इस पृथ्वी पर लाखों लोग जन्म लेते हैं, जीते हैं और अंत में मर जाते हैं। मानवों की इस भीड़ में कुछ ही ऐसे होते हैं जो ऐतिहासिक रूप में महान बनते हैं। यह महानता उनके एक विशिष्ट पहचान और विशेष कार्यों को दर्शाती है। हमें अपने जीवन में ऐसे व्यक्तियों का उदहारण देना चाहिए और उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए। महात्मा गांधी ऐसे ही महानतम उदहारण के रूप में है जो कई लोगों के लिए एक प्रेरणा का नाम है। उनके महानतम कार्यों से न केवल भारत के ही बल्कि दुनिया भर के लोगों के बीच गांधी जी एक प्रेरणा का विषय है।
उनकी महान विचारधारा और उनके नैतिक मूल्य इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुए हैं। महात्मा गांधी हमेशा से ही अपने जीवन में अपने नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों का पालन किया, उनके नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से आज भी सारी दुनिया के लोग प्रभावित है। मैंने यहां एक दीर्घ निबंध प्रस्तुत किया है, जो आपको महात्मा गांधी के नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों से अवगत कराएगा। इस निबंध के माध्यम से छात्रों को उनके प्रोजेक्ट और पढ़ाई में काफी मदद मिलेगी।
परिचय
महात्मा गांधी अपनी अवधारणाओं, मूल्यों और सिद्धांतों और सत्य और अहिंसा के वो महान अनुयायी थे। उनके जैसा कोई अन्य व्यक्ति फिर कभी पैदा नहीं हुआ। बेशक वो शारीरिक रूप से मर गए है, लेकिन उनके नैतिक मूल्य और सिद्धांत आज भी हम सभी के बीच जीवित हैं।
महात्मा गांधी – राष्ट्रपिता
महात्मा गांधी को लोकप्रिय रूप से बापू या राष्ट्रपिता के रूप में जाना जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचंद गांधी है। यह वही थे जिन्होंने भारत को लंबे समय से कर रहे अंगेजों के शासन से मुक्त करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था। राष्ट्र के लिए की गई उनकी सेवाएं अविस्मरणीय है। वो एक महान नेता और अद्वितीय राजनेता थे, जिन्होंने लड़ाई और रक्तपात के बजाय शांति से किसी भी लड़ाई को जितने के लिए सत्य और अहिंसा का इस्तेमाल किया था। उन्होंने अपना जीवन अपने कुछ सिद्धांतों और मूल्यों के अनुसार जीया, जिन्हें लोग आज भी मानते हैं।
नैतिक मूल्यों से जुड़े गांधीवादी सिद्धांत
गांधी जी ने अपना सारा जीवन बहुत ही सादगी भरा जीवन व्यतीत किया और अपने जीवन के अधिकांश वर्ष लोगों के अधिकारों के लिए लड़ते हुए व्यतीत किया। उनका जीवन प्रेरणा दायक सिद्धांतों और मूल्यों से भरा हुआ था। उन्होंने अपने जीवन में जिन सिद्धांतों को अपनाया, वे उनके अपने जीवन के अनुभवों से प्राप्त हुए थे। यहां हम महात्मा गांधी के सिद्धांतों और मूल्यों पर चर्चा करेंगे।
गांधी जी के अनुसार, ‘अहिंसा’ लड़ाई में प्रयुक्त होने वाले हथियारों में एक प्रमुख हथियार है। उन्होंने कहा कि हमें अपने विचारों और कार्यों में अहिंसा को अपनाने की आवश्यकता है। वे अपने जीवन में अहिंसा का सख्ती से पालन करके राष्ट्र की स्वतंत्रता के अभियान में जनता का पूर्ण समर्थन प्राप्त करने में सफल रहे हैं। वह अहिंसा के उपासक के रूप में जाने जाते हैं। उन्होंने कहा कि हिंसा को अपनाने से बड़े पैमाने पर रक्तपात और विनाश होगा और अहिंसा युद्ध जितने का एक अचूक हथियार के रूप में है। उन्होंने न केवल लोगों को अहिंसा का पाठ पढ़ाया बल्कि स्वतंत्रता संग्राम में इसका उपयोग भी किया। उन्होंने अपने असहयोग आंदोलन में लोगों को सलाह दी कि वह किसी भी हिंसक तरीके का इस्तेमाल न करें। उन्होंने हिंसक प्रक्रियाओं को अपनाने के बजाय शांतिपूर्ण तरीके से अग्रेजों के क्रूरता से निपटने को कहा और वो हमेशा अपनी बात पर अडिग रहें।
गांधी जी ईमानदारी के बहुत बड़े अनुयायी थे। उन्होंने बताया कि हमें अपने जीवन में सच्चा होना बहुत जरूरी है। हमें सत्य को स्वीकार करने से कभी डरना नहीं चाहिए। उनके अनुसार, अहिंसा को हम अपने जीवन में ईमानदारी और सच्चाई से ही प्राप्त कर सकते है। गांधी जी ने अपना पूरा जीवन लोगों के अधिकारों को दिलाने के लिए लगाया ताकि उन्हें न्याय मिल सके। इसे सत्य की लड़ाई के रूप में भी देखा जा सकता है। उन्होंने कहा था कि सत्यता ईश्वर का ही एक दूसरा रूप है।
