भारतीय सेना हमारे देश की रक्षा की सबसे बड़ी प्रणाली के रूप में जानी जाती है। एक सुरक्षा कवच बनकर ये हमारे देश की सेवा करते है। यह देश के दुश्मनों से हमारी रक्षा करते हैं। इसलिए हमें अपने भारतीय सेना पर गर्व और अभिमान हैं। जब भारतीय सेना वर्दी में हथियारों को लिए कदम से कदम मिलाकर एक साथ सीमा की ओर चलती है तो यह हमारे भारत की ताकत को दर्शाती हैं। भारतीय सेना अपने राष्ट्र और नागरिकों की रक्षा के प्रति हमेशा समर्पित रहती है। सेना में बहादुर और साहसी लोगों की भर्ती की जाती हैं, जो केवल देश के लिए जीते है और देश के लिए ही मरते है।
भारतीय सेना पर छोटे तथा बड़े निबंध (Short and Long Essay on Indian Army in Hindi, Bhartiya Sena par Nibandh Hindi mein)
भारतीय सेना पर निबंध – 1 (250-300 शब्द)
परिचय
अगर हम अपने घरों में बेखौफ और सुरक्षित महसूस करते है उसके पीछे भारतीय सेना का योगदान है। भारतीय सेना दुनिया के कुछ प्रमुख सेनाओ में से एक है। हमारी सेना विशाल और सशक्त है। जब भारतीय सेना वर्दी में हथियारों को लिए कदम से कदम मिलाकर एक साथ सीमा की ओर चलती है तो यह हमारे भारत की ताकत को दर्शाती हैं।
इंडियन आर्मी की भूमिका
भारतीय सेना देश की सीमाओं को सुरक्षित करके देश के भीतर शांति और सुरक्षा बनाये रखती है। भारतीय सशस्त्र सेना का एक बड़ा भाग हमारी थल सेना के रूप में हमारे भारतीय सीमाओं की रक्षा करता हैं। वही वायु सेना हमारे आकाशीय सीमाओं को तो जल सेना हमारे समुद्री सीमाओं की रक्षा में हमेशा तत्पर रहते हैं। युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के समय जरुरत आने पर ये तीनों सेनाएं एक साथ मिलकर देश की सेवा करते हैं।
इंडियन आर्मी का महत्व
एक सुरक्षा कवच बनकर ये हमारे देश की सेवा करते है। यह देश के दुश्मनों से हमारी रक्षा करते हैं। सेना देश के नागरिकों के लिए सुरक्षा प्रदान करती है। अपनी जान, अपने परिवार के फ़िक्र किये बिना दिन-रात वो हमारी सेवा और सुरक्षा में लगे रहते हैं। आतंकी गतिविधियों, युद्धों, विदेशी हमलों से वो देश और देश के नागरिकों की रक्षा में हर वक्त लगे रहते हैं।
निष्कर्ष
हम सभी को अपनी सेना का मनोबल को बढ़ाना चाहिए। हमें अपनी सेना के प्रति सम्मान और गर्व का भाव रखना चाहिए। सेना में बहादुर और साहसी लोगों की भर्ती की जाती हैं, जो केवल देश के लिए जीते है और देश के लिए ही मरते है। भारतीय सेना अपने राष्ट्र और नागरिकों की रक्षा के प्रति हमेशा समर्पित रहती है।
भारतीय सेना पर दीर्घ निबंध (1200 शब्द)
परिचय
भारतीय सशस्त्र सेना मुख्य रूप से भारतीय थल सेना, वायु सेना, और नौसेना के सयुक्त गठन से बनती है। विश्व की विशालतम सेनाओं में से एक हमारी भारतीय सशस्त्र सेना है। देश की सीमाओं की सुरक्षा सरकार ने देश के सैनिकों के हाथों में सौंपी हैं, और इस जिम्मेदारी को हमारी सेनाओं द्वारा बखूबी निभाया जा रहा है। भारतीय सेनाओं की सर्वोच्च कमान हमारे देश के राष्ट्रपति के हाथों में होती है। सेनाओं का निर्वहन देश की रक्षा-मंत्रालय द्वारा की जाती है, जो देश की रक्षा के दायित्व और सेनाओं के निर्वहन की रूपरेखा तैयार करती है।
