बड़े शहरों में महिलाओं की सुरक्षा पर निबंध (Safety of Women in Big Cities Essay in Hindi)

भगवान ने प्रकृति को बनाया और फिर उसके बाद पुरुष और महिला के रूप में इन्सान को; दोनों को अलग अलग क्षमताओं और शक्ति के साथ बनाया। मगर ये शक्ति हावी होने लगी और पुरुष खुद को ज्यादा ताकतवर समझने लगा। परिणामस्वरूप महिलाओं को सदियों से काफी कुछ सहना पड़ा। अपराध दर भी दिखाती है कि महिलाओं के खिलाफ आपराधिक दर काफी ज्यादा बढ़ गयी है। हालाँकि समय बदल गया है और लोग भी काफी उन्नत हो गए हैं मगर बड़े शहरों में महिलाओं की सुरक्षा अभी भी एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है।

बड़े शहरों में महिलाओं की सुरक्षा पर लघु और दीर्घ निबंध (Short and Long Essays on Safety of Women in Big Cities, Bade Shaharon mein Mahilaon ki Suraksha par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1(250 शब्द) – बड़े शहरों में महिलाओं की सुरक्षा

परिचय

हम सभी को बड़े शहरों में रहना काफी पसंद आता है और हममे से कई लोग यहाँ रहते भी हैं। हम इन शहरों को इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि हमें हमारी जरूरत की चीजें हमारे नजदीक ही मिल जाती है। हमारी प्राथमिक जरूरतें जैसे अच्छे अस्पताल, स्कूल, कार्यक्षेत्र, और सबसे जरूरी चीज सुरक्षा। चाहे बच्चा हो या फिर महिला हम सबसे पहले उसकी सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं। वैसे भी ये सभी बड़े शहर दिन प्रति दिन विकसित ही होते जा रहे हैं; मगर सुरक्षा मानकों का भी ध्यान रखना बेहद आवश्यक है।

बड़े शहरों में महिलाओं की सुरक्षा

लोग सोचते हैं कि बड़े शहरों में वो जो चाहे पा सकते हैं, और ये शहर हमारे चारो तरफ भीड़ और लोगों से भरी पड़ी है। आप कभी अकेले नहीं पड़ते और लैंगिक असमानता का विचार आपको कभी परेशान नहीं करता है। यह सामान्य सी बात है कि हम सोचते हैं इन शहरों में हम सुरक्षित हैं, मगर क्या सच में हम यहाँ सुरक्षित हैं?

वैसे तो ये शहर सुरक्षा मानकों का पालन करते हैं, बावजूद इसके यह निश्चित नहीं है कि एक महिला यहाँ सुरक्षित है या नहीं। यहाँ पर चारो तरफ सीसीटीवी कैमरा आदि लगे हुए हैं, हेल्पलाइन नंबर भी मौजूद हैं, बावजूद इसके छोटे शहरों की अपेक्षा यहाँ अपराध दर काफी ज्यादा है।

कई अख़बारों ने अपनी अलग अलग रिपोर्ट में यह दिखाया भी है कि महिलाएं सुरक्षित नहीं है खास तौर पर बड़े शहरों में। हालाँकि उन्हें अधिक सुविधाएं और सुरक्षा सेवाएं भी तुरंत मुहैया कराई जाती है, लेकिन वे सुरक्षित नहीं हैं।

निष्कर्ष

एक महिला को बराबरी चाहिये क्योंकि हमारे समाज में महिलाओं को लेकर एक खास विचारधारा बनी हुई है और ये चीजें लोगों को अपराध करने के लिए उकसाती हैं। जब एक महिला भी वो सभी काम कर सकती है जो कोई पुरुष करता है, फिर उसे इतना हीन महसूस क्यों होना पड़ता है।

निबंध 2 (400 शब्द) – क्या वाकई में बड़े शहरों में महिलाएं सुरक्षित हैं?

परिचय

पूरी दुनिया भर में भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहाँ महिलाओं को देवी की तरह पूजा जाता है और यही वह देश भी हैं जहाँ लड़की के जन्म होते ही उसे मार दिया जाता है। यह कैसे विडंबना है, जहाँ ऐसी परंपरा और मान्यता दोनों ही है। कभी कभी लड़कियों को देवी दुर्गा, लक्ष्मी, सरस्वती आदि के रूप में पूजा जाता है मगर वही लड़की इतनी ज्यादा नापसंद हो जाती है कि हम में से कई लोग उसे पैदा होने से पहले ही मार डालते हैं। क्या आप कल्पना कर सकते हैं, अगर एक बच्ची अपनी माँ की कोख में ही इतनी असुरक्षित है तब वो इस समाज में कितनी सुरक्षित होगी? वाकई में महिलाओं की सुरक्षा वो चीज है जिसपर हमे सोचना चाहिए और बड़े शहरों को इसे प्राथमिकता देना चाहिए।

