प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र का अनावरण किया गया है जो कि भारत जापान रिश्ते को और अधिक मजबूत बनाएगा। इसका आकार और बनावट भारत जापान की मिश्रित शैली का एक अद्भुत प्रदर्शन है। वाराणसी के सिगरा में बने इस अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने 15 जुलाई 2021 को वाराणसी पहंचकर किया था।
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प्रस्तावना
12 दिसम्बर 2015 को जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो अबे के भारत दौरे पर वाराणसी में ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्रकी नींव रखी गई थी। जिसके बाद इसका निर्माण कार्य 10 जुलाई 2018 से शुरू हुआ था। 3 वर्षों के बाद पूरी तरह से तैयार ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र का उद्घाटन 15 जुलाई 2021 को माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा किया गया।
प्रधानमंत्री ने उद्घाटन के दौरान कहा “काशी तो साक्षात् शिव ही है। अब जब पिछले 7 सालों में इतनी सारी विकास परियोजनाओं से काशी का श्रंगार हो रहा है, तो ये श्रंगार बिना रुद्राक्ष के कैसे पूरा हो सकता था? अब जब ये रुद्राक्ष काशी ने धारण कर लिया है, तो काशी का विकास और ज्यादा चमकेगा, और ज्यादा काशी की शोभा बढ़ेगी”।
‘रुद्राक्ष‘ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र की विशेषताएं (Features of ‘Rudraksh’ International Cooperation and Convention Center)
वाराणसी के सिगरा में 3 एकड़ की जमीन पर बनी इस अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र की कुल लागत 186 करोड़ है। इस सेंटर में पूर्णतः एयर कंडीशनर (AC) युक्त एक बड़ा हॉल है जिसकी क्षमता 1200 लोगों की है। इसके अलावा औपचारिक मीटिंग हेतु एक छोटा हॉल भी है जिसमें 150 लोगों के बैठने की व्यवस्था के साथ साथ एक VIP कमरा और चार ग्रीन रूम भी बनाया गया है।
इस अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र का डिज़ाइन जापान की कंपनी ‘ओरिएंटल कंसल्टेंट ग्लोबल’ द्वारा किया गया है तथा जापान की ही कंपनी ‘फुजिता कॉरपोरेशन’ ने इसका निर्माण किया है। इस केंद्र में जापान की शैली का एक छोटा सा गार्डन बनाया गया है तथा दीवारों पर जापानी चित्र अंकित किए गए हैं। इसमें लगे सोलर पॉवर प्लांट की क्षमता 110 किलो वॉट है। ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र को एयरकंडीशंड रखने के लिए इटली से उपकरण लाए गए थें। इसकी दीवारों में लगी ईंटें भी तापमान नियंत्रण में मदद करती हैं तथा इसकी कंक्रीटों के साथ फ्लाई एश का भी इस्तेमाल किया गया है।
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बाहर की तरफ इसके छत की पट्टियों पर 108 एल्यूमीनियम के रुद्राक्ष बनाए गए हैं और इसके ऊपर की बनावट शिव लिंग के आकार का है। दिव्यांगों की सुविधा का खास ख्याल रखते हुए इसके दोनों दरवाजे पर 6–6 ह्वील चेयर की भी व्यवस्था की गई है। दिव्यांगों के लिए खास शौचालय का भी इंतजाम किया गया है। संपूर्ण केंद्र सीसीटीवी कैमरे से परिपूर्ण है तथा आग से बचाव के लिए भी उत्तम व्यवस्था की गई है।
रुद्राक्ष का वाराणसी के विकास में महत्व (Importance of ‘Rudraksh’ in the development of Varanasi)
भारत जापान मित्रता के प्रतीक चिन्ह के रूप में बने इस ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र को इंडो जापान शैली में तैयार किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के वाराणसी को टोक्यो बनाने की योजना में रुद्राक्ष एक अहम कदम है जो कि जापान के पर्यटकों को वाराणसी की तरफ़ आकर्षित करेगा। रुद्राक्ष दुनिया में एक पर्यटक स्थल के रूप में उभर कर सामने आएगा जिससे वाराणसी के विकास में थोड़ी मदद मिलेगी। छोटे छोटे टपरी वालों के लिए रुद्राक्ष की मदद से जीविका का एक नया स्थान मिलेगा।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 जुलाई 2021 को 1582.93 करोड़ की कुल 284 परियोजनाओं के साथ साथ 186 करोड़ की लागत से तैयार ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र भी वाराणसी की आवाम को सौंपा। ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र की निर्माण शैली और आवश्यक चीजों को देखते हुए, ग्रीन रेटिंग फॉर इंटीग्रेटेड हैबिटेट असेसमेंट की ओर से 3 रेटिंग दी गई है।
उत्तर – ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र संचालन और प्रबन्धन का कार्य दिल्ली की कम्पनी ISWHC (Indian Sanitation Wardboy and Hoticulture Contactor) कर रही है।
उत्तर – रुद्राक्ष की संचालक कंपनी के मुताबिक 3 घंटे का किराया 3 लाख रुपए निश्चित किया गया है।
उत्तर – स्मार्ट सिटी कंपनी के सीईओ गौरांग राठी के अनुसार रुद्राक्ष की वार्षिक आय लगभग 35 लाख से 1 करोड़ हो सकती है।
उत्तर – ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र वाराणसी उत्तर प्रदेश में स्थित है।
उत्तर – ‘रुद्राक्ष’ अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र सामाजिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक उत्तम स्थान है।