आजकल की दौड़ती-भागती जिन्दगी में किसी के पास समय नहीं है। जब आदमी स्वयं के लिए समय नहीं निकाल पा रहा है तो प्रकृति के लिए क्या निकाल पायेगा। स्वाभाविक है, परंतु यह बहुत दुखद है। आज पर्यावरण में जो भी अवांछनीय परिवर्तन हुए हैं, उनका जिम्मेदार मनुष्य ही है। अतः यह उसकी नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि वो पर्यावरण की सुरक्षा की ओर ध्यान दे। वाहन, आज के मनुष्यों की आवश्यकता भी है और विलासिता भी। इन वाहनों से दमघोंटू गैसें निकलती रहती है, जो न ही पर्यावरण के लिए अच्छा है और न ही मनुष्यों के लिए।
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प्रस्तावना
वाहनों का प्रदूषण मोटर वाहनों द्वारा पर्यावरण में हानिकारक सामग्री का परिचय है। प्रदूषकों के रूप में जानी जाने वाली इन सामग्रियों का मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता हैं। आज दुनिया भर के कई देशों में सड़कों पर उपलब्ध वाहनों की अधिक संख्या के कारण परिवहन वायु प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत है। क्रय शक्ति में वृद्धि का मतलब है कि अधिक लोग अब कार खरीद सकते हैं और यह पर्यावरण के लिए बुरा है। भारत में बढ़ते शहरीकरण के कारण वाहनों का प्रदूषण खतरनाक दर से बढ़ा है।
वाहन प्रदूषण के कारण
आजकल बढ़ते वाहन ही इसका मुख्य कारण है। बढ़ती जनसंख्या और उनकी बढ़ती आवश्यकताओं ने समस्या और भी विकट कर दी है। धीरे-धीरे लोगों का जीवनस्तर भी सुधरा है। जिस कारण हर कोई अच्छी जीवनशैली अपनाना चाहता है। भौतिक सुख-सुविधाएं ही आजकल की उच्च जीवनशैली की सूचक है। इस क्रम में सबसे पहले घर के बाद गाड़ी का ही स्थान आता है।
अब तो छोटे-छोटे शहरों में दो पहिए और चार पहिए वाहनों का ही वर्चस्व है। इन वाहनों से अत्यधिक जहरीली गैसें जैसे नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड निकलती हैं, जो पर्यावरण को नकारात्मक रुप से प्रभावित कर रहें हैं। आज की कारों और ट्रकों में आंतरिक दहन इंजन का प्रयोग होता है, जिसमें गैसोलीन या अन्य जीवाश्म ईंधन को जलाते हैं।
पावर कारों और ट्रकों को जलाने की प्रक्रिया में गैसोलीन निकलती है, जो वायुमंडल में विभिन्न प्रकार के विषैली गैसों का उत्सर्जन करती है और इससे वायु प्रदूषण में योगदान बढ़ता है। कारों और ट्रकों के तेलपाइप से वायुमंडल में सीधे जारी होने वाले उत्सर्जन, वाहनों के प्रदूषण का प्राथमिक स्रोत हैं।
निष्कर्ष
शहरी क्षेत्रों में, विशेषकर बड़े शहरों में वाहनों से वायु प्रदूषण एक गंभीर समस्या बन गई है। खांसी, सिरदर्द, मिचली, आंखों में जलन, विभिन्न फेफड़े के रोग और दृश्यता की समस्याओं जैसे लक्षण वाहन प्रदूषण के कारण हो रहे हैं। शहरी क्षेत्रों में वाहनों के प्रदूषण के अन्य कारक 2-स्ट्रोक इंजन, खराब ईंधन गुणवत्ता, पुराने वाहन, अपर्याप्त रखरखाव, भीड़भाड़ वाले यातायात, खराब सड़क की स्थिति और पुरानी मोटर वाहन प्रौद्योगिकियां और यातायात प्रबंधन प्रणाली भी जिम्मेदार हैं।
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प्रस्तावना
