किताबें/पुस्तकें हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। इनके द्वारा ही हमारी मानसिक ज्ञान का विकास विस्तृत रूप से होता हैं। किसी वस्तु या विषय की सम्पूर्ण जानकारी हम किताबों के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं। मुख्य रूप से यह विषयों से संबंधित विभिन्न सूचनाओं और तथ्यों का एक सम्पूर्ण संग्रह हैं। हममें से बहुत से लोगों को किताबें पढ़ने का शौक होता है, पर हर एक की अपनी एक अलग पसंद होती हैं। जिसे हम अपनी पसंदीदा पुस्तक कहते हैं। इस निबंध में मैंने अपनी पसंद की पुस्तक के बारे में चर्चा की है।
परिचय
मैंने बहुत सी किताबों को पढ़ा है, जिनमें से कुछ मेरे पाठ्यक्रम की है जो मेरे बौद्धिक क्षमता को बढ़ाती है तो कुछ किताबें मेरा मनोरंजन भी करती है। बचपन में मेरे माता-पिता ने मुझे पढ़ने के लिए कहानियों की पुस्तकें देते थे, जिसे पढ़ना मेरे लिए बहुत आनंददायी और ज्ञानवर्धक सिद्ध होती थी।
मेरी पसंदीदा पुस्तक
पंचतंत्र की किताब में सारस और केकड़े की एक कहानी है। जिसमें हमें केकड़े की बुद्धि और विवेक का परिचय देखने को मिलता है। इस कहानी में एक बूढ़ा सारस होता है जो अपना भोजन या शिकार आसानी से नहीं ढूढ़पाता था। एक दिन वह तालाब के किनारे वाले पेड़ पर बैठा था और तालाब में ढ़ेर सारी मछलियां, मेढ़क औरकेकड़े को तालाब में देखा। गर्मियों का मौसम होने के कारण तालाब में पानी कम ही बचा था। इसलिए तालाब के सभी जीव बहुत दुखी थे। तब इस चालक सारस ने इन मछलियों, मेढकों और केकड़ों को खाने की एक योजना बनाई। सारस ने तालाब के पास जाकर सभी जलीय जंतुओं से उनके उदासी का कारण पूछा तो सबने तालाब के पानी कम होने का कारण बताया।
तब सारस ने सबसे झूठ कहा की पहाड़ी के उस पार एक बहुत बड़ा तालाब है जिसमें ढेर सारा पानी भी हैं। उसने कहा यदि सब चाहे तो मैं एक-एक करके सभी को अपनी चोंच में पकड़ कर उस तालाब में छोड़ सकताहूं। पर असल में वह सभी को खाना चाहता था। सभी ने आपस में निर्णय कर एक-एक कर उसके साथ उस तालाब में जाने का निर्णय लिया। पर केकड़े ने सारस की चालाकी को समझ गया और जब उसके साथ जाने लगा तो वह सारस के गर्दन में लटकने का फैसला किया। जाते समय उसने सारस को मार कर केकड़ा वहां से भाग निकला।
निष्कर्ष
पंचतंत्र की किताब मेरी पसंदीदा किताब है। इसकी कहानियां पढ़कर मुझे बहुत खुशी और साहस मिलती है। यह किताब हमें जीवन की नैतिक मूल्यों से भी परिचित कराती है। पुस्तकें हमें सारी दुनिया की जानकारी और उनके बारे में ज्ञान देती हैं, इसलिए वो हमारी सबसे अच्छी मित्र कही जाती हैं। एक अच्छे मित्र की तरह यह हमारी मदद करती हैं। हमें ज्ञान प्रदान करती है और हमारा मनोरंजन भी करती हैं।
परिचय
सैकड़ो ऐसी किताबें हैं जिन्हें हम अपने जीवन में पढ़ते हैं। इनको पढ़ने से ही हमें रोचकता और हमारे ज्ञान का विकास होता है। कुछ ऐसी किताबें होती हैं जो हमें जीवन में बहुत अधिक प्रेरित करती हैं, और यह हमारे जीवन की सबसे अच्छी किताब होती है।
मेरा पसंदीदा पुस्तक का वर्णन
