हमारा देश सदियों से विश्व गुरू रहा है। ज्ञान का प्रकाश-पुंज भारत वर्ष से ही चहुँ दिशाओं में प्रकाशित होता रहा है। भारत की प्रतिभा और ज्ञान का कायल पूरा विश्व सदियों से रहा है। हमारे देश में तब से विश्व-विद्यालय हैँ, जब दुनिया को अक्षर का ज्ञान भी नहीं था। लिखने की कला नवीन नहीं है, वैदिक काल से ही वेदों और शास्त्रों का अध्ययन-अध्यापन होता रहा है। अनंत रचनाएँ रची जा चुकी है, जिसने हमारे भाषा-साहित्य को समृध्द किया है। बहुत लोगों को पढ़ने का शौक होता है, उनमे से मै भी एक हूँ। विद्वानों की कृतियाँ पढ़ने से समाज को देखने का अलग नजरिया विकसित होता है। यहाँ अपनी मनपसंद कृतियों का कुछ अंश मैं आपके साथ साझा कर रही हूँ।
मेरा प्रिय लेखक पर छोटे-बङे निबंध (Long and Short Essay on My Favourite Author in Hindi, Mera Priya Lekhak par Nibandh Hindi mein)
निबंध – 1 (300 शब्द)
“आर. के. नारायन”
प्रस्तावना
आर. के. नारायन भारतीय गद्यकारो में मेरे फेवरेट है। ये इकलौते ऐसे नॉवलिस्ट थे जो अपने समय में इंग्लिश में अपने नॉवेल लिखा करते थे। इनकी कहानी को गढ़ने की कला अतुलनीय थी। जिस प्रकार ये अपने किरदारों के द्वारा लोगो के मन मेँ उतर जाते थे, वैसा अन्यत्र मिलना मुश्किल है।
प्रारंभिक जीवन और कार्य
नारायन जी का जन्म 1906 ईसवी में मद्रास के एक छोटे से गाँव में हिन्दू ब्राह्मण परिवार मे हुआ था। इनका पूरा नाम राशिपुरम् कृष्णास्वामी अय्यर नारायणस्वामी था। इन्हें बचपन से ही पढ़ने में बहुत रूचि थी। इंग्लिश साहित्य में आपका झुकाव ज्यादा था। प्ररंभिक शिक्षा के लिए इन्हे लुथरन मिशनरी स्कूल भेजा गया, जहाँ नारायन जी के साथ भेदभाव किया जाता था, क्योंकि बाकी बच्चे क्रिश्चन थे। जिसका उनके ऊपर गहरा प्रभाव पड़ा।
अपने करियर की शुरूआत उन्होने शिक्षक के रूप में की। शीघ्र ही उन्होने लिखना भी प्रारंभ कर दिया। आर. के. नारायन का ‘मालगुड़ी डेज’ के नाम से धारावाहिक आता था जो बचपन में मुझे बेहद पसंद था।
महान उपन्यासकार
उनके सारे उपन्यास बहुत ही अच्छे है। उन सबमें मुझे उनका ‘स्वामी एंड फ्रेंड्स’ खासा पसंद है। इसे पढ़कर लगता है, मानो सारे पात्र हमारे आस-पास के ही है। ‘द डार्क रूम’, ‘द वेण्डर ऑफ स्वीट्स’, ‘मालगुडी डेज’, ‘द इंग्लिश टीचर’, ‘मिस्टर संपथ’, ‘अ हॉर्स एंड द गोट्स’, ‘द वर्ल्ड ऑफ नागराज’, ‘ग्रांडमदर्स टेल’, ‘अंडर द बनियान ट्री’ इत्यादि उनकी कुछ महान कृतियों में से हैं जिसने उनको साहित्यकारों की अग्रणी श्रेणी में खड़ा कर दिया।
निष्कर्ष
आर. के. नारायन उच्च कोटि के साहित्यकार थे। उनकी सारी रचनाएँ भारत की मिट्टी से जुड़ी है। उनके सभी पात्र भारतीय जनमानस के ही इर्द-गिर्द घूमा करते है। इसीलिए अपने से प्रतीत होते है। एकदम नये-नये कथानक से उनके नॉवेल में चार चाँद लग जाता था। कमाल की कल्पना थी, उनकी। उनके कार्य के लिए उन्हे 1958 में साहित्य अकादमी अवार्ड से भी नवाजा गया। यह श्रृंखला यहीं नही रूकी। सन् 1964 में पद्म भूषण और सन् 2000 में पद्म विभूषण से भी सम्मानित किया गया।
निबंध – 2 (400 शब्द)
“मुंशी प्रेमचंद”
प्रस्तावना
