मनुष्य एक सामाजिक प्राणी हैं और जीवन के अनेक पहलुओं से मनुष्य का सम्बन्ध होता है। हर पहलु एक राजनीति गतिविधियों से जुड़ा होता है। मनुष्यों से जुड़ी इन्हीं गतिविधियों को हम राजनीति कहते है। ‘पॉलिटिक्स या राजनीति’ ग्रीक भाषा के “पोलिश” शब्द से बना है जिसका अर्थ है मनुष्यों से जुड़ी नगर गतिविधियां। आपको आसान भाषा में बताऊ तो राजनीति एक खेल का ही स्वरूप होता है। जिसमें कई टीम और हर टीम में कई खिलाड़ी मौजूद होते है, लेकिन जीत केवल एक की ही होती है। उसी प्रकार कई राजनीतिक दल चुनाव लड़ते है और जीतने वाली पार्टी ही सत्ताधारी पार्टी होती है। भारत की राजनीतिक प्रणाली संविधान के तहत कार्य करती है। कुछ राजनेता और सरकारी कर्मचारियों ने देश के राजनीति की छवि और देश के हाल को बिगाड़ कर रख दिया है। लालच, भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा ने भारतीय राजनीति को दागदार बना रखा है।
परिचय
भारत की राजनीति में चुनाव के बाद जीती हुई राजनीतिक दल सत्ता दल से सत्ता की प्राप्ति की एक प्रक्रिया को कहते है। ये राजनीतिक चुनाव प्रक्रिया ग्राम से लेकर देश के चुनाव तक होता है और सभी चुनावों का नियंत्रण चुनाव आयोग के द्वारा किया जाता है। भारत की राजनीति और चुनाव की प्रक्रिया के द्वारा ही यहां एक सफल सरकार का गठन सम्भव हो पाता हैं। सरकार देश के विकास कार्य और राष्ट्र की प्रगति में सहायक होती है। भारत में पहला आम चुनाव आजादी के बाद सन 1951 में हुआ था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने स्वतंत्रता के बाद भारत के पहले चुनाव में जीत हासिल की थी। भारत में दो बड़ी राष्ट्रीय पार्टियां है, एक राष्ट्रीय कांग्रेस और दूसरी भारतीय जनता पार्टी।
भारतीय सरकार का संसदीय स्वरुप
भारत की राजनीति एक संसदीय ढांचे के अंदर काम करता है, मुखिया, राष्ट्रपति और देश का प्रधानमंत्री सरकार का प्रतिनिधित्व करते है। भारत एक संसदीय संघीय लोकतान्त्रिक गणतंत्र देश है। भारत की राजनीति द्वी-राजतन्त्र के तहत काम करता है, जिसमें एक केंद्र सरकार और दूसरी राज्य सरकार के रूप में कार्य करती है।
भारत जैसे लोकतान्त्रिक देश में संसदीय स्वरूप ही सरकार के कार्य को दर्शाती है। इस प्रकार देश का प्रधानमंत्री को ही सरकार के रूप में मानते है। वैसे देश का मुखिया तो राष्ट्रपति होता है पर सारी बागडोर प्रधानमंत्री के हाथों में होती है। राष्ट्रपति ही देश का सर्वोच्च नागरिक होता है।
देश में आम चुनाव के द्वारा लोग अपनी पसंद के प्रतिनिधि को चुनने के लिए पूर्ण रूप से स्वतंत्र होते है। देश का हर वो व्यक्ति जिसने 18 वर्ष की आयु पार कर ली है, वह स्वतंत्र रूप से अपने मत का प्रयोग या अपनी इच्छा से उसे अपना प्रतिनिधि चुनने का हक़ होता है। प्रत्येक पांच वर्षों के बाद देश का आम चुनाव होता है, जिसमें आप अपने प्रतिनिधि का स्वतंत्रता से चुनाव कर सकते है।
भारतीय राजनीति में राजनीतिक पार्टियां
