जिस प्रकार जीवन में अनुशासन आवश्यक होता है ठीक उसी प्रकार, स्व अनुशासन भी हमारे जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हर व्यक्ति को इसे जरुर अपनाना चाहिए और अपना एवं अपने समाज के विकास में अपना योगदान जरुर देना चाहिए। क्योंकि एक-एक व्यक्ति को मिला कर ही एक समाज बनता है।
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परिचय
स्वअनुशासन एक ऐसा विषय है जिसके बारे में जितना भी कहा जाये शायद कम ही होगा क्यों की यह हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा होता है। जिस प्रकार अनुशासन का महत्त्व हमारे जीवन में होता है उसी प्रकार स्वयं अनुशासित रहना भी आवश्यक होता है। स्वअनुशासन का अर्थ खुद के जीवन में अपनाये जाने वाले नियम होते हैं। हर व्यक्ति के जीवन के कुछ लक्ष्य होते हैं और उन्हें पाने और अपने समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाने के लिये यह आवश्यक होता है।
क्या है स्व-अनुशासन
यह एक ऐसी आदत है जो मनुष्य को सदैव जीवन में आगे बढ़ने में मददगार साबित होती है। इतिहास गवाह है की जिन-जिन महापुरुषों नें अपने जीवन में स्वअनुशासन को महत्त्व दिया उन्हें आज सब जानते हैं और उनके नाम इतिहास के पन्नों पर दर्ज भी हैं।
इसका सबसे जीता जगता उदहारण है गांधी जी, जिनके जीवन में स्वअनुशासन बहुत ही अहम था। वे सदैव अपने नियमों का पालन किया करते थे, और अपना कमरा भी स्वयं साफ़ किया करते थे। जब व्यक्ति खुद में अनुशासित होता है तो उसे किसी भी प्रकार के अनुशासन का पालन में न तो कोई दिक्कत होती है न तो वो उन्हें भारी लगता है।
निष्कर्ष
हम यह कह सकते हैं की स्व अनुशासित रहना अपने आप में बहुत बड़ा गुण है, जो हर व्यक्ति के भीतर होना चाहिए। इससे हमे किसी भी प्रकार ही हानि नहीं होती अपितु जीवन को सही ढंग से जीना आजाता है। खुद भी अनुशासित रहें एवं अपने आस पास के लोगों को भी इसका महत्त्व जरुर समझाएं। सत्य बोलना, स्व अनुशासन का ही भाग है और हमारे देश के बापू, गांधीजी ने भी हमे सत्य, अहिंसा और स्व अनुशासन का पाठ पढाया था।
परिचय
स्व अनुशासन उन अच्छी आदतों में से एक है जो हर किसी के अन्दर होनी चाहिये और नहीं है, तो सीखनी चाहिये। जिस प्रकार आपके घर के कुछ नियम होते हैं, उसी प्रकार एक व्यक्ति के भी अपने कुछ सिद्धांत होते हैं जिन्हें हम स्व अनुशासन कह सकते हैं। हर व्यक्ति को अपने जीवन में अनुशासन का पालन तो करना ही चाहिए परंतु साथ ही साथ उसके अंदर भी ये गुण होना चाहिए। किसी भी व्यक्ति को हम उसके गुणों के कारण जानते हैं, और स्व अनुशासन एक ऐसा गुण है की इससे लोगों के व्यक्तित्व में निखार आजाता है।
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जीवन में स्व-अनुशासन का महत्त्व
जिस प्रकार लोगों को अपने जीवन में अनुशासन का पालन करना चाहिए ठीक उसी प्रकार स्व अनुशासन भी हमारे जीवन में बहुत ही अहम भूमिका निभाता है। जब हम अंदर से शांत और सुसज्जित होंगे, तो हमारा सांसारिक जीवन भी उतना ही सुलझा हुआ होगा। जब हम अपने स्वयं के जीवन में अनुशासन का पालन करेंगे तो हमें बाहरी जीवन में भी इसका पालन करने में दिक्कत नहीं होती।
किसी व्यक्ति के जीवन में बहुत से ऐसे मुद्दे होते हैं जिन्हें लेके वे परेशान रहते हैं, और यदि वे स्व अनुशासन को अपनाते हैं तो उनके जीवन को एक सही मार्गदर्शन मिल जाता है। स्व अनुशासन आपकी समस्याओं को सुलझा तो नहीं सकता परंतु आपको सही गलत का निर्णय लेने में मददगार साबित होता है।
स्व-अनुशासन के लाभ