महाभारत मेरा पसंदीदा किताबों में से एक है। इसे पढ़ने से पहले मुझे इस महाकाव्य के बारे में कुछ भी नहीं पता था। यह पुस्तक मेरे दादा-दादी ने मेरे जन्मदिवस पर उपहार के रूप में दीया था। शुरू में जब मैंने इस किताब को पढ़ना आरम्भ किया तो यह मुझे थोड़ा उबाऊ प्रतीत हुआ, इसलिए मैंने इसे अपने पुस्तकों के दराज़ में सुरक्षित रख दीया। बाद में जब टेलीविजन पर महाभारत का नाट्य रूपांतरण दिखाया गया तो वह मुझे काफी दिलचस्प लगी। वह नाट्य उस दिन थोड़ी ही दिखाई गई थी और मुझे जल्दी से इसकी पूरी कहानी को जानना था। इसलिए मैंने इस महाभारत की किताब पढ़नी शुरू कर दी।
महाभारत हिन्दू सांस्कृतिक की प्रमुख महाकाव्यों में से एक है। यह महर्षि वेदव्यास द्वारा लिखित महाकाव्य है। इस महाकाव्य में 10,000 श्लोक निहित हैं। यह महाकाव्य मुख्यतः पांडवों और कौरवों के बीच हस्तिनापुर के राज शासन को प्राप्त करने की लड़ाई पर आधारित है। इस महाकाव्य के अनुसार कुरुक्षेत्र में इसकी लड़ाई लड़ी गई थी।
महाभारत की कहानी संक्षेप में
यह महाकाव्य मुख्य रूप से कौरवों और पांडवों की कहानी पर आधारित है। धृतराष्ट्र और पाण्डु दो भाई थे। धृतराष्ट्र बड़े थे पर जन्म से ही वो अंधे थे, इसलिए शासन का सारा कार्यभार पाण्डु को सौप दिया गया। पाण्डु की अकस्मातिक मृत्यु के पश्चात् धृतराष्ट्र को शासन सौपा गया जब तक पाण्डु के बेटे शासन के काबिल न हो जाये। धृतराष्ट्र के सौ पुत्र थे जिनमें से दुर्योधन सबसे बड़ा पुत्र था। पाण्डु के पांच पुत्र थे, युधिष्ठिर, अर्जुन, भीम, नकुल और सहदेव। जिन्हे पांच पांडव के नाम से जाना गया। दुर्योधन ने पांडवों को चौसर खेलने के लिए आमंत्रित किया जिसे पांडवों ने स्वीकार कर लिया। इस खेल में पांडवों ने अपना सब कुछ खो दिया दौपदी को भी।
सब कुछ दुर्योधन के हाथों हारने के बाद इन्हें 13 वर्षों के लिए राज्य से निर्वासन की सजा मिली। निर्वासन की अवधी पूरी करने के बाद जब पांडव इन्द्रप्रस्थ लौटे तब दुर्योधन ने हस्तिनापुर पड़ावों को वापस देने से इंकार कर दिया। नतीजतन पांडवों को न्याय और धर्म की लड़ाई लड़नी पड़ी। बाद में पांडवों ने कौरवों और उनकी सेना को हराकर युद्ध को जीत लिया।
भगवत गीता
कौरवों और पांडवों के इस लड़ाई में अर्जुन अपने भाइयों और अपने रिश्तेदारों से लड़ने के लिए बिल्कुल तैयार न थे। तब अर्जुन को भगवान श्री कृष्ण ने समझाया और उन्हें जीवन के ज्ञान का बोध कराया। कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए इस ज्ञान को “भगवत गीता” के नाम से जाना गया। इस पुस्तक में जीवन के ज्ञान का भंडार है। यह महाकाव्य महाभारत का ही एक हिस्सा है।
इस महाकाव्य के अंतर्गत 18 अध्याय और 700 श्लोक शामिल हैं। यह हमें जीवन के महत्वपूर्ण पाठों के साथ जीवन का आध्यात्मिक पाठ भी सिखाता है।
भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को उपदेश देते हैं कि केवल शरीर का नाश होता है, आत्मा का नहीं। आत्मा एक शरीर को छोड़ती है तो दूसरे शरीर को धारण कर लेती है। आत्मा अजर और अमर है। गीता में समझाया गया है कि परिणामों की चिंता किये बिना हमें अपने कर्म करने की आवश्यकता है। अपनी मेहनत से किये गए कार्य का परिणाम हमें अवश्य ही प्राप्त होता है। इसमें कहा गया है की मनुष्य का जीवन संघर्षों से भरा है और उसे एक दृढ़ निश्चय के साथ अपने जीवन के संघर्षों का सामना करने की आवश्यकता है।
