देश में बेरोजगारी ऐसा मुद्दा है जो 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सरकार को बहुमत में आने से रोक दिया। देश में इस समय बेरोजगारी चरम पर है। यहाँ हमने छात्रों के लिए बेरोजगारी पर बहुत ही आसान भाषा में जानकारी युक्त निबंध दिए हैं जो अलग अलग शब्द सीमा में लिखा गया है। जैसे – छोटे बच्चों के लिए बेरोजगारी पर 100 – 200 शब्दों में निबंध और बड़े बच्चों के लिए बेरोजगारी पर 300 – 400 शब्दों में निबंध। आप अपने आवश्यकता और क्लास के अनुसार कोई भी निबंध चुन सकते हैं।
भारत देश में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन गयी है जो समाज और देश को बुरी तरह प्रभावित कर रही है। बेरोजगारी का मतलब होता है काम की कमी, जिससे लोग अपनी आजीविका नहीं चला पाते। आज ऐसी स्थिति हो गयी है कि शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी युवाओं को नौकरी नहीं मिल रही है। यह स्थिति न केवल उनकी व्यक्तिगत ज़िन्दगी को खराब करती है, बल्कि पूरे परिवार और समाज पर भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
बेरोजगारी का प्रमुख कारण शिक्षा स्तर में गिरावट और रोजगार के अवसरों की कमी है। इसके अलावा, दिन प्रतिदिन जनसंख्या में वृद्धि भी बेरोजगारी का एक बड़ा कारण है क्योकि जब लोगों की संख्या अधिक होती है, तो नौकरियों की संख्या घट जाती है।
बेरोजगारी की वजह से आर्थिक समस्या बढ़ती है, परिवार में तनाव बढ़ता है, और परेशान युवा या तो अपराधी बन जाते हैं या अपनी जान ले लेते हैं। शिक्षा में सुधार करके और सरकार द्वारा नई नौकरियाँ उत्पन्न करके ही बेरोजगारी दर को कम किया जा सकता है। सरकार को स्वरोजगार को भी प्रोत्साहित करना होगा। तब जाकर हमारे देश से बेरोजगारी हटेगी और देश का भविष्य सुधरेगा।
प्रस्तावना
आज के समय में बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बन गयी है क्योकि जैसे जैसे टेक्नोलॉजिकल डेवलपमेंट हो रहा है वैसे वैसे बरोजगारी बढ़ती जा रही है जो समाज और देश दोनों को प्रभावित कर रही है। एक बेरोजगार व्यक्ति वह व्यक्ति है जो काम करने की इच्छा और क्षमता तो रखता है लेकिन उसे काम नहीं मिल रहा हो। पुरे भारत में व्यापक रूप से फैली ये समस्या सभी के सामाजिक और आर्थिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रही है।
बेरोजगारी के कारण
भारत में बेरोजगारी के कई कारण हैं जिसमे सबसे पहले है लोगों के पास सही स्किल का न होना क्योकि शिक्षा प्रणाली में कमियों के कारण बहुत से युवा सही ढंग से शिक्षित नहीं हो पाते हैं। वे केवल डिग्री प्राप्त कर लेते हैं, लेकिन उनमें व्यावसायिक कौशल और व्यावहारिक ज्ञान की कमी होती है। साथ ही साथ जनसंख्या वृद्धि भी बेरोजगारी का एक प्रमुख कारण है। हर साल लाखों युवा नौकरी के बाजार में प्रवेश करते हैं, लेकिन उपलब्ध नौकरियों की संख्या बहुत कम होती है।
बेरोजगारी के दुष्प्रभाव
बेरोजगारी की वजह से लोगों के पास आय का स्रोत नहीं होता जिससे गरीबी बढ़ती है और सामाजिक समस्याएं भी उत्पन्न होती हैं, जैसे कि अपराध, मानसिक तनाव और असंतोष। ऐसे लोग हीनभावना से ग्रसित हो जाते हैं क्योकि वो अपने और अपने परिवार के लिए आर्थिक संसाधनों की व्यवस्था नहीं कर पाते। फोर्ब्स इंडिया द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार पिछले 10 सालों में (2014 – 2024) बेरोजगारी दर 5.44% से बढ़कर 8.03 % हो गया है।
देश के प्रगति के लिए बेरोजगारी पर जीत जरुरी
समाज से अगर बेरोजगारी हटानी है तो सबसे पहले शिक्षा प्रणाली में सुधार की जरूरत है ताकि युवा सही ढंग से प्रशिक्षित हो सकें और वो रोजगार के योग्य बन सके। व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण को बढ़ावा देना चाहिए ताकि युवा कई तरह के स्किल्स में पारंगत हो सकें। रोजगार सृजन के लिए सरकार द्वारा नई नीतियाँ बनायी जानी चाहिए और उद्योगों को बढ़ावा देना चाहिए।
GST कम करके और टैक्स लिमिट बढ़ा करके सरकार द्वारा छोटे व्यापारियों को भी प्रोत्साहित करने की जरूरत है क्योंकि ये छोटे उद्योग लोकल क्षेत्र में लोगों के लिए रोजगार के प्रमुख स्रोत होते हैं।
निष्कर्ष
बेरोजगारी एक जटिल सामाजिक और आर्थिक समस्या है जिसे सुलझाने के लिए सरकार सहित हम सभी को सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है। शिक्षा में सुधार, उद्योगों में बढ़ोत्तरी, और सरकार के संयुक्त प्रयासों से ही हम इस समस्या का समाधान पा सकते हैं। समाज और देश के प्रगति के लिए बेरोजगारी पर जीत जरुरी है।
उत्तर- भारत विश्व का सबसे अधिक बेरोजगारों का देश है।
उत्तर- हरियाणा
उत्तर- ओडिशा
उत्तर- भारत में अत्यधिक जनसंख्या एवं शिक्षा का अभाव बेरोजगारी का मुख्य कारण है।
उत्तर- फोर्ब्स इंडिया द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार पिछले 10 सालों में (2014 – 2024) बेरोजगारी दर 5.44% से बढ़कर 8.03 % हो गया है।