मुझे हिन्दी साहित्यकारों में मुंशी प्रेमचन्द सबसे ज्यादा पसंद है। उनकी दिल को छू लेने वाली रचनाएँ किसी को भी उनकी प्रतिभा का लोहा मानने पर विवश कर सकती है। उनकी कलम ने जिस-जिस को छुआ, उसे सोना बना दिया। हर विधा पर उनकी पकड़ एक से बढ़कर एक थी।
प्रारम्भिक जीवन एवं कार्य
प्रेमचंद का जन्म 1880 ईसवी में वाराणसी के लमही नामक स्थान पर हुआ था। प्रेमचंद जी का प्रारंभिक जीवन बड़ा कष्ट मे बीता। सात साल की आयु में ही उनकी माता चल बसी, और चौदह वर्ष में पिता भी इस दुनिया से चले गये। प्रेमचंद का विवाह 15 साल की छोटी सी आयु में हो गया था, जैसा कि तत्कालीन समय में होता था। परंतु यह विवाह सफल नही हुआ। 1906 में उन्होने विधवा विवाह का समर्थन करते हुए एक बाल विधवा शिवारानी से विवाह किया। इनका खुद का जीवन भी बहुत प्रेरणास्पद है।
प्रारंभ में वे नवाबराय के नाम से लिखते थे, किन्तु 1910 में उनकी लिखी कृतियों को जब्त कर लिया गया और हमीरपुर के तत्कालीन कलेक्टर ने उनकी रचना ‘सोजे-वतन’(राष्ट्र का विलाप) के लिए उन्हे चेतावनी दी कि आगे वो नही लिखेंगे, अगर लिखा तो जेल हो जाएगी।
अभी तक वे उर्दू में लिखा करते थे, अपने एक मित्र की सलाह पर उन्होने अपना नाम बदलकर प्रेमचंद रख लिया। और अब वे प्रेमचंद के नाम से लिखने लगे।
जीवन के अंतिम क्षणो में गंभीर रूप से बिमार पड़े और 1936 में उनका देहावसान हो गया। उनकी अंतिम रचना ‘मंगलसूत्र’ अधूरी ही छूट गयी जिसे बाद में उनके पुत्र अमृतराय ने पूरा किया।
प्रेमचंद की रचनाएँ
उपन्यास:
1) गबन (1931)
2) गोदान (1936)
3) सेवा सदन (1918)
4) कर्मभूमि (1920)
5) वरदान (1921)
6) प्रेमाश्रम (1921)
कहानियाँ:
- पंच परमेश्वर
- दो बैलो की कथा
- ईदगाह
- पूस की रात
- सद्गति
- बूढ़ी दादी
कहानियाँ-संग्रह:
- सप्त सरोज
- नवनिधि
- प्रेमपूर्णिमा
- प्रेम-पचीसी
- प्रेम-प्रतिमा
- प्रेम-द्वादशी
- समरयात्रा
- मानसरोवर
प्रसिद्ध लेख:
- साहित्य का उद्देश्य
- पुराना जमाना नया जमाना
- स्वराज के फायदे
- कहानी कला
- कौमी भाषा के विषय में कुछ विचार
- हिंदी-उर्दू की एकता
- महाजनी सभ्यता
निष्कर्ष
प्रेमचंद की जितनी प्रशंसा की जाय, उतनी कम है। उनके उपन्यास दुनिया की कई भाषाओं में ट्रांसलेट किये गये। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूरी दुनिया उनकी रचनाओं को पढ़ना चाहती है।
निबंध – 3 (500 शब्द)
“रार्बट कियोसाकी”
प्रस्तावना
रॉबर्ट कियोसाकी का सबसे बेहतरीन विचार यह है कि,
“मिडिल क्लास और गरीब व्यक्ति अपनी पूरी ज़िंदगी पैसा कमाने के लिये कड़ी मेहनत करते हैं लेकिन अमीर व्यक्ति अपने पास पैसा रखता है और यही पैसा उसके लिए कड़ी मेहनत करके और अधिक पैसा कमाता है।“
रार्बट कियोसाकी द्वारा लिखी बुक ‘रिच डैड पुअर डैड ‘ मेरी फेवरेट किताबों में से एक है। एक सफल बिजनसमैन बनने के सारे गुर इसमें सिखाये गये हैं। एक सफल एन्टरप्रेन्योर बनने के लिए किन किन चीजों की जरूरत होती है, आप इसे पढ़ कर सीख सकते है। यह एक फिक्शनल नॉवेल है, जिसके माध्यम से कियोसाकी कहते हैं कि “पैसों के बारे में लोग अपने बच्चों को ऐसा क्या सिखाते है, जो एक गरीब और मध्यम वर्ग के माता-पिता नहीं सिखाते”।
रार्बट कियोसाकी – जीवन और कार्य
