हम इंसानों और जानवरों में सबसे बड़ा फ़र्क हमारी सोचने की क्षमता ही है या यूँ कहें तो मनुष्यों को सोचने की शक्ति ईश्वर द्वारा दिए गए एक वरदान या तोहफे की तरह है, जिसके लिए हम सभी मानव जाति हमेशा से ईश्वर के शुक्रगुजार रहें है और आगे भी रहेंगे। परंतु क्या आपको पता है सोचने के भी कई तरीके होते हैं जिसे आप आमतौर पर अच्छी सोच, बुरी सोच, सकारात्मक सोच या फिर नकारात्मक सोच के नाम से जानते होंगे।
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लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि पूरी जनसंख्या के कुछ ही प्रतिशत लोगों में अच्छी या सकारात्मक सोच पाई जाती है और सिर्फ वही लोग अपना जीवन खुशी से व्यतीत करते हैं। आज इसी शृंखला में हम सकारात्मक सोच पर निबंध (Essay on Positive Thinking in Hindi) पढ़ेंगे जो हमारे लिए और खासकर हमारी सोच के लिए अत्यंत लाभप्रद साबित होने वाला है।
प्रस्तावना
हम जीवन में कितना सफल होते हैं या अपने लक्ष्य को हासिल कर पाते हैं या नहीं यह पूरी तरह से हमारी सोच पर ही निर्भर करती है। असल में हमारी सोच ही हमारा असली व्यक्तित्व और व्यवहार है जो भौतिक रूप में बाहर निकल कर लोगों के सामने आती है और उसी प्रकार से समाज में हमें मान सम्मान मिलता है। हम क्या बोलते हैं, क्या करते हैं और उनपर सामने वाले की क्या प्रतिक्रिया मिलती है यह हमारी सोच पर ही निर्भर करती है। वास्तव में हमारी सोच हमारे व्यक्तित्व का प्रतिबिंब है।
सोच के प्रकार
सामान्य तौर पर विचारों को दो प्रकार से बाँटा गया है-
सकारात्मक सोच (Positive Thoughts/Thinking)
जीवन की कठिन से कठिन परिस्थितियों को भी हल कर सकने का विश्वास ही हमारी सकारात्मक सोच है। मुश्किल से मुश्किल दौर में भी हिम्मत बनाए रखना हमारे सकारात्मक सोच की शक्ति है। किसी भी मुश्किल कार्य को करने की हिम्मत भी हमें हमारे सकारात्मक सोच से ही मिलती है। हम किसी काम को जितने ज्यादा सकारात्मकता से करेंगे काम उतना ही सटीक और सफल होगा। जीवन की विषम परिस्थितियों में सकारात्मक सोच न होने के कारण बहुत से व्यक्ति अपना मानसिक संतुलन खो देते हैं और अपना बहुत बड़ा नुकसान कर बैठते हैं। आज तक के सभी सफल व्यक्तियों के सफलता का राज कहीं न कहीं उनकी सकारात्मक सोच है। सकारात्मकता केवल हमारी सफलता की ही नहीं बल्कि हमारे अच्छे स्वास्थ की कुँजी भी है।
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नकारात्मक सोच (Negative Thoughts/Thinking)
किसी भी मुश्किल कार्य को करने से पहले ही “मुझसे नहीं होगा” की सोच नकारात्मक सोच कहलाती है। नकारात्मक विचार रखने वाले व्यक्तियों का बनता हुआ काम बिगड़ने लगता है और नकारात्मक सोच से हमारे स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। नकारात्मक सोच हमें असफलता की खाई में ढ़केलता जाता है और हमें समाज में एक हारे हुए इंसान का उदाहरण बना देता है। जीवन की मुश्किलों का सामना किये बिना हाथ पर हाथ रख के बैठना और परिस्थितियों से भागना नकारात्मक सोच का प्रतीक है। किसी भी कार्य का परिणाम आए बिना ही उसके बुरे नतीजे का अनुमान लगाना भी नकारात्मक सोच का ही उदाहरण है।
हमारे सोच का जीवन में प्रभाव (Impact of Our Thinking in Life)