भारतीय सेना देश की सीमाओं को सुरक्षित करके देश के भीतर शांति और सुरक्षा बनाये रखती है। भारतीय सशस्त्र सेना का एक बड़ा भाग हमारी थल सेना के रूप में हमारे भारतीय सीमाओं की रक्षा करता हैं। वही वायु सेना हमारे आकाशीय सीमाओं को तो जल सेना हमारे समुद्री सीमाओं की रक्षा में हमेशा तत्पर रहते हैं। युद्ध या प्राकृतिक आपदाओं के समय जरुरत आने पर ये तीनों सेनाएं एक साथ मिलकर देश की सेवा करते हैं।
भारतीय सेना का इतिहास
भारतीय सेना की परंपरा और इसका इतिहास बहुत लम्बा है। ऐसा माना जाता है कि भारतीय सेनाओं का नियोजन चौथी शताब्दी में ही हो गया था, पर उस समय यह केवल थल सेना के रूप में हुआ करती थी। थल सेनाओं में मुख्य रूप से पैदल सेना, घोड़े और हाथी की सेनाएं शामिल हुआ करती थी। पुर्तगालियों के भारत आने के बाद भारतीय नौसेना का निर्माण किया गया, क्योंकि पुर्तगाली समुद्र के रास्ते भारत में आये थे। भारतीय वायुसेना का गठन 1913 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुई थी। उत्तर प्रदेश में एक उड्डयन सैनिक स्कूल के साथ इस की शुरुआत की गई थी।
आज के दिनों में हमारी भारतीय सशस्त्र सेना दुनिया की सबसे ताकतवर सेनाओं में से एक है। हर सेना का अपना एक सेना प्रमुख होता है। तीनों सेनाओं के सेना प्रमुख ही युद्ध नीति तैयार करते है, और अपनी सेनाओं का संचालन करते है। कोई भी नागरिक अपनी इच्छा से, सेना द्वारा दिए कुछ मानदंडों को पार कर सेना में शामिल हो सकते है। इनका नेतृत्व एक प्रशिक्षित अधिकारी द्वारा किया जाता है और सारे पड़ाव पार कर वह एक सैनिक के रूप में सेना में शामिल हो जाता है।
भारतीय थल सेना
भारतीय सशस्त्र सेना का सबसे ज्यादा हिस्सा या सेना की ताकत थल सेना के रूप में है, इसलिए सशस्त्र सेना को अधिकतर थल सेना के रूप में ही समझा जाता है। ऐसा समझा जाना ठीक है क्योंकि सेना का सबसे बड़ा हिस्सा थल सेना के रूप में देश की रक्षा करती है। लगभग 14 लाख सैनिकों के साथ यह दुनिया के विशालतम सेनाओं में से एक है। सन 1948 में केवल 2 लाख ही सैनिकों की फ़ौज थी। दिल्ली में थल सेना का मुख्यालय स्थित है। थल सेना के प्रशासनिक कार्य और नियंत्रण थल सेना अध्यक्ष के हाथों में होता है।
सेनाध्यक्ष की सहायता के लिए सेना के वाइस चीफ और चीफ स्टाफ अफसर होते हैं। देश के विभिन्न 7 जगहों से सेना को कमान किया जाता है, जो निम्नवत है
- पूर्वी कमान (मुख्यालय कोलकाता)
- मध्य कमान (मुख्यालय लखनऊ)
- उत्तरी कमान (मुख्यालय उधमपुर)
- दक्षिणी कमान (मुख्यालय पुणे)
- दक्षिण-पश्चिमी कमान (मुख्यालय जयपुर)
- पश्चिमी कमान (मुख्यालय चंडीगढ़)
- प्रशिक्षण कमान (मुख्यालय शिमला)
थल सेना का संगठन
एक श्रेणीबद्ध तरीके से सेना के कमांडरों द्वारा सेना का आयोजन/निर्माण किया जाता है।
- कोर/दल – कोर 3-4 भागों में बटा होता हैं। इसके प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल होते हैं जिनको तीन सितारों की उपाधि प्राप्त रहती हैं। एक कमांडर के अंदर 2 या अधिक कोर शामिल होते हैं। सेना मुख्यालय इस दल का नेतृत्व करती है।
- विभाग – सेना में कुल 37 विभाग/मंडल हैं, सभी विभाग के 3-4 ब्रिगेड होते हैं। दो सितारा सेना रैंक वाला मेजर जनरल इस दल का प्रमुख होता हैं। इसे 4 रैपिड एक्शन विभाग, 18 इन्फेंट्री विभाग, 10 माउंटेन विभाग, 3 आर्मर्ड और 2 आर्टिलरी विभाग में बाटा गया है।
- ब्रिगेड – यह मुख्य रूप से सैनिकों के सहायता और उन्हें जरूरी चीजें पहुंचाने के लिए बनाया गया है। एक सितारा सैन्य रैंक वाला ब्रिगेडियर इसका प्रमुख होता हैं।