8 अप्रैल 1947 को हवाई, यू.एस. में जन्मे रार्बट कियोसाकी का पूरा नाम रार्बट टोरू कियोसाकी है। इनके पिता राल्फ एच. कियोसाकी और माता मरजोरी ओ. कियोसाकी सभ्य और नैतिक दम्पत्ति थे। दोनों ने कड़ी मेहनत से अपने बच्चों को पढाया और शिक्षा के महत्व को समझाया। पिता राल्फ जो कि अपने बेटे की नजरों और बेशक किताबो में एक गरीब पिता की छवि मे है। सच्चाई इसके उलट थी। वो बिल्कुल भी गरीब नही थे। ज्ञान और अनुभव की अकूत सम्पदा थी। इस धन के बावजूद राल्फ को एक ‘गरीब पिता’ के रूप में जाना जाता है।
रार्बट ने अपनी स्कूली पढ़ाई खत्म करने के बाद 1965 में ग्रेजुएशन किया। इसके बाद अलग-अलग जगहों पर काम करना शुरू कर दिया। सबसे पहले नेवी ज्वाइन किया, फिर न्यू यॉर्क जाकर स्टैंडर्ड आयल टैंकर में काम करना शुरू किया। 1974 तक अलग-अलग जगहों पर काम करने के बाद अन्ततः अपना खुद का काम(बिजनस) शुरू कर दिया।
रॉबर्ट कियोसाकी के द्वारा लिखी गयीं किताबें
- व्हाई द रिच गेट रिचर
- सेकंड चांस फ़ॉर योर मनी योर लाइफ एंड आवर वर्ल्ड
- कैशफलो क्वाड्रेंट : रिच डैड पुअर डैड
- मिदास टच व्हाई सम एंटरप्रेन्योरस गेट रिच एंड व्हाई मोस्ट डोंट
- द बिज़नेस ऑफ 21st सेंचुरी
- इफ यू वांट टू बी रिच एंड हैप्पी डोंट गो टू स्कूलरू इंसुरिंग लाइफटाइम सिक्योरिटी फ़ॉर योरसेल्फ एंड योर चिल्ड्रन
- रिच डैड कॉन्सपिरेसी ऑफ द रिचरू द 8 न्यू रूल्स ऑफ मनी
- रिच डैड रिच ब्रदर रिच सिस्टर रिच डैड इनक्रीस योर फाइनांशियल IQ:गेट स्मार्टर विथ योर मनी
- व्हाई वी वांट यू टू बी रिच
- रिच डैड एस्केप फ्रॉम द रैट रेस
- यू कैन चूज टू बी रिच
- रिच डैड सक्सेस स्टोरीज
- रिच डैड गाइड टू इंवेस्टिंग
- रिच डैड रिटायर यंग, रिटायर रिच
- रिच डैड पुअर डैड : व्हाट द रिच टीच देयर किड्स अबाउट मनी – दैट द पुअर एंड मिडिल क्लास डू नॉट
- द बिज़नेस स्कूल फ़ॉर पीपल हु लाइक हेल्पिंग पीपल
- रिच डैड गाइड टू बिकमिंग रिच विदऑउट कटिंग अप योर क्रेडिट कार्डस
उपसंहार
रार्बट ने कई देशों की यात्राए भी की, जो उनके लिए बड़ा लाभकारी सिध्द हुआ। सब जगह उसने गरीबी और अमीरी को पास से देखा, और उसके अंतर को समझा। उसके बाद अपने क्रांतिकारी विचारों से दुनिया को अवगत कराया।
रॉबर्ट कियोसाकी के सभी किताबों में से सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब थी “रिच डैड पुअर डैड” जिसे 95% लोगों ने पसन्द किया था, जो अब भी जारी है।
रार्बट कियोसाकी एक सफल व्यापारी के साथ-साथ बेहद कुशल लेखक भी है। उन्होने रिच ग्लोबल एलएलसी और रिच डैड जैसी कंपनियों की स्थापना भी की। यह एक ऐसा प्लेटफॉम है, जिसके द्वारा आम लोग व्यवसायिक शिक्षा पा सकते है। यह कंपनी सॉफ्टवेयर गेम्स भी बनाती है।
निबंध – 4 (600 शब्द)
“रहौंडा बर्न”
प्रस्तावना
“आज आपके पास जो कुछ है उसके लिए शुक्रगुजार यानि कृतज्ञ बने! जैसे ही आप उन चीज़ों के बारे में सोचना शुरू करेंगे, जिसके लिए आप शुक्रगुज़ार हैं, आप को यह देखकर आश्चर्य होगा की आपके मन में और अधिक चीज़ों के बारे में सतत विचार आने लगेंगे, जिनके बारे में आप कृतज्ञ हो सकतें हैं। आप को शुरुवात करनी है, और फिर आकर्षण का सिद्धांत आपके कृतज्ञ विचारों को ग्रहण कर लेगा और आपको उन्ही की तरह और देगा।“ – Rhonda Byrne, The Secret रहौंडा बर्न रहस्य