ब्रिटिश शासन से आजादी के बाद भारत एक लोकतान्त्रिक राष्ट्र बन गया, और ये लोकतंत्र लोगों की पसंद से सरकार बनाने की अवधारणा पर आधारित है। इसमें राजनीतिक दल या पार्टियों का एक ऐसा समूह होता है, जो विभिन्न वर्गों और क्षेत्रों के द्वारा गठित की जाती है। स्वतंत्रता के बाद देश में कई राजनीतिक दलों का गठन किया गया था। जिनमें से कुछ पार्टियां राष्ट्रीय स्तर की थी तो कुछ राज्य स्तर पर थी। बाद में कई राज्य स्तरीय पार्टियों को उनके विस्तार को देखते हुए राष्ट्रीय स्तर की पार्टी घोषित कर दी गई थी। इन दिनों हर राज्य में कुछ लोकल पार्टियों ने भी जन्म ले लिए है, जो की राजनीति को बहुत प्रभावित करता है।
कोई भी राजनीतिक पार्टी चाहे वह पार्टी राष्ट्रीय स्तर की हो या राज्यीय स्तर की पार्टी हो उस पार्टी को एक चिन्ह के रूप में एक प्रतिक होना आवश्य होता है। राजनीतिक पार्टी के पास प्रतिक होने से लोग प्रतिक से उस पार्टी की पहचान कर लेते है, और चुनाव चिन्ह के रूप में भी इसे ही इस्तेमाल किया जाता है। लोग चुनाव के समय इसी चिन्ह के माध्यम से पार्टी को पहचान कर अपना मतदान करते है। इन राजनीतिक पार्टियों को चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत होना आवश्यक होता है।
सभी राजनीतिक पार्टियां चुनाव से पहले या चुनाव के दिनों में आम लोगों को अपने विभिन्न कार्यक्रमों और अपनी नीतियों से उन्हें अवगत कराते है। आम लोगों का वोट इकठ्ठा करने के लिए वो विभिन्न कार्यक्रमों और रैलियों के माध्यम से उन्हें अपनी ओर आकर्षित करते है। उन्हें अपने कार्यों की उपलब्धियों और आगे के नीतियों को भी बताते हैं। जिससे की जनता को उनके प्रति भरोषा हो की ये भविष्य में उनके हित के लिए कार्य करेंगे।
भारतीय राजनीति में ऐसी कई राजनीतिक पार्टियां है जो चुनाव आयोग द्वारा मान्यता प्राप्त पार्टियां है। जैसे- भारतीय जनता पार्टी, नेशनल कांग्रेस पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी इत्यादि जिनका वर्चस्व भारतीय राजनीति को प्रभावित करता है।
भारतीय राजनीति के नकारात्मक पहलू
भारतीय लोकतांत्रिक देश में अनेकों राजनीतिक पार्टियों के होने के बावजूद यह बहुत सी समस्याएं भी सामने आयी है, जो बड़े ही दुःख की बात है। हमारे राष्ट्र के विकास और प्रगति के के लिए इन्हें दूर करना बहुत ही आवश्यक है।
निष्कर्ष
भारतीय राजनीति अच्छे और बुरे अनुभवों का एक मिश्रण है। जहां एक अच्छा नेता अपनी अच्छी छवि से भारतीय राजनीति को उजागर करता है तो वही दूसरी तरफ नेताओं के गलत तरीके से चुनाव जितना और अपने निजी फायदे के लिए राजनीति करना इसकी छवि को धूमिल बनाता है। यहां की जनता को देश में लोकतांत्रिक हक़ दिया गया है की वो अपनी पसंद का नेता चुन सकें। यह चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि वो देश तर्कसंगत या निष्पक्ष तरीके से चुनाव कराए जिससे देश की उन्नति और तरक्की पूर्णतया पुख्ता रूप से सम्भव हो सकें।