों दूर से जल लाने को मजबूर हैं।
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शहरों में पानी की समस्या
देश के लगभग सभी युवाओं का सपना होता है कि उनका शहर में अपना एक घर हो क्योंकि वहाँ का जीवन काफी आसान एवं आराम दायक होता है। वहाँ शिक्षा, स्वास्थ्य, नौकरी तथा व्यापार आदि के लिए उत्तम साधन उपलब्ध होते हैं, यही कारण है कि वहाँ पर लोग गाँवों से जाकर बसते जा रहे हैं परन्तु जनसंख्या ज्यादा तथा जल संसाधनों के सीमित होने के कारण वहाँ भी जल संकट गहराता जा रहा है। 2001 में शहरों में निवास करने वाले लोगों की संख्या 28 करोड़ थी, 2011 में बढ़ कर यह 37.7 करोड़ हो गई थी, ऐसा अनुमान है कि 2030 में यह आंकड़ा 60 करोड़ को पार कर लेगा।
वैश्विक जल संकट का दुष्प्रभाव
वैश्विक जल संकट से बचने के उपाय
जल संकट से निपटने के लिए हमें निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए-
जल वर्षा संचयन एक ऐसी तकनीक है जिसमें वर्षा के जल द्वारा ग्राउण्ड वाटर को रिचार्ज किया जाता है, वर्षा जल का संचयन निम्न विधियों द्वारा किया जा सकता है-
जल संरक्षण के फायदे
निष्कर्ष
उपरोक्त बातें जल की कीमत और मानव जीवन में उसकी उपयोगिता को सिद्ध करती हैं तथा साथ ही ये भी बताती हैं की वर्तमान में उसका क्या हाल है, लोगों ने कैसे मनमानी ढंग से उसका उपयोग किया है और आज खुद जलसंकट से जूझ रहे हैं। हालांकि सरकार तथा लोगों ने समय रहते इसकी सुध ले ली तथा रेनीवेल एवं बादली प्रोजेक्ट जैसे अनेक योजनोओं की भी शुरूआत की परन्तु अभी तक जल संकट से निपटने की कोई सटीक तकनीक विकसित नहीं हुई है जो मानव को पूर्ण रूप में इससे छुटकारा दिला सके।
मैं आशा करता हूँ कि वैश्विक जल संकट पर प्रस्तुत यह निबंध आपको पसंद आया होगा तथा साथ ही साथ मुझे उम्मीद है कि ये आपके स्कूल आदि जगहों पर आपके लिए उपयोगी भी सिद्ध होगा।
धन्यवाद!
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