बड़े शहरों में महिला सुरक्षा सुविधाएँ

भारत एक विकासशील देश है और हमने हर क्षेत्र में काफी विकास कर लिया है, बावजूद इसके अभी भी कई क्षेत्र है जैसे महिलाओं की सुरक्षा जो कि हमारी सबसे पहली प्राथमिकता में शामिल होनी चाहिये। बहुत से घरों में लोग अपनी बेटियों को बाहर नहीं निकलने देते और लड़कों की तरह खुलकर काम नहीं करने देते, सिर्फ उनकी सुरक्षा कारणों से।

समय बदल गया है और महिलाएं भी बराबर की शिक्षा प्राप्त कर रही हैं लेकिन माता-पिता उन्हें बाहर काम करने के लिए अनुमति नहीं देते हैं। क्या आप सोच सकते हैं कि कितनी सारी प्रतिभाशाली लड़कियां सिर्फ सुरक्षा कारणों की वजह से घर से बाहर नहीं निकल पाती हैं? अब समय आ गया है और हमें इसपर कोई कदम उठाना चाहिए और लिंग भेद को ख़त्म करना चाहिए।

हालाँकि कुछ महिलायें जो समूह में काम करती हैं, लेकिन देर रात वो अकेले सफ़र करने में सुरक्षित महसूस नहीं करती हैं। हमारी सरकार को महिलाओं के लिए कुछ खास सुरक्षा इन्तजाम करने चाहिए ताकि वो भी उसी आत्मविश्वास के साथ काम कर सके जैसे कि लड़के करते है।

बड़े शहर, महिलाओं की सुरक्षा के लिए लगातार काम कर रहे हैं। उन्होंने कई अलग अलग हेल्पलाइन भी जारी कर रखा हैं जो 24/7 सुविधा प्रदान करती हैं। कण्ट्रोल रूम में मौजूद सभी महिला स्टाफ लगातार चौक्कने रहती हैं ताकि वो दूसरों को सुरक्षित महसूस करा सकें।

हेल्पलाइन के अलावा, कई ऐसे एप्स आदि भी मौजूद हैं जो लोकेशन साझा करने में काफी मददगार हैं। जब कभी एक लड़की अकेले सफ़र कर रही हो तो वो अपनी लोकेशन साझा कर सकती है और इस तरह से उसके परिवार वाले, उसके दोस्त आदि कोई भी उसे आसानी से ढूंढ सकता है।

निष्कर्ष

राष्ट्र में व्याप्त इस सामाजिक और सांस्कृतिक पदानुक्रम को नष्ट करने में कुछ समय लगेगा, मगर राष्ट्र बदल रहा है और लिंग अनुपात भी बढ़ रहा है। महिलाओं को बराबरी का मौका दिया जा रहा है और वो सभी क्षेत्रो में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं। सरकार लगातार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कई तरह की स्कीम पर काम रही है और मुझे यकीन है कि वह दिन दूर नहीं जब देश की हर एक महिला खुद को सुरक्षित महसूस करेगी।

निबंध 3 (600 शब्द) – महानगरों में महिलाओं की सुरक्षा

परिचय

तेजी से विकसित होते शहर जहाँ पर आपको बढ़िया रहन सहन, रोजगार के ढेर सारे मौके, हर तरह की स्वास्थ्य सुविधाएँ, उम्मीद, मस्ती के पल, अच्छी शिक्षा, आदि चीजें इन महानगरों में मिलती हैं। मगर यहाँ पर कुछ ऐसी चीजें भी हैं जिसे लेकर हममें से कई लोग चिंतित रहते हैं। क्या ये हमारे बच्चों और महिलाओं के लिए सुरक्षित है? हालाँकि ये शहर पूरी तरह से नई नई तकनीकों से भरा पड़ा है, फिर भी एक महिला की सुरक्षा की जिम्मेदारी को सुनिश्चित करना काफी मुश्किल है। सुरक्षा वो है जिसे हम नकार नहीं सकते और यह बहुत ही दुःख की बात है कि केवल कुछ शहर ही इसपर ध्यान देते हैं। लोग लैंगिक समानता पर बात तो करते है लेकिन विवरण बताते हैं कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं को ज्यादा आपराधिक गतिविधियों का सामना करना पड़ता है।

महानगरों में अपराध

किसी को जान से मार देना ही अपराध नही होता बल्कि ये वो भी होता है जो किसी को मानसिक रूप से भी प्रभावित करता है। एक महिला को तरह तरह के जुल्म सहने पड़ते हैं; उनमे से कुछ शारीरिक होते हैं और कुछ मानसिक जैसे कि यौन शोषण, कार्यक्षेत्र में उत्पीड़न, बलात्कार, लैंगिक आधार, आदि।