- बटालियन – वास्तविक रूप से लड़ाई वाली यह पैदल सेना होती है। सेना के कर्नल द्वारा इनका नेतृत्व किया जाता हैं। तीन पलटन को मिलाकर एक बटालियन बनाया जाता हैं।
- कंपनी – एक कंपनी में 120 सैनिक होते हैं। दो या दो से अधिक पलटन मिलकर एक कम्पनी बनाते हैं और इसकी अध्यक्षता मेजर करता हैं।
- पलटन – किसी पलटन का नेतृत्व एक लेफ्टिनेंट करता है और इसमें 32 सैनिक शामिल होते हैं।
- प्रखंड/भाग – यह सेना की सबसे छोटी इकाई के रूप में जानी जाती है, इसमें लगभग 10-12 सैनिक ही होते हैं। एक गैर सरकारी अधिकारी जिसे हवलदार कहते है वह इसका नेतृत्व करता है।
भारतीय थल सेना का महत्त्व
थल सेना भारतीय सशस्त्र सेना सबसे ज्यादा सक्रीय शाखाओं में से एक है। थल सेना देश के नागरिकों के लिए सुरक्षा प्रदान करती है। अपनी जान, अपने परिवार के फ़िक्र किये बिना दिन-रात वो हमारी सेवा और सुरक्षा में लगे रहते हैं। आतंकी गतिविधियों, युद्धों, विदेशी हमलों से वो देश और देश के नागरिकों की रक्षा में हर वक्त लगे रहते हैं। प्राकृतिक रूप से देश के अंदर आई आपदाओं में भी वो हमारी हर संभव मदद करते हैं। बाढ़, भूकंप, चक्रवात, आदि जैसी आपदाओं से वो हमारी रक्षा करते हैं।
भारतीय नौसेना
17वि. शताब्दी में भारतीय नौसेना की स्थापना की गई थी। उस समय इस्ट इंडिया कंपनी ने ‘इस्ट इंडिया कंपनी नौसेना’ की स्थापना एक समुद्री सेना के तौर पर की थी। आगे चलकर 1934 में रॉयल इंडियन नेवी की स्थापना की गई थी। इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है और एडमिरल इस सेना का नियंत्रण करते है। निचे दिए तीन क्षेत्रों में कमांडो के तहत नौसेना की तैनाती की गई हैं, प्रत्येक की पहचान एक नियंत्रण फ्लैग द्वारा की जाती है।
- पश्चिमी नौसेना कमांड (मुंबई, अरब सागर)।
- दक्षिणी नौसेना कमांड (कोच्चि, अरब सागर)।
- पूर्वी नौसेना कमांड (बंगाल की खाड़ी, विशाखापट्टनम)।
भारतीय वायु सेना
8 अक्टूबर सन 1932 को भारतीय वायु सेना की स्थापना की गई थी। 1 अप्रैल 1954 में सुब्रतो मुखर्जी को एयर मार्शल चीफ नियुक्त किया गया था। एक संस्थापक सदस्य के रूप में सुब्रोतो मुखर्जी ने प्रथम वायु सेना प्रमुख के रूप में कार्यभार को संभाला। समय के साथ ही भारत अपने ही देश में जहाजों और उपकरणों का नर्माण किया और इस प्रकार 20 नए जहाजों के बेड़े को वायु सेना में शामिल किया। 20वी. शताब्दी के अंत तक वायुसेना में महिलाओं की भर्ती पर जोर दिया गया। इन दिनों नई तकनीकी हथियारों और राफेल जैसी तेज एयरक्राफ्ट के साथ भारतीय वायु सेना काफी मजबूत दिखाई देती हैं।
निष्कर्ष
भारतीय सेना हमारी रक्षा और देश में शांति बनाये रखने के लिए लगातार काम कर रही है। हमें अपने परिवार के साथ की खुशियां देकर वो अपने खुद के परिवार से काफी दूर रहते हैं। राष्ट्र की सीमाओं की रक्षा और देश के प्रति उनका बलिदान वास्तव में हमारे लिए बहुत ही गर्व और सम्मान की बात है। किसी भी समय किसी भी लड़ाई के लिए हमारे सैनिक हमेशा तैयार रहते हैं। अपने जीवन को मातृभूमि की रक्षा में न्योछावर कर देना किसी भी सैनिक और उनके परिवार के लिए गर्व की बात होती है। हमारे तीनों सेनाओं द्वारा देश की रक्षा और हमें चैन की नींद देना उनके लिए बस एक कर्तव्य है। ऐसी भारतीय सेना को मेरा शत-शत धन्यवाद। “जय हिन्द, जय जवान”।