स्व अनुशासन में रहना अपने आप में बहुत बड़ा गुण है और इसके कई लाभ हैं जैसे की –
निष्कर्ष
आप ही नहीं अपने बच्चों को भी स्व अनुशासन का महत्त्व समझाएं और उसका पालन करना सिखाएं। उन्हें बताएं की किस प्रकार स्कूल समय से जाना आवश्यक होता है, अपना गृह कार्य करना आवश्यक होता है इसी प्रकार जीवन को सही तरीके से जीने के लिये स्व अनुशासन का होना अत्यंत आवश्यक होता है। आप खुद भी इसे अपनाये और दूसरों को भी इसका पालन करने को कहें और एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण करें।
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परिचय
प्रकृति के अपने कुछ नियम होते हैं जिसके तहत अलग-अलग मौसम, दिन और रात होते है और प्रकृति इस नियम का अनुशासित रूप से पालन करती है। ठीक इसी प्रकार जब एक व्यक्ति अपने आस पास के जीवन के नियमों का सही रूप से पालन करता है, तो उसे हम अनुशासन कहते हैं। और जब यह नियम हमारे अपने हो, जिनसे हमारे विचार-व्यवहार प्रभावीत होते हैं, तो उन्हें हम स्व अनुशासन कहते हैं। लोग अपने व्यवहार के कारण जाने जाते हैं और जो लोग अपने आप में अनुशासित होते हैं उनकी स्वतः एक अलग पहचान बन जाती है क्यों की वे काफी सुलझे हुए होते हैं।
कैसे लाये जीवन में स्व-अनुशासन
यह कोई बहुत बड़ी उपलब्धि या आदत नहीं है परंतु इसका प्रभाव बहुत अधिक होता है, जो आपको कोई बड़ी उपलब्धि जरुर दिला सकता है। स्व अनुशासन आपके सोचने और समझने की शक्ति को बढ़ता है। यह एक ऐसी आदत है जिसका सृजन बचपन से किया जाना चाहिए।
हमे बच्चों को सिखाना चाहिए की वे स्वयं से कुछ वादे करें और उनको अपने जीवन का मूल आधार बना लें जैसे की सत्य बोलना। जब एक बच्चा शुरू से ही इसका दृढ संकल्प ले लेता है तो, उसे आजीवन इसका पालन करने में न तो कोई दिक्कत होती है न ही किसी का डर उसे सताता है।
दूसरों की मदद करना, समय से उठना, अपने काम खुद करना, बहुत आवश्यक होने पर ही दूसरों की मदद लेना कुछ स्व अनुशासन की आदतों में से प्रमुख हैं।
स्व अनुशासन आपको अपने काम हो समय पर करने और समाप्त करना भी सिखाता है, जिसकी आजकल लोगों को बहुत आवश्यकता है।
स्व-अनुशासन की आवश्यकता
ऐसा क्या है की हमे जीवन में इसे अपनाना चाहिए? शायद यह सवाल कई लोगों के मन में भी उठता होगा की जीवन में अनुशासन काफी नहीं की हम स्व अनुशासित भी बने। तो उत्तर यह है की हम अनुशासन का पालन कब कब और कहाँ करते हैं, या तो वह आपका कार्य क्षेत्र होता है या अध्ययन। जहाँ ऐसा न किये जाने पर कई बार आप दंड के भोगी भी बन जाते हैं। कई बार वह हमारी मज़बूरी मात्र बन जाती है।
तो वही स्व अनुशासन आपके स्वयं के लिये होता है, की किस प्रकार आप अपने विचार एवं व्यवहार को नियंत्रित करते हैं। आपका अपने आप पर नियंत्रण, अपने विचारों पर ही स्व अनुशासन का मूल कार्य है। जब हमारे विचार हमारे अंदर सुसज्जित होंगे तभी वव बहार भी अच्छे प्रदर्शित होंगे। इसी लिये जीवन में इसकी आवश्यकता बहुत अधिक होती है।
निष्कर्ष
जीवन में हर आदत की अपनी उपयोगिता होती है ठीक इसी प्रकार स्व अनुशासन भी है। हर व्यक्ति को इसे अपने जीवन में जरुर शामिल करना चाहिए। हमे बचपन से ही बच्चों को सिखाना चाहिए ताकि वे आगे चल कर एक अच्छे इन्सान बने और देश का नाम रौशन करें। एक अच्छी आदत आपके व्यक्तित्व में बहुत बड़ा परिवर्तन ला सकता है, इसे जरुर आजमाएं। और दूसरों को भी बताये ताकि वे भी इसका लाभ उठा सकें और एक अच्छे समाज के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे सकें।