निबंध

मार्टिन लूथर किंग पर निबंध (Martin Luther King Essay in Hindi)

एक सामाजिक कार्यकर्ता जिसने संसार को बदलने के लिए जन्म लिया था, उसका पूरा जीवन एक प्रेरणास्रोत है, कैसे उसने इतनी कम उम्र में इतना कुछ कमाया। जीवन आसान या सरल नहीं है, हमें इसे बनाना पड़ता है और लूथर किंग इस कथन का सबसे बेहतर उदाहरण है। उनकी प्रसिद्ध पंक्ति; “जो लोग खुशी की तलाश में नहीं हैं वे इसे ढूंढने की सबसे अधिक संभावना रखते हैं क्योंकि जो लोग खोज रहे हैं वे भूल जाते हैं कि खुश रहने का सबसे अच्छा तरीका दूसरों के लिए खुशी की तलाश है।”

मार्टिन लूथर किंग पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Martin Luther King in Hindi, Martin Luther King par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (250 शब्द) – मार्टिन लूथर किंग

परिचय

मार्टिन लूथर किंग का जन्म 15 जनवरी, 1929 को अमेरिका के अटलांटा में हुआ था, और उनका पूरा नाम डॉ. मार्टिन लूथर किंग जूनियर था; एक अश्वेत जिसने सत्य और अहिंसा का मार्ग स्वीकार किया। वह समानता के लिए खड़ा था और अमेरिका में रहने वाले अफ्रीकी लोगों के लिए स्वतंत्रता लेकर आया।

उनका जीवन और प्रेरणा

यह वो व्यक्ति था जो अमेरिकी समाज में पाबंदियों के खिलाफ खड़ा था। अश्वेतों के साथ गुलामों की तरह बर्ताव किया जाता था और उनकी अपनी कोई पहचान नहीं थी और उन्हें कुछ भी और करने की अनुमति तक नहीं थी। इन लोगों को शारीरिक और मानसिक रूप से बुरी तरह से प्रताड़ित किया जाता था। वे रहते तो अमेरिका में थे मगर उनके साथ यहाँ के एक नागरिक जैसा व्यवहार नहीं किया जाता है।

वर्ष 1963 में वाशिंगटन नागरिक अधिकार मार्च, अफ्रीकी अमेरिकी समुदाय के अधिकारों की मांग के लिए बुलाया गया था। 28 अगस्त, 1963 को, उन्होंने अब्राहम लिंकन मेमोरियल, की सीढ़ियों पर एक भाषण दिया ‘मेरा एक सपना है’। यह उनके जीवन का महत्वपूर्ण मोड़ था और यह भाषण इतना ज्यादा प्रभावी था कि उन्होंने बहुतों का ध्यान आकर्षित किया और साथ ही साथ टाइम्स पर्सन ऑफ द ईयर के रूप में नामित भी हुए। इसके अलावा, उन्होंने वर्ष 1964 में नोबल पुरस्कार भी जीता। इसके साथ ही वह नोबेल पुरस्कार जीतने वाले सबसे कम उम्र के व्यक्ति भी बने।

निष्कर्ष

यह हमारा सच्चा दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत ही होती है जो हमें सफल बनाती है। धैर्य रखें और सच्चाई के मार्ग पर चलें आप निश्चित रूप से एक दिन सफल होंगे। उन्होंने कई लोगों से सीखा और उसे अपने जीवन में लागू किया। अपने भाषण ‘मेरा एक सपना है’ में उन्होंने अंतिम पंक्ति के रूप में “फ्री एट लास्ट! फ्री एट लास्ट! भगवान का शुक्र है, अंत में हम स्वतंत्र हैं!” का वर्णन किया।

निबंध 2 (400 शब्द) – मार्टिन लूथर किंग: अमेरिकन गांधी

परिचय

मार्टिन लूथर किंग का जन्म 15 जनवरी, 1929 को अमेरिका के जॉर्जिया के अटलांटा में हुआ था। अहिंसा के लिए उनकी प्रशंसा की जाती थी और वे हमेशा लोगों को विनम्र रहने और हथियारों को अलग रखने के लिए प्रोत्साहित करते थे। वह एक प्रेरणास्रोत है और भले ही वह अब इस दुनिया में नहीं हैं, उनके विचार अभी भी हमारे बीच जीवित हैं।

वह गांधी से कैसे प्रेरित हुए

एक बार मॉन्टगोमरी शहर में, एक रोज अमरीका की एक महिला ने एक श्वेत महिला को अपनी सीट देने से इनकार कर दिया। उन दिनों शहर में एक प्रणाली लागू थी जिसमें बसों को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया था और कुछ सीटें श्वेतों के लिए आरक्षित थीं। लेकिन वह काली महिला जिसका नाम रोजा पार्क्स था, एक श्वेत आरक्षित सीट पर बैठी थी और परिणामस्वरूप, उसे गिरफ्तार कर लिया गया था।

