भारत की लगभग 65% आबादी आय और जीविकोपार्जन के लिए कृषि पर निर्भर करती है। किसान देश की सबसे मजबूत नींव कहा जाता है क्योंकि व्यक्ति के जीवन के लिए भोजन महत्वपूर्ण है और उसका जरिया किसान होता है। भारत की आर्थिक प्रगति में भी कृषि का सबसे बड़ा योगदान है। आज के मौजूदा हालात में किसानों की स्थिति बहुत खराब हो गयी हैं। किसान अपनी रोजमर्रा की वस्तुएं भी जुटाने में असमर्थ है।
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किसानों को इस दयनीय स्थिति से उबारने के लिए सरकार समय-समय पर कुछ कदम उठाती है। उसी दिशा में भारत सरकार द्वारा पुराने कृषि बिल को संसोधित कर के एक नया कृषि बिल 2020 पारित किया गया है।
प्रस्तावना
भारत सरकार द्वारा किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य से एक नया कृषि बिल 2020 पारित किया गया है। किसानों को बिचौलियों से बचाकर और केवल मण्डी तक ही सीमित न रख कर देश में कहीं भी अपनी फसल को बेचने और बिना किसी कर के अतिरिक्त आय प्राप्त करने का प्रावधान इस कानून द्वारा पारित किया गया है।
भारत सरकार का कहना है कि ये कानून पूरी तरह से किसानों के पक्ष में है और उनकी मौजूदा स्थिति में साकारत्मक बदलाव लायेगा।
क्या है नया किसान बिल 2020?
भारतीय संसद द्वारा सितंबर 2020 में कृषि कानूनों को संशोधित कर के तीन नए कृषि कानून अधिनियम पारित किये गये हैं, जिसे सामान्य भाषा में किसान बिल कहते है। इसे लोकसभा द्वारा 17 सितंबर 2020 को और राज्यसभा द्वारा 20 सितंबर 2020 को पारित किया गया। कृषि नियमों में सुधार के लिए पारित किये जाने के कारण इसे कृषि सुधार कानून 2020 नाम भी दिया गया है। जो कुछ इस प्रकार है-
1. कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम 2020 (Farmers Produce Trade and Commerce (Promotion and Facilitation) Act, 2020)
2. कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार अधिनियम 2020 (Farmers (Empowerment and Protection) Agreement on Price Assurance and Farm Services Act, 2020)
3. आवश्यक वस्तु (संसोधन) अधिनियम (Essential Commodities (Amendment) Act, 2020)
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पारित किये गये नए किसान बिल 2020 से फायदे
पारित किये गये नये किसान बिल 2020 से नुकसान
जैसा की हम समझते है कि किसी भी चीज के फायदे होते हैं तो उसके नुकसान भी होते हैं। हमने नये किसान बिल के फायदों के संदर्भ में तो जाना अब इसके नुकसान के बारे में समझते हैं –
किन कारणों से किया जा रहा है किसान बिल 2020 का विरोध
किसान बिल में कुछ महत्वपूर्ण बिन्दुओं के उल्लेखित न होने के कारण किसान इसका विरोध कर रहे हैं। MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के बारे में बिल में कुछ भी नहीं लिखा है जिसके कारण किसानों को लग रहा है कि भविष्य में MSP बंद न कर दिया जाए। आढ़तियों का कहना है कि यदि सरकार उन्हें खत्म कर देती है तो उनके द्वारा बनाए गए गोदामों का क्या होगा। किसानों में भय है कि यदि भविष्य में उन्हें नीजी व्यापारियों से सहीं आय न प्राप्त हो सके और मण्डी व्यवस्था भी बंद हो जायेगा तब उनका क्या होगा?
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क्या है MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य)?
न्यूनतम समर्थन मूल्य वह कीमत है जो सरकार द्वारा किसी फसल के लिए तय किया जाता है। वर्तमान में लगभग 23 फसलों पर MSP लागू है- धान, ज्वार, बाजरा, मक्का, रागी, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन, सूरजमुखी, गन्ना, मसूर, कपास, गेहूं, जौ, चना, मसूर, रेपसीड, सरसों, जूट और खोपरा।
सरकार द्वारा यह मूल्य फसल आने के पहले तय किया जाता है। MSP किसानों के लिए एक वरदान है क्योंकि तय वर्ष में यदि फसल अधिक होने के कारण बाजार में दाम गिर जाते हैं तब भी किसान को MSP के द्वारा सरकार से एक तय कीमत मिल जाता है।
MSP की दर ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP)’ द्वारा समय के साथ खेती की लागत के आधार पर तय करके सुझाव के लिए सरकार को भेजा जाता है। जिसपर स्टडी करके सरकार MSP की घोषणा करती है।
क्या है विरोध का हल?
सरकार द्वारा पारित नये बिल में कुछ ऐसी कमियां है जिनके वजह से किसानों का शोषण किया जा सकता है। भविष्य में आम जनमानस पर भी इसका प्रभाव पड़ सकता है। सरकार द्वारा कुछ बदलाव करके इस नये कृषि कानून को सफल बनाया जा सकता है जैसे – कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के संबंध में पहले से एक समिति का गठन किया जाये जिसके नियम किसानों के लिए सरल एवं सहायक हो और किसी विरोध की स्थिति में समिति निष्पक्ष जाँच करें और हल निकाले।
गन्ने की तरह ही सरकार को MSP के अंतर्गत आने वाली फसलों के लिए MSP लागू करने की कानूनी बाध्यता की ओर विचार करना चाहिए। किसान के लिए लागत के प्रति आय प्राप्त करने का यह एक सहज रास्ता है।
निष्कर्ष (क्या नया फार्म बिल किसानों के पक्ष मे है?)
सरकार द्वारा पारित यह नया कृषि कानून बिल 2020 किसानों के लिए वर्तमान में जितना फायदेमंद दिखाई दे रहा है, भविष्य में उनके लिए उतना ही शोषण का भी कारण बन सकता है। स्टॉक सीमा के न होने तथा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में कानूनी तंत्र की कमी के कारण भविष्य में परिणम गंभीर हो सकते है।
हालाँकि सरकार द्वारा नये कृषि बिल में कुछ संसोधन करके इसे किसानों के लिए लाभदायक बनाया जा सकता है। किसान हमारे अन्नदाता हैं अत: नये कृषि कानून से भविष्य में उनका शोषण न किया जा सके, इन पहलुओं को समझते हुए सरकार किसानों के हित में कदम उठा सकती है।