अलग अलग शहरों से आये विवरण यह सिद्ध करते हैं कि महिलाओं को और ज्यादा सुरक्षा चाहिए। इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं और कोई भी शहर या महानगर तब तक विकसित नहीं कहा जा सकता जब तक कि वहां सुरक्षा के बेहतर साधन ना मौजूद हों।

कुछ सुरक्षा मानक जिनका इस्तेमाल होना चाहिए

गिर चुके दूध पर चिल्लाने से बेहतर है कि आगे से ऐसी कोई घटना ना होने पाए उसपर ध्यान दिया जाये। बड़े शहरों में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर कुछ सुरक्षा मानकों को अपनाया जाना चाहिए, मैंने इसके बारे में नीचे चर्चा की है।

  • सीसीटीवी सुविधा: यह बहुत ही जरूरी है कि मुख्य सड़क और कुछ आपराध बाहुल्य क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए। यह वाकई काफी मददगार होगा। सीसीटीवी की मौजूदगी ही एक तरह का भय पैदा कर देती है और लोग वहां पर कुछ भी गलत करने से घबराते हैं। सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह वाकई में एक बहुत ही महत्वपूर्ण करक है। ये सिर्फ महिलाओं की सुरक्षा के लिए ही नहीं बल्कि चोरी, डकैती आदि की रोकथाम के लिए भी काफी मददगार होती है।
  • सुरक्षित यातायात: शहरों में यातायात सुरक्षित होना चाहिए और यात्री साधनों में जीपीएस चिप लगी हुई होनी चाहिए ताकि कोई भी यात्री अपनी लोकेशन को आसानी से साझा कर सके और अपने घर सुरक्षित पहुँच सके। कभी कभी महिलाओं के लिए रात में सफ़र करना काफी ज्यादा मुश्किल होता है। यह सुविधा निश्चित रूप से उनकी मदद करेगा।
  • गश्त लगाने की सुविधा: शहर की पुलिस को हमेशा संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त लगाते रहना चाहिये। हर शहर में कुछ आपराधिक क्षेत्र होते है। इसलिए, पुलिस को हमेशा उस जगह पर मौजूद होना चाहिए और ऐसी जगहों पर उसकी खास निगाहें बनी होनी चाहिए। इस तरह से अपराध दर आसानी से कम होते जायेंगे।
  • उचित हेल्पलाइन नंबर: अलग अलग शहरों में कई सारे हेल्पलाइन नंबर बनाये गए हैं, मगर इसके बारे में हर कोई नहीं जनता, इसलिए इनका बेहतर तरह से प्रचार होना चाहिए ताकि 24 घंटे चालू रहने वाली इस सुविधा का लोगों को पता चले।

आत्म-रक्षा का प्रशिक्षण

आजकल किसी भी महिला के लिए आत्म-रक्षा की तकनीक की जानकारी का होना काफी आवश्यक हो गया है जैसे कराटे। ये उनकी मदद कर सकता है और ये एक महिला को मजबूत बनाता है और उसे किसी भी तरह की समस्या से अकेले ही निपटने में मदद करता है। विकसित शहरों में महिलाओं के लिए आत्म-रक्षा से जुड़े प्रशिक्षण इंस्टिट्यूट मौजूद होने चाहिए।

महिला सुरक्षा पर सरकार की पहल

महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा महिलाओं की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए यहाँ कई नियम बनाये गए हैं।

  • निर्भया कोष: देश में महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा के लिए सरकार द्वारा एक निश्चित रकम का ऐलान किया गया है। यह राहत कोष साल 2013 से शुरू किया गया है और हर वर्ष सरकार कुछ राशि एनजीओ और मददगार संस्थाओं को प्रदान करती है जो समाज में महिलाओं की भलाई में लगे हुए हैं।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली: एक आपातकालीन प्रतिक्रिया समर्थन प्रणाली का इस्तेमाल तत्काल मदद के लिए किया जाता है, जिसके लिए हेल्पलाइन नंबर 112 मुहैया कराया गया है। यह सुविधा सम्पूर्ण देशभर में लागू है।
  • सुरक्षित शहर परियोजनाएं: यह सुविधा विशेष रूप से महानगरों में शुरू की गयी है ताकि स्मार्ट पुलिस सिस्टम के तहत सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके, जो आधुनिक तकनीक और उपकरणों से लैस हों। वे विशेषरूप से शहर में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना चाहते हैं।

निष्कर्ष

एक बहुत ही चर्चित कहावत है “समाज को बदलने के लिए खुद को बदलो।” हम संसार को तो नहीं बदल सकते मगर खुद को तो बदल ही सकते हैं और इसकी एक शुरुवात भी कर सकते हैं। महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराध की मुख्य वजह है लैंगिक भेदभाव। एक अच्छा नागरिक बने और इस तरह के विचार और कार्य, आदि को बढ़ावा न दें।

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