निष्कर्ष
महाभारत में दिए उपदेश मुझे बेहद पसंद है। यही उपदेश हमारे जीवन में उपस्थित समस्याओं को हल करने में हमारी मदद करती है। महाभारत की कहानी में हर किरदार का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान है और इससे हमें अलग-अलग जीवन जीने के उद्देश्यों को सीखने की आवश्यकता हे।
परिचय
किताबें पढ़ना जीवन में एक अच्छी आदत की तरह होती है। यह हमारे अंदर के ज्ञान और हमारे नैतिक मूल्यों को बढ़ाता है। जीवन में हर किसी को किताब पढ़ने की अच्छी आदत को अपनाना चाहिए। किताबें हमारे जीवन में एक सच्चे साथी की तरह होते हैं। ये सभी पुस्तके ज्ञान का भंडार होती हैं और पढ़ने की एक अच्छी आदत को अपनाकर हम अपने जीवन में सभी ज्ञान को अर्जित कर सकते हैं।
अपने जीवन में मैंने कई किताबें पढ़ी हैं। मुझे उपन्यास और कहानियों की किताबें पढ़ने का बहुत शौक है। मुझे रामायण की किताब बहुत ही पसंद है। ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखी रामायण, महाभारत के बाद दूसरी सबसे बड़ी महाकाव्य है। यह हिन्दुओं के लिए बहुत पवित्र पुस्तक के रूप में जानी जाती है।
रामायण की कहानी
महान महाकाव्य रामायण भगवान राम के जीवन चरित्र को दर्शाती है। राम अयोध्या नरेश दशरथ के पुत्र थे। राजा दशरथ की तीन रानियां थी और राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न चार पुत्र थे। इन चारों भाइयों में आपस में बहुत प्रेम था।
सभी चारों भाइयों ने अपनी शिक्षा हासिल करने के लिए अयोध्या से बहार गए और अपनी शिक्षा पूरी की। बाद में सभी ने अपनी शिक्षा पूरी की और अयोध्या वापस आये। सभी का एक साथ ही विवाह संपन्न हुआ। राम का विवाह सीता के साथ हुआ। भगवन राम अपने पिता दशरथ द्वारा माता कैकेयी को दिए वचन का पालन करने के लिए 14 वर्षों के लिए वनवास जाना पड़ा। वनवास तो सिर्फ राम को मिला था पर सीता ने अपने पत्नी धर्म का पालन करते हुए उनके साथ गई और साथ में उनके छोटे भाई लक्ष्मण भी गए। सभी एक साथ 14 वर्ष के वनवास के लिए निकल गए।
वनवास के दौरान 13 वर्ष का समय शांतिपूर्वक बीत गया पर 14वें वर्ष के दौरान राक्षस राज रावण ने सीता का हरण कर लिया। रावण ने सीता का छल से अपहरण करके लंका ले गया। तब राम ने रावण से युद्ध कर सीता को उनके चंगुल से मुक्त कराया और अपने साथ अयोध्या ले आये। राम, सीता और लक्ष्मण के साथ अयोध्या वापस लौटने के बाद राम को अयोध्या का राजा घोषित किया गया। उन्होंने अपने जीवन में कई राक्षसों को मारा और संतों की रक्षा की। राम अयोध्या वासियों के लिए एक आदर्श राजा थे। अपनी प्रजा के मन की बातों को जानने के लिए वो अक्सर भेष बदलकर प्रजा के बीच जाते थे और बाद में उनकी समस्या का समाधान करते थे।
रामायण के पात्रों से मिली सीख
वैसे तो रामायण के मुख्य रूप से कई पात्र है जिनसे हमें सीख लेने की आवश्यकता है। उनमें से कुछ मुख्य पात्रों का हमारे जीवन में बहुत गहरा असर छोड़ती हैं।
वे अपने माता-पिता और अयोध्या वासियों के लिए एक आदर्श पुत्र थे। जिन्होंने अपने पिता के वचनों का पालन करने के लिए राजसी सुख को त्याग कर 14 वर्षों के वनवास को अपनाया। सीता के लिए वो एक आदर्श पति, अपने भाइयों के लिए वो एक आदर्श भाई और अयोध्या वासियों के लिए एक आदर्श राजा थे।