महात्मा गांधी ने हमारी जरूरतों के लिए दूसरों पर निर्भर रहने के बजाय आत्मनिर्भर बनाने पर ध्यान केंद्रित किया है। उन्होंने देश में एक स्वदेशी आंदोलन को चलाया था, जो हमारे देश में निर्मित वस्तुओं के निर्माण और इस्तेमाल और विदेशी निर्माण वस्तुओं का बहिष्कार करने के लिए था इसका एक उदहारण हमारे देश में चरखे द्वारा खादी की कताई की शिक्षा दी।
गांधी जी की ईश्वर में गहरी आस्था थी। उन्होंने कहा था कि कभी भी किसी इंसान से नहीं बल्कि भगवान से डरना चाहिए। वह एक सर्व शक्तिमान है। इस बात की पहचान उनकी इन पंक्तियों में देखा जा सकता है कि “ईश्वर, अल्लाह तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान”, जो गांधी जी के मुख से कही गयी थी।
उन्होंने कहा था कि जो चीजें हमें अपने स्वयं के प्रयास से उपहार के रूप में पुरस्कृत या मिलती हैं, वो चीजें केवल हमारे हक़ की होती हैं। गलत तरीकों या अन्य अधिकारों के उपयोग से हम जो कुछ भी हासिल करते हैं, वो चीजें हमारी नहीं होती है और वो चीजें चोरी की गई चीजों के समान होती है। यह हमारे लिए कभी भी फलदायी नहीं होती है। हमें अपनी कड़ी मेहनत पर विश्वास रखना चाहिए और उन चीजों को हासिल करना चाहिए जिसके लिए हम वास्तविक रूप से हकदार हैं।
गांधी जी ने कहा कि हमें कोई भी कार्य करने से पहले उसके बारे में सोच-विचार कर लेना चाहिए। हम जो कुछ भी बोलते और करते उसपर उचित नियंत्रण होना चाहिए। हमें अपने अंदर निहित अपनी क्षमता और उन क्षमताओं का एहसास होना चाहिए और अपने आत्म-अनुशासन के बिना यानी अपनी इच्छाओं पर नियंत्रण के बिना यह असंभव नहीं है।
गांधी जी ने भेदभाव और अस्पृश्यता की प्रथा के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने लोगों के हित की लड़ाई लड़ी थी। उनके अनुसार, हम सभी ईश्वर के द्वारा बनाये गए है और इसलिए सभी एक सामान हैं। हमें कभी भी किसी के साथ जाति, पंथ या धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। वह चाहते थे कि लोग एकता और भाईचारे के साथ रहें और आपस में सभी धर्मों का सम्मान करें।
हमें इस धरती पर हर जीवों का सम्मान करने की आवश्यकता हैं।
गांधी जी के नेतृत्व में विभिन्न स्वतंत्रता संग्राम और जन आंदोलन अहिंसा से जुड़े थे। वह सभी कठिनाइयों को समाप्त करना चाहते थे और शांतिपूर्ण तरीके से प्राप्त करना चाहते थे। उन्होंने अंग्रेजों की नफरत और उनकी हिंसा के लिए अहिंसा को इस्तेमाल किया था। हिंसक हमलों, अन्याय और विनाश की शांतिपूर्ण और हानिरहित प्रतिक्रिया ही सत्याग्रह है। उन्होंने उपवास के तरीकों का इस्तेमाल किया और कभी भी हिंसक तरीकों का इस्तेमाल नहीं किया।
क्या महात्मा गांधी के नैतिक मूल्य और सिद्धांत उनके अपने जीवन के व्यावहारिक अनुभव थे?
महात्मा गांधी एक राजनीतिक नेता थे और ईश्वर में बहुत विश्वास रखते थे। उन्होंने कभी भी सत्ता या वर्चस्व हासिल करने के लिए नेताओं की तरह कुछ नहीं किया, वह केवल जनता के नेता थे। उन्होंने मानवता की परवाह की और निचे तबके के लोगों के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। सत्य और अहिंसा उनके महत्वपूर्ण हथियार थे। हर हालात में अहिंसा का पालन करना बहुत ही मुश्किल काम है, लेकिन गांधी जी ने कभी भी हिंसा का रास्ता नहीं अपनाया। गांधी जी ने स्वास्थ्य और स्वच्छता को भी बहुत ही महत्त्व दिया।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने अपने जीवन में जिन चीजों का प्रचार किया, उनमें से अधिकांश उनके जीवन के व्यावहारिक अनुभवों से थी। ये सिद्धांत सभी के जीवन से सभी पहलुओं में जैसे सामाजिक, आर्थिक, शैक्षिक, राजनीतिक आदि में महत्वपूर्ण हैं।
निष्कर्ष
महात्मा गांधी की ये सभी शिक्षाएं उनके जीवन में वास्तविक जीवन की घटनाओं पर आधारित हैं। वह एक महान समाज सुधारक थे, उन्होंने समाज से वंचित समूहों के कल्याण के लिए बहुत प्रयास किये है। उनके सिद्धांत समाज में परिवर्तन लाने में हमेशा ही अग्रिम और सहायक सिद्ध रहे हैं। नैतिक मूल्य और सिद्धांत भी हमारे जीवन के लिए हमेशा ही हमारा मार्गदर्शन करते रहेंगे।