किसी भी समाज में सकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्तियों का स्थान सदैव नकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति से ऊँचा ही रहता है।सकारात्मक सोच रखने वाला व्यक्ति भय और निरासा से मुक्त होता है। कठिन से कठिन कार्य को उसके परिणाम की चिंता किए बिना ही करने के लिए वह हमेशा तैयार रहता है और उसके सकारात्मक विचारों का प्रभाव उसके जीवन में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है।
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हमारी सोच का जीवन में महत्व (Importance of Our Thinking in Life)
हमारी सोच का महत्व हमारे जीवन में हमारे द्वारा किए गए कार्य से ज्यादा होता है क्यूँकि हमारा कार्य तभी सार्थक होगा जब उसे एक अच्छी और सकारात्मक सोच के साथ किया गया हो। अगर साफ शब्दों में कहें तो हमारी सोच हमारे व्यक्तित्व का अत्यंत महत्वपूर्ण अंग है। हमारे जीवन में जितना महत्व हमारी बोलने की प्रवृत्ति का है उससे कहीं ज्यादा महत्व हमारी उस सोच का है जिससे हम सही स्थान पर सही बात का चुनाव करते हैं।
हमारी सोच हमें औरों से किस प्रकार अलग करती है (How Our Thinking makes us unique from Others)
एक बार की बात है मंगल और मंटू दो मित्र जंगल के रास्ते से अपने घर को लौट रहें थे। जंगल के बीच पँहुचते ही उन्हें अपने आगे की झाड़ी हिलती हुई दिखाई दी मंटू ने मंगल से कहा “हो न हो ये आदमखोर भेड़िया ही होगा मैंने सुना है इसने बहुत से लोगों को मार डाला है”। मंटू की बातें सुनकर मंगल बोला “बिना देखे तुम कैसे कह सकते हो कि वह एक भेड़िया ही है झाड़ी तो हवा से भी हिल सकती है या फिर कोई और जानवर होगा, तुम ज्यादा मत सोचो और आगे बढ़ते रहो बस कुछ देर बाद अपना गाँव भी आ जाएगा”।
मंटू बोलता है “नहीं नहीं मुझे उस भेड़िये का शिकार नहीं बनना है मैं सड़क के रास्ते से घर चला जाऊंगा” इतना कहकर मंटू वहां से चला जाता है। मंगल, मंटू के व्यवहार पर नाराजगी जताते हुए आगे झाड़ी की तरफ बढ़ता है, झाड़ी के उस पार जाने के लिए वो जैसे ही अपने हाथों से पत्तों को हटाता है उसमें से एक बकरी का बच्चा निकल कर मंगल के पास आकर खड़ा हो जाता है। मंगल उस बकरी के बच्चे को गोद में उठाता है और उसे लेकर घर चला जाता है।
अगले दिन जब मंटू थका हारा घर पहुँचता है तो मंगल उस बकरी की तरफ इशारा करके कहता है “अरे ओ मंटू ये देख तेरा आदमखोर भेड़िया घास खा रहा है और तू इससे डर कर दुगनी दूरी तय करके आ रहा है”। मंटू को ये सब सुनकर अपनी सोच पर पछतावा होने लगाता है और वो शर्म के मारे वहां से नजरे चुरा कर निकल जाता है। तो इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि किसी भी परिस्थिति में हम दूसरों से तभी आगे निकल पाएंगे जब हमारी सोच सकारात्मक और अच्छी होगी।
निष्कर्ष
यदि हमें अपने जीवन में सफल होना है या खुद को समाज में एक आदर्श व्यक्ति के रूप में रखना है तो हमें अपनी सोच सदैव सकारात्मक रखनी चाहीए। नकारात्मक विचारों के साथ आप खुद को और दूसरों को भी निराशा की ओर ले जायेंगे। जीवन में सफलता की इच्छा रखने वाले हर व्यक्ति को सकारात्मक सोच के साथ ही अपना कार्य सम्पन्न करना चाहिए। हमारी हमेशा यही कोशिश होनी चाहिए कि हमारी मित्रता एक सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति से हो ताकि उसके विचारों का प्रभाव हमारे ऊपर भी पड़े और हम भी उसकी तरह सफलता की ओर बढ़ते जाएं।
उत्तर – सोच हमारे स्वभाव की मूल प्रतिलिपी है।
उत्तर – ऐसे व्यक्ति सदैव प्रसन्न और स्वस्थ रहते हैं।
उत्तर – ऐसे व्यक्ति सदैव तनावग्रस्त और उदास रहते हैं।
उत्तर – सकारात्मक विचारों से कार्यों में सफलता की प्राप्ति होती है।
उत्तर – हमारी सोच का पता हमारे व्यवहार से चलता है।