सीता का विवाह भगवान राम के साथ हुआ था और वह एक आदर्श पत्नी थी। राम को वनवास मिलने पर अपने पत्नी धर्म का पालन करने के लिए वो राम के साथ गयी। उन्होंने कहा था की पति को निर्वासन मिलने के बाद वो राजसी सुख कैसे भोग सकती है। अपने पत्नी धर्म और वचनों का पालन करते हुए वो सदा ही राम के साथ रही।
लक्ष्मण एक आदर्श भाई का प्रतिक है। वो अपने बड़े भाई राम को सबसे ज्यादा प्रिय थे और छोटे होने के साथ ही वो हमेशा राम की सेवा में लगे रहते थे। सभी चारों भाइयों में बहुत ही प्रेम था।
भरत एक आदर्श भाई का प्रतिरूप है। राम को 14 वर्ष के वनवास और माता कैकेयी के वचनों के अनुसार भरत को राजा बनाया गया था पर वो कभी भी राजगद्दी पर नहीं बैठे। सिहासन पर उन्होंने राम की खड़ाऊ रखी थी और खुद एक झोपड़ी बनाकर उसमें एक वनवासी जैसा जीवन व्यतीत करते थे। ऐसे कई उदाहरण हैं जिससे उनके आदर्श भाई और बड़े भाई के सम्मान का प्रतिक उनमें देखने को मिलता है।
राम के भक्तों में शबरी का अपना एक महत्त्वपूर्ण चरित्र है। उन्होंने भगवान राम से मिलने की आस में रोज राहों में फूल बिछाती और जंगलो से चुनिंदा फल बेर लाती थी। अंत में उनकी ये इच्छा भी पूरी हुई और इस बात से हमें सन्देश मिलता है की हमें अपनी उम्मीद कभी नहीं खोनी चाहिए और अपना प्रयास को जारी रखना चाहिए।
रामायण के सभी पात्र का अपना एक महत्वपूर्ण स्थान हैं – जैसे हनुमान राम के सबसे बड़े भक्त थे। इसके अलावा राम की सभी माताएं, चारों भाई और रावण इत्यादि सभी एक सन्देश देते हैं।
रामायण पढ़ने के बाद नैतिक मूल्यों का विकास
रामायण को पढ़ने के उपरांत पता चला की हमें अपने जीवन में उदार भावना के साथ-साथ साहसी और बहादुर होना चाहिए। जीवन में सुख और दुःख दोनों चरण होते हैं। इन दोनों को सहजता से हमें अपने जीवन में अपनाने की आवश्यकता है।
महाकाव्य के अनुसार हमें अपने से बड़ों की बातों को और शिक्षकों द्वारा दिए गए ज्ञान का सम्मान करना चाहिए। उनके द्वारा कही गई हर बात को सुनना और उसका पालन करने की आवश्यकता हैं।
यह महाकाव्य हमें सिखाती है कि गलत और बुरे काम का परिणाम हमेशा ही बुरा होता है। हमें अपने जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा का सही दिशा में प्रयोग करने की आवश्यकता है। राक्षस राज रावण बहुत ही विद्वान और बलशाली राजा था, पर उसने छल से सीता का हरण किया था। विद्वान होने के बावजूद उसने अपने विवेक और बुद्धि का उपयोग सही तरीके से नहीं किया। अंततः उसका हर्जाना उसे अपने मृत्यु से चुकाना पड़ा। इसलिए हमें हमेशा अपनी बुद्धि और विवेक का इस्तेमाल कर किसी भी कार्य को करने की आवश्यकता है। तभी हम उस कार्य को आसानी से सफल बना सकते है।
निष्कर्ष
महाकाव्य रामायण में अपार ज्ञान और जीवन जीने के सिद्धांत हैं। लगभग हर घरों में रामायण की किताब मिल जाती है। मुझे इस किताब को बार-बार पढ़कर उनके जीवन जीने के नैतिक मूल्यों को समझना और उसे जीवन में अपनाना बहुत ही पसंद है। जिनके घरों में यह पुस्तक नहीं है, उन्हें एक बार जरूर इस किताब को पढ़ने की आवश्यकता है, क्योंकि इसमें जीवन की तमाम आध्यात्मिक और नैतिक बातें बताई गयी है।