शहर के सभी अश्वेत एक साथ आ गए और अमेरिका में बस परिवहन का बहिष्कार शुरू कर दिया और मार्टिन ने इस आंदोलन में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्हें यह प्रेरणा भारत या हम कह सकते हैं कि असहयोग आंदोलन और सत्याग्रह आंदोलन के एक भारतीय नायक, महात्मा गांधी से मिली थी। असल में वो गांधीजी के सच्चे प्रशंसक थे और हमेशा उनसे मिलना चाहते थे। आंदोलन के बाद, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने अलग अलग सीटों की इस प्रणाली को असंवैधानिक घोषित कर दिया।

इस बड़ी सफलता के बाद, उनके एक मित्र ने उन्हें भारत आने का सुझाव दिया और कहा की यहाँ आओ और देखा कि कैसे गांधी, जिनके वे इतने बड़े प्रशंसक थे, ने भारत को गढ़ा है? मार्टिन के भी कुछ ऐसे ही विचार थे और उन्होंने भारत आने की सोची। मार्टिन ने अपनी पत्नी और बच्चों के साथ भारत की यात्रा करने की योजना बनाई, उन्होंने यह भी बताया कि बचपन के दिनों से ही उनका भारत आने का मन था और अपने सपनों की भूमि को देखकर वो बहुत खुश थे।

आखिरकार, वह भारत आ गये और 10 फरवरी से 10 मार्च तक यहां एक महीने के लिए थे और यह उनके लिए एक जागरण यात्रा थी। उन्होंने कई शहरों और विश्वविद्यालयों का दौरा किया; उन्होंने कई लोगों, छात्रों को संबोधित किया, और अफ्रीकी छात्रों से भी मिले। हर जगह उन्होंने सिर्फ लोगों को रंग-भेद और जातिवाद की सलाखों को हटाने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने लोगों को प्यार करने, शांति पाने और युद्ध और हथियारों का त्याग करके भाईचारा अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया।

जब वे भारत में थे तो किंग जूनियर अक्सर शहरों में सुबह की सैर के लिए सड़कों पर निकल जाते थे और जो लोग उन्हें पहचानते थे, उनसे पूछते थे – ‘क्या आप मार्टिन लूथर किंग हैं?’ वह भारत में मिले प्यार और समर्थन से बेहद अभिभूत थे।

उन्होंने गांधीजी के विचारों, दृष्टिकोण को अपनाया और इस तरह से उन्हें अमेरिका का गांधी कहा गया। वह भारत में आकर वास्तव में खुश थे और उन्होंने पाया कि यहाँ पर त्वचा के रंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं था।

निष्कर्ष

मार्टिन लूथर किंग एक महान व्यक्ति थे, यहां तक ​​कि उन्होंने कभी किसी के विचार या दृष्टिकोण को अपनाने तक में शर्म महसूस नहीं की। यह एक बहुत बड़ी बात है और हमें वास्तव में उससे सीखना चाहिए। उनका पूरा जीवन एक संघर्ष था और उन्होंने दूसरों के लिए संघर्ष किया, वह दूसरों के लिए जीते रहे और वास्तव में एक बदलाव लेकर आये।

निबंध 3 (600 शब्द) – मार्टिन लूथर किंग : एक हीरो

परिचय

एक हीरो वह व्यक्ति होता है जिसके अन्दर कुछ विशेष बात हो और जो हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहता हो। उन्होंने अश्वेतों के लिए काफी काम किया है। उनका मुख्य उद्देश्य था संसार में बराबरी लाना। वे अहिंसा के सख्त समर्थक थे और शांति को बढ़ावा देते थे। वो एक मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुख रखते थे लेकिन ये उनका दृढ़ संकल्प था जिसने उन्हें नोबल पुरस्कार दिलाया। उन्होंने गुलामी ख़त्म कर बराबरी को लाया और अमेरिका में हर किसी की आजादी की एक नयी परिभाषा भी लेकर आये।

एक व्यक्ति जो बराबरी के लिए खड़ा रहा

मोंटगोमरी सिटी, अलबामा राज्य, यूएसए में यहाँ पर बसों में श्वेत और अश्वेतों के लिए अलग-अलग सीटों का चलन था। एक बार रोसा पार्क्स नामक एक अश्वेत महिला उस सीट पर बैठ गयी जो श्वेत के लिए आरक्षित थी और उसने श्वेत महिला के लिए सीट से उठने के लिए भी इनकार कर दिया। परिणामस्वरूप, उसे तत्काल ही गिरफ्तार कर लिया गया। उस दिन से ही अश्वेतों द्वारा बस परिवहन का बहिष्कार शुरू कर दिया गया। यह ऐतिहासिक बहिष्कार पूरे 381 दिनों तक चला। मार्टिन अमेरिका में इस आंदोलन के नायकों में से एक थे और महात्मा गांधी उनकी प्रेरणा थे जिन्होंने इतने बड़े बहिष्कार की शुरुआत की। जिसके परिणाम स्वरूप, अमेरिका की अदालत ने इस भेदभाव को असंवैधानिक करार दिया। यह अश्वेतों के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि थी।