भले ही वाहन प्रदूषण को पूरी तरह से समाप्त नहीं किया जा सकता है, फिर भी इसे प्रबंधनीय स्तरों तक कम किया जा सकता है। परिवहन के कारण होने वाले प्रदूषण के प्रभावों को कम करने के लिए सरकार को उचित एवं सार्थक कदम उठाने चाहिए। वाहन प्रदूषण, वायु प्रदूषण का प्राथमिक स्रोत है। वाहनों से निकलते धुएं ने सामान्य जनजीवन भी अस्त-व्यस्त कर दिया है। यह गैसें वायु में घुलती है, जिसमें हम सभी सांस लेते हैं। वाहनों से कार्बन-डाइ-ऑक्साइड, कार्बन-मोनो-ऑक्साइड, नाइट्रोजन-ऑक्साइड, हाइड्रो-कार्बन आदि गैसें उत्सर्जित होती हैं, जो मानवीय जीवन के साथ-साथ अन्य जीव-जंतुओं के लिए भी हानिकारक हैं।
वाहन प्रदूषण से बचाव के उपाय
(i) नागरिक शिक्षा
बहुत से लोग प्रदूषण के प्रभावों की परवाह नहीं करते हैं क्योंकि वे उनके बारे में नहीं जानते हैं। सरकारी विभागों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा नागरिक शिक्षा का संचालन करना समाज को प्रदूषण की वास्तविकताओं को जगाने में एक महान भूमिका निभा सकता है। इसे पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में स्कूलों में पढ़ाया जाना चाहिए। सभी में जिम्मेदारी की भावना पैदा की जानी चाहिए, ताकि इसकी गंभीरता को समझे और सहयोग करें।
(ii) प्रगतिशील नीतियां
सरकार को ऐसे कानूनों का मसौदा तैयार करना चाहिए जो वाहन प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए हों। इस तरह के कानूनों में वाहनों की उम्र पर नियम होना, सड़क पर चलने वाले वाहनों की शर्तों पर दिशानिर्देश स्थापित करना और ऐसी एजेंसियां बनाना शामिल हो सकती हैं जो हरित ऊर्जा जैसे वैकल्पिक ईंधन पर ध्यान दें।
(iii) वाहन का रख-रखाव
वाहन बेहतर प्रदर्शन करता है तो प्रदूषक की कम मात्रा हवा में जाती है। तेल फिल्टर को बदलने, इंजन तेल को बदलने जैसी चीजें नियमित रूप से की जानी चाहिए। लापरवाही का ही कारण है कि कुछ वाहन (पुराने) सड़कों पर चलते समय गहरे हानिकारक धुएं छोड़ते हैं।
निष्कर्ष
यहां तक कि अगर आपके पास कार है तो भी परिवहन के वैकल्पिक साधनों का उपयोग करना चाहिए। अगर घर के सभी सदस्यों को एक ही रास्ते जाना हो तो एक ही गाड़ी का प्रयोग करना चाहिए। सार्वजनिक यातायात के साधनों का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए। ज्यादा पुरानी गाड़ियो का प्रयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि ऐसी गाड़ियां अधिक धूम्र उत्सर्जन करती है।
वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के प्रयासों के बावजूद, कम से कम 92 मिलियन अमेरिकी अभी भी पुरानी स्मॉग की समस्या वाले क्षेत्रों में रहते हैं। अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के अनुसार 2010 तक करीब 93 मिलियन लोग स्वास्थ्य मानकों का उल्लंघन करने वाले क्षेत्रों में निवास करते थे। जिस कारण अस्वास्थ्यकर स्तरों से पीड़ित हुए, जिनमें विशेष रूप से बच्चें और वरिष्ठ नागरिक शामिल थे।
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प्रस्तावना
कईं तरीकों से वाहन प्रदूषण हमारे पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहा है। मेट्रो शहरों में यह स्थिति और भी चिंताजनक है। छोटे-छोटे बच्चों को मास्क लगाकर विद्यालय जाना पड़ रहा है। यह बिलकुल भी अच्छा संकेत नही है।