“आपके विचार ही आपकी शक्ति हैं, इसलिए जाग्रत रहिये”। – Rhonda Byrne, The Secret रहौंडा बर्न रहस्य
मेरी अब तक की सबसे फेवरेट ऑथर रही है, रहौंडा बर्न। उनकी किताब ‘रहस्य’ (The Secret, law of Attraction) मेरी सबसे फेवरेट बुक। उनके विचारो को पढ़ते ही मेरे रौंगटे खड़े हो जाते है। मैं जब भी दुखी या निराश होती हूँ, बस एक बार ये बुक पढ़ लेती हूँ और मेरे अंदर एक नई ऊर्जा का संचार हो जाता है। मेरी सारी निराशा चुटकियों में दूर हो जाती है।
कमाल का जादू है उनकी लेखनी मे; मुर्दे में भी जान फूँक दे। उनकी ‘द सीक्रेट’ पूरी दुनिया में क्रांति फैला दी। उन्होने अपनी बुक में जो-जो बात कही, उसे सम्पूर्ण विश्व ने स्वीकारा और सराहा भी। उसे पढ़कर आपको खुद महसूस होगा कि उसमे कही एक एक बात सही है, और सब पर एक समान लागू भी होती है।
रहौंडा बर्न – जीवन एवं कार्य
रहौंडा बर्न एक आस्ट्रेलियन लेखक और टेलीविजन निर्माता है। इनका जन्म 12 मार्च 1951 को हुआ था। जब उन्होने ये बुक लिखी तो वे घोर निराशा में थी, उनके पिता की अचानक मौत हो गयी थी, और उनके रिश्तो में कड़वाहट आ गयी थी। उसी घोर निराशा में उन्हे आशा की एक किरण दिखाई दी। और उन्होने इस अद्भुत अतुलनीय किताब की रचना कर डाली। ‘सीक्रेट’ के बाद उन्होने उसकी कई सीरिज भी लॉन्च की, जोकि उतनी ही उम्दा थी, जितनी प्रथम।
रहौंडा बर्न को उनके नये-नये और परिवर्तनकारी किताबों के कारण जाना जाता है। ‘सीक्रेट’ बुक पर बाद में मूवी भी बनी। फिल्म भी उतनी ही सफल हुई, जितनी की बुक। कमाल का अनुभव रहा, इसे पढ़ना और देखकर फील करना। हर किसी को एक बार इस बुक को जरूर पढ़ना चाहिए।
उनकी चार किताबो की श्रृंखला इस प्रकार है:
1) द सीक्रेट (लॉ ऑफ अट्रैक्शन)
2) द पॉवर
3) द मैजिक
4) हीरो
ये चारो कृतियाँ ने पूरी दुनिया मे धूम मचा दी। 2007 में रहौडा बर्न को विश्व की प्रतिष्ठित पत्रिका टाइम मैगजीन ने “सौ लोग जिन्होंने दुनिया को आकार दिया” मे शामिल किया। इसके बाद रहौंडा बर्न सफलता की सीढ़ीयाँ चढ़ती चली गयी। ओपराह विंफ्रे ने अपने सुप्रसिध्द टॉक शो में भी न्यौता दिया। एक बार जो ओपरा के शो मे चला जाय, उसकी तकदीर चमक जाती है, ऐसा रहौंडा बर्न के साथ भी हुआ।
निष्कर्ष
उनके दर्शन के अनुसार आप जो चाहे, बन सकते है। परमपिता परमेश्वर हमें वही देता है, जिसकी हमें सच में जरूरत होती है। ‘सीक्रेट एक सकारात्मक किताब है जो हमे हमेशा अच्छा सोचना सिखाती है। रहौंडा कहती है कि हमारी सोच ही हमारे जीवन की दिशा तय करती है। हम जैसा सोचते हैं, वैसे ही बन जाते है। हमारा दिमाग एक चुम्बक की तरह काम करता है। हम जो चाहे पा सकते है। इज्जत, दौलत, शौहरत सब कुछ। कुछ भी पाना नामुमकीन नही। इसे ही आकर्षण का सिध्दान्त कहते है।
2007 में ही सीक्रेट बुक की 19 मिलियन कॉपियाँ बिक गयी थी, जिसे 40 अलग-अलग भाषाओं में अनुवाद किया गया था। फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार 2009 में उनकी फिल्म और बुक ‘द सीक्रेट’ दोनों मिलकर 300 मिलियन की कमाई कर ली थी।