आज जिस प्रकार से भारत की जनसंख्या चीन की जनसंख्या से आगे निकलती दिख रही है, इसको देखते हुए भारत के कुछ राज्य पहले से ही जनसंख्या को नियंत्रित करने के लिए नए-नए नियमों का सहारा ले रहे हैं। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने भी एक अहम कदम उठाते हुए जनसंख्या नियंत्रण मसौदे को जनता के सामने रखी है और इस मसौदे पर जनता से उनके सुझाव भी मांगी है।
प्रस्तावना
वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या को अगर सभी देशों की जनसंख्या की सूची में रखा जाए, तो अकेले उत्तर प्रदेश राज्य की जनसंख्या विश्व में पांचवा स्थान प्राप्त करेगी। इसी समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश राज्य के विधि विभाग में अध्यक्ष पद पर कार्यरत ए. एन. मित्तल के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जनसंख्या नियंत्रण मसौदे को तैयार किया गया है।
जनसंख्या नियंत्रण मसौदा 2021 क्या है? (What is Population Control Draft 2021 of UP)
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रस्तुत जनसंख्या नियंत्रण मसौदा विवाहित जोड़ों पर लागू होगा जिसमें लड़के की उम्र 21 वर्ष और लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम नहीं है। इस मसौदे के लागू होने के बाद से उत्तर प्रदेश के नागरिकों को दो बच्चे ही रखना अनिवार्य होगा। इस अधिनियम के पारित होने से पहले आपके पास कितने बच्चे हैं उससे कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। इस अधिनियम के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति दो बच्चे ही करता है, और फिर शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करता है या स्वेच्छा से नसबंदी की प्रक्रिया से गुजरता है, तो उसे अलग अलग तरह की सरकारी सुविधाओं की प्राप्ति होगी।
इस अधिनियम के अंतर्गत यदि कोई राज्य सरकार का कर्मचारी शपथ पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद दो से अधिक बच्चे करता है तो उसे उसकी नौकरी से बर्खास्त कर दिया जाएगा और फिर वह व्यक्ति कभी भी राज्य सरकार की किसी भी नियुक्ति के लिए आवेदन नहीं कर पाएगा। मसौदे में ये भी बताया गया है कि यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम के पारित होने के बाद दो से अधिक बच्चे करता है तो वह न ही कभी राज्य सरकार की किसी नियुक्ति के लिए योग्य माना जाएगा और न ही वह किसी प्रकार के चुनाव के लिए खड़ा हो सकेगा। इस कानून के पारित होने के बाद कोई व्यक्ति भले ही कितने बच्चे करे लेकिन उसे अपने राशन कार्ड पर सिर्फ़ चार लोगों का ही राशन मिलेगा।
जनसंख्या नियंत्रण बिल की आवश्यकता क्यों है? (Why Population Control Bill is Necessary?)
जिस प्रकार से जनसंख्या का स्तर दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है, हमारे लिए रोजगार और संसाधनों की समस्या भी बढ़ती जा रही है। आज से 30-40 साल पहले लोगों के लिए रोजगार इस प्रकार उपलब्ध थे कि बिना किसी उच्च स्तरीय शिक्षा और अच्छे नंबरों के लोगों को सरकारी नौकरियां मिल जाया करती थीं। लेकिन आज हालात इस प्रकार बिगड़े हुए हैं कि सरकारी नौकरियों की तो बात दूर निजी संस्थानों में भी रोजगार की किल्लत है।
सीमित संसाधनों और देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए जनसंख्या को नियंत्रित करना बहुत ही आवश्यक हो चुका है। यदि समय रहते हम इस जनसंख्या की समस्या का समाधान नहीं निकाल पाएं तो हमें आज से भी भयावह स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश राज्य सरकार द्वारा लाए जाने वाले इस अधिनियम से शायद हमें इस समस्या से निपटने के लिए कुछ मदद मिल सकती है।
जनसंख्या नियंत्रण विधेयक सतत विकास में कैसे मददगार है? (How Population Control Bill Helps in Sustainable Development)