पेड़ों की लगातार कटाई के कारण भी ऐसे परिणाम भोगने पड़ रहे हैं। वृक्ष अपनी स्वसन प्रकिया द्वारा कार्बन का अवशोषण करते हैं। पेड़ो की संख्या कम होने से वातावरण में कार्बन और ऑक्सीजन का अनुपात बिगड़ गया है। कार्बन का अवशोषण हो नहीं रहा, किंतु वाहनों, और भी अन्य साधनों से कार्बन का वातावरण में लगातार उत्सर्जन हो रहा है। यह स्थिति मानव के अस्तित्व के लिए भी खतरे की घंटी है।
वाहन प्रदूषण के प्रभाव
(i) ग्लोबल वार्मिंग
वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन से ओजोन परत का क्षय होता है और यह ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनता है। ग्लोबल वार्मिंग कई प्रमुख विश्व सरकारों के लिए एक चिंता का विषय है और इसे कम करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए गए हैं। ओजोन परत के क्षीण होने से सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी किरणें पृथ्वी की निचली सतह तक पहुँच सकती हैं और ग्रह पर मनुष्यों और अन्य जीवों को नुकसान पहुँचा सकती हैं।
(ii) वायु की खराब गुणवत्ता
कई ऐसे देश हैं जहां वायु की गुणवत्ता इतनी खराब है कि लोग हानिकारक पदार्थों की मात्रा को कम करने के लिए मास्क पहनते हैं। यह बड़े दुःख की बात है, कि आपको पूरे दिन एक मुखौटा के साथ घूमना पड़ता है, जो आरामदायक नहीं है, स्वास्थ्य जटिलताओं की संभावना भी है। जिन देशों में पुराने वाहनों की संख्या अधिक है, आमतौर पर यह समस्या आती है। यही कारण है कि कई सरकारों ने कुछ वर्षों से पुराने वाहनों के आयात पर भी प्रतिबंध लगा दिया है।
(iii) स्वास्थ्य पर प्रभाव
इन प्रदूषकों से फेफड़ों में संक्रमण और कर्क रोग (कैंसर) हो सकता है। जैसा कि हम जानते हैं, हाइड्रोकार्बन मानव स्वास्थ्य के लिए बिल्कुल अच्छे नहीं हैं। वे हृदय रोग, दमा को बढ़ा सकते हैं, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं और सांस लेने में कठिनाई कर सकते हैं। ईंधन रिसाव पौधों और समुद्री जीवन के स्वास्थ्य को भी प्रभावित कर सकता है। जब इन्हें अनियंत्रित छोड़ दिया जाता है, तो ये स्वास्थ्य स्थितियां मृत्यु का कारण बन सकती हैं।
(iv) धुंध और अम्लीय वर्षा
नाइट्रोजन ऑक्साइड अत्यधिक संक्षारक धुंध के गठन में योगदान देता है जो वाहनों की जंग के कारण होता है। जब नाइट्रोजन ऑक्साइड बारिश में घुल जाता है, तो अम्लीय वर्षा का निर्माण होता है। इस प्रकार की वर्षा से प्राप्त जल को मानव, पौधे या पशु के उपभोग के लिए उपयुक्त नहीं माना जा सकता है।
उपसंहार
अक्सर कहा गया है कि हमारे पास केवल एक पृथ्वी है और हमें इसकी रक्षा के लिए सब कुछ करना चाहिए। वाहन परिवहन दुनिया भर में वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में से एक है। अच्छी बात यह है कि वास्तव में इसके बारे में यदि लोग एकजुट होकर प्रयास करें तो बहुत कुछ किया जा सकता है। यह एक स्वच्छ ग्रह बनाने में व्यक्तिगत जिम्मेदारी के साथ शुरू होता है। जब लोग अपनी मानसिकता बदलते हैं और अधिक सक्रिय हो जाते हैं, तो बहुत सारी अच्छी चीजें हासिल की जा सकती हैं। उसी तरह, वाहन प्रदूषण को भी कम और प्रबंधित किया जा सकता है।