द थ्री ईविल्स

मार्टिन लूथर किंग ने अपने भाषण में समाज की तीन बुराइयों को चिह्नित किया और वे नस्लवाद, गरीबी और युद्ध थे। सबसे पहला है नस्लवाद, जब श्वेत अमेरिकी लोकतंत्र के लिए संघर्ष कर रहे थे, उसी समय वे अश्वेत अमेरिकियों पर तानाशाही के पक्ष में भी थे। इस समय लूथर किंग ने अश्वेतों को जागृत रहने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने लोगों को इसके लिए कदम उठाने के लिए प्रेरित किया।

अब दूसरी बुराई गरीबी थी, यह उन गन्दी बस्तियों, अच्छी शिक्षा और उनके समाज को प्रभावित करने वाले कुछ अन्य मुद्दों से छुटकारा पाने का समय था। दुर्भाग्य से ये कारक अश्वेतों पर ही लागू थे और उनकी पहचान छीन रहे थे।

तीसरी बुराई युद्ध था, क्योंकि यह कभी संतुष्टि नहीं देता है और हमेशा नष्ट करता है फिर चाहे यह एक जगह हो, मानव की हानि हो, आदि। लूथर किंग युद्ध और हिंसा के खिलाफ थे। उन्होंने हमेशा अहिंसा का समर्थन किया और शांति को बढ़ावा दिया।

उनकी उपलब्धियां

वर्ष 1957 से शुरू होकर जीवित रहने से लेकर मरणोपरांत तक उन्होंने कई पुरस्कार जीते:

  • 1957 में स्पिंगरन मेडल
  • 1959 में अनफिल्ड-वुल्फ बुक पुरस्कार फॉर नॉनफिक्शन
  • 1964 में नोबेल शांति पुरस्कार
  • 1966 में मार्गरेट सेंगर अवार्ड्स
  • 1966 में अंतर्राष्ट्रीय समझ के लिए जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार
  • 1971 में बेस्ट स्पोकेन वर्ड एल्बम के लिए ग्रैमी अवार्ड
  • 1977 में स्वतंत्रता का राष्ट्रपति पदक
  • 2004 में कांग्रेस स्वर्ण पदक
  • 2012 में ग्रैमी हॉल ऑफ फेम

लूथर किंग के बारे में कुछ तथ्य

  • शुरुवात में, उनका नाम माइकल था और उनके पिता अटलांटा के एबेनेज़र बैपटिस्ट चर्च में एक पादरी थे।
  • वह सिर्फ 15 साल के थे जब उन्होंने अपनी कॉलेज की शिक्षा शुरू की और उन्होंने समाजशास्त्र विषय में अपनी डिग्री पूरी की।
  • लूथर को नागरिक अधिकारों के दौरान सविनय अवज्ञा के कृत्यों के लिए 25 से भी अधिक बार कैद किया गया था।
  • वह सिर्फ 35 साल के थे जब उन्हें नोबल पुरस्कार मिला और उस समय वह इसे पाने वाले सबसे युवा थे।
  • उनके नाम पर एक राष्ट्रीय अवकाश है और लूथर इस सम्मान को पाने वाले एकमात्र गैर-राष्ट्रपति हैं।
  • उनकी मां की भी एक शूटर ने गोली मार कर हत्या कर दी थी।

निष्कर्ष

वह एक बैपटिस्ट नेता थे जिन्होंने अमेरीकी नागरिक अधिकारों के आन्दोलन के दौरान बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वो इतने ज्यादा मशहूर और शक्तिशाली थे कि कई श्वेत उन्हें और उनके विचारों को पसंद नहीं करते थे जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 1968 में उनकी हत्या कर दी गयी। वो भाईचारे और प्रेम का सन्देश फ़ैलाने के लिए जन्म लिए थे, न सिर्फ अपने देश में बल्कि सम्पुर्ण विश्व भर में। वो भारत में भी बराबर मशहूर थे और उन्होंने अपनी किताब में भारत दौरे पर मिलने वाले प्यार और स्नेह को बखूबी दर्शाया है।

Kumar Gourav

बनारस हिन्द विश्व विद्यालय से हिंदी पत्रकारिता में परास्नातक कर चुके कुमार गौरव पिछले 3 वर्षों से भी ज्यादा समय से कई अलग अलग वेबसाइटों से जुड़कर हिंदी लेखन का कार्य करते आये हैं। इनका हर कार्य गहन अन्वेषण के साथ उभरकर सामने आता है जो पाठकों को काफी ज्यादा प्रभावित करता है। स्वास्थ्य से लेकर मनोरंजन, टेक्नोलोजी से लेकर जीवनशैली तक हर क्षेत्र में इनकी बेहतर पकड़ है। इनकी सबसे बड़ी खूबी इनकी सक्रियता है, जो इन्हें हमेशा शीर्ष पर रखती है।

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