बढ़ती जनसंख्या की समस्या से निपटना अपने आप में एक बहुत बड़ी चुनौती है। जिससे केवल एक व्यक्ति, एक परिवार या फिर एक समाज अकेले नहीं निपट सकता। इस चुनौती से निपटने के लिए देश की प्रत्येक जनता को ये समझना होगा कि बढ़ती जनसंख्या से हम किस प्रकार की मुश्किलों में घिरे जा रहे हैं। सभी को इस बात का बोध होना आवश्यक है कि हमारे पास सीमित संसाधन ही हैं और यदि हमने उसका सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया तो शायद हमारी आने वाली पीढ़ी बहुत सारे सुखों से वंचित रह जाएगी।
जनसंख्या नियंत्रण विधेयक के आ जाने से जनसंख्या की वृद्धि पर लगाम लगेगा और यदि लोगों ने इसका ठीक से पालन किया तो आने वाले समय से शायद हम बढ़ती जनसंख्या को रोकने में सफल भी हो जाएं। इस विधेयक के सफल होने से रोजगार में बढ़ोतरी होगी, जो कि आज के युवाओं के लिए सबसे बड़ी समस्या है। जनसंख्या नियंत्रित होने पर हमारे पास उचित संसाधन की उपलब्धता रहेगी जिससे हमारे देश के विकास में मदद मिलेगी।
जनसंख्या नियंत्रण मसौदा समाज को कैसे मदद या नुकसान करेगी? (How Population Control Bill Help or Harm a Society)
अगर हम आज विकसित देशों की सूची तैयार करें तो पाएंगे कि उस सूची में अधिक विकसित देश वही हैं जिनकी जनसंख्या कम है। उत्तर प्रदेश राज्य की जनसंख्या जिस प्रकार से बढ़ रही है, ऐसा लगता है कि जनसंख्या की सूची में उत्तर प्रदेश बाकी देशों को भी बहुत जल्द ही पीछे छोड़ देगा। जनसंख्या बढ़ने के साथ-साथ उत्तर प्रदेश में बेरोजगारी और भुखमरी भी बढ़ती जा रही है। यदि जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम के सफल परिणाम प्राप्त हुए तो जल्द ही उत्तर प्रदेश में सभी को रोजगार और पर्याप्त संसाधन प्राप्त हो सकेंगे।
सीमित संसाधनों के चलते एक बड़ी आबादी का सुखी जीवन व्यतीत कर पाना बहुत ही मुश्किल होता है। सभी को पर्याप्त सुविधाएं न मिल पाने के कारण समाज में अराजकता फैलती है जो कि, किसी भी समाज में अपराध के बढ़ने का बहुत बड़ा कारण बनता है। एक अच्छे समाज का निर्माण करने के लिए आबादी का कम होना और शिक्षित होना बहुत जरूरी है।
उदाहरण के तौर पर आप इसे ऐसे समझ सकते हैं कि, एक छोटा परिवार हमेशा एक बड़े परिवार से सुखी रहता है। छोटा परिवार सीमित संसाधनों में भी गुजारा कर सकता है परंतु बड़े परिवार में सुविधाएं कम होने की वजह से क्लेश उत्पन्न होता है। यह मसौदा हर तरह से हमारे लिए और हमारी आने वाली पीढ़ी के लिए लाभदायक साबित होने वाली है। बशर्ते लोगों को अपनी जिम्मेदारियां समझते हुए एक अच्छे भविष्य के निर्माण कार्य में सरकार की मदद करनी होगी।
निष्कर्ष
मुश्किल से 20 वर्ष पहले 2001 में उत्तर प्रदेश की आबादी 16.5 करोड़ थी लेकिन आज उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 21 करोड़ हो चुकी है। तेजी से बढ़ती इस समस्या को हमें गंभीरता से लेना होगा। वरना हमारी आने वाली पीढ़ी को हम बेरोजगारी और भुखमरी के सिवा कुछ नहीं दे पाएंगे। जितनी जल्दी हो सके हम सब को जनसंख्या नियंत्रण अधिनियम को अपनाना चाहिए और प्रत्येक नागरिक को इसका सख्ती के साथ पालन भी करना चाहिए। भले ही ऐसा कोई कानून लागू हो या न हो लेकिन हमें खुद अपने भविष्य के बारे में चिंता करनी चाहिए और “टू चाइल्ड पॉलिसी” को अपनाना चाहिए।
उत्तर – 1952 में पहला राष्ट्रीय परिवार नियोजन कार्यक्रम चलाया गया था।
उत्तर – विश्व में सबसे पहले भारत में जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम चलाया गया था।
उत्तर – विश्व जनसंख्या दिवस की स्थापना 1989 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा की गई थी।
उत्तर – संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम अनुमानों के अनुसार जुलाई 2021 तक वर्तमान विश्व जनसंख्या 7